=======================
यदि किसी की स्त्री अथवा प्रेमिका उससे रूठकर दूर हो जाए या चली जाए तो इस स्थिति में आकर्षण की क्रिया की जाती है |आकर्षण में पुतली विद्या का प्रयोग बहुत कारगर होता है क्योकि इच्छित व्यक्ति दूर होता है या सामने नहीं होता |इसलिए वशीकरण की बजाय आकर्षण इसलिए अधिक प्रभावी होता है ताकि पहले इच्छित को बुलाया जा सके |पुतली विद्या में प्राण प्रतिष्ठा बेहद महत्वपूर्ण होता है जिसमे नक्षत्र ,मुहूर्त ,तांत्रिक पद्धति महत मायने रखती है |इस पद्धति में यन्त्र और पुतली दोनों का प्रयोग किया जाता है जिससे अधिक प्रभाव आता है |
भोजपत्र पर गोरोचन ,कुमकुम और श्री खंड और कस्तूरी से ,जाती वृक्ष की कलम से यन्त्र को लिखे और मदन वृक्ष [ मैनफल ] की लकड़ी से कामदेवी की प्रतिमा बनाकर उस नारी प्रतिमा के ह्रदय में यह यन्त्र रखकर रात्री के प्रथम प्रहर में पंचोपचार पूजनोपरान्त निम्न मंत्र का जप करे |
मंत्र - कामोअनंग पञ्च शराः कन्दर्पोमीन के तनः |श्री विष्णु तनयो देवः प्रसन्नो भवतु प्रभो |
यन्त्र में बीज मन्त्रों के बीच में इच्छित स्त्री का नाम लिखे |जैसे ऐं ह्रीं क्लीं ------ ऐं ह्रीं क्लीं |
तांत्रिक लोग उपरोक्त मंत्र के स्थान पर तांत्रिक आकर्षण मंत्र का प्रयोग करते या करवाते हैं |इनकी पद्धति में पुतली निर्माण यह खुद करके तांत्रिक प्राण प्रतिष्ठा करके उस व्यक्ति को प्रदान करते हैं जिसकी पत्नी या प्रेमिका दूर हुई हो |इसके बाद यन्त्र भी देकर मंत्र प्रदान करते हैं और तब पद्धति बता जप करने को कहते हैं |इस प्रकार व्यक्ति की सफलता बढ़ जाती है |.......................................................हर -हर महादेव
No comments:
Post a Comment