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रविपुष्य योग में निर्मित ,प्राण प्रतिष्ठित ,अभिमंत्रित दिव्य
गुटिका
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सामान्यरूप से हर किसी की चाह होती है की लोग उनकी और आकर्षित हों ,देखकर खींचे चले आयें ,जो मिले प्रभावित
हो ,जहाँ जाए किसी काम से वहां सफलता मिले ,कहीं किसी समस्या-परेशानी का सामना न करना पड़े |हर इंसान के अन्दर यह कामना होती है की उसका व्यक्तित्व ऐसा आकर्षक हो की लोग चुम्बक की तरह खिचे चले आये ,उसका व्यतित्व सम्मोहक हो |हर व्यक्ति पर उसका प्रभाव पड़े ,कार्य-व्यवसाय के क्षेत्र के लोग अनुकूल हों ,सफलता मिले ,उन्नति हो |यह असंभव नहीं है |यह संभव है तंत्र के माध्यम से |इस हेतु थोड़े से नियम और सावधानी के साथ यदि हमारे द्वारा
निर्मित दिव्य गुटिका /डिब्बी का प्रयोग किया जाए |यह गुटिका तंत्र की उन दिव्य चमत्कारी वस्तुओं से परिपूर्ण हैं जो किसी के भी जीवन में चमत्कार कर सकती है |इसकी क्षमता की कोई सीमा नहीं है |इससे वह सबकुछ पाया जा सकता है जो एक सामान्य व्यक्ति की इच्छा होती है ,यद्यपि इसके अनेक अलौकिक प्रयोग भी है ,जो असंभव कार्य भी कर सकते हैं पर उनसके लिए इसपर विशिष्ट क्रियाएं करनी होती हैं |कोई क्रिया न भी की जाए और सामान्य पूजा के साथ पवित्रता राखी जाए तो उपरोक्त लाभ मिलते ही हैं |
दिव्य गुटिका या चमत्कारी डिब्बी विशिष्ट वस्तुओं -वनस्पतियों -पदार्थों का एक अद्भुत संग्रह है
अर्थात एक डिब्बी में २१ अलौकिक शक्तियां रखने वाली वस्तुएं इकठ्ठा की गयी है |हर
वस्तु उसके लिए उपयुक्त विशिष्ट मुहूर्त में तांत्रिक पद्धतियों से निकाली -प्राण
प्रतिष्ठित और अभिमंत्रित की गयी होती है ,इसके बाद फिर इसे सम्मिलित रूप से
विशिष्ट मुहूर्त में अभिमंत्रित किया जाता है जिससे इसकी अलौकिकता और बढ़ जाती है |
इस चमत्कारिक दिव्य गुटिका के
मुख्य अवयव रवि पुष्य योग में निष्काषित अथवा अभिमंत्रित -प्राण प्रतिष्ठित हत्थाजोड़ी और सियार्सिंगी होते है ,जिनके साथ श्वेतार्क ,नागदौन ,महायेगेश्वरी ,एरंड ,अमरबेल ,हरसिंगार ,हाथी दांत ,गोरोचन
,पिली कौड़ी ,गोमती चक्र आदि
विभिन्न २१ अद्भुत ,विशिष्ट और
चमत्कारिक वनस्पतियाँ और
वस्तुएं होती हैं ,जो मिलकर ऐसा अद्भुत प्रभाव उत्पन्न करते हैं
की यह चमत्कारिक प्रभाव युक्त हो जाती है |[क्षमा के साथ
सम्पूर्ण वस्तुओं का नाम नहीं दे सकते क्योकि यह हमारा व्यक्तिगत शोध है ]|
