शक्तिचालिनी मुद्रा
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आठ अंगुल लंबा और चार अंगुल चौड़ा मुलायम वस्त्र लेकर नाभि पर लगाएं और कटिसूत्र में बांध लें|फिर शरीर में भस्म रमाकर सिद्धासन में बैठें और प्राण को अपान से युक्त करें| जब तक गुह्य द्वारसे चलती हुई वायु प्रकाशित न हो, इस समय तक गुह्य द्वार को संकुचित रखें| इससे वायु का जोनिरोध होता है, उसमें कुम्भक के द्वारा कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होती हुई सुषुम्ना मार्ग से ऊपरजाकर खड़ी हो जाती है| योगमुद्रा से पहले इसका अभ्यास करने पर ही योनि मुद्रा की पूर्ण सिद्धि होतीहै|
इस मुद्रा से कुण्डलिनी शक्ति का जागरण होता है| जब तक यह सोती है, तब तक सभी आंतरिकशक्तियां सुप्त पड़ी रहती हैं| इसलिए कुण्डलिनी का जाग्रत होना साधक के लिए बहुत आवश्यक है|
प्राण अपान को संयुक्त करने की क्रिया प्राणवायु को पूरक द्वारा भीतर खींचने और उड्डीयान बंध सेअपान वायु को ऊपर की ओर आकर्षित करने से पूर्ण होती है| इसमें गुह्य प्रदेश के संकोच औरविस्तार का अभ्यास होने से अधिक सरलता हो सकती है|.
Shakti Chalana Mudra -This mudra is practised to reach the
spiritual high of the Kundalini practice of yoga. Sit in the Padmasana on a
wooden plank. Make sure the place of practice is quiet and secluded. Inhale air
forcibly and hold a tight Mula Bandha. Close the right nostril with the right
fingers (Shanka
Mudra).Now swallow the air like you are swallowing food and push
it towards the naval. Do this swallowing 4 to 5 times. Exhale gently and relax
in the Shavasana.
BENEFITS: This mudra is practised to
reach the spiritual high of the Kundalini Yoga practice. It improves the power
of concentration and conquers lust, thus freeing the mind for higher spiritual
practices.....................................................................हर-हर महादेव
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