योगी मुद्रा [योनी मुद्रा ]
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इसके लिए सिद्धासन पर बैठकर दोनों अंगुठों से दोनों कान, दोनों तर्जनी उँगलियों से दोनों मध्यमा(बीच की उंगली) से दोनों नाक के छेद और दोनों अनामिका से मुंह बन्द करना चाहिए । फिर काकीमुद्रा (कौवे की चौच के समान होठो को आगे बढ़ाकर साँस खीचना) से प्राण वायु के भीतर खींच करअपान वायु से मिला देना चाहिए । शरीर में स्थित छहों चक्रों का ध्यान करके 'हूँ' और 'हंस' इन दोमंत्रों द्वारा सोयी हुई कुण्डलिनी का जगाना चाहिये ।
जीवात्मा के साथ कुण्डलिनी को युक्त करके सहस्र दल कमल पर ले जाकर ऐसा चिंतन करना कि मैंस्वयं शक्तिमय होकर शिव के साथ नाना प्रकार का बिहार कर रहा हूँ । फिर ऐसा चिंतन करना चाहिएकि 'शिवशक्ति के संयोग से आनन्द स्वरूप होकर मैं ही ब्रह्म रूप में स्थित हूँ ।' यह योगी मुद्रा बहुतशीघ्र सिद्धि प्रदान करने वाली है और साधक इसके द्वारा अनायास ही समाधिस्थ हो सकता है ।
Wear loose clothes and sit in a position where there is not too
much of noise. Where you can concentrate better. And where you are completely
devoid of any worldly tensions or affairs. Then take a deep breath and
finally begin this mudra.Place your thumbs in the ear close to your ear
holes. Close your eyelids by placing your index fingers on
them. Push your middle finger on the either sides of your
nostrils. Press your lips together with the remaining fingers Release
your middle finger but keep inhaling and exhaling.
It is very useful for get rid of stress and
depression. balance the nervous system.Keep you always relax and
rejuvenation of mind and soul. It is very helpful to develop the mental
peace. Gives spiritual calmness and peace to your heart and mind. .............................................................हर-हर महादेव
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