यह सभी वस्तुएं विशिष्ट उच्च स्तर के साधक द्वारा विशिष्ट मुहूर्त में प्राण-प्रतिष्ठित और अभिमंत्रित होती हैं ,जबकि उपयोग किये गए सामान भी विशिष्ट मुहूर्त में ही विशिष्ट तांत्रिक पद्धति से निष्कासित और प्राप्त किये हुए होते हैं |उपरोक्त वस्तुओं की उपयुक्त और विशिष्ट मुहूर्त में विशिष्ट तांत्रिक साधक द्वारा की गयी तांत्रिक क्रिया के बल पर यह गुटिका अति शक्तिशाली वशिकारक-आकर्षक -सुरक्षाप्रदायक ,धन-संमृद्धि प्रदायक हो जाती है |इससे निकलने वाली तरंगे साथ रखने वाले धारक के साथ साथ ही आसपास के लोगों को भी प्रभावित करती है, जिससे धारक को उपरोक्त लाभ मिलने लगते हैं |इस गुटिका की एक विशेषता है की यह आपके घर की या आपकी नकारात्मक ऊर्जा को सामने ला देती है |यदि आप किसी नकारात्मक प्रभाव से ग्रस्त हैं तो वह कुछ दिक्कतें उत्पन्न कर सकती हैं ,क्योकि उन्हें यह महसूस होता है की उन्हें निकाला या हटाया जा रहा है ,इसलिए शुरू के कुछ समय वह उत्पात मचा सकते हैं जिससे आप यह सोचें की यह सब इस गुटिका के कारण हो रहा है |यदि कुछ समय धैर्य से निकल गया तो सारी परिस्थितियां नियंत्रण में आ जाती हैं |
इसमें
उपयोग की गयी हत्थाजोड़ी में माता चामुंडा का वास माना जाता है |इस जड़ी का सर्वाधिक
प्रभाव इसकी सम्मोहंनशीलता है | साधक [व्यक्ति] इसे लेकर कही भी जाये उसका विरोध नहीं होगा |सम्बंधित मनुष्य उसके अनुकूल
आचरण और व्यवहार करेगा |इस जड़ी के इसी गुण [सम्मोहनशीलता ]के कारण ही बहुत से लोग
इसका प्रयोग प्रेम सम्बन्धी मामलों में भी करते हैं ,,|पति-पत्नी के मामलों में यह अत्यंत उपयोगी भी है और
सदुपयोग भी |सम्मोहन और वशीकरण [आकर्षण ]के अतिरिक्त इसका प्रयोग धन वृद्धि
,सुरक्षा ,सौभाग्य वृद्धि ,व्यापार बाधा हटाने आदि में भी किया जाता है और बेहद
प्रभावी भी है | इसकी सम्पूर्ण विधि पूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा इसे अमूल्य बना देती है |धारक या साधक यात्रा ,विवाद
,प्रतियोगिता ,साक्षात्कार ,द्युतक्रीडा ,और युद्धादी में यह साधक की रक्षा करके
उसे विजय प्रदान करती है |भूत-प्रेत
आदि वायव्य बाधाओं का उसे कोई भय नहीं रहता ,धन-संपत्ति देने में भी यह बहुत चमत्कारी सिद्ध होती है |इस पर विभिन्न
प्रकार के वशीकरण-आकर्षण-सम्मोहन के प्रयोग किये जाते हैं ,विदेश यात्रा
की रुकावटें दूर करने की क्रियाएं होती हैं ,घर की सुरक्षा की क्रियाएं होती हैं
,धन-संपत्ति-आकस्मिक लाभ सम्बन्धी क्रियाएं होती हैं
,व्यापार वृद्धि प्रयोग होते हैं ,मुकदमे में विजय ,विरोधियों की पराजय की
क्रियाएं होती है ,,इसे जेब में रखा जाये तो सम्मान-सम्मोहंशीलता-प्रभाव बढ़ता
है ,सामने के व्यक्ति का वाकस्तम्भन होता है ,आकस्मिक आय के स्रोत बनते हैं
दूसरी
वस्तु सियार्सिंगी शत्रु पराभव ,सामाजिक सम्मान ,शरीर रक्षा ,श्री समृद्धि ,आकर्षण
,वशीकरण ,सम्मोहन ,धन-सम्पदा ,सुख
शान्ति के लिए उपयोग की जा सकती है |किसी शुभ तांत्रिक मुहूर्त में प्राण
