Sunday 15 March 2020

तंत्र औषधियों से सिद्धियाँ मिलती हैं

तंत्र औषधि से सिद्धि भी समस्या निवारण भी
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तंत्र में औधधि प्रयोग को बहुत  महत्व दिया जाता है ,वनस्पतियो और पदार्थो ,जन्तुओ के उपयोग से शारीरिक क्षमता का विकास ,मानसिक केन्द्रीकरण किया जाता है और कठिन सिद्धिया भी कम समय में संभव हो पाती है ,कुछ तांत्रिक वस्तुओ के संयोग ऐसे प्रभाव उत्पन्न करते है की इच्छित चक्र उत्तेजित हो अधिक सक्रीय हो जाता है और सम्बंधित देवता की शक्ति जल्दी प्राप्त होने लगती है ,मूलाधार [काली ]साधना में इनका उपयोग आवश्यक हो जाता है,इनसे विभिन्न शारीरिक समस्याए स्वयमेव समाप्त हो जाती है  ,चित्र में दर्शित औषधि मूलाधार साधना और विभिन्न शारीरिक समस्याओं में लाभप्रद होती है ,जिसके निर्माण में आक की जड, चिरचिटा की जड़, बैंगन की जड़ ,सोंठ ,दालचीनी ,मुलहठी ,बच ,कपूर, मैनसिल, केसर, हल्दी, मुर्दा शंख ,बबूल गोंद, भांगपत्ती, आक की पत्तियों के रस समेत लगभग ३० तरह के दुर्लभ  पदार्थो -वनस्पतियों का उपयोग होता है ,यह संयोग ऐसा विशिष्ट प्रभाव उत्पन्न करता है की सर्वाधिक कठोर साधना सुगम होने लगती है ,,
   उपयोग विधि :: औषधि को मूलाधार पर सिक्के जैसी गोल आकृति में लगाया जाता है ,
   लाभ :::::लगाने और मंत्र जप से काली और मूलाधार की शक्तियों की सिद्धि ६ माह में ,,,केवल लगाने मात्र से स्त्रियों के योनी, रक्त विकार ,कमर दर्द ,त्वचा का रूखापन ,मानसिक तनाव-व्याधि ,स्नायु विकार ,कमर के नीचे की सक्रियता की कमी ,किसी कार्य की अरुचि , भूत- प्रेत, गर्भाशय विकार ,संतान हीनता ,,पुरुषो में उत्साह हीनता ,तनाव ,आलस्य ,क्रियाशीलता की कमी ,कामेक्षा की कमी ,कमर दर्द,शरीर के निचले हिस्से की कमजोरी  ,स्नायु विकार ,पौरुष की कमी ,दूर होते है ,,सक्रियता ,सबलता .साहस ,भय समाप्ति ,आतंरिक शक्ति की वृद्धि सबको प्राप्त होती है |
मूलाधार साधना में कामुकता का विशिष्ट महत्व है ,इसके लिए अंगो पर भी ध्यान दिया जाता है ,सभी अंगो की सबलता और सक्रियता हेतु विभिन्न प्रकार की औषधियों का प्रयोग होता है |शारीरिक क्षमता बढाने हेतु भी विभिन्न विशिष्ट औषधियों का सेवन किया जाता है |
     इसी प्रकार आज्ञा चक्र साधन अथवा गणपति साधना के लिए भी तंत्र में विभिन्न औषधियों का निर्माण किया जाता है ,जो असगंध, मैनसिल ,काकड़ासिंगी ,गोरोचन ,भृंगराज ,वंशलोचन ,बच, कूट ,भंग के बीज ,काक जंघा ,कपूर आदि विभिन्न प्रकार की दुर्लभ ३५ वस्तुओ से निर्मित होते है ,यह औषधीय यदि साधना में न भी प्रयोग की जाए और सामान्य उपयोग ही किये जाए तो भी अनेक समस्याए स्वतः समाप्त हो जाती है ,और सामान्य सिद्धि जैसे लाभ स्वतः प्राप्त होने लगते है .................................................................हर-हर महादेव 

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