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कामाख्या शक्तिपीठ जिस स्थान पर स्थित है, उस स्थान को कामरुप भी कहा जाता है. 51 पीठों में कामाख्या पीठ को महापीठ के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है. इस मंदिर में एक गुफा है. इस गुफा तक जाने का मार्ग बेहद पथरीला है. जिसे नरकासुर पथ कहते है. मंदिर के मध्य भाग में देवी की विशालकाय मूर्ति स्थित है. यहीं पर एक कुंड स्थित है. जिसे सौभाग्य कुण्ड कहा जाता है. कामाख्या देवी शक्ति पीठ के विषय में यह मान्यता है कि यहां देवी को लाल चुनरी या वस्त्र चढाने मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.|
कामाख्या शक्तिपीठ देवी स्थान होने के साथ साथ तंत्र-मंत्र कि सिद्दियों को प्राप्त करने का महाकुंभ भी है. | देवी के रजस्वला होने के दिनों में उच्च कोटियों के तांत्रिकों-मांत्रिकों, अघोरियों का बड़ा जमघट लगा रहता है. |तीन दिनों के उपरांत मां भगवती की रजस्वला समाप्ति पर उनकी विशेष पूजा एवं साधना की जाती है.| इस महाकुंभ में साधु-सन्यासियों का आगमन आम्बुवाची अवधि से एक सप्ताह पूर्व ही शुरु हो जाता है.| इस कुम्भ में हठ योगी, अघोरी बाबा और विशेष रुप से नागा बाबा पहुंचते है.| साधना सिद्दियों के लिये ये साधु, तांत्रिक पानी में खडे होकर, पानी में बैठकर और कोई एक पैर पर खडा होकर साधना कर रहा होता है.
कामाख्या देवी मन्त्र :
कामाख्ये वरदे देवि नीलपर्वतवासिनि
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त्वं देवि जगतां मातर्योनिमुद्रे नमोऽस्तु ते।।..........................................................हर-हर महादेव
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