Sunday, 20 May 2018

विशुद्ध-चक्र


विशुद्ध-चक्र
=======
कण्ठ स्थित चन्द्र वर्ण का षोडसाक्षर अःअंलृ वर्णों सेयुक्त षोडसदल कमल की पंखुड़ियों वाला यह चक्र विशुद्ध-चक्र हैयहाँ के अभीष्ट देवता शंकर जी हैं।
जब कुण्डलिनी-शक्ति विशुद्ध-चक्र में प्रवेश कर विश्राम करने लगती हैतब उस सिद्ध-साधक केअन्दर संसार त्याग का भाव प्रबल होने लगता है और उसके स्थान पर सन्यास भाव अच्छा लगनेलगता है। संसार मिथ्याभ्रम-जालस्वप्नवत् आदि के रूप में लगने लगता है। उस सिद्ध व्यक्ति मेंशंकर जी की शक्ति  जाती है।............................................................हर हर महादेव 

No comments:

Post a Comment

महाशंख  

                      महाशंख के विषय में समस्त प्रभावशाली तथ्य केवल कुछ शाक्त ही जानते हैं |इसके अलावा सभी लोग tantra में शंख का प्रयोग इसी...