Sunday, 15 March 2020

Coronavirus :कोरोना पर तंत्र -मंत्र का प्रभाव


क्या वायरस से तंत्र -मंत्र बचा सकते हैं ?
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                 जहाँ और जब इंसान खुद को असक्षम मानने लगता है तब उसे अक्सर भगवान् की याद आती है और यही होता है तब जब विज्ञान अथवा चिकित्सकीय औषधियां असफल होती हैं या इलाज होने पर भी खतरे की संभावना दिखती है तब डाक्टर तक कहने लगते हैं भगवान् से प्रार्थना कीजिये |आज के समय में चीन से फैलना शुरू हुआ एक वायरस कोरोना वैश्विक महामारी बना हुआ है और विश्व स्वास्थय संगठन ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है |हमारे देश में भी यह तेजी से फ़ैल रहा है और इसका कोई भी कारगर इलाग अब तक नहीं खोजा जा सका है |दावे और नुस्खे तो बहुत बताये जा रहे किन्तु कोई भी इलाज प्रामाणिक नहीं है |अनेक मेसेज और पोस्ट वायरल हो रहे मिडिया में और लोग इसके नाम पर अपनी रोटियां सेकने का भी प्रयत्न कर रहे किन्तु वास्तविकता यह है की इसका कोई इलाज अभी नहीं है |हमसे किसी ने प्रश्न किया की गुरु जी क्या तंत्र में इसका कोई इलाज हो सकता है या ऐसा कोई उपाय जिससे इससे बचा जाए तो हम सोच में पड़ गए और हमें जो समझ आया वह आपके सामने प्रस्तुत करने का प्रयत्न कर रहे हैं 
    क्या कोरोना अथवा ऐसे किसी भी वायरस ,विषाणु आक्रमण के वातावरण में अथवा किसी भी रोग की सम्भावना में तंत्र -मन्त्र ,पूजा -पाठ से क्या वास्तव में इनसे मुक्ति पाई जा सकती है या इनसे बचाव हो सकता है | इसका उत्तर है कि हाँ इनसे बचाव हो सकता है और कुछ स्थितियों में मुक्ति भी पाई जा सकती है |मुक्ति की स्थिति के लिए ऐसा सक्षम साधक या सिद्ध चाहिए जो अपनी शक्ति से रोग हटा सके अथवा शक्तिपात कर सके या कम से कम मूलाधार का जागरण कर उसकी शक्ति बढ़ा सके |मूलाधार ही क्यों यह हम आगे बता रहे |आज के समाज में ऐसा सिद्ध मिलना बहुत कठिन है फिर भी इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता की किसी को भाग्य से एस साधक सिद्ध मिल सकता है जो उसकी समस्या दूर कर दे |सामान्य स्थितियों में चूंकि ऐसा होना मुश्किल होता है अतः बचाव के उपाय अथवा यह उपाय की रोग होने पर भी वह जानलेवा न हो यह किया जाना बेहतर होगा |हम कहना चाहेंगे की आध्यात्मिक दुनिया में ऐसे उपचार और उपाय है जो मृत्यु की सम्भावना को समाप्त कर सकते हैं |
    यहाँ सच है की तंत्र की कोई सीमा नहीं है और शक्ति की भी कोई सीमा नहीं है किन्तु आज के समय में क्या स्थिति है ,क्या वास्तविकता है ,यह देखना अधिक आवश्यक है |पहले के समय में ऐसी कहानियां सुनी जाती हैं की अमुक सिद्ध ने ,अमुक साधू ने अमुक स्थान पर लोगों की मदद की ,लोगों के कष्ट दूर कर दिए ,अमुक महामारी को रोक दिया या उसे समाप्त कर दिया किन्तु आज के समय में ऐसे साधक मिलने मुश्किल है ,अगर हैं भी तो उन्हें कोई सामाजिक रूचि नहीं अतः सामूहिक कल्याण की बात सोचना कल्पना होगी किसी के द्वारा |व्यक्तिगत किसी किसी के लिए कोई साधक अथवा सिद्ध उनके कष्ट दूर कर्ट सकता है किन्तु बहुत विशेष अवस्था