प्राण संचार प्राणायाम
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प्राण संचार प्राणायाम से शरीर की नाड़ियों में प्राण वायु का प्रवेश कराकर समस्त देह में चैतन्यताका संचार किया जाता है। इससे शरीर इस योग्य बन जाता है कि अन्य शक्तिशाली प्राणायाम केप्रभाव को ग्रहण कर सके।
शान्त, मेरुदण्ड सीधा करके बैठें। ध्यान करें कि गुरुसत्ता, ऋषिसत्ता की अनुकम्पा से साधना स्थलदिव्य प्राण- प्रवाह से भर गया है। हमारे भाव भरे आवाहन और पू. गुरुदेव के ध्यान- निर्देशों केप्रभाव से वह दिव्य चेतन प्राण हमारी ओर उन्मुख है। माँ की ममता के भाव से हमें लपेटे हुए है।
गहरी तृप्तिदायक श्वास दोनों नथुनों से खींचें। जितनी देर में वायु खींची है, उससे लगभग आधेसमय तक अन्दर रोकें। जितने समय में खींचा, उतने ही समय में धीरे -धीरे बाहर निकालें। अन्दरजितने समय रोका, उतने ही समय बाहर रोकें।
श्वास खींचते समय भाव करें कि हम उस दिव्य प्राण प्रवाह को सम्मानपूर्वक शरीर के हर अंग-अवयव तक पहुँचा रहे हैं। श्वास रोकते समय भाव करें- वह दिव्य ताजा प्राण हमारे शरीर में स्थापितहो रहा है। पुराने, बासी प्राण को विस्थापित कर रहा है। श्वास निकालते समय भाव करें- वायु केसाथ बासी प्राण विकारों सहित बाहर जा रहा है। बाहर रोकते समय भाव करें- निष्कासित प्राणविकार दूर चले गये, अन्दर दिव्य प्राण प्रकाशित हो रहा है। अंग- अंग पुलकित हो रहे हैं। ...........................................................................हर-हर महादेव
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