पंचधारणा मुद्रा और उसके लाभ
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धारणा का अभिप्राय है, ध्यान के द्वारा ग्रहण करने की शक्ति| पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु औरआकाश- इन पंच महाभूतों से यथार्थ का ज्ञान होना ही पंचधारणा मुद्रा का वास्तविक उद्देश्य है| यहमुद्रा पंच तत्वों से संबंधित होने के कारण उसको पृथक-पृथक धारणा में परिपक्व करती है, इसलिएयह निम्न पांच प्रकार की मानी जाती है-|
• पार्थिवीः भूमि-संबंधी
• शाम्भवीः जल-संबंधी
• वैश्वानरी या आग्नेयीः अग्नि-संबंधी
• वायवीः वायु-संबंधी
• आकाशीः आकाश-संबंधी
इनकी सिद्धि होने पर मनुष्य सशरीर स्वर्गादि लोकों में आ-जा सकताहै|................................................................................हर-हर महादेव
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