में ही क्योंकि जो इस अवस्था में पहुँचता है उसे अक्सर किसी से कोई लगाव नहीं होता और अगर किसी का कोई भला कर भी दे तो एक दो के भले से समाज पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ना ,जबकि समस्या पूरे समाज की है |इस तरह किसी साधक अथवा सिद्ध के सहारे तो यह समस्या जाने से आज रही |अब हम खुद क्या कर सकते हैं की इस तरह की समस्या से निकल सकें यह सोचना महत्वपूर्ण है |वैसे तो सभी लोग बचाव के उपाय अपनी समझ से कर रहे ,चिकित्सकीय और घरेलू उपाय किये जा रहे किन्तु आध्यात्मिक रूप से ,ईश्वरीय शक्तियों के सहारे सुरक्षा और समस्या होने पर उपचार के क्या उपाय हो सकते हैं इस पर हम चर्चा करते हैं |
        किसी भी समस्या के ,किसी भी रोग के होने में ,किसी भी उपचार में सबसे बड़ी भूमिका आपके प्रतिरक्षा प्रणाली और प्रतिरोधक क्षमता की होती है |शायद आप न जानते हों किन्तु प्रतिरक्षा प्रणाली ही रोगों को ठीक करती है न की दवाएं ठीक करती हैं |दवाएं मात्र दो काम करती हैं एक तो आपकी रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ा देती हैं तात्कालिक रूप से और दुसरे यह बाहरी किसी संक्रमण से बचाती हैं बस |दवाएं रोग ठीक नहीं करती |रोग ,बीमारी ,घाव सबकुछ आपका शरीर ही ठीक करता है और यह सब करता है आपके शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र |प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता निर्भर करती है आपकी प्रतिरोधक शक्ति पर |प्रतिरोधक शक्ति अच्छी है तो प्रतिरक्षा प्रणाली तेजी से काम करती है और आप किसी भी रोग ,बीमारी ,चोट ,घाव ,संक्रमण से बचते भी हैं और जल्दी ठीक भी होते हैं |अर्थात सबसे मुख्या हो गया आपकी प्रतिरोधक क्षमता और यह प्रतिरोधक क्षमता केवल खान पान ,वातावरण पर निर्भर नहीं होती अपितु इसका सीधा सम्बन्ध होता है आपके अवचेतन मन से |अगर आपका अवचेतन मन सक्रिय है ,सही काम कर रहा ,पूरा सहारा दे रहा तो आपकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी खानपान आपका सामान्य हो तब भी |
        आपकी प्रतिरोधक क्षमता का आपके बहुत अच्छे खानपान से कोई मतलब नहीं होता |आप चिंता ,तनाव ,मानसिक दबाव ,भय ,दुविधा ,असंतुलित हों तो आपकी प्रतिरोधक् क्षमता कम हो जाती है ,शारीरिक स्वास्थ्य गिरने लगता है जबकि बहुत अच्छा आप भोजन कर रहे हों तब भी जबकि मानसिक निर्द्वन्दता ,निश्चिन्तता ,साहस ,मजबूत आत्मबल ,आत्मविश्वास ,तनावमुक्त ,निर्भय स्थिति में आपका सामान्य भोजन भी आपको स्वस्थ बना जाता है ,सोचिये ऐसा क्यों होता है |ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपके भावों से आपका अवचेतन प्रभावित होता है और आपकी प्रतिरोधक क्षमता घट या बढ़ जाती है |आपको विश्वास हो डाक्टर पर तो उसके द्वारा दी गयी विटामिन की गोली भी आपको ठीक कर देती है और विश्वास न हो तो बहुत अच्छी दवा भी देर से काम करती है |गाँव में घाव पर राख बाँध देने वाले के घाव ठीक हो जाते हैं और शहर के साफ़ वातावरण में रहने वाले के घाव बढ़ते जाते हैं ,यह सब है प्रतिरोधक क्षमता का कमाल और विश्वास तथा मानसिक स्थिति की देन,अवचेतन का प्रभाव |सीधा सा अर्थ है अवचेतन जैसा होगा शारीरिक स्थिति और रोग से लड़ने की क्षमता वैसी होगी |
