Tuesday, 28 May 2019

बिगड़ रहे सम्बन्ध खुद सुधारें , दूसरे का सहारा न लें


जब रिश्ते टूट जाएँ --> कैसे तंत्र का प्रयोग करें
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                 आज के समय में रिश्ते टूट जाना ,सम्बन्ध बिगड़ जाना आम बात हो चुकी है क्योंकि रिश्तों में भावनात्मक जुड़ाव ,गंभीरता ,समझकम और तात्कालिक आकर्षण अथवा स्वार्थ अधिक होता है |लोग भी विपरीत सुझाव देने वाले ही मिलते हैं |सुझाव देने वाले अक्सर किसी का हित नहीं सोचते अथवा अपना स्वार्थ देखते हैं |जोड़ने और जुड़े रहने को समझाने वाले कम ही मिलते हैं |अक्सर कुछ समय के जुड़ाव बाद सम्बन्ध टूट रहे और कोई एक पक्ष अधिक दुखी हो रहा |पति -पत्नी ,पिता -पुत्र -पुत्री -बहु -ससुर -सास -ननद -मित्र -सम्बन्धी -प्रेमी -प्रेमिका आदि सभी के बीच सम्बन्ध अधिक बिगड़ रहे पहले की तुलना में चूंकि संस्कार -मर्यादा -सम्मान -समझ में कमी रही और गंभीरता कम हो रही |प्रेमी -प्रेमिका अथवा प्रेम विवाह के सम्बन्ध अधिक टूट रहे जबकि प्रेम सम्बन्ध अथवा विवाहेत्तर सम्बन्धों के कारण भी पति अथवा पत्नी को छोड़ने की बहुतायत देखने को मिल रही |बहुत अधिक ऐसे भी प्रकरण सामने रहे जिनमे झूठे प्यार के स्वांग से शोषण कर दूरी बना ली जा रही और वादे से मुकर जा रहे लोग |किसी को मानसिक कष्ट हो रहा तो किसी का सबकुछ चला जा रहा |कोई कोई तो इतना टूट जा रहा की आत्महत्या तक सोच ले रहा |सम्बन्ध टूटने -बिगड़ने के कारण और आपसी रिश्ते बहुत से हो सकते हैं ,जिन्हें सुधारने का प्रयास पीड़ित पक्ष कुछ बार जरुर करता है |
            अधिकतर मामलों में देखने में आता है की जब सम्बन्ध बिगड़ते हैं तो व्यक्तिगत और पारिवारिक अथवा मित्रों के प्रयास के बाद सबसे पहले व्यक्ति ज्योतिषी के पास जाता है और जानने की कोशिश करता है की सम्बन्ध कब ठीक होंगे |क्यों सम्बन्ध बिगड़े इससे भी मतलब नहीं होता ,कब ठीक हो जायेंगे मात्र इससे मतलब होता है |कुछ दिन ज्योतिषियों और उनके उपायों में जाता है और फिर तंत्र तथा ओझा -गुनिया की तरफ देखा जाता है |इंटरनेट पर अथवा यहाँ वहां से ऐसे जानकार की खोज होती है जो सम्बन्ध बना दे |यहाँ वहां टोटके -उपाय पूछे जाते हैं |छोटे -मोटे टोटके -उपाय इंटरनेट या किताब से देखकर या किसी से सुनकर किये भी जाते हैं पर अधिकतर की चाह होती है की भले कुछ पैसे लग जाएँ पर खुद कुछ करना हो और उसका बिगड़ा सम्बन्ध ठीक हो जाय |यही धोखा होता है और लोग पैसे लेकर आश्वासन दे देते हैं की जल्दी ठीक हो जाएगा सबकुछ |होता कुछ नहीं क्योंकि किसी दुसरे द्वारा कुछ करने पर बहुत गंभीर क्रिया की आवश्यकता भी होती है और सफलता कई कारकों पर भी निर्भर करती है अतः अधिकतर का पैसा डूबता है तथा परिणाम कुछ समझ में नहीं आता |आजकल तो इंटरनेट और अखबारों में बाकायदा प्रचार वाली दुकानें खुली हुई हैं जिनमे वशीकरण ,आकर्षण ,लव अफेयर की समस्या का शर्तिया समाधान किया