प्राण मुद्रा :: प्राण शक्ति ,प्रतिरोधक शक्ति बढाये ,नवस्फूर्ति लाये
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कनिष्ठिका और अनामिका (सबसे छोटी तथा उसके पास वाली) उंगलियों के सिरों को अंगूठे के सिरेसे मिलाने पर प्राण मुद्रा बनती है| शेष दो उंगलियां सीधी रहती हैं|
प्राण मुद्रा एक अत्यधिक महत्वूर्ण मुद्रा है| रहस्यमय है जिसके संबंध में ऋषि-मुनियों नेअनन्तकाल तक तप, स्वाध्याय एवं आत्मसाधना करते हुए कई महत्वपूर्ण अनुसंधान किए हैं|इसका अभ्यास प्रारंभ करते ही मानो शरीर में प्राण शक्ति को तीव्रता से उत्पन्न करनेवाला डायनमोचलने लगता है| फिर ज्यों-ज्यों प्राण शक्ति रूपी बिजली शरीर की बैटरी को चार्ज करने लगता है,त्यों-त्यों चेतना का अनुभव होने लगता है| प्राण शक्ति का संचार करनेवाली इस मुद्रा के अभ्यास सेव्यक्ति शारीरिक व मानसिक दृष्टि से शक्तिशाली बन जाता है|
• ज्योतिष के हिसाब से सूर्य की अंगुली अनामिका समस्त विटामिन और प्राण शक्ति का केंद्र मानीजाती है| बुध की उंगली कनिष्ठिका युवा शक्ति व कुमारावस्था का प्रतिनिधित्व करती है अर्थात् इसमुद्रा में सूर्य-बुध की उंगलियों का अग्नि (तेज) के प्रतीक अंगूठे के साथ महत्वपूर्ण प्रयोग है| इस मुद्राके अभ्यास से जीवन और बुध रेखा के दोष दूर होते हैं| शुक्र के अविकसित पर्वत का विकास होनेलगता है|
इस मुद्रा में पृथ्वी तत्व के प्रतीक अनामिका व जल तत्व की प्रतीक कनिष्ठिका का अंगूठे अर्थात्अग्नि तत्व से मिलन होता है| इसके परिणामस्वरूप न केवल शरीर में प्राण शक्ति का संचार तेजहोता है बल्कि रक्त संचार उन्नत होने से रक्त नलिकाओं की रुकावट होती है तन मन में नवस्फूर्ति,आशा एवं उत्साह उत्पन्न होता है| यदि योग साधना या महीनों लम्बी तपस्या के दौरान अन्न जलन लेने से अत्यंत कृशता या कमजोरी महसूस हो रही हो तो ऐसी स्थिति में प्राण मुद्रा करने सेसाधक को भूख प्यास की तीव्रता नहीं सताती| कुल मिलाकर यह मुद्रा समस्त गड़बड़ियां दूर करकेशारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में सहायता करनेवाली है|
प्राण मुद्रा शारीरिक दुर्बलता दूर करती है, मनको शान्त करती है, आँखोंके दोषोंको दूर करके ज्योतिबढ़ाती है, शारीरकी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है, विटामिनोंकी कमीको दूर करती है तथा थकानदूर करके नवशक्तिका संचार करती है लंबे उपवास कालके दौरान भूख प्यास नहीं सताती तथाचेहरे और आँखों एवं शरीरको चमकदार बनाती है । अनिद्रामें इसे ज्ञान-मुद्रा के साथ करे ।
Pran Mudra: The word “prana” means life force or
life energy. This powerful mudra helps optimize the flow of that life force
throughout your body, and promote overall good vitality and health. This mudra
of "life" is also believed to boost the immune system and to be
especially beneficial for your eyes and vision.
This finger position is an all time useful Mudra and can be done
for any length of time, any time, any place and will only help in adding to the
benefits. This is the mudra which, along with the Apan Mudra, precedes any
efforts at higher meditation by the Yogis and saints. The mudra helps to
increase the Pran Shakti or the "Life force". It increases one's self
confidence. It helps the body in increasing it's vitality and sustenance when
deprived of food and water.
It helps in improving weak eyesight and quiescence
(motionlessness) of the eyes.
It supports any other treatment where the
patient is short on confidence.................................................हर-हर महादेव
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