      अब बात करते हैं चक्र और मंत्र की तो हम आपको बताना चाहेंगे की आपकी प्रतिरोधक क्षमता और आतंरिक प्रतिरक्षा प्रणाली मूलाधार की शक्ति पर निर्भर करती है ,कमजोर मूलाधार का मतलब है कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली |कमजोर कमर के हिस्से वाला कभी मजबूत व्यक्ति नहीं होता यह उदाहरण है मूलाधार की शक्ति का |मूलाधार की अधिष्ठात्री काली है जो मूलाधार का नियंत्रण करती है और जो मूलाधार को शक्ति देती है |काली की उपासना से साहस ,निश्चिन्तता ,भय मुक्ति ,आत्मबल ,आत्मविश्वास प्राप्त होता है जो अवचेतन को सक्रीय भी करता है और प्रतिरोधक क्षमता तथा प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है |काली की उपासना से मूलाधार को बल मिलता है ,दूसरी ओर मूलाधार की मजबूती से काली की शक्ति भी बढती है अर्थात दोनों एक दुसरे से जुड़े हैं |इस प्रकार काली के मंत्र और उपासना आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है साथ ही किसी भी नकारात्मक प्रभाव को भी हटाती है |तो यदि हम अपने अवचेतन की स्थिति सुधारें और मूलाधार और काली को बल दें तो हम किसी भी रोग से लड़ सकते हैं और सभी रोगों से सुरक्षा के हमारे प्रयास अधिक सफल होंगे |इस तरह मन्त्र तंत्र और अवचेतन की सक्रियता सभी रोगों और वायरस ,बैक्टीरिया आदि में प्रभावी है बस समझने वाला जानकार चाहिए की समस्या क्या है और क्या मन्त्र ,क्या तरीका अपनाया जाना चाहिए ,कैसे अवचेतन को सुधारा जाए और कैसे प्रतिरोधक क्षमता बढाया जाए |रोग से पहले भी यह कारगर है रोग होने के बाद भी यह कारगर है |हमने अपने पहले के विडिओ में बताया है की अवचेतन में इतनी शक्ति है की वह आपकी कोई भी समस्या ठीक कर सकता है ,गम्भीर से गम्भीर रोग भी और गम्भीर से गम्भीर समस्या भी |
     जब रोग ,बीमारी और समस्या का निवारण प्रतिरक्षा प्रणाली ,प्रतिरोधक तंत्र ही करता है तो उसे सक्षम बनाना चाहिए इसके लिए हमारे कुछ सुझाव हैं |आप किसी अच्छे उच्च स्तरीय काली साधक से काली जी के यन्त्र का निर्माण करा कम से कम २१ हजार मन्त्र से अभिमंत्रित करा ताबीज में धारण करें ,खुद भी काली जी के मंत्र का जप करें जबकि आपको कोई रोग न हुआ हो तब सुरक्षा की दृष्टि से ,यह आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगा |रोग हो जाए तो ताबीज धारण के साथ महामृत्युंजय का जप करें |यह मंत्र जप और ताबीज धारण आपकी मूलाधार की स्थिति सुधारेगा और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाएगा |आप सुबह नंगे पांव थोड़ी देर मिटटी पर या घास पर चला करें ,सुविधा न हो तो घर में किसी टब में काली मिटटी डालकर पानी दाल पाँव से उसे १५ मिनट गूथें अर्थात उसमें घूमें और फिर उसे सूखने दें सूख जाए तो छुडा कर पाँव धो लें |कमर में काला धागा लोहे की मुदरी डालकर धारण करें |इससे आपके मूलाधार को बल मिलेगा और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी |एक काम और किया करें अपनी नाभि