जा रहा लेकिन अधिकतर का काम नहीं होता और बाद में या तो उनसे सम्पर्क नहीं हो पाता या नए बहाने मिलते हैं जिनमे अक्सर और अधिक शोषण का भी प्रयास होता है |लव -वशीकरण स्पेशलिस्टों की पूरी फ़ौज मौजूद है इंटरनेट पर ,टोटके जानकर तांत्रिक बनने वालों की बाढ़ आई हुई है ,किन्तु फिर भी रिश्ते अधिक टूट रहे और लोगों का अधिकतर आर्थिक शोषण ही हो रहा |समय का मारा व्यक्ति यहाँ -वहां घूमता और निराश होता रहता है तथा अंततः मन मारकर बैठ जाता है और रिश्ता ख़त्म हो जाता है |
               रिश्ते टूटने के कई कारण हो सकते हैं |अनेक कारणों में से आकर्षण का ख़त्म होना ,पारिवारिक दबाव ,अन्य किसी के प्रति आकर्षण अथवा सम्बन्ध बन जाना और तांत्रिक प्रयोग द्वारा सम्बन्धों में दूरी बना देना अधिकतर मामलों में रिश्ते टूटने के कारण होते हैं |सम्बन्ध टूटने में कुछ मामलों में ग्रहीय स्थितियों का भी योगदान होता है ,जबकि लोग अक्सर किसी भी तरह के सम्बन्ध बिगड़ने पर ज्योतिषी के पास ही जाते हैं और सुधारने का प्रयत्न करते हैं |ज्योतिष के उपायों की एक सीमा होती है जिसमे आकर्षण -वशीकरण -मोहन नहीं होता अपितु ग्रह प्रभाव सुधारने का उपाय होता है |ज्योतिषी थोड़े टोटके आदि जानता है किन्तु अक्सर वह सम्बन्ध सुधारने में सहायक नहीं होता |तांत्रिक -ओझा -गुनिया द्वारा किये प्रयास भी अक्सर असफल होते हैं क्योंकि इनका सीधे व्यक्ति से जुड़ाव नहीं होता |यदि इनके द्वारा किये प्रयोगों में इतनी ही शक्ति हो तो कोई बहुत पैसे देकर किसी बड़े व्यक्ति को अपने वशीभूत कर ले ,कोई किसी उच्च प्रसिद्ध व्यक्ति को वशीभूत कर विवाह कर ले ,किन्तु ऐसा नहीं होता |यह लोग किसी को खुद के वशीभूत तो कर सकते हैं पर किसी दुसरे को किसी दुसरे के प्रति वशीभूत कर देना बहुत मुश्किल होता है |इसके लिए इन्हें भी सम्बन्धित व्यति से ही क्रिया करानी पड़ती है |
            रिश्ते सुधारने में अपना ही प्रयास और खुद द्वारा ही समस्त क्रिया किया जाना सबसे बेहतर होता है |बजाय किसी अन्य का सहारा लिए खुद सबकुछ करना चाहिए |इसके लिए बेहतर यह होता है की जानकार तांत्रिक से सम्पर्क कर सम्पूर्ण स्थितियों से अवगत करा खुद करने योग्य गम्भीर उपाय पूछे जायं |उनका परामर्श शुल्क उन्हें दिया जाय और प्रयोग खुद किया जाय |यहाँ -वहां से देखकर -पूछकर टोने -टोटके आजमाए जाएँ क्योंकि इनकी ऊर्जा काम करने पर आपस में ऐसा जाल बना देगी जो आगे के गंभीर प्रयासों के लिए भी बाधक बन सकती है |तांत्रिक से वार्तालाप कर प्रयोगों को अच्छे से समझें और देखें की आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते ,क्योंकि वाम मार्गीय प्रयोग अक्सर लोग नहीं कर पाते चूंकि इनमे तामसिक वस्तुओं का प्रयोग अथवा नग्न क्रियाएं हो सकती हैं |यद्यपि यह परिणाम जल्दी देते हैं किन्तु सबकी मानसिकता के लिए उपयुक्त नहीं होते |एक बार प्रक्रिया और पद्धति निश्चित हो जाने पर उसे लगातार एक निश्चित समय पर निश्चित समय तक, तब -तक करते रहें जब तक की उद्देश्य सफल हो जाए |बीच में कुछ ही दिनों में निराश हों और दुसरे प्रयोग करें |परिणाम में देरी हो तो जो भी करें तांत्रिक जानकार के परामर्श से ही करें |अपनी बुद्धि घुसाएँ और ही प्रयोग की निरंतरता में एमी आने दें |
