Thursday, 1 February 2018

क्या सच में वशीकरण होता है ?

क्या सचमुच वशीकरण होता है ?
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हमने अपने पहले के लेखों में वशीकरण पर बहुत कुछ लिखा है ,जैसे वशीकरण क्या है ,,कैसे कार्य करता है वशीकरण ,, वशीकरण की तकनीक कैसी होती है ,वशीकरण के सूत्र -सिद्धांत -कार्यप्रणाली क्या हैं ,क्यों असफल होती है वशीकरण की क्रिया ,,आदि आदि |आज के अंक में हम देखते हैं की क्या सचमुछ वशीकरण होता है ,जो की एक पाठक का प्रश्न रहा है ,अतः इसे हम आज विश्लेषित करने का प्रयास करते हैं | तंत्र ,अध्यात्म और सामान्य जनों में वशीकरण एक जाना पहचाना नाम है |पर क्या सचमुच वशीकरण ,मोहन ,आकर्षण आदि होता है ,यह प्रश्न बहुत से लोग करते हैं या यह मात्र भ्रम है |शास्त्रों और जन सामान्य की कथाओं ,उक्तियों में तो वशीकरण का क्षेत्र बहुत व्यापक है |देवता ,ईष्ट से लेकर सामान्य मनुष्य तक को वशीभूत करने के प्रयोग ,तरीके शास्त्रों में दिए गए हैं |बहुत से लोग खुद यह प्रयोग करते हैं ,करवाते हैं अथवा तांत्रिक आदि की मदद लेते हैं |यहाँ वहां इसके लिए दौड़ते ,प्रयास करते हैं |अगर वशीकरण जैसी कोई विद्या नहीं तो फिर क्यों इतना इसका प्रचार है ,क्यों लोग ऐसा प्रयास करते हैं |क्या केवल सुनकर ?या केवल पढकर |
तंत्र आदि गुह्य विद्याओं के शास्त्रों में लगभग सभी धर्मों में षट्कर्म जैसी विद्याएँ पाई जाती हैं | इनमे से ही एक विद्या वशीकरण भी है |वशीकरण ,सम्मोहन के ही समान कार्य करता है किन्तु इसमें व्यक्ति पूरे होशोहवास में सबकुछ जानते बूझते खुद ऐसी क्रियाएं और कार्य करता है जैसा उसे वशीभूत करने वाला चाहता है |वास्तव में यह एक विद्या तो है किन्तु अधिकांश लोगों के लिए वशीकरण असफल हो जाती है |कुछ लोगों के लिए सफल भी होती है |[ क्यों असफल हो जाती है वशीकरण की क्रिया - इसके लिए हमारे ब्लॉग पर इसी नाम का लेख देखें ].वशीकरण के नाम पर ही बहुत से लोग छद्म तांत्रिकों अथवा सोसल मिडिया के स्वयंभू बाबाओं द्वारा लुटे भी जाते हैं |इसकी बहुतायत में असफलता ,इसके नाम पर हो रहे लूट ,इसके तकनीक का ज्ञान न होने के कारण बहुत से लोग यह मानने लगते हैं की वशीकरण नहीं होता |या प्रश्न करने लगते हैं ,क्या सचमुच वशीकरण होता है |आधुनिक लोग तो किसी भी षट्कर्म जैसे शन्ति ,उच्चाटन ,विद्वेषण ,वशीकरण ,आकर्षण ,मोहन आदि के अलावा कर्मकांड ,शास्त्रीय पूजा पाठ तक को नहीं मानते |
तंत्र ,अध्यात्म आदि का मूल उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति है ,किन्तु जब तक भौतिक जीवन सफल न हो मोक्ष अथवा मुक्ति की तरफ व्यक्ति संतुष्टिपूर्वक नहीं बढ़ पाता |अतः ज्ञानियों ,ऋषियों ने भौतिक जीवन में सफलता ,किसी प्रकार के विक्षोभ के निवारण ,दाम्पत्य जीवन की सफलता ,मानव मन के भटकने पर उसके नियंत्रण ,गलत संगत आदि से बचाने ,कशों ,दुखों ,विभिन्न बाधाओं को उच्चाटित