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सामग्री
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कांसे का पात्र ,दूध का बना प्रसाद ,तेल का दीपक घी का दीपक ,सिन्दूर ,कपूर ,धुप
,मंत्र सिद्ध चैतन्य दिव्य गुटिका ,लाल हकीक माला ,लाल रंग की धोती ,लाल रंग का
आसन ,लाल कपडा ,गुरु अथवा शिव अथवा गणपति का चित्र |
दिशा -दिन
-संख्या और अवधि
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मंगलवार की रात्री का समय ,पश्चिम दिशा ,एक हजार अर्थात दस माला प्रतिदिन के हिसाब
से २१ दिन में २१ हजार जप |
मन्त्र
------- ॐ नमो
आदेश गुरु को ,राजा प्रजा मोहूँ, ब्राह्मण बनिया मोहूँ ,आकाश पाताल मोहूँ ,दस
दिशाएँ मोहूँ ,जो रामचंद्र परमणिया अमुक को अमुक से मोहे ,गुरु की शक्ति मेरी
भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा |
प्रयोग विधि
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किसी भी मंगलवार को रात्रिकाल में स्नानादि से निवृत्त हो लाल धोती धारण कर लाल
ऊनि आसन पर पश्चिम दिशा की ओर मुख कर बैठें |सामने बाजोट या चौकी पर लाल वस्त्र
बिछाकर उसपर मंत्र सिद्ध चैतन्य दिव्य गुटिका स्थापित करें |इसके पीछे भगवान् राम
का चित्र रखें |फिर इसकी विधिवत पूजन करें ,केसर का तिलक करें ,सिन्दूर चढ़ाएं ,धुप
लगाएं ,दूध का बना प्रसाद चढ़ाएं ,घी और तेल का दीपक जलाएं, फिर उपरोक्त मंत्र का
लाल हकीक की माला से जप करें |मंत्र जप के समय भावना रहे की गुटिका में वशिकारक
प्रभाव आता जा रहा है ,बढ़ता जा रहा है |एकाग्रता बनी रहे इस बात का विशेष ध्यान
दें |आसन के चारो ओर सिन्दूर -कपूर और लौंग को पीसकर कर घेरा बनाए रखें जिससे
वातावरण की अन्य शक्तियों का विघ्न न आ सके |किसी शक्ति के अचानक अथवा बिना बुलाये
आने पर उसे वचन बढ करके ही बात करें ,उसके प्रलोभन में न आयें और साधना न छोड़ें
|२१ दिन तक प्रतिदिन दस माला जप करने पर गुटिका और यह मंत्र सिद्ध हो जाते हैं और
इनमे वशिकारक प्रभाव आ जाता है |
जब मंत्र
सिद्ध हो जाए तो आवश्यकतानुसार श्री राम चन्द्र जी का ध्यान करते हुए ,चौराहे की
धूल चुटकी भर लेकर ,अपने दाहिने हाथ में रखकर इस मन्त्र का १०८ बार उच्चारण करें
,उच्चारण करते समय अमुक के स्थान पर उन नामों का उच्चारण करें जिन्हें परस्पर
वशीभूत करना हो |फिर वह चुटकी भर धुल जिसे वशीभूत करना हो उसके सर पर डाल देने पर
व्यक्ति डालने वाले के प्रति अनुकूल होने लगता है |
इस
प्रयोग की खासियत यह है की साधक स्वयं अलग रहकर अन्य दो अलग अलग व्यक्तियों को आपस
में वशीभूत कर सकता है ,बस उसके पास वशिकारक दिव्या गुटिका होनी चाहिए जिसके सामने
वह धुल अभिमंत्रित कर सके |सर्वजन वशीकरण का यह विचित्र प्रयोग है
|......................................................................हर-हर महादेव
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