बच्चा बिगड़ गया है ,आपकी बात नहीं मानता
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आपका बच्चा गलत सगत में पड़ गया है ,आपकी बात नहीं मान रहा है ,उसका भविष्य बिगड़ रहा है ,पर उसे समझ नहीं है ,वह गलत रास्ते पर जा रहा है ,घर-खानदान-परिवार की ईज्जत की परवाह नहीं है ,तो निम्न प्रयोग से उसे सुधारा जा सकता है ,पर प्रयोग मज़बूरी में ही करें जब कोई अन्य विकल्प न दिखे ,क्योकि कोई भी क्रिया व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालती है और उसका बंधन करती है
इस क्रिया को किसी भी शनिवार से शुरू करके लगातार सात शनिवार तक करें ,समय निश्चित रखें सायंकाल जब सूर्य डूब गया हो किन्तु अन्धेरा न हुआ हो अर्थात गोधूलि बेला में |एक कच्चा पापड ले ,उसपर थोड़े से काले उड़द ,एक गुड की डली ,दो लोहे की कीलें और थोड़ा सिन्दूर और काली मिर्च रखे ,इसके साथ एक लुटिया में जल लें और साथ में एक सरसों का दीपक ले ,सभी वस्तुओ को लेकर किसी पीपल के वृक्ष के पास जाएँ ,जल वृक्ष को अर्पित कर सभी वस्तुएं उसके नीचे रखे ,वस्तुएं पापड पर ही होनी चाहिए ,फिर दीपक जला कर प्रार्थना करें की आपके पुत्र को सद्बुद्धि आये और वह कुमार्ग से दूर हो सुधर जाए |फिर घर वापस आ जाए ,आते समय पलट कर वापस न देखें |घर आकर हाथ -पैर धो लें ,क्रिया को सबसे गुप्त रखें ,ईश्वर कृपा से बच्चा सुधर जाएगा |कभी -कभी विभिन्न नकारात्मक प्रभावों से अथवा लगातार गलत सगत से क्रिया करने के बाद भी फिर उसे गुमराह किया जाता है और उस पर उपयुक्त प्रभाव नहीं दीखता ऐसे में किसी अच्छे जानकार से किसी महाविद्या का कवच धारण कराया जाना चाहिए इस क्रिया के साथ ही ताकि बच्चे की सोच में आतंरिक परिवर्तन आये और उसकी नैतिकता ,अच्छे बुरे की समझ जाग्रत हो और वह खुद भी सुधरने का प्रयत्न करे |………………………………………………………………….हर-हर महादेव
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आपका बच्चा गलत सगत में पड़ गया है ,आपकी बात नहीं मान रहा है ,उसका भविष्य बिगड़ रहा है ,पर उसे समझ नहीं है ,वह गलत रास्ते पर जा रहा है ,घर-खानदान-परिवार की ईज्जत की परवाह नहीं है ,तो निम्न प्रयोग से उसे सुधारा जा सकता है ,पर प्रयोग मज़बूरी में ही करें जब कोई अन्य विकल्प न दिखे ,क्योकि कोई भी क्रिया व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालती है और उसका बंधन करती है
इस क्रिया को किसी भी शनिवार से शुरू करके लगातार सात शनिवार तक करें ,समय निश्चित रखें सायंकाल जब सूर्य डूब गया हो किन्तु अन्धेरा न हुआ हो अर्थात गोधूलि बेला में |एक कच्चा पापड ले ,उसपर थोड़े से काले उड़द ,एक गुड की डली ,दो लोहे की कीलें और थोड़ा सिन्दूर और काली मिर्च रखे ,इसके साथ एक लुटिया में जल लें और साथ में एक सरसों का दीपक ले ,सभी वस्तुओ को लेकर किसी पीपल के वृक्ष के पास जाएँ ,जल वृक्ष को अर्पित कर सभी वस्तुएं उसके नीचे रखे ,वस्तुएं पापड पर ही होनी चाहिए ,फिर दीपक जला कर प्रार्थना करें की आपके पुत्र को सद्बुद्धि आये और वह कुमार्ग से दूर हो सुधर जाए |फिर घर वापस आ जाए ,आते समय पलट कर वापस न देखें |घर आकर हाथ -पैर धो लें ,क्रिया को सबसे गुप्त रखें ,ईश्वर कृपा से बच्चा सुधर जाएगा |कभी -कभी विभिन्न नकारात्मक प्रभावों से अथवा लगातार गलत सगत से क्रिया करने के बाद भी फिर उसे गुमराह किया जाता है और उस पर उपयुक्त प्रभाव नहीं दीखता ऐसे में किसी अच्छे जानकार से किसी महाविद्या का कवच धारण कराया जाना चाहिए इस क्रिया के साथ ही ताकि बच्चे की सोच में आतंरिक परिवर्तन आये और उसकी नैतिकता ,अच्छे बुरे की समझ जाग्रत हो और वह खुद भी सुधरने का प्रयत्न करे |………………………………………………………………….हर-हर महादेव
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