अपान मुद्रा :: किडनी ,ह्रदय स्वस्थ्र रखे ,बबासीर ,सुगर ,दन्त रोग में राहत दे
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मध्यमा तथा अनामिका, दोनों उंगलियों के अग्रभाग को अंगूठे के अग्रभाग से मिला देने से अपान मुद्रा बनती है| इस मुद्रा में कनिष्ठिका और तर्जनी उंगलियां सहज एवं सीधी रहती हैं| मानव स्वास्थ्य-रक्षा के लिए अपान मुद्रा बहुत महत्वपूर्ण क्रिया है| क्योंकि यह स्वस्थ शरीर की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता-विसर्जन क्रिया को नियमित करती है और शरीर को निर्मल बनाती है|यद्यपि योगासनों द्वारा भी शारीरिक निर्मलता प्राप्त होती है, फिर भी साधक के शरीर को योग की उच्च स्थिति में पहुंचने के लिए जिस सूक्ष्मातिसूक्ष्म स्वच्छ स्थिति की आवश्यकता रहती है, वह हठयोग की क्रियाओं के पश्चात्, अपान मुद्रा के निरंतर अभ्यास द्वारा ही सम्भव हो पाती है|
साधना में प्राण एवं अपान को सम करके मिला देने का नाम ही एक प्रकार से योग है| दूसरे शब्दों में,योग की ऊंची उड़ान के लिए प्राण-अपान का संयोग होना परम आवश्यक है| प्राण एवं अपान मुद्रा को प्रतिदिन बार-बार करते रहने से प्राण व अपान वायु की स्थिति शरीर को समत्व प्रदान करती है| इस मुद्रा की कोई समय-सीमा नहीं है| इस मुद्रा का अभ्यास जितना अधिक किया जाए, उतना ही अधिक लाभदायक रहेगा|
अपान मुद्रा के प्रभाव से शरीर निर्मल होता है और सम्पूर्ण विजातीय द्रव्य या मल सरलतापूर्वक शरीर से बाहर निकल जाते हैं| इसके अभ्यास से सात्विक भाव उत्पन्न होते हैं और इनमें वृद्धि भी होती है|
अपां मुद्रा से शरीर और नाड़ीकी शुद्धि तथा कब्ज दूर होता है । मल-दोष नष्ट होते हैं, बवासीर दोर होता है । वायु-विकार, मधुमेह, मूत्रावरोध, गुर्दोंके दोष, दाँतोंके दोष दूर होते हैं । पेटके लिये उपयोगी है, हृदय-रोगमें फायदा होता है तथा यह पसीना लाती है ।
सावधानी:- इस मुद्रासे मूत्र अधिक होगा ।
Apan mudra: This
mudra is known as the “energy mudra”. This mudra helps stimulate energy in the
liver.
By bringing the tips of your ring and middle finger together
with the tip of your thumb, the energy created is believed to help purify the
body of toxins and eliminate urinary problems. It is a gesture of new
beginnings..
This mudra helps in purification of the body ,urinary
problems,easy secretion of excreta, regulating menstruation and painless
discharge, easy child delivery ,piles ,diabetes and kidney disorders.
Caution:- This mudra should not be done by
pregnant ladies before completing 8 months. After that a 10 minutes practice 3 to
4 times a day will ensure normal delevery.……….…………………………………………...हर-हर महादेव
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