मोहिनी वटी से मोहन क्रिया
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तांत्रिक षट्कर्म में एक कर्म मोहन भी है जिसका अर्थ होता है किसी को मोहित कर लेना |यह आकर्षण और वशीकरण से थोडा भिन्न होता है |आकर्षण में व्यक्ति आकर्षित होता है और वशीकरण में सबकुछ जानते -समझते हुए भी व्यक्ति के प्रभाव में आया हुआ होता है |मोहन में व्यक्ति किसी पर केवल आकर्षित या वशीकृत ही नहीं होता वह उस पर मुग्ध अर्थात मोहित हो जाता है जिससे मोहित करने वाले के हर कार्य में उसे विशेषता नजर आती है ,उसका रूप ,गंध ,स्पर्श ,चिंतन सबकुछ उसे मुग्ध किये रहता है |वह उससे दूर नहीं होना चाहता फलतः उसके द्वारा आदेशित न होने पर भी वह मोहन करने वाले के अनुकूल ही सारे कार्य करता है |उसके सुख -दुःख और भावनाओं तक के प्रति वह संवेदनशील होता है |अधिकतर इस विद्या का प्रयोग महिलायें ही पुरुषों पर करती हैं किन्तु कुछ पुरुष भी महिलाओं पर ऐसे प्रयोग करते या करवाते हैं |
इस पद्धति या तांत्रिक षट्कर्म में विभिन्न प्रकार के प्रयोग किये जाते हैं |इनमे मन्त्रों की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है |इन मन्त्रों में शाबर मंत्र भी हो सकते हैं और तंत्रोक्त मंत्र भी प्रयोग किये जा सकते हैं |मंत्र के अनुसार ही पद्धति प्रयोग की जाती है |प्रयोगानुसार भिन्न भिन्न वस्तुएं अभिमंत्रित की और खिलाई पिलाई जा सकती है |इन्ही वस्तुओं में से एक मोहिनी वटी भी होती है |मोहिनी वटी का निर्माण विभिन्न वस्तुओं को मिश्रित कर किया जाता है जिनमे आकर्षण -वशीकरण और मोहन के मिश्रित प्रभाव होते हैं |इस वटी का प्रभाव व्यक्ति के शरीर की रासायनिक क्रिया पर होता है जिससे उसकी रूचि ,हारमोन -फेरोमोंन के प्रति सम्वेदनशीलता बदल जाती है |उसे प्रयोगकर्ता की गंध ,हारमोन -फेरोमोन के गंध इतने प्रिय लगने लगते हैं की वह उसके सानिध्य में अपनी सुध बुध खोने लगता है |इसका प्रभाव यह होता है की उसकी चेतना के साथ ही अवचेतन भी प्रभावित होने लगता है फलतः वह मोहनकर्ता से दूर नहीं रहना चाहता |
मंत्र और प्रकृति के अनुसार ही पद्धति का चयन किया जाता है मोहिनी वटी को अभिमंत्रित करने में |यद्यपि यह स्वयम भी प्रभावित करने वाला होता है किन्तु इसे उपयुक्त मंत्र और पद्धति से निश्चित संख्या और अवधि तक अभिमंत्रित कर देने पर यह तीव्र प्रभाव देने वाला और अधिक दिनों तक प्रभाव रखने वाला हो जाता है |अभिमन्त्रण के बाद इसके खिलाये -पिलाए जाने पर इसका प्रभाव लगभग स्थायी हो जाता है |प्रभाव तभी समाप्त होता है जब प्रभावित व्यक्ति किसी उच्च शक्ति के सम्पर्क में आये या उस पर इससे अधिक प्रभाव की शक्ति का प्रयोग किया जाए या किसी तांत्रिक द्वारा इसका प्रभाव समाप्त किया जाए अथवा खिलाया पिलाया निकाला जाए |यही सूत्र सभी खिलाये -पिलाए अभिमंत्रित वस्तुओं का होता है |इसका प्रभाव तब अधिक होता है जब खिलाने वाला खुद इसे अभिमंत्रित करे ||खिलाने -पिलाने के कुछ निश्चित नियम और तरीके होते हैं जिसके अंतर्गत की यह खिलाया -पिलाया जाता है ,सीधे इसे नहीं खिलाया -पिलाया जा सकता | |.................................................................हर हर महादेव
