मातंगी मुद्रा
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मातंगी मुद्रा बनाने के लिए दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा लें और दोनों हाथों की मध्यमा उंगलियों को सीधा रखकर आपस में मिला दें। हाथों को पेट पर रखें। अपना ध्यान मणिपुर चक्र पर लगाकर श्वासों को देखें। मातंगी मुद्रा दिन में तीन बार 4-4 मिनटों के लिए करें।
लाभ:-- अपना ध्यान मणिपुर पर लगा कर श्वासों को देखने से प्राण शक्ति का प्रवाह पाचन शक्ति पर जाता है जिससे पाचन शक्ति बढ़ती है। ह्र्दय की धड़कन ठीक होती है और तनाव कम होता है जिससे पाचन क्रिया ठीक ढ़ंग से काम करती है। मातंगी मुद्रा लगाने से ह्रदय, अमाश्य, यकृत, पित की थैली, तिल्ली, अग्नाश्य और गुर्दे क्रियाशील होते हैं। मातंगी मुद्रा लगाने से जबड़े का दर्द ठीक होता है।....................................................................हर-हर महादेव
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