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भारतीय संस्कारों में कन्या का विवाह लगभग ऐसे व्यक्ति से होता है जो उसके लिए अनजान होता है |यहाँ पहले से संपर्क किसी कन्या का किसी पुरुष से कम ही होता है यद्यपि अब कुछ बदलाव हो रहे और कन्या और युवक एक दुसरे को समझने लगे हैं पहले से भी ,परन्तु फिर भी अधिकांश कन्याओं की स्थिति बंदिशों वाली होती है तथा लगभग अधिकतर की मर्जी उनकी शादी विवाह में नहीं चलती |ऐसे में बहुत से ऐसे मामले भी आते हैं जहाँ पति में कुछ या तो कमियां होती हैं ,या वह पहले से किसी से जुड़ा होता है ,या अपने माता -पिता की कुछ अधिक ही बात मानता है और पत्नी पर पर्याप्त ध्यान नहीं देता |कभी विचार नहीं मिलते तो कभी किसी अन्य तरह की समस्या आती है |कुल मिलाकर पत्नी को परेशानी और कष्ट पति को लेकर होता है और वह इसके लिए अनेक प्रयास करती है |इन मामलों में पति वशीकरण यन्त्र लाभप्रद होता है और पति को अनुकूल करता है |
इस यन्त्र का निर्माण शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी की रात्रि में उत्तराभिमुख बैठकर भोजपत्र पर कुंकुम ,कस्तूरी और शुद्ध गोरोचन के मिश्रण से बनाया जाता है |लेखनी हेतु चमेली की लकड़ी की कलम का प्रयोग किया जाता है |इसके बाद यन्त्र की धुप -दीप -नैवेद्य से पूजा की जाती है |अगले दिन ब्राह्मण सुहागिन स्त्रियों को भोजन कराकर ,दक्षिणा आदि से संतुष्ट कर विदा किया जाता है और यन्त्र को चांदी के ताबीज में बंद कर लाल धागे में धारण किया जाता है |यदि किसी साधक से यन्त्र बनवाया जाता है तो यन्त्र को सोमवार अथवा गुरूवार को पूजनोपरांत लाल धागे में गले में धारण किया जाता है |
यह यन्त्र उन स्त्रियों के लिए अधिक उपयोगी है जिनके पति उनकी उपेक्षा करके दूसरी स्त्रियों के चक्कर में पड़ जाते हैं अथवा लोगों के बहकावे में आ जाते हैं अथवा परिवार और पत्नी पर ठीक से ध्यान नहीं देते किन्ही कारणों से |पति को सही रास्ते पर लाने का यह सबसे उपयोगी यन्त्र है |इस यन्त्र को रोज पूजन के समय धुप आदि देती रहे अगर स्त्री तो इसकी शक्ति बरकरार रहती है और कुछ ही समय में पति उसकी ओर उन्मुख होकर अन्य स्त्रियों से मुंह मोड़ लेता है |लोगों की बजाय पत्नी की बात गंभीरता से सुनने लगता है और पत्नी के अनुसार व्यवहार करने की कोशिस करने लगता है |............................................................हर-हर महादेव
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