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वशीकरण अर्थात किसी को वश में कर लेना
संभव है ,बशर्ते वशीकरण की तकनीकी का ज्ञान हो ,विषय की समझ हो ,ऊर्जा प्रक्षेपण
की कार्य प्रणाली और पद्धति का ज्ञान हो |समय -स्थान-सूत्र-पदार्थ और मानसिक
तरंगों की कार्यपद्धति का ज्ञान हो ,अपने आप पर विश्वास ही ,अपने कार्य पर श्रद्धा
और विश्वास हो ,लक्ष्य के प्रति एकाग्रता हो ,
वशीकरण ,सम्मोहन का विकसित रूप होने पर भी
उससे भिन्न है ,सम्मोहन में व्यक्ति का मष्तिष्क सोया रहता है किन्तु व्यक्ति
प्रयोगकर्ता के दिशानिर्देशों का पालन करता है ,उसकी वर्त्तमान सोच उसी दिशा में
कार्यरत होती है जिधर प्रयोगकर्ता का निर्देश होता है जबकि वशीकरण में व्यक्ति तो
वशीकरण करता के निर्देशों का पालन करता है किन्तु उसका मष्तिष्क जाग्रत रहता है और
वर्त्तमान सोच भी कार्यरत रहती है ,व्यक्ति सबकुछ जानते बुझते वह कार्य करता है जो
वशिकर्ता चाहता है |व्यक्ति अपनी भावनाओं और दिल के वशीभूत हो सारे कार्य करता है
|
वशीकरण में कई प्रकार की पद्धतियाँ कार्य
में लाइ जाती है ,कुछ केवल वस्तुगत और शारीरिक रसायनों के बल पर कार्य कर जाती हैं
,कुछ में मंत्र शक्ति आवश्यक हो जाती है ,कुछ में मानसिक बल और एकाग्रता की
प्रमुखता होती है |किसी के लिए कभी भी कोई भी प्रकार की पद्धति सिद्धिप्रद नहीं
होती अर्थात एक ही प्रकार की पद्धति या क्रिया सबके लिए सिद्धिप्रद नहीं होती |इस
सम्बन्ध में विषय पर अच्छी पकड़ बहुत मायने रखती है |यह सब उर्जा का खेल है जिसमे
एक व्यक्ति द्वारा दुसरे के उर्जा उर्जा परिपथ और मष्तिष्क को प्रभावित करके उसे
अपने वशीभूत किया जाता है |इसकी एक पूर्ण तकनिकी और विज्ञानं है |ईश्वर को भी अपने
मानसिक बल-मंत्रादी से आकर्षित कर
उसके अनुकूल क्रियाएं कर उसे अपने सानिध्य में कर लेना या उसे किसी कार्य को करने
पर मजबूर कर देना वशीकरण ही है |
वशीकरण की कार्यप्रणाली तरंगों पर आधारित है ,इसमें तांत्रिक वस्तुओ की ऊर्जा और तरंगों को मानसिक शक्ति और निश्चित भाव के साथ एक निश्चित लक्ष्य पर प्रक्षेपित किया जाता है |जब व्यक्ति विशेष के लिए प्रबल मानसिक बल से तरंगों और उर्जा का प्रक्षेपण किया जाता है तो यह लक्षित व्यक्ति के ऊर्जा परिपथ ,मष्तिष्क और अवचेतन मन को प्रभावित करता है और वहा परिवर्तन होने लगता है ,इसमें तंत्रिकीय वस्तुए ऊर्जा बढाने वाली ,परिवर्तन करने वाली ,वशीकरण की तीब्रता बढाने वाली और समय में शीघ्रता लाने वाली होती है |जबकि लक्ष्य के कपडे ,बाल ,चित्र या उपयोग की हुई वस्तुए उसके शरीर में तरंगों को पकड़ने और ग्रहण करने का माध्यम बन जाते है |यहाँ मूल शक्ति प्रयोगकर्ता की मानसिक शक्ति होती है |मंत्र और हवनीय द्रव्य ऊर्जा उत्पन्न करने वाले ,लक्ष्य पकड़ने वाले और कार्य से किसी ऊर्जा शक्ति को जोड़ने वाले होते है |वशीकरण केवल मंत्र से ,,मंत्र के साथ व्यक्ति की उपयोग की हुई वस्तुओ के प्रयोग के साथ ,अथवा अभिमंत्रित वास्तु के खिलाने-पिलाने से भी हो सकता है ,|सामान्यतया व्यक्ति जो भी खाता है वह पचाकर निकल जाता है ,किन्तु जब किसी वस्तु विशेष को अभिमंत्रित करके खिलाया जाता है तो वह पचता नहीं [यह विज्ञान के नियमों के प्रतिकूल हो सकता है पर होता है ऐसा ]और पेट के किसी कोने में पड़ा रहता है ,साथ ही उसका प्रभाव भी बना रहता है ,जब तक की विशिष्ट तांत्रिक क्रिया से उस वस्तु को निकला न जाए |इस प्रकार व्यक्ति किसी अन्य के प्रति वशीभूत रहता है |
वशीकरण होता है ,यह संभव है ,बशर्ते
उद्देश्य में पवित्रता हो ,एकाग्रता हो ,लक्ष्य के प्रति समर्पण हो ,,गलत धारणा
-उद्देश्य -कुत्सित विचारों अथवा स्वार्थ वश की गयी क्रियाएं अक्सर असफल होती हैं
,अगर सफल हो भी गयी तो परिणाम अच्छे नहीं होते ,इस बात का भी ध्यान दिया जाना
आवश्यक होता है |.............................................................हर-हर महादेव
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