वायु मुद्रा :: दर्द ,गैस ,ऐंठन से मुक्ति
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तर्जनी (अंगूठे के साथ वाली)अंगुली को मोड़कर अंगूठी कीजड़ में लगाकर उसे अंगूठे सेहल्का-सा दबाने पर वायु मुद्राबनता है| इस मुद्रा से रोगी केशरीर में वायु तत्व शीघ्रता सेघटने लगता है| अतः वायु केप्रकुपित होने से उत्पन्नहोनेवाले सभी रोग इस मुद्रासे शांत हो जाते हैं|
• वायु मुद्रा की सहयोगी प्राण मुद्रा है| यदि इससे लाभ नजर न आता हो, तो इसके साथ प्राण मुद्राका अभ्यास कुछ देर तक करना हितकर सिद्ध होता है|
• हस्तरेखा विज्ञान की दृष्टि से इससे शनि पर्वत और रेखा के दोष दूर होते हैं|
वायु मुद्रा से वायु शान्त होती है । लकवा, साइटिका, गठिया, संधिवात, घुटनेके दर्द ठीक होते हैं ।दर्दनके दर्द, रीढ़के दर्द आदि विभिन्न रोगोंमें फायदा होता है ।
विशेष- इस मुद्रासे लाभ न होनेपर प्राण-मुद्रा प्रयोग करे ।
सावधानी:- लाभ हो जानेतक ही करे इस मुद्रा को ।
Vayu Mudra: This finger
position is unbeatable in quickly and effectively removing the accumulated wind
in the stomach. Depending on one's physiology, it may take anywhere from 1
minute to 15 minutes or so to effectively expel all accumulated wind in the
stomach without the use of anti-flatulants. Mudra should be stopped when the
trouble abates.
It helps in alleviating all wind based aches and pains.
Considering that almost 80 % of the body's aches and pains are due to wind, the
practice of this Mudra is a must, before taking recourse to any other
treatment. It is very effective in Parkinson's disease (an ailment of the
nerves where the patients body, head and limbs shake
uncontrollably)……………………………………………….Har-Har Mahadev
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