आपके घर /परिवार में सबकुछ ठीक है क्या ?
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[1] आप घर में घुसते हैं और अनायास तनावग्रस्त हो जाते हैं ,सर भारी हो जाता है जबकि आप बाहर बिलकुल ठीक थे |अनायास
थकान भी महसूस होने लगी और शान्ति की भी चाह होने लगी जबकि बीबी बच्चे आपके आने से खुश हुए |आप चाहकर भी उनके साथ ख़ुशी का समय नहीं दे पा रहे |आपका दिमाग कहीं और जाकर अटक जा रहा |खुद को परिवार में खुशहाली नहीं दिखती |खुद ही परायापन लगता है |दूर से देखने पर घर मनहूस सा लगता है अथवा उसमे रौनक नहीं लगती |घर की चमक अथवा उज्वलता समाप्त हो रही है |बाहरी लोग के घर आने पर उलझन महसूस होता है |जो बाहरी भी आते हैं वह भी अधिक देर घर पर न रहना चाहते हैं |बाहरी लोगों अथवा रिश्तेदार -नातेदार के आने पर आर्थिक
संतुलन बिगड़ जाता है और पर्याप्त आवभगत नहीं हो पाती |कभी कभी घर का खर्च निकालने के लिए कर्ज की स्थिति
आ जाती है जबकि आपकी या परिवार की आय पर्याप्त है |कर्ज लेने पर कर्ज अदायगी
मुश्किल हो जाती है |
[2] आप घर में रहते हुए हमेशा उद्विग्नता ,घबराहट महसूस करते हैं और दिमाग भटकता ही रहता है |एक न एक उलझन /विचार चलते ही रहते हैं |पूजा-पाठ में मन नहीं लगता ,पूजा पाठ से सदैव मन भागता है ,पूजा पाठ करते समय सर भारी हो जाता है ,लगता है जैसे कोई और भी आसपास है ,जम्हाई अधिक आती है ,पूजा पाठ करने से दुर्घटनाएं या परेशानियां बढ़ जा रही हैं ,पूजा पाठ आदि धार्मिक क्रियाओं में अवरोध उत्पन्न हो रहा है |कुछ मंगल के काम करना चाहते हैं तो अनावश्यक रुकावट आ रही है |प्रगति रुकी लगती है अथवा अवनति होने लगती है|अपशकुन हो रहा है ,अनावश्यक आग आदि लग जाती है अथवा कपडे खराब हो जाते हैं | अपने ही घर में कभी कभी भय लगता है |घर -परिवार -रिश्तेदारी और समाज में पर्याप्त सम्मान
नहीं मिल पा रहा |कभी सम्मान
को ठेस भी लग जाती है या कभी कभी अपमानजनक स्थिति
का भी सामना करना पद जाता है अपनी परिस्थिति अथवा परिवार
के कारण |
[3] आपके घर में अशांति का वातावरण है ,कलह होता है ,पति-पत्नी में अनावश्यक अत्यधिक कलह हो जाता है, जबकि कोई बड़ा कारण नहीं समझ आता ,अचानक से आपसी समझदारी का संतुलन बिगड़ जाता है ,सब कुछ ठीक चलते चलते अचानक झगड़ा हो जाता है ,बीमारियाँ अधिक होती हैं ,आय-व्यय का संतुलन बिगड़ जाता है जबकि पर्याप्त आय हो रही है किन्तु बेवजह के खर्चे आ जा रहे हैं ,आकस्मिक दुर्घटनाएं हो जाती हैं ,रोग हो जाता है किन्तु कारण पता नहीं चलता ,सदस्यों में मतभेद हो जाता है ,संताने विरुद्ध जाने लगी हैं अथवा बहस करने लगी हैं,आपको कोई समझने का पयत्न नहीं करता और न ही परिस्थितियों अथवा खुद के या परिवार
के भविष्य
के बारे में कोई सोचता है ,संतान बिगड़ने लगी हैं ,उनके भविष्य असुरक्षित होने लगी हैं ,संतान हीनता की स्थिति हो रही या संतान होकर भी योग्य नहीं बन पा रही ,अधिक त्वचा रोग आदि हो रहा है |
यदि उपरोक्त प्रकार
के लक्षण आपके साथ हैं तो मान लीजिये
की सबकुछ सामान्य नहीं है |यह सब ग्रह दोष भी नहीं है |यह ग्रहीय स्थितियों से भिन्न नकारात्मक उर्जाओं का प्रभाव
