जाग्रत सुषुम्ना नाडी = स्वास्थ्य
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हमारे रोगी और निरोगी
रहने का राज छिपा है हमारी श्वासों में। व्यक्ति उचित रीति से श्वास लेना भूल गया
है। हम जिस तरीके और वातावरण में श्वास लेते हैं उसे हमारी इड़ा और पिंगला नाड़ी
ही पूर्ण रूप से सक्रिय नहीं हो पाती तो सुषुम्ना कैसे होगी? दोनों नाड़ियों के सक्रिय रहने से किसी भी
प्रकार का रोग और शोक नहीं सताता और यदि हम प्राणायाम के माध्यम से सुषुम्ना को
सक्रिय कर लेते हैं, तो जहां
हम श्वास-प्रश्वास की उचित विधि से
न केवल स्वस्थ, सुंदर और
दीर्घजीवी बनते हैं, वहीं हम
सिद्ध पुरुष बनाकर ईश्वरानुभूति तक कर सकते हैं।
मनुष्य के दोनों नासिका छिद्रों से एकसाथ श्वास-प्रश्वास कभी नहीं चलती है। कभी वह बाएं तो कभी
दाएं नासिका छिद्र से श्वास लेता और छोड़ता है। बाएं नासिका छिद्र में इडा यानी
चंद्र नाड़ी और दाएं नासिका छिद्र में पिंगला यानी सूर्य नाड़ी स्थित है। इनके
अलावा एक सुषुम्ना नाड़ी भी होती है जिससे श्वास प्राणायाम और ध्यान विधियों से ही
प्रवाहित होती है। प्रत्येक 1 घंटे के बाद यह 'श्वास' नासिका छिद्रों में परिवर्तित होती रहती है।शिवस्वरोदय
ज्ञान के जानकार योगियों का कहना है कि चंद्र नाड़ी से श्वास-प्रश्वास प्रवाहित होने पर वह मस्तिष्क को
शीतलता प्रदान करती है। चंद्र नाड़ी से ऋणात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है। जब सूर्य
नाड़ी से श्वास-प्रश्वास प्रवाहित
होती है तो शरीर को ऊष्मा प्राप्त होती है यानी गर्मी पैदा होती है। सूर्य नाड़ी
से धनात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है।
प्राय: मनुष्य उतनी गहरी श्वास नहीं लेता और छोड़ता है जितनी एक स्वस्थ व्यक्ति
के लिए जरूरी होती है। प्राणायाम मनुष्य को वह तरीका बताता है जिससे मनुष्य ज्यादा
गहरी और लंबी श्वास ले और छोड़ सकता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम की विधि से दोनों नासिका छिद्रों से बारी-बारी से वायु को भरा और छोड़ा जाता है। अभ्यास
करते-करते एक समय ऐसा आ जाता है, जब चंद्र और सूर्य नाड़ी से समान रूप से
श्वास-प्रश्वास प्रवाहित होने लगती
है। उस अल्पकाल में सुषुम्ना नाड़ी से श्वास प्रवाहित होने की अवस्था को ही'योग' कहा जाता है।
प्राणायाम का मतलब है- प्राणों का
विस्तार। दीर्घ श्वास-प्रश्वास से प्राणों का विस्तार होता है। एक
स्वस्थ मनुष्य को 1 मिनट में 15 बार सांस लेनी चाहिए। इस तरह 1 घंटे
में उसके श्वासों की संख्या 900 और 24 घंटे
में 21,600 होनी चाहिए। स्वर विज्ञान के अनुसार चंद्र और
सूर्य नाड़ी से श्वास-प्रश्वास के जरिए कई तरह के रोगों को ठीक किया
जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि चंद्र नाड़ी से श्वास-प्रश्वास को प्रवाहित किया जाए तो रक्तचाप, हाई
ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।...............................................हर-हर महादेव
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