करने अथवा भगाने ,शान्ति बनाये रखने के लिए ऐसे तरीके ,पद्धतियाँ ,प्रयोग बनाए जिससे उपरोक्त उद्देश्य पूरे हों और व्यक्ति अथवा लोग अपने भौतिक जीवन में संतुष्ट ,सुखी होते हुए अंततः मुक्ति मार्ग पर बिन चिंता बढ़ सकें |इन प्रयोगों ,क्रियाओं को छः भागों में बांटकर इन्हें षट्कर्म का नाम दिया गया |जैसा उद्देश्य वैसा विशिष्ट कर्म |वशीकरण भी एक ऐसा ही कर्म है और इसी के अंतर्गत आकर्षण और मोहन भी आते हैं |
षट्कर्म हो अथवा पूजा -पाठ ,साधना -अनुष्ठान ,कर्मकांड ,सब प्रकृति और ब्रह्माण्ड के विज्ञान पर आधारित हैं और सबके अपने नियम हैं जिससे एक विशेष प्रकार की शक्ति अथवा ऊर्जा उत्पन्न होती है और उद्देश्य के अनुसार प्रयोग की जाती है |भौतिक रूप से किये जा रहे कार्य तरंग में बदल उद्देश्य पूर्ण करते हैं |ऐसा ही वशीकरण में है |यह भी तरंगों का विज्ञान है |इस क्रिया में व्यक्ति पूर्ण चैतन्य होने पर भी दुसरे के प्रति वशीभूत होता है और कभी कभी ऐसा तक कर जाता है जो उसके स्वभाव तक के बिलकुल विपरीत होता है |वशीकरण में तांत्रिक वस्तुओ की ऊर्जा और तरंगों को मानसिक शक्ति और निश्चित भाव के साथ एक निश्चित लक्ष्य पर प्रक्षेपित किया जाता है |जब व्यक्ति विशेष के लिए प्रबल मानसिक बल से तरंगों और उर्जा का प्रक्षेपण किया जाता है तो यह लक्षित व्यक्ति के ऊर्जा परिपथ ,मष्तिष्क और अवचेतन मन को प्रभावित करता है और वहा परिवर्तन होने लगता है ,इसमें तंत्रिकीय वस्तुए ऊर्जा बढाने वाली ,परिवर्तन करने वाली ,वशीकरण की तीब्रता बढाने वाली और समय में शीघ्रता लाने वाली होती है |जबकि लक्ष्य के कपडे ,बाल ,चित्र या उपयोग की हुई वस्तुए उसके शरीर में तरंगों को पकड़ने और ग्रहण करने का माध्यम बन जाते है |यहाँ मूल शक्ति प्रयोगकर्ता की मानसिक शक्ति होती है |मंत्र और हवनीय द्रव्य ऊर्जा उत्पन्न करने वाले ,लक्ष्य पकड़ने वाले और कार्य से किसी ऊर्जा शक्ति को जोड़ने वाले होते है |वशीकरण केवल मंत्र से ,,मंत्र के साथ व्यक्ति की उपयोग की हुई वस्तुओ के प्रयोग के साथ ,अथवा अभिमंत्रित वास्तु के खिलाने-पिलाने से भी हो सकता है |
वशीकरण में कई प्रकार की पद्धतियाँ कार्य में लाइ जाती है ,कुछ केवल वस्तुगत और शारीरिक रसायनों के बल पर कार्य कर जाती हैं ,कुछ में मंत्र शक्ति आवश्यक हो जाती है ,कुछ में मानसिक बल और एकाग्रता की प्रमुखता होती है |किसी के लिए कभी भी कोई भी प्रकार की पद्धति सिद्धिप्रद नहीं होती अर्थात एक ही प्रकार की पद्धति या क्रिया सबके लिए सिद्धिप्रद नहीं होती |इस सम्बन्ध में विषय पर अच्छी पकड़ बहुत मायने रखती है |यह सब उर्जा का खेल है जिसमे एक व्यक्ति द्वारा दुसरे के उर्जा उर्जा परिपथ और मष्तिष्क को प्रभावित करके उसे अपने वशीभूत कर लिया जाता है |ईश्वर को भी अपने मानसिक बल-मंत्रादी से आकर्षित कर उसके अनुकूल क्रियाएं कर उसे अपने सानिध्य में कर लेना या उसे किसी कार्य को करने पर मजबूर कर देना वशीकरण ही है और फिर उसी ईश्वर से किसी मनुष्य को भी वशीभूत कराया जा सकता है |लगभग यही तकनीक मंत्र प्रयोग की होती है |
