Monday, 30 April 2018

वरुण मुद्रा [ VARUNA MUDRA ]


वरुण मुद्रा :: चेहरा खिलाये ,झुर्रियां ,चर्म रोग -रक्त विकार मिटाए 
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सबसे छोटी उंगली (कनिष्ठिकाको अंगूठे के अग्रभाग से मिलाने पर वरुण मुद्रा बनती हैइस तत्वकी कमी से जहां त्वच में रूखापन आता हैवहीं स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन बन जाता हैएक अजीब-सा तनाव हमेशा तन-मन में बना रहता हैपरिणामस्वरूप अपने सामाजिक ढांचे को भी ऐसा व्यक्तिबिगाड़ लेता हैइसको विपरीत अर्थात् जल तत्व की वृद्धि होने की कल्पना की उड़ान ऊंचाइया छूनेलगी हैंकमी में पहली मुद्रा और अधिकता में दूसरी मुद्रा से लाभ होता है|
कनिष्ठिका को पहले अंगूठे की जड़ में लगाकर फिर अंगूठे से कनिष्ठिका को दबाने से दूसरी मुद्राबनती हैइसमें बीच की तीन उंगलियां सहज एवं सीधी रहती हैं|
वरुण मुद्रा शरीरमें रूखापन नष्ट करके चिकनाई बढ़ाती हैचमड़ी चमकीली तथा मुलायम बनाती है ।चर्म-रोगरक्त-विकार एवं जल-तत्त्वकी कमीसे उत्पन्न व्याधियोंको दूर करती है  मुँहासोंको नष्टकरती और चेहरेको सुन्दर बनाती है 
 रूखापन नष्टचमड़ी चमकीली  मुलायमचर्मरोगरक्त विकारमुहाँसे एवं जल की कमी वाले रोगदूर होते हैं। दस्तमें लाभ। शरीर में खिंचाव का दर्द ठीक होता है। 
सावधानी‌:- कफ-प्रकृतिवाले इस मुद्राका प्रयोग अधिक  करें 
Varun Mudra: A miracle mudra for Skin problems, wrinkling, loss of glow, dehydration, excessive body heat, blood disorders..............................................................हर-हर महादेव 

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