है ,जिनमे विभिन्न प्रकार की उर्जायें हो सकती हैं |वास्तु दोष हो सकता है ,स्थान दोष हो सकता है ,पित्र दोष हो सकता है ,कुलदेवता का दोष हो सकता है ,क्षेत्रपाल या ग्रामदेवता प्रभावित कर रहे ऐसा भी सम्भव है |कोई नकारात्मक शक्ति घर में प्रवेश कर गयी हो ऐसा हो सकता है |किसी ने कुछ कर -करा दिया हो अथवा कोई टोना टोटका किया गया हो ऐसा भी सम्भव है |कोई नकारात्मक ऊर्जा या शक्ति उस स्थान के नीचे दबी हो सकती है |इन सब में से कुछ या कई हो सकती हैं जिससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो रही और आपको तथा आपके परिवार को प्रभावित कर रही |
इन स्थितियों में ज्योतिषीय उपाय कारगर नहीं होते और व्यक्ति उपाय तलाशता
ही रहता है अथवा कई उपाय करने पर भी लाभ नहीं होता |यहाँ जरूरत है एक अच्छे वास्तुशास्त्री की सलाह लेने की |एक अच्छे तांत्रिक से विश्लेषण करा किस प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा है यह पता लगाने की जरूरत होती है |आप छोटे -छोटे टोने -टोटके मत आजमाइए | गली ,मुहल्ले ,गाँव के ओझा गुनिया भी आपकी पर्याप्त मदद नहीं कर पायेंगे क्यंकि यह कोई भूत -प्रेत नहीं ,यह भिन्न समग्र नकारात्मक ऊर्जा है |उपरोक्त प्रभाव यद्यपि
बहुत गंभीर की श्रेणी में नहीं आते किन्तु
उपाय गंभीरता से ही करने होते हैं |यदि उपरोक्त प्रभाव या लक्षण आपको आपके घर में मिलते हैं तो आप अच्छे तंत्र जानकार
से अवश्य मिलिए और उपाय कीजिये या करवाइए
आपको राहत मिलेगी |आप इस हेतु हमसे भी सम्पर्क कर सकते हैं |
[4] कभी कभी कुछ लोगों को अहसास होता है कि उनके आस पास कोई और भी है ,पर नजरें घुमाने पर कोई दिखाई नहीं देता ।कभी अकेले कमरे या एकांत में महसूस होता है कि कमरे में आपके अलावा भी कोई है जबकि वास्तव में सशरीर केवल आप वहां होते हैं ।ऐसा कभी एकाध बार तो बहुतों को महसूस होता है ,किंतु कुछ लोगों को बार बार या कई बार ऐसा महसूस होता है ।जिन्हें बार बार ऐसा महसूस होता है उसे कोई न कोई कमी या समस्या भी परेशान करती है ,चाहे घर परिवार की हो ,कमाई धंधे की हो ,सन्तान की हो ,स्वास्थ्य की हो या किसी और प्रकार की ।एकाध बार की अनुभूति तो भ्रम से भी हो सकती है ,किंतु बार बार का महसूस होना भ्रम नहीं होता ।इसके अपने कारण होते हैं ।यद्यपि यहाँ तक की समस्या बहुत गम्भीर नहीं होती ,क्योकि कोई प्रत्यक्ष शरीर को प्रभावित नहीं कर रहा होता ।
[5] कभी कभी किसी किसी को महसूस होता है कि कोई उसे छू गया ,कभी किसी को महसूस होता है कि कोई आगे से चला गया ,कोई पीछे से चला गया ।कभी कभी पूजा करते समय भी ऐसा महसूस हो सकता है ।कभी किसी किसी को सोते समय अर्ध निद्रा में महसूस होता है कि कोई सीने पर आकर बैठ गया ,कभी किसी को लगता है कि कोई गला दबा रहा है ।कभी किसी को लगता है की कोई छाया सी आकर उस पर छा गयी या उसे दबा लिया ।यहाँ तक की स्थिति थोड़ी गम्भीर हो जाती है और यह किसी अशरीरी के जुड़ाव या प्रभाव की ओर संकेत करता है ।
