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वसुधा यन्त्र का प्रयोग अधिकार संपन्न पत्नी ,प्रेमिका अथवा महिला के लिए किया जाता है ,जो स्वतंत्र निर्णय की क्षमता रखती हो |अभिजात्य वर्गीय अथवा सभ्रांत परिवार की महिला .पत्नी की अनुकूलता ,कृपा ,समर्थन पाने के लिए यह यन्त्र अच्छा कार्य करता है |अपनी नौकरी ,व्यवसाय पेशा पत्नी अथवा प्रेमिका के लिए इस यन्त्र का प्रयोग उसे व्यक्ति के अनुकूल करता है |
इस यन्त्र की रचना जायफल की कलम से भोजपत्र पर की जाती है |स्याही के लिए कुंकुम ,कपूर और गोरोचन का प्रयोग किया जाता है |शुभ मुहूर्त अथवा अमृत सिद्धि योग में अपने ईष्ट आदि के पूजनोपरान्त ,अभीष्ट स्त्री का ध्यान करते हुए यन्त्र की रचना की जाती है |यन्त्र निर्माण के बाद उसकी गंध ,पुष्प ,धूप -दीप ,नैवेद्य आदि से पूजा करके एकाग्रचित्त होकर अभीष्ट रमणी के आगमन की भावना करते हुए कम से कम एक घंटे तक वशीकरण मंत्र का जप किया जाता है |रात्री के प्रथम प्रहर में पुनः एक घंटे उसी प्रकार मंत्र जप किया जाता है |इस प्रकार का क्रम आठ दिनों तक चलता है |इसके बाद यन्त्र को त्रिलौह के कवच में बंद किया जाता है |और आठवें दिन ब्राह्मण स्त्रियों की पूजा करके उन्हें दान आदि से संतुष्ट कर यन्त्र धारण किया जाता है |
यदि किसी अन्य के द्वारा यन्त्र बनवाया जाता है तब आठ दिन बनाने वाला ही जप करता है और फिर त्रिलौह अथवा चांदी के कवच में भरकर देता है |प्राप्तकर्ता स्वयं तब रात्री में २१ दिन वशीकरण मंत्र जप एक घंटे अभीष्ट स्त्री का ध्यान करते हुए करता है यन्त्र धारण करके |यन्त्र धारण से अभीष्ट स्त्री की अनुकूलता ,प्रेम प्राप्त होता है |..............................................................हर- हर महादेव
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