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तांत्रिक षट्कर्म में एक कर्म मोहन भी है जिसका अर्थ होता है किसी को मोहित कर लेना |यह आकर्षण और वशीकरण से थोडा भिन्न होता है |आकर्षण में व्यक्ति आकर्षित होता है और वशीकरण में सबकुछ जानते -समझते हुए भी व्यक्ति के प्रभाव में आया हुआ होता है |मोहन में व्यक्ति किसी पर केवल आकर्षित या वशीकृत ही नहीं होता वह उस पर मुग्ध अर्थात मोहित हो जाता है जिससे मोहित करने वाले के हर कार्य में उसे विशेषता नजर आती है ,उसका रूप ,गंध ,स्पर्श ,चिंतन सबकुछ उसे मुग्ध किये रहता है |वह उससे दूर नहीं होना चाहता फलतः उसके द्वारा आदेशित न होने पर भी वह मोहन करने वाले के अनुकूल ही सारे कार्य करता है |उसके सुख -दुःख और भावनाओं तक के प्रति वह संवेदनशील होता है |अधिकतर इस विद्या का प्रयोग महिलायें ही पुरुषों पर करती हैं किन्तु कुछ पुरुष भी महिलाओं पर ऐसे प्रयोग करते या करवाते हैं |
इस पद्धति या तांत्रिक षट्कर्म में विभिन्न प्रकार के प्रयोग किये जाते हैं |इनमे मन्त्रों की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है |इन मन्त्रों में शाबर मंत्र भी हो सकते हैं और तंत्रोक्त मंत्र भी प्रयोग किये जा सकते हैं |मंत्र के अनुसार ही पद्धति प्रयोग की जाती है |प्रयोगानुसार भिन्न भिन्न वस्तुएं अभिमंत्रित की और खिलाई पिलाई जा सकती है |इन्ही वस्तुओं में से एक मोहिनी वटी भी होती है |मोहिनी वटी का निर्माण विभिन्न वस्तुओं को मिश्रित कर किया जाता है जिनमे आकर्षण -वशीकरण और मोहन के मिश्रित प्रभाव होते हैं |इस वटी का प्रभाव व्यक्ति के शरीर की रासायनिक क्रिया पर होता है जिससे उसकी रूचि ,हारमोन -फेरोमोंन के प्रति सम्वेदनशीलता बदल जाती है |उसे प्रयोगकर्ता की गंध ,हारमोन -फेरोमोन के गंध इतने प्रिय लगने लगते हैं की वह उसके सानिध्य में अपनी सुध बुध खोने लगता है |इसका प्रभाव यह होता है की उसकी चेतना के साथ ही अवचेतन भी प्रभावित होने लगता है फलतः वह मोहनकर्ता से दूर नहीं रहना चाहता |
मंत्र और प्रकृति के अनुसार ही पद्धति का चयन किया जाता है मोहिनी वटी को अभिमंत्रित करने में |यद्यपि यह स्वयम भी प्रभावित करने वाला होता है किन्तु इसे उपयुक्त मंत्र और पद्धति से निश्चित संख्या और अवधि तक अभिमंत्रित कर देने पर यह तीव्र प्रभाव देने वाला और अधिक दिनों तक प्रभाव रखने वाला हो जाता है |अभिमन्त्रण के बाद इसके खिलाये -पिलाए जाने पर इसका प्रभाव लगभग स्थायी हो जाता है |प्रभाव तभी समाप्त होता है जब प्रभावित व्यक्ति किसी उच्च शक्ति के सम्पर्क में आये या उस पर इससे अधिक प्रभाव की शक्ति का प्रयोग किया जाए या किसी तांत्रिक द्वारा इसका प्रभाव समाप्त किया जाए अथवा खिलाया पिलाया निकाला जाए |यही सूत्र सभी खिलाये -पिलाए अभिमंत्रित वस्तुओं का होता है |इसका प्रभाव तब अधिक होता है जब खिलाने वाला खुद इसे अभिमंत्रित करे ||खिलाने -पिलाने के कुछ निश्चित नियम और तरीके होते हैं जिसके अंतर्गत की यह खिलाया -पिलाया जाता है ,सीधे इसे नहीं खिलाया -पिलाया जा सकता | |.................................................................हर हर महादेव
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