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सामग्री
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मंत्रसिद्ध चैतन्य दिव्य गुटिका ,तेल का दीपक ,धी का दीपक ,असली सिन्दूर ,लोबान
,मूंगे की माला ,लाल रंग की धोती ,लाल रंग का आसन ,लाल कपडा ,धुप ,दीप ,नैवेद्य
[गुड],कपूर |
दिन
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शनिवार ,रात्री काल
दिशा -संख्या
-अवधि
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पश्चिम दिशा ,जप संख्या २१०० अर्थात २१ माला प्रतिदिन ,२१ दिन तक
मन्त्र
-------- ॐ
हाँ गं जूं सः [अमुक ]में वश्य वश्य स्वाहा |
प्रयोग विधि
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इस प्रयोग को
संपन्न करने हेतु किसी भी शनिवार को रात्रिकाल में स्नानादि से निवृत्त हो लाल रंग
के आसन पर लाल रंग की धोती पहनकर पश्चिम की ओर मुह कर बैठे |फिर अपने सामने बाजोट
पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उसपर मंत्र सिद्ध चैतन्य दिव्य गुटिका रखें |गुटिका के
पीछे शिव -पार्वती -गणेश की संयुक्त चित्र रखें |अब गुटिका को चामुंडा ,काली
,गणपति का समग्र स्वरुप मानकर विधिवत पूजन करें और धुप दीप करें |सिन्दूर चढ़ाएं
|धी का दीपक सामने और उसके बाएं तेल का दीपक जलाएं |लोबान की धूनी करें |इसके बाद
मंत्र जप मूंगे की माला से करें |
यहाँ यह ध्यान
दें की रात्री के समय लोबान ,धुप दीप से वातावरण की अन्य शक्तियां आकर्षित हो सकती
हैं अतः आसन के चारो ओर कपूर -लौंग और सिन्दूर का मिश्रण बनाकर उसका घेरा बनाये
रखें जिससे आपकी सुरक्षा रहे और साधना निर्विघ्न हो |
२१ माला
प्रतिदिन के हिसाब से २१ दिन जप करने पर दिव्या गुटिका वाशिकारक प्रभावयुक्त हो
जाती है |इस अवधि में मंत्र में अमुक के स्थान पर कुछ नहीं बोलना है अर्थात कोई
नाम नहीं लेना है |इस अवधि में ध्यान में काली अथवा गणपति को रखना है |२१ दिन बाद
व्यक्ति विशेष के लिए प्रयोग करते समय अमुक की जगह उस व्यक्ति के नाम का उच्चारण
होगा और ध्यान में उस व्यक्ति को रखना होगा |
सिद्ध करने के
बाद किसी विशेष उद्देश्य के अनुसार उस गुटिका को अपनी जेब में रखकर किसी से बात की
जाय तो अनुकूल प्रभाव पड़ता है |जेब में रखकर सात बार मंत्र व्यक्ति के नाम के साथ
पढ़कर उससे बात की जाय तो उस पर व्शिकारक प्रभाव पड़ता है [ध्यान दें ऐसा करने से
पूर्व उस व्यक्ति हेतु नाम के साथ एक पूरा अनुष्ठान करना होगा ]|
सामान्य सिद्ध
करने के बाद भी गुटिका को घर में पूजा स्थल या व्यापार स्थल पर स्थापित किया जाए
और रोज धुप दीप होता रहे तो सभी संपर्क में वहां आने वालों पर वशिकारक प्रभाव पड़ता
है और वह अनुकूल होने लगते हैं |नकारात्मकता हटती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार
बढने से सभी ओर उन्नति होती है |
यदि
साधक चाहे तो सुपारी ,लॉन अथवा इलायची गुटिका पर पूजा करते समय अर्पित करके उस पर
१०८ बार सम्बंधित व्यक्ति का नाम लेकर जप कर उसे खिलाने से वह व्यक्ति वशीभूत होता
है |सामान्य पूजा में लौंग arpit कर
उसे किसी को खिलाने से उस पर से अन्य अभिचार का प्रभाव कम होता है |ध्यान रहे लौंग
-इलायची अथवा सुपारी में सिन्दूर न लगा रहे नहीं तो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव
पड़ेगा ,क्योकि गुटिका की पूजा में सिन्दूर चढ़ाना एक आवश्यक अंग है
|..............................................................................हर-हर महादेव
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