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षट्कर्म प्रयोगों की अपनी ही एक उपयोगिता हैं और उनका निर्माण भी मानव जीवन को सुखमय और उन्नति युक्त बनाये रखने के लिए हुआ हैं,| यह जरुर हैं की किस भावना और उदेश्य को लेकर इन प्रयोगों को किया जाए, उस पर व्यक्ति की अपनी ही एक सोच और कारण हो़ता हैं,|एक योग्य साधक परिस्थति के अनुसार निर्णय कर अपने आप को जब उपयुक्त समझता हैं तब इन विधाओ का प्रयोग करता हैं न की किसी के उकसावे मे आकर या किसी भावना के वश मे होकर क्योंकि प्रभाव तो होता ही हैं .
इन षट्कर्म प्रयोग मे एक प्रयोग हैं वशीकरण ..यूँ तो कहा भी गया हैं वशीकरण एक मंत्र हैं तज दे वचन कठोर .पर हर जगह हर परिस्थितयों मे तो यह बात नही हो सकती हैं न |..कई की बार ऐसी परिस्थितयां बन् जाती हैं की व्यक्ति के हाथ मे प्रयास मात्र इतने से कुछ नही होता बल्कि उसे साधना का भी सहयोग लेना ही पड़ता हैं,और साधना का मतलब ही हैं की जो मर्यादानुकूल,सामाजिक नियमानुकुल हो उसे यदि वह भाग्य मे न हो तो भी उसे प्राप्त कर लेना.|
वशीकरण
साधनाओ को बहुत ही हेय दृष्टी से देखा जाता हैं कारण भी हैं क्योंकि अनेको ने इस साधनाओ का दुरुपयोग ही ज्यादा
किया हैं,.पर इससे इन साधनाओ की उपयोगिता तो समाप्त
नही हो जाती हैं |.एक सुयोग्य साधक का कर्तव्य हैं की जब भी समय मिले इन साधनाओ
को सम्पन्न करता जाए तभी तो साधना जगत मे निरंतरता बनी रही सकती हैं |,
आज के समय मे...
क्योंकि यह युग शुक्र ग्रह से कहीं ज्यदा प्रभावित हैं तो जीवन मे सुख विलास की चीजों के प्रति व्यक्ति का रुझान कहीं ज्यादा होता गया हैं और जीवन मे प्रेम और स्नेह की अपनी ही एक महत्वता हैं |पर जब किसी भी कारण से परिस्थितियाँ साथ न दे रही हो तब सारी परिस्थिति को अपने अनुकूल करने के लिए इन सरल साधनाओ की अपनी ही एक उपयोगिता हैं जिसे कमतर नही आँका जा सकता हैं | .पर इन साधनाओ का प्रयोग
कर किसी का जीवन नष्ट करना या अपनी कुत्सिक भावनाओं की पूर्ति कतई उचित नही हैं ऐसा करने पर हानि ही ज्यादा होती हैं .क्योंकि आज समय ऐसा हैं कि लोग राह चलती लड़की पर प्रयोग
कर दें.|ऐसा कतई न करें अन्यथा कुछ भी किसी के साथ अशुभ किये जाने पर व्यक्ति उसका स्वयं ही जबाब देह होगा |.एक सामान्य प्रयोग निम्न प्रकार से किया जा सकता है ,पर इसके लिए योग्य के मार्गदर्शन और
अनुमति की अत्यंत आवश्यकता होती है |बिना अनुमति और मार्गदर्शन के परिणाम उलटे
अथवा अनापेक्षित हो सकते हैं ,जिसके लिए साधक खुद जिम्मेदार होता है |
विधि :--आसन और वस्त्र
पीले रंग के हो ,.दिन शुक्रवार का हो ,समय प्रातः या रात्रि काल ,पीले रंग की हकिक माला मंत्र जप केलिए उपयुक्त होगी.|अमुक की जगह इच्छित
व्यक्ति का नाम ले जिसे आप अपने अनुकूल
करना चाहते हैं वह स्त्री, पुरुष,अधिकारी कोई भी हो सकता हैं.
मंत्र:
ॐ चिटि चिटि चामुंडा काली काली महाकाली अमुकं मे वशमानय स्वाहा ||
आपको 125000 मंत्र करना हैं और मंत्र जप पूरा होने के बाद 12500 बार इसी मंत्र की आहुति देना हैं ,आहुति आप हवन सामग्री मार्केट मे मिलती हैं, वहां से ले आ सकते हैं .दिनों की सख्या निश्चित नही हैं पर आप पांच या सात दिन मे पूरा कर ले | प्रयोग सम्पन्न होने पर आप स्वयम ही पायेंगे की किस तरह आपके लिए अनुकूल वातावरण बन् गया हैं, पर ध्यान रहे इस प्रकार के मंत्र मे आपकी एकाग्रता और निष्ठा
और इनके प्रति आपका विश्वास कहीं जयादा गहरी भूमिका निभाता
हैं .[इस
प्रयोग के साथ कुछ महत्वपूर्ण और सहायक क्रियाएं आवश्यक होती हैं जिसके लिए सक्षम
से सहायता लें ,स्थान-समय-दिशा-वस्तु-सामग्री-प्रक्रिया-पद्धति आवश्यक है ]................................................................................हर-हर महादेव
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