वशीकरण अथवा किसी भी षट्कर्म के पीछे एक पूर्ण वैज्ञानिक तकनीक होती है |यह आधुनिक विज्ञान सी भी हो सकती है भिन्न भी ,किन्तु यह फिर प्रकृति और ब्रह्माण्ड की ऊर्जा संरचना का विज्ञान होगी |यदि किसी के वस्त्र या बाल के साथ प्रबल मानसिक शक्ति से तांत्रिक वस्तुओ का सम्मिश्रण कर विशिष्ट तांत्रिक क्रियाए की जाती है तो उत्पन्न उर्जा तरंगों में परिवर्तित हो मानसिक शक्ति और भावो के प्रभाव से लक्षित व्यक्ति को प्रभावित करती है ,तरंगों का ग्रहणकर्ता लक्षित होता है क्योकि इन तरंगों के साथ लक्षित के बाल या वस्त्र [गन्धादि]की तरंगे संयुक्त होती है ,[जैसे रिसीवर और तरंग प्रक्षेपक ] |इनके साथ प्रयोगकर्ता की मानसिक शक्ति ,प्रयोग की गयी वास्तु और प्रक्रिया की ऊर्जा ,भावनात्मक आदेश संयुक्त होता है ,फलतः इन तरंगों के ग्रहण होने पर लक्षित व्यक्ति के स्वभाव ,विचार ,पसंद-नापसंद में परिवर्तन होने लगते है ,उसमे शारीरिक रासायनिक परिवर्तन होने से विशिष्ट गंधों ,हार्मोनो ,फेरोमोंस के प्रति संवेदनशीलता परिवर्तित हो जाती है और वह प्रयोगकर्ता के गंध ,गुण ,स्वभाव की और आकृष्ट होने लगता है ,उसे प्रयोगकर्ता के साथ आनंद और सुख महसूस होता है अतः वह उसके अनुकूल आचरण करने लगता है ,प्रयोगकर्ता का साथ ,उसके विचार उसे अच्छे लगने लगते है ,उसका साथ रहना उसे सुखकारक ,आनंददायक लगता है ,उसके विचार बार बार आते है ,इस सुख को पाने के लिए वह उसकी बात मानने लगता है और वशीभूत रहता है |

यदि कोई क्रिया कर्म बनाए गए हैं तो उनके कुछ कारण ,उद्देश्य और तकनीक होती हैं |वशीकरण का उद्देश्य मूलतः किसी अपने को बिगड़ने अथवा भटकने से बचाकर सुधारना रहा है ,किन्तु इसका अधिकतर दुरुपयोग हुआ और फिर जानकार ज्ञानियों ने अपने ज्ञान खुद में सीमित कर लिए |समय क्रम में तकनीक ज्ञान कम होती गयी और मंत्र आदि ही लोगों को उपलब्ध रहे |इस कारण सफलता कम होती गयी |इस प्रकार वशीकरण होता तो जरुर है ,जरूरत सक्षम तरीका पाने अथवा सक्षम ज्ञानी पाने की होती है |सही तकनिकी ज्ञान ,पद्धति पता हो तो वशीकरण संभव है और वशीकृत किया जा सकता है किसी को भी |सामान्यतया कुछ बार वशीकरण कुछ लोगों पर काम नहीं करती ,इसके अपने कारण हैं |कब और क्यों वशीकरण कार्य नहीं करता यह जानने के लिए आपको हमारा अगला लेख देखना होगा |हमेशा और किसी भी स्थिति में वशीकरण सफल हो जरुरी नहीं होता |वशीकरण कुछ बार असफल भी होता है और कुछ लोगों पर सामान्य अवस्था में काम भी नहीं करता |अतः ऊर्जा संतुलन का ध्यान रखना पड़ता है |इन्ही असफलताओं के कारण बहुत से लोग कहते मिलते हैं वशीकरण नहीं होता |.......................................................हर -हर महादेव 

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