Sunday, 18 February 2018

वनस्पतियाँ ,जड़ें और वशीकरण /मोहन

वनस्पतियाँ ,जड़ें और वशीकरण /मोहन
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.हरसिंगार को छाया में सुखाकर शुद्ध गोरोचन में मिलाकर माथे पर तिलक करने से वशीकरण होता है |इस तिलक को यक्षिणी साधना में भी प्रयोग में लाया जाता है |
.पति -पत्नी में मन मुटाव रहने पर हर सिंगार की एक इंच की टहनी को चाँदी के ताबीज में पति -पत्नी दोनों धारण करें तो मन मुटाव समाप्त होता है और आपसी प्रेम -सौहार्द्र बढ़ता है |
.नागदमनी और छुई मुई के पत्तों के रस को गोरोचन में मिलाकर तिलक लगाने से वशीकरण होता है |
.गुडमार की अभिमंत्रित जड़ को मंगलवार को शत्रु के घर में डाल देने से शत्रु वशीभूत होता है |
५.गुडमार की अभिमंत्रित जड़ का चूर्ण प्रेमिका को रविवार या मंगालवार को खिलाने पर प्रेमिका वशीभूत होती है |
.अमरबेल को छाया में सुखाकर ,बारीक पीसकर ,इसमें शुद्ध गोरोचन और काली हल्दी मिलाकर वशीकरण मंत्र से अभिमंत्रित कर ताम्बे के ताबीज में भाटकर गले में धारण करने से अद्भुत वशीकरण होता है |
७.उलटकंबल के पत्ते में २९ तारीख को अपनी प्रेमिका का नाम लिखकर पत्ता सुरक्षित रखने स प्रमिका वश म होती है |
.रविपुष्य योग के दिन सात फूलदार लौंग लेकर उसकी धुप दीप से पूजा कर उसपर दुर्गा के नवार्ण मंत्र का ११०० जप करें |इसके बाद उसी मंत्र के एक माला की संख्या में आहुति दे हवन करें |इन लवंग को सुरक्षित रखें |आवश्यकता होने पर रविवार या मंगलवार को एक लौंग को सात बार पुनः उसी मंत्र से अभिमंत्रित कर अभीष्ट व्यक्ति को खिलाने पर उसका आकर्षण /वशीकरण होता है |
.रविपुष्य योग के दिन नागदौन की जड़ लाकर उसके १०८ टुकड़े कर लाल रंग के धागे में उसकी माला बना लें |माला को दुर्गा ,काली अथवा चामुंडा के मन्त्रों से अभिमंत्रित कर धारण करें तो सामने पड़ने वाले व्यक्तियों का वशीकरण होता है |
१०.रवि पुष्य योग अथवा गुरु पुष्य योग के दिन नागकेशर ,चमेली के फूल ,कूट ,तगर ,कुमकुम लेकर इन्हें खरल में कूटकर चूर्ण बना लें और फिर इसमें शुद्ध गाय का घी मिलाकर लेप तैयार करें |इसको कांच की शीशी में डालकर उसी दिन इसको वशीकरण मंत्र से अभिमंत्रित करें |अभिमन्त्रण के बाद शीशी सुरक्षित कर लें |प्रतिदिन स्नान -पूजन करके इस लेप का तिलक माथे पर लगाने से दिव्य आभा उत्पन्न होती है और देखने वालों पर वाशिकारक प्रभाव पड़ता है |...................................................हर हर महादेव



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