Wednesday, 22 May 2019

अवचेतन ही चमत्कार करता है


धर्मस्थलों के चमत्कार अवचेतन मन पर निर्भर हैं
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दुनिया का हर धर्म अंतर्मन को ही सर्वाधिक महत्व देता है क्योकि सभी प्रवर्तक और ज्ञानी जानते हैं की सारा खेल इस अंतर्मन का ही है और सारे चमत्कार इसी के द्वारा होते हैं |भले ईश्वर सर्वत्र विद्यमान हो पर यदि अंतर्मन व्यक्ति का नहीं जुड़ा तो ईश्वर नहीं जुड़ पता |सभी ज्ञानी अंतर्मन की शक्ति को समझते हैं और जानते हैं की इसी के द्वारा सारे उपचार किये जा सकते हैं क्योकि यही शरीर का निर्माता भी है और नियंता भी |
दुनिया के हर भाग ,हर देश में वहां के सम्बंधित धर्म -सम्प्रदाय के अनुसार विभिन्न धर्मस्थल हैं जहाँ समस्याग्रस्त और रोग ग्रस्त लोगों का उपचार किया जाता है |कुछ प्रसिद्ध होते हैं तो कुछ को केवल आसपास के लोग ही जानते हैं पर इन सभी धर्मस्थलों का उपचार अवचेतन मन की शक्तियों पर ही निर्भर होता है |नाम भले हो की अमुक देवता या शक्ति से यह हो रहा पर होता यह अवचेतन से ही है क्योकि कोई भी शक्ति उपचारकर्ता से अथवा रोगी से उसके अवचेतन से ही जुडती है |प्रबल आस्था और यह विश्वास की अमुक देवता मेरी समस्या या रोग ठीक करेगा एक ऐसी शक्ति अवचेतन में भर देता है की अवचेतन समस्या या रोग को समाप्त करने के प्रति सक्रीय हो जाता है |
हम अक्सर देखते हैं की हमारे आसपास के मंदिरों -मस्जिदों-गिरजाघरों में अपार भीड़ होती है |ऐसे बहुत कम होते हैं जो चुपचाप जाएँ और दर्शन पूजन कर चले आयें बिना कुछ कहे आ मांगे |अधिकतर मूर्ती या प्रतीक को कुछ चढ़ावा चढ़ाकर ,अगरबत्ती ,धुप -दीप लगाकर हाथ जोडकर या बांधकर या उठाकर कुछ न कुछ प्रार्थना करते और मांगते हैं |इसकी एक निश्चित प्रक्रिया है जो कार्य करती है |यह प्रार्थना का चमत्कार होता है जो अवचेतन से जुड़ा होता है |मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारा की एकत्रित या संघनित ऊर्जा सहायक जरुर होती है किन्तु केवल वाही कार्य नहीं करती |अगर वाही कार्य करती होती तो सभी की मांगी गयी मांगें पूरी होती ,किन्तु सबकी नहीं होती |जिसकी प्रार्थना आस्था और विश्वास के बिंदु तक पहुँच जाती है उसी के कार्य पूर्ण होते हैं |प्रबल आस्था और विश्वास की अमुक देवता हमारा कार्य करेगा ,अवचेतन में गहरे बैठ जाता है और अवचेतन की शक्ति सम्बंधित दिशा में कार्य करने लगती है |मूल केंद्र व्यक्ति का अवचेतन होता है और संबल मिलता है देवता और मंदिर का |
