भ्रामरी प्राणायाम
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भ्रामरी प्राणायाम का मुख्य उद्देश्य मानसिक शान्ति की प्राप्ति है। प्राणायाम का साधारण लाभ भीउसमें है और अन्य प्राणायामों की तरह फेफड़ों को भी उससे शक्ति प्राप्त होती है। इस प्राणायाम केअभ्यास में भ्रामरी का शब्द सुनते- सुनते ओंकार और अन्य प्रकार के दिव्य शब्द भी सुनाई पड़नेलगते हैं, जिससे मन की शान्ति और तन्मयता की बहुत अधिक वृद्धि हो जाती है।
ध्यानात्मक आसन में बैठें। दोनों हाथों की तर्जनी उँगलियों से कानों को बन्द कर लें। दोनों नथुनों सेगहरी श्वास खींचें। भौंरे के गुँजन की तरह गहरी और मन्द ध्वनि उत्पन्न करते हुए धीरे- धीरे श्वासबाहर छोड़ें। श्वास छोड़ते समय गुँजन की ध्वनि मधुर, सम और अखण्ड होनी चाहिए। ध्वनि इतनीमृदुल और मधुर हो कि कपाल के अग्र भाग में उसकी प्रतिध्वनि गूँजनेलगे।..................................................................हर-हर महादेव
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