=======================
श्वेतार्क अर्थात सफ़ेद फूल वाला आक [मदार ]का पौधा एक ऐसा वनस्पति है जो कम देखने में आता है जबकि नीली आभा
वाले फूलो वाका आक का पौधा सर्वत्र दीखता है |,श्वेतार्क की जडो का तंत्र जगत में
बहुत महत्व है ,|ऐसा मन जाता है की २५ वर्ष पुराने आक के पौधे की जडो में गणपति की
आकृति स्वयमेव बन जाती है और जहा ऐसा पौधा होता है वहा सांप भी अक्सर होता है ,|,श्व्तार्क
गणपति एक बहुत प्रभावी मूर्ति होती है जिसकी आराधना साधना से सर्वमनोकामना सिद्धि,अर्थलाभ,कर्ज मुक्ति,सुख-शान्ति प्राप्ति ,आकर्षण प्रयोग,वैवाहिक बाधाओं,उपरी बाधाओं का शमन ,वशीकरण ,शत्रु पर विजय प्राप्त होती है ,यद्यपि यह
तांत्रिक पूजा है ,|,यदि श्वेतार्क की स्वयमेव मूर्ति मिल जाए तो अति उत्तम है
अन्यथा रवि-पुष्य योग में पूर्ण विधि-विधान से श्वेतार्क को आमंत्रित कर रविवार को घर लाकर ,गणपति की मूर्ति
बना विधिवत प्राण प्रतिष्ठा कर ,अथवा प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति किसी साधक से
प्राप्त कर साधना/उपासना की जाए तो
उपर्युक्त लाभ शीघ्र प्राप्त होते है |,यह एक तीब्र प्रभावी प्रयोग है |.श्वेतार्क
गणपति साधना भिन्न प्रकार से भिन्न उद्देश्यों के लिए की जा सकती है |,इसमें मंत्र
भी भिन्न प्रयोग किये जाते है |..
श्वेतार्क गणपति की तांत्रिक उपासना द्वारा वशीकरण और आकर्षण की क्रिया भी की जाती है और यह तीव्र प्रभाव दिखाती है |इसके द्वारा किसी पर भी आकर्षण अथवा वशीकरण प्रयोग किये जा सकते हैं |इसक कुछ प्रयोगों को हमने अपने पिछले लेखों में लिखा भी है |हर प्रयोग में व्यक्ति के अनुसार मंत्र भिन्न हो जाता है |प्रयोग विधि भिन्न हो जाती है |इस मूर्ती पर शाबर और तंत्रोक्त दोनों मंत्र प्रयोग किये जा सकते हैं |इस मूर्ती की साधना में वाम मार्गीय पद्धति भी प्रयुक्त हो सकती है और दक्षिण मार्गी पद्धति भी |
श्वेतार्क गणपति द्वारा आकर्षण
प्रयोग हेतु रात्री के समय पश्चिम दिशा को,लाल वस्त्र- आसन के साथ हकीक माला से शनिवार के दिन से प्रारंभ कर पांच
दिन में पांच हजार जप मंत्र का जप किया जाता है |दुरुपयोग न हो इसलिए हम मंत्र प्रकाशित नहीं कर सकते |,,पूजा में तेल का दीपक ,लाल फूल,गुड आदि का प्रयोग किया जाता है |उपरोक्त प्रयोग किसी के
भी आकर्षण हेतु किया जा सकता है |
सर्व स्त्री आकर्षण हेतु श्वेतार्क गणपति प्रयोग
,पूर्व मुख ,पीले आसन पर पीला वस्त्र पहनकर किया जाता है ,पूजन में लाल चन्दन
,कनेर के पुष्प ,अगरबत्ती,शुद्ध घृत
का दीपक ,प्रयोग होता है ,,मूगे की माला से इक्यावन दिन में इक्यावन हजार जप मंत्र
का किया जाता है जिसे बुधवार से प्रारंभ किया जाता है |
वशीकरण प्रयोग हेतु लाल अथवा श्वेत वस्त्रादि ,आसन ,पत्र पुष्प का प्रयोग मंत्र ,विधि और प्रयोग पद्धति के अनुसार किया जाता है |वशीकरण हेतु इस पर चढ़ाई हुई वस्तुएं अथवा अभिमंत्रित वस्तुएं खिलाने -पिलाने के काम में ली जाती हैं |
आकर्षण अथवा वशीकरण जैसा भी प्रयोग हो उसके पूर्व इसके जानकार से मंत्र आदि लेकर उच्चारण समझ और प्रयोग विधि जानने के बाद ही इन प्रयोगों में उद्यत होना चाहिए |चूंकि प्रयोग तांत्रिक और तीव्र होते हैं अतः सावधानी आवश्यक होती है |............................................................हर हर महादेव
No comments:
Post a Comment