========================
यह प्रयोग कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि अथवा चतुर्दशी को शनिवार अथवा रविवार अथवा मंगलवार के दिन किया जाता है |यद्यपि प्रयोग के
लिए महाकाल संहिता में दिनों की संख्या निर्धारित नहीं की गयी है किन्तु सामान्य
लोगों के लिए अलग विद्वानों की अलग दिनों तक की मान्यता है ,चूंकि महाकाल संहिता
साधकों के लिए है न की सामान्य लोगों के लिए |इसलिए इस प्रयोग को कम से कम 21 दिन तक किया जाना बेहतर होगा अथवा यदि पहले ही सफलता मिल जाए तो संख्या कम
की जा सकती है |
सर्व
प्रथम प्रयोग से पूर्व स्नानादि से निवृत्त हो ,सामने भगवती काली का चित्र रखें
उनका पूजन करें फिर सामने ही साध्य व्यक्ति का चित्र स्थापित करें जिससे उस पर
एकाग्रता बने |पूजन सामग्री और पान का पत्ता ,शहद आदि पहले से रखें |पूजन नग्न
होकर करें और जप भी पूर्ण नग्नावस्था में ही हो | इस प्रयोग मे एक
पान का
पत्ता लेकर
उस पर
शहद से
साध्य का
नाम लिखे
,फिर उसे निम्न मंत्र से
अभिमंत्रित करें ,अर्थात मंत्र १०८ बार पढ़ें और पान के पत्ते पर तीन बार फूंक मारे
|
अभिमन्त्रण मंत्र :- ॥
क्लीं क्रीं हुं क्रों स्फ्रें कामकलाकाली स्फ्रें क्रों
हुं क्रीं क्लीं स्वाहा ॥
अब इस अभिमंत्रित पत्ते को अपने मुह मे डालकर धीरे-धीरे चबाते हुये निम्न मंत्र जाप जब तक पूरा पत्ता चबाना खत्म ना हो जाये तब तक करना है,
॥ ॐ ह्रीं
क्लीं अमुकी क्लेदय क्लेदय आकर्षय आकर्षय मथ मथ पच पच द्रावय द्रावय मम सन्निधि आनय आनय हुं हुं ऐं ऐं श्रीं श्रीं स्वाहा ॥
जब पत्ता समाप्त हो जाये तो जिसे वश करना हो उसका स्मरण करते हुये फिर से निम्न मंत्र का जाप 108 बार करे,
॥ क्लीं
क्रीं हुं क्रों स्फ्रें कामकलाकाली स्फ्रें क्रों
हुं क्रीं क्लीं स्वाहा ॥
यह प्रयोग अच्छे कार्य के लिए कीजिये
सफलता मिलती है, बुरे कार्य के लिए करोगे तो असफलता भी निच्छित है
विशेष: - इस साधना मे किसि भी माला की उपयुक्तता नहीं है,और प्रयोग
करते समय शरीर पे किसी भी प्रकार का वस्त्र नहीं होना चाहिये,इतना सूत्र ध्यान मे रखिये |प्रयोग से पूर्व कुछ विशेष तकनीकियाँ काली के किसी साधक से समझ लें |सीधे प्रयोग उचित नहीं होगा ,क्योकि पोस्ट का
उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना मात्र है |तंत्र की गोपनीयता का पालन आवश्यक
होता है अतः केवल सामान्य जानकारी ही सामाजिक माध्यमो पर दी जा सकती है |.............................................................हर-हर महादेव
No comments:
Post a Comment