कल्पना और अंधे विश्वास की शक्ति इतनी प्रबल है की उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता |एक परिचित को टी.बी. हो गयी जिससे उनके फेफड़े बुरी तरह खराब हो गए |उनके बेटे ने इलाज के साथ साथ उनको रोग से निकालने का फैसला किया और उन्हें आत्मबल देने का फैसला किया |उसने पिता से कहा ,उसे अलौकिक शक्तियों वाला एक घूमने वाला सन्यासी मिला था जो एक प्रसिद्द धर्मस्थल से लौटा था |वह धर्मस्थल रोगों के उपचार के लिए भी प्रसिद्ध है |वह सन्यासी वहां से एक ॐ का लाकेट लाया था जिसे छूने से रोग ठीक हो जाते हैं |बेटे ने जब यह सूना तो वह सन्यासी से मिला और उसे अपने पिता के बारे में बताया तथा उसने ॐ का लाकेट अपने पिता के लिए उधार मागे |सन्यासी तैयार हो गया |बेटे ने स्वेच्छा से एक हजार रूपये का सामान सन्यासी को भेंट कर दिया |उसने पिता से कहा वह लाकेट लाया है |पिता ने जब यह सुना तो उन्होंने लाकेट लेकर माथे लगाया और मन ही मन प्रार्थना की |इसके बाद वह सो गए |सुबह तक उनके टी.बी. के लक्षण समाप्त हो चुके थे |कुछ ही दिन में वह पूर्ण स्वस्थ हो गए और क्लिनिकल रिपोर्टों में उनकी टी.वि. गायब थी |
इस तरह के चमत्कार हर समय होते हैं ,हर जगह होते हैं |इस चमत्कार के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की बेटे की अद्भुत कहानी बिलकुल मनगढ़ंत थी |सच तो यह था की उसने फुटपाथ से एक धातु का ॐ का लाकेट लिया और उसे कुछ इस तरह रगडा की वह पुरानी सी लगे |फिर एक कहानी के साथ उसने पिता को वह लाकेट दे दिया |यद्यपि बेटे का उद्देश्य पिता को आत्मबल और सांत्वना देकर मजबूत करना था पर पिता के गहन आस्था और प्रबल विश्वास से चमत्कार हो गया |अब आप समझ गए होंगे की फुटपाथ के उस लाकेट से पिता का उपचार नहीं हुआ था |उपचार तो पिता की कल्पनाशीलता के कारण हुआ था ,जो प्रबलता से बढ़ गयी थी |इसके साथ ही पूर्ण उपचार की विश्वास भरी उम्मीद भी थी |कल्पनाशक्ति ,आस्था या व्यक्तिपरक भावना के साथ मिल गयी और इन दोनों के मेल से उसके अवचेतन मन की शक्ति ने उपचार कर दिया |जो कार्य दवाइयां दो साल में करती वह कार्य दो दिन में हो चूका था |पिता को कभी पता नहीं चल पाया की उसके साथ यह चाल चली गयी थी |अगर उन्हें यह बात पता चल जाती ,तो हो सकता है की उन्हें वह बीमारी दोबारा हो जाती |बहरहाल उनकी टी.वी. कभी नहीं लौटी |वे टी.वी.से हमेशा हमेशा के लिए मुक्त हो गए |
यही होता है अक्सर धर्मस्थलों के चमत्कार में |जब आपके अवचेतन तक प्रबल आस्था और विश्वास सम्बंधित शक्ति के प्रति जागृत हो जाती है ,तो अवचेतन क्रिया करने लगता है |धर्मस्थल में अगर ऊर्जा इकट्ठी है या वहां वास्तव में कोई शक्ति है तो सोने में सुहागा होता है तथा अवचेतन से वहां की शक्ति भी जुड़ जाती है और लाभ शीघ्र हो जाता है |अगर धर्मस्थल में शक्ति न भी हो तो भी अगर प्रबल विश्वास जग जाए की अमुक हमारा यह कार्य कर देगा तो ,अवचेतन उस कार्य को पूर्ण कर देता है |नाम भले हो की अमुक शक्ति के कारण हुआ पर असल चमत्कार तो यह अवचेतन करता है ,शक्ति संबल का कार्य करती है और विश्वास को आधार देती है |यही सिद्धांत मनौतियों में कार्य करता है |नाम किसी शक्ति का होता है और कार्य अवचेतन करता है |........................................................हर-हर महादेव


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