Monday, 30 April 2018

ध्यान मुद्रा [DHYANA MUDRA]


ध्यान मुद्रा और उसके लाभ
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पद्मासन में बैठकर बाएं हाथ की हथेली पर दाएं हाथ की हथेली को (उल्टे हाथ पर सीधे हाथ कोहल्के से रखने से ध्यान मुद्रा बनती हैध्यान रखें कि इस मुद्रा में सिरगर्दन एवं रीढ़ की हड्डी सीधी रहेआंखें और होंठ सहज से बन्द रहेंध्यान अपने इष्टदेव के स्वरूप पर टिकाएं अथवा शरीर से समता रखते हुए कुछ देर के लिए विचार रहित अवस्था में रहने का प्रयास करेंअष्टांग योग (यमनियमप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यान और समाधिके एक अंग ध्यान’ की साधना में यह मुद्रा विशेष रूप से सहायक सिद्ध हुई है|
जो व्यक्ति पद्मासन नहीं कर सकतेउन्हें ध्यान मुद्रा सुखासन या स्वस्तिक अथवा पालथी आसन में करना चाहिएयह सहज मुद्रा हैसहज ध्यान मुद्रा को साधारण व्यक्ति अधिक लम्बे समय तक सरलता से कर सकता है|इससे ध्यान मुद्रा के लाभ भी मिल जाते हैंध्यान मुद्रा में यदि हथेलियां एक दूसरे पर रखने के बाद दोनों हथेलियां ज्ञान मुद्रा की स्थिति में रखी जाएं तो ध्यान मुद्रा तथा ज्ञान मुद्रा के सम्मिलित लाभ के साथ पद्मासन के लाभ भी मिल जाते हैंसाधक के लिए ध्यान मुद्रा में समय की कोई सीमा नहीं हैलेकिन सहजता के साथ पद्मासन करने की क्षमता के अनुरूप ध्यान मुद्रा का अभ्यास करना चाहिएसाधारण व्यक्ति को इसे धीरे-धीरे बढ़ाते हुए कम-से-कम २० मिनट से एक घंटे तक करना चाहिएध्यान मुद्रा न कर सकने की अवस्था में सहज ध्यान मुद्रा करके लाभ उठाना चाहिएइससे मन की चंचलता शांत होकर चित्त की एकाग्रता बढ़ती हैसात्विक विचारों की उत्पत्ति होती है और प्रभु भजन में मन लगता हैध्यान के प्रभाव से साधक को ध्यान की उच्चतर स्थिति में पहुंचने में सहायता मिलती हैआत्म साक्षात्कार और ईश्‍वर के साक्षात्कार में यह मुद्रा सहायक है|
Dhyana mudra: A mudra of contemplation. The two hands are placed in the lap, right over left with palms up and thumb tips touching. This mudra is best used in quiet meditation for an incredibly calming state of mind. It is a gesture of perfect balance of thought and total relaxation..........................................हर-हर महादेव 


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