में शुद्ध गाय का घी लगाया करें |सुबह थोड़ी देर गायत्री मन्त्र का जप करें इससे आपकी जीवनी शक्ति बढ़ेगी |मृत संजीवनी मंत्र गायत्री मंत्र और महा मृत्युंजय मंत्र का संयोग है जो मृत्यु की स्थिति में भी कारगर होता है इसमें गायत्री मंत्र जीवनी शक्ति देने वाली और महा मृत्युंजय मृत्यु से बचाने वाला होता है |अतः गायत्री का जप आपकी जीवनी उर्जा बढ़ा देगा |साथ ही काली के मन्त्र का भी जप जरुर करें यह आपके प्रतिरक्षा प्रणाली को बल देता है और मानसिक शक्ति बढाता है जिसका सीधा सम्बन्ध अवचेतन से से होता है |
           किसी अच्छे जानकार से अवचेतन की सक्रियता के लिए अपनी स्थिति के अनुसार कुछ लाइनें लिखवा लें और उनको लगातार दोहरायें |यह शब्द अवचेतन में बैठ जायेंगे तो आपकी किसी समस्या के प्रति संवेदनशीलता बदल जायेगी ,अपने आप परिवर्तन आ जायेंगे |आप विश्वास करें या न करें पर यह सच है की आपमें प्रबल विश्वास हो और कोई संदेह न हो कि आपको कोई रोग नहीं हो सकता तो यकींन मानिए आपकी स्थिति अन्य की तुलना में बहुत मजबूत हो जाती है और आपके किसी रोग से प्रभावित होने की आशंका 90 प्रतिशत तक कम हो जाती है |अब थोडा ज्योतिष से भी ,आप अपने लग्नेश को मजबूत कर लीजिये क्योंकि यही आपके शरीर को प्रभावित करता है और स्वास्थ्य इसी पर निर्भर होता है |साथ ही षष्ठेश और षष्ठ भाव की शक्ति कम हो यह भी ध्यान में रखें |किसी ज्योतिषी से जब ये कहेंगे कि रोग बचने के लिए क्या उपाय हों तो वह बता देगा |अब कुछ सामान्य आध्यात्मिक उपचार ,घर में रोज कपूर जलाने से विषाणु और बैक्टीरिया नष्ट होते हैं |महीने में एक दिन कम से कम घर में हवन कर देने से हानिकारक बैक्टीरिया ,वाइरस और संक्रमण से बचाव होता है |
          ऐसे अनेक और छोटे उपाय हैं जिनसे सुरक्षा हो सकती है |ऐसा नहीं की तंत्र मन्त्र में वह शक्ति नहीं की किसी समस्या का निवारण नहीं हो सकता किन्तु समस्या सही और श्रेष्ठ जानकार मिलने की होती है |मन्त्र -तन्त्र की शक्ति असीम है किन्तु वास्तविक साधक मिलना कठिन होता है और उसमे भी सही समय सही जानकारी रखने वाला चाहिए |बेहतर हो खुद प्रयास करें अधिक लाभ भी होगा और अपनी क्षमता भी बढ़ेगी |पूर्व में भी रहे हैं और आज भी ऐसे साधक हैं जो हाथ रख दें आप पर तो समस्या समाप्त हो जाए किन्तु उन्हें किसी में रूचि नही होती ,जो पैसे के लिए कुछ करते हैं उनमे शक्ति हो जरूरी नही अतः सबसे बेहतर खुद थोडा समय दें और स्वस्थ सुखी रहें |अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी किन्तु हमारा मानना है की आप खुद अनुभव करेंगे जो मजबूत आत्मबल वाले हैं ,जिनका मूलाधार मजबूत है ,जो साहसी और संघर्षशील हैं ,जो प्रबल धार्मिक और आस्था वाले हैं ,जो मन्त्रज्ञ ,तंत्रज्ञ हैं ,जो उग्र शक्तियों काली अथवा गायत्री ,मृत्युंजय के साधक हैं ,जिनके घरों में साफ़ सफाई ,पूजा -हवन हो रहे उनके यहाँ संक्रमण कम होगा और वहां मृत्यु आदि की सम्भावना भी कम होगी |...............................................हर हर महादेव 
      

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