प्राणायाम से लाभ
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प्राणायाम मनुष्य की शारीरिक प्रकृति के कारण होने
वाले अनेक रोगों अथवा निर्बलताओं को दूर करने में सक्षम है |इसके अलावा शरीर को स्वस्थ और प्रक्रितिष्थ
बनाकर उसे कष्ट सहन करने की शक्ति भी प्रदान करता है |प्राणायाम के सतत अभ्यास से शरीरांगों की शक्ति ,बुद्धि ,तेज तथा कान्ति की
वृद्धि होती है |नियमित रूप से
प्राणायाम करने पर साधक में इतना बल आ जाता है की वह चलती गाड़ियों को रोक सकता है ,जंजीरों को तोड़ सकता है और सलाखों को मोड़ सकता
है |
हमारे शरीर ,मन और आत्मा का मैल बीमारियों ,दुर्भावनाओं ,ईर्ष्याओं एवं
कुंठाओं आदि के रूप में होता है |यह
मैल प्राणायाम करने से नष्ट हो जाता है |इस प्रकार हमारी आत्मा पवित्र बनती है तथा निर्मल बुद्धि विकसित होती है |कुछ वर्षों तक प्राणायाम के सतत अभ्यास से साधक
की इच्छा शक्ति इतनी बढ़ जाती है की वह बड़े से बड़े चुनौतीपूर्ण कार्य को चुटकी
बजाते ही हल करने में समर्थ हो जाता है |प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से ह्रदय रोग ,क्षय रोंग ,रक्तचाप ,दमा ,न्युमोनिया तथा चर्मरोग आदि दूर हो जाते हैं |ये रोग कहीं न कहीं श्वाश -प्रश्वास
से जुड़े होते हैं |प्राणायाम द्वारा
साधक की श्वास-प्रश्वास क्रिया
सुधरती है और उपर्युक्त रोगों की सहज ही निवृत्ति हो जाती है |
प्राणायाम से शरीरस्थ सभी प्रकार के मल नष्ट हो जाते
हैं |मूलतः छोटी आंत ,बड़ी आंत ,गुर्दे और फेफड़े शरीरस्थ मालों को बाहर निकालते हैं |प्राणायाम करने से अन्दर की वायु में उष्णता
उत्पन्न होती है जिससे उत्सर्जक अंग सक्रीय हो जाते हैं और शरीरस्थ मल का निष्कासन भली भाँती करने लगते हैं |
प्राणायाम करने से बुद्धि ,विवेक ,ज्ञान ,कौशल ,इच्छाशक्ति ,चतुराई ,धैर्य ,साहस ,एवं क्षमता आदि
मानसिक शक्तियों को बढावा मिलता है |प्राणायाम दीर्घायु प्राप्त करने की निश्चित कुंजी है |एक-एक श्वास से मनुष्य की आयु का निर्धारण होता है अर्थात आयु श्वासों पर
निर्भर होती है |हम जितने धीरे और
कम श्वास लेंगे हमारी आयु उतनी ही बढ़ेगी |सामान्यतः व्यक्ति दिन -रात
में २१६०० बार श्वास लेता और छोड़ता है |इस हिसाब से वह एक मिनट में लगभग ७ बार सांस लेता तथा ७ बार छोड़ता है |प्राणायाम करने से हमारे श्वास-प्रश्वास धीरे धीरे लम्बे एवं गहरे होते जाते
हैं |इनकी संख्या घटकर एक- दो तक रह जाती है जिसके कारण दीर्घायु की
प्राप्ति होती है |
प्राणायाम से स्वभाव में सौम्यता आती है |ईर्ष्या, द्वेष ,वैर भाव समाप्त होते
हैं |सर्व धर्म समभाव की भावना जाग्रत होती है ||ईच्छाओं और लालसाओं पर नियंत्रण होता है |आचरण में
दृढ़ता आती है |एकाग्रता बढ़ जाती है |जितेन्द्रियता की प्राप्ति होती है |आध्यात्मिक विकास
होता है |ध्यान और साधना में
मन रमने लगता है |साधक को चिर संतुष्टि प्राप्त होती है |.............................................................हर-हर महादेव —
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