             जो उपाय अथवा प्रयोग आप कर रहे हों उसमे पूर्ण एकाग्रता ,तन्मयता ,भावना का जुड़ाव ,लगाव ,प्रेम और प्रबल आत्मविश्वास होना आवश्यक है |मन कहीं और तथा क्रिया कहीं और आपको असफल करता है |जिसके लिए प्रयोग किया जा रहा ध्यान उसी पर एकाग्र रहे ,दुसरे का ध्यान मन में आने पर ऊर्जा बिखरने से असफलता सम्भावित होती है |इस हेतु सामने व्यक्ति का चित्र रखें |मन में तीव्रतम भावना होनी चाहिए की अमुक को हमारे पास आना ही होगा ,वह आएगा |या अमुक को हमारे अनुकूल अथवा वशीभूत होना है ,करना है और ऐसा अवश्य होगा |यह प्रक्रिया तब के लिए है जब किसी से सम्पर्क हो पा रहा हो |जब सम्पर्क सम्भव हो जाए तो उसी प्रक्रिया में अभिमंत्रित वस्तुएं सम्बन्धित व्यक्ति को खिलाने -पिलाने का प्रयत्न उद्देश्य शीघ्र पूरा करता है |इसे भी बिना उस जानकार से समझे करें जो प्रक्रिया निर्देशित कर रहा है | स्वयम क्रिया करने से दो तरह के लाभ होते हैं एक तो क्रिया की पूर्ण ऊर्जा उद्देश्य के काम आती है दूसरा चूंकि सम्बन्धित व्यक्ति आपसे ही जुड़ा होता है ,तो आपकी एकाग्रता उस पर टेलीपैथिक प्रभाव उत्पन्न कर संदेश देती है |दुसरे द्वारा की जा रही क्रिया में टेलीपैथिक संदेश भी नहीं जाते और क्रिया की ऊर्जा का कुछ अंश ही कार्य में प्रयुक्त होता है क्योंकि उनकी क्रिया आपके माध्यम से व्यक्ति तक जाती है |
                 स्वयं द्वारा क्रिया करने से आप किसी द्वारा धोखे से बचते हैं ,आपके पैसे डूबने की सम्भावना कम होती है |खुद प्रक्रिया का हिस्सा होने से आपका विश्वास बढ़ता है जो सफलता दिलाने में सहायक होता है |इसके साथ ही आपमें एक ऐसी शक्ति का उदय होता है जो आपको भविष्य में भी सहायक होता है |तंत्र का नियम है कि कोई भी क्रिया स्वयं और गुरु के अतिरिक्त कोई तीसरा जाने ,, क्रिया के दौरान क्रिया के बाद |इसका अपना विज्ञानं है क्योंकि यह तरंगों और भावनाओं का विज्ञान है अतः गोपनीयता भंग होते ही क्रिया असफल होने लगती है अतः पूर्ण गोपनीयता जीवन भर के लिए रखें |जब आपका उद्देश्य पूर्ण हो जाए तो आप अपने मार्गदर्शक तांत्रिक साधक को अपनी क्षमता और प्रसन्नता अनुसार दान -दक्षिणा देकर संतुष्ट कर उनका आशीर्वाद लें और जीवन पथ पर आगे बढ़ें ,जिससे जब कभी भविष्य में आपको उनकी जरूरत हो वह सहर्ष आपका मार्गदर्शन करें |इस प्रक्रिया से हमने अनेकों की समस्याएं सुलझाई हैं और उनके टूटे सम्बन्ध जुड़े हैं अतः यह परीक्षित प्रयोग है जो सफल रहता है |………..[ Pt. Jitendra Mishra ]…………………………………….....हर हर महादेव 


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