प्रतिष्ठित और अभिमंत्रित सियारसिंगी वाद-विवाद ,युद्ध ,संकट ,आपदा ,से बचानेवाला भी सिद्ध होता है |यह रक्षा
कार्यों में अद्भुत सफलतादायक कहा जाता है |इसे धारण करनेवाला व्यक्ति दुर्घटना
,विवाद ,युद्ध अथवा किसी अन्य संकट में पड़ने पर तुरंत ही आप्दामुक्त हो जाता है
|इस पर धन-समृद्धि ,वशीकरण ,सम्मोहन
,सुरक्षा से सम्बंधित विभिन्न क्रियाएं भी होती हैं ,जैसी आवश्यकता हो |केवल मंत्र
और पद्धति ही बदलती है सियारसिंगी वही रहता है |इसे रखने वाला व्यक्ति जहाँ भी
जाता है वहां का वातावरण उसके अनुकूल हो जाता है | इसी प्रकार इस गुटिका में शामिल
२१ वस्तुओं में से हर वस्तु का अपना एक अलग और विशिष्ट बहुआयामी प्रभाव है |इनके
बारे में लिखने पर कई पोस्ट कम हो जायेंगे |वैसे भी यह हमारे गोपनीय खोज हैं अतः
सभी वस्तुओं और उनके प्रभावों के बारे में बता पाना भी संभव नहीं |
प्रतिदिन प्रातः काल स्नानादि के बाद ,अपने ईष्ट
पूजा के साथ ही इस गुटिका /डिब्बी को भी भगवती स्वरुप मानकर पूजा कर
दिया जाता है |धुप-दीप के साथ ,इसके साथ ही इस पर सिन्दूर और लौंग भी चढ़ाया जाता है |फिर इसे बंद करके इसे जेब में रख के कार्य व्यवसाय पर भी जाया जा सकता है और पूजा स्थान पर भी रहने दिया जा सकता है |यदि कार्य व्यवसाय पर साथ ले जाते हैं तो लाभ तो अधिक होता है पर थोड़ी पवित्रता का ध्यान रखना होता है ,अपवित्र हाथों से इसे न छुआ जाए और अशुद्ध और अपवित्र अथवा सूतक वाले स्थानों पर इसे न ले जाएँ |शाम को घर आने पर इसे वापस पूजा स्थान पर रख दें |इस पर यदि "ॐ नमश्चंडिकाये नमः " मंत्र का जप रोज १०८ बार किया जाए तो इसका पूर्ण प्रभाव मिलता है |
इस गुटिका/डिब्बी के उपयोग से धन वृद्धि ,सम्मोहन ,वशीकरण ,वायव्य
बाधाओं से सुरक्षा ,शत्रुओं से सुरक्षा ,अभिचार कर्म से सुरक्षा ,संपत्ति संवर्धन ,यात्रा में सुरक्षा ,विवाद-प्रतियोगिता में
सफ़लता ,साक्षात्कार में सफ़लता ,द्युतक्रीडा -शेयर -सट्टा -लाटरी -कमोडिटी के कार्यों में सफलता ,शत्रु से अथवा मुकदमे में विजय ,अधिकारी का अनुकूलन
-वशीकरण ,गृह दोष-वास्तु दोष का शमन ,गृह कलह का शमन ,ग्रह बाधा-अशुभत की समाप्ति ,प्रियजनों का अनुकूलन-वशीकरण किया जा
सकता है |इसके अतिरिक्त भी यह गुटिका के अनेकानेक और विशिष्ट उपयोग हैं ,जिनके लिए विविध प्रकार की क्रियाएं की जा सकती है ,इसकी क्षमता की कोई सीमा नहीं है ,उद्देश्य के अनुसार भिन्न क्रियाएं विभिन्न मनोकामनाएं पूर्ण कर सकती हैं |यह गुटिका हमारे वर्षों के tantra क्षेत्र में शोध का परिणाम है और इसके परिणाम अनुभूत हैं |........................................................................हर-हर महादेव
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