[6] कभी कभी किसी किसी को सोते समय अपने बिस्तर पर किसी की उपस्थिति महसूस होती है ।कभी कभी किसी किसी को सीधे स्पर्श भी महसूस होता है ।किसी को अंग विशेष तो किसी को हाथ ,किसी किसी को पूरा शरीर का स्पर्श महसूस होता है ।कुछ मामलों में देखा गया है कि कोई अशरीरी जी दिखाई तो नहीं देता पर जिसका अनुभव होता है ,किसी के साथ शारीरिक सम्बन्ध भी बनाता है ।किसी को इससे अपार कष्ट तो किसी को बेहद सुखद अनुभूति होती है ।कभी किसी गिर कर चोट खाने वाले को लगता है कि किसी ने अनायास धक्का दे दिया ,जबकि वहां कोई ऐसा नहीं होता ।इस स्तर पर की स्थिति बेहद गम्भीर हो जाती है और इनका निराकरण बड़े बड़े स्वनाम धन्य तांत्रिक ,सिद्ध भी नहीं कर पाते ।
उपरोक्त अनुभव विभिन्न क्रम की शक्तियों द्वारा व्यक्ति विशेष को प्रभावित करने के कारण होते हैं ।[4] चरण की अनुभूतियां सामान्य नकारात्मक शक्तियों जो घर परिवार के आस पास होती है उनके कारण होती हैं ।जबकि [5] तरह की अनुभूतियों और [6] तरह की अनुभूतियों के कई कारण हो सकते हैं ।यह शक्ति सम्पन्न शक्तियों के प्रभाव होते हैं जो किसी उद्देश्य से प्रभावित कर रही होती हैं ।[5] और [6] प्रकार के मामलों में सामाय पूजा पाठ ,जप आदि काम नहीं करते ।[6] में केवल अत्यंत उच्च शक्ति सम्पन्न साधक का ही प्रभाव पड़ता है ।यदि ऐसा कुछ महसूस हो तो बजाय खुद कोई उपाय करने के किसी अच्छे साधक ,तांत्रिक से सम्पर्क करना चाहिए ।खुद के छोटे मोटे उपाय ,पूजा जप आदि किसी शक्ति को छेड़कर छोड़ देने जैसे हो जाते हैं ,जिससे वह और अधिक उग्र हो क्षति की या प्रभावित कोशिश करता है ।अतः खूब सोच समझकर योग्य साधक के मार्गदर्शन में ही उपाय करने और करवाने चाहिए |
लगभग सभी लोग जो हमारे पोस्ट पढ़ते हैं ,वह तुरंत लिख देते हैं की उपाय क्या है इसका |सबको बस उपाय चाहिए ,कोई गंभीरता समझने की कोशिश नहीं करता जबकि हम अक्सर ऐसे मामलों
का विश्लेषण करते हैं जो बेहद गंभीर श्रेणी में आते हैं और यहाँ सामान्य रूप से बताये जाने वाले उपाय काम नहीं करते |कभी कभी इन छोटे छोटे उपायों
से समस्या
और गंभीर हो जाती है |हमारे लेखों के अधिकतर
विषय गंभीर विश्लेषण की मांग करते हैं |जब तक यह न पता हो की मूल कारण क्या है ,क्यों है ,इसकी उत्पत्ति का स्रोत क्या है ,कितनी शक्ति इस कारण में है और कितनी शक्ति लगाने पर इससे मुक्ति
पाई जा सकती है ,तब तक उपाय का कोई औचित्य नहीं |छोटे छोटे उपायों से एक ऐसा जाल निर्मित हो जाता है जो समस्या
को बहुत उलझा देता है और कभी कभी यह स्थिति आ जाती है की समस्या लाइलाज हो जाती है |हमारे संज्ञान में कुछ ऐसे प्रकां भी हैं जो २० -३० वर्षों से भी व्यक्ति को परेशान
किये हैं और उनका आजतक समाधान नहीं हो सकता |इसका कारण यही है की कोई मूल कारण का उपाय करता भी है तो जो छोटे छोटे उपाय की ऊर्जा व्यक्ति ने करवाए हैं उनके जाल में मूल की ऊर्जा समाप्त हो जाती है |इसलिए उपाय पूछने की बजाय पहले मूल कारण का योग्य ज्ञानी
से विश्लेषण कराएं और फिर सटीक उपाय करें |यहाँ वहां के उपाय टोटके न आजमायें | ........................................................हर -हर महादेव
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