Friday, 13 March 2020

क्यों किसी को प्रभावित नहीं कर पाते आप ?

क्यों होती है तेजस्विता में कमी या प्रभावित करने में अक्षमता
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                      अक्सर हम विभिन व्यक्तियों से रोज मिलते हैं ,अनेकों से हमारा सामना होता है ,कुछ हमें प्रथम बार में ही बहुत प्रभावित करते हैं ,कुछ बिलकुल प्रभावित नहीं करते और कुछ धीरे -धीरे प्रभावित करते हैं ,जो की विशिष्ट गुणों के कारण अधिक होता है  ,,प्रथम बार में ही प्रभावित या अप्रभावित करना कई कारणों पर निर्भर करता है ,जैसे सुन्दरता ,बनावट, चाल-चलन, बात-चीत के ढंग,आदि ,इसमें शरीर से उत्पन्न होने वाले फेरोमोंस-हारमोंस की भी यद्यपि अपनी एक भूमिका होती है ,किन्तु सबसे अधिक प्रभावी व्यक्ति की औरा या प्रभामंडल होती है ,यह वह शक्ति है हर व्यक्ति विशेष से जुडी हुई होती है और जो उसकी प्रभावशालिता हेतु सर्वाधिक उत्तरदाई होती है ,,इसके ही प्रभाव से व्यक्ति का तेज बनता है या वह निस्तेज होता है ,इसी के कारन व्यक्ति लोगो पर प्रभाव डाल पाता है स्वयमेव या उसका प्रथम द्रिस्टया कोई प्रभाव नहीं पड़ता ,
                                    व्यक्ति की औरा या प्रभामंडल भौतिक शरीर और आत्मा के बीच की कड़ी सूक्ष्म शरीर से सम्बंधित होती  है| ,इसका सीधा सम्बन्ध व्यक्ति के विद्युतीय परिपथ और उर्जा चक्रों से होता है और इसकी प्रकृति का निर्माण विशिष्ट सक्रिय चक्र के अनुसार होता है |यह व्यक्ति में चक्र विशेष की विशेष सक्रियता पर भी निर्भर करता है |इसका सीधा सम्बन्ध व्यक्ति के आत्मबल से होता है |व्यक्ति सुदर है या नहीं ,महत्व नहीं रखता ,अगर उसकी औरा प्रबल है और प्रकाशित है तो वह कहीं भी कभी भी प्रभावित कर ही देता है ,यह व्यक्ति के आत्मविश्वास को भी प्रभावित करता है और व्यक्ति प्रस्तुति को भी |इससे व्यक्ति में एक अनजानी आकर्षण शक्ति उत्पन्न होती है और सम्मोहन की क्षमता उसके आसपास बिखरी होती है |यह व्यक्ति की शारीरिक स्थिति पर भी निर्भर करता है ,व्यक्ति सबल और स्वस्थ है तो यह शरीर को प्रकाशवान बनाये रखती है |
                           हम सभी जानते हैं की शरीर में एक ऊर्जा परिपथ होता है |शरीर कोशिकाओं से मिलकर बनता है और कोशिकाओं में माइटोकांड्रिया नामक अवयव से ऊर्जा उत्पादन होता है ,यही पूरे शरीर की गर्मी या ऊर्जा और जीवन के नियमन के लिए आवश्यक शक्ति प्रदान करता है |इसकी ऊर्जा व्यक्ति के भोजन के प्रकार पर निर्भर करती है |समस्त शरीर की कोशिकाओं में माइटोकांड्रिया से ऊर्जा उत्पादन होता है और सभी की उर्जायें मिलकर एक अदृश्य ऊर्जा संरचना का निर्माण करते है ,इनका संरक्षण भी होता रहता है और यही सूक्ष्म शरीर का भौतिक अस्तित्व है ,और यही आभामंडल का भी निर्माण करते हैं |सूक्ष्म शरीर अदृश्य रहता है पर इसी ऊर्जा परिपथ से वह जुड़ा रहता है और इसी की प्रकृति पर उसकी भी प्रकृति निर्भर करती है जब तक की कोई अन्य विशेष साधना या क्रिया न की जाए |यही सूक्ष्म शरीर आत्मा और भौतिक शरीर के बीच की कड़ी होता है |इसी सूक्ष्म शरीर में विभिन्न चक्र होते हैं जिनसे सम्बंधित शक्तियां या देवता/देवी होते हैं |चक्र विशेष की विशेष क्रियाशीलता पर इस सूक्ष्म शरीर और प्रकारांतर से आभा मंडल की क्रियाशीलता निर्भर करती है | इसी आभामंडल पर व्यक्ति की तेजस्विता या प्रभावित करने की क्षमता निर्भर करती है |
                                    यदि व्यक्ति का आभामंडल कमजोर है तो व्यक्ति में तेजस्विता अपने आप कम हो जाएगी |उसके शरीर और चेहरे से तेज और चमक गायब हो जायेगी ,आत्मविश्वास कम हो जाएगा |शरीर एक आतंरिक कमजोरी महसूस करेगा |व्यक्ति किसी को प्रभावित नहीं कर पाता |असुंदर चेहरा भी अगर आभायुक्त है तो वह लोगों को आकर्षित कर लेता है और प्रभावित कर देता है |किसी को प्रथम बार देखने पर ही उसके चेहरे की आभा या चमक ही सबसे अधिक उसके प्रभावित करने की क्षमता के लिए उत्तरदाई होती है और यह आभामंडल पर निर्भर करता है |
                        आभामंडल सबमे होता है |किसी में अधिक किसी में कम ,किसी में सकारात्मक ,किसी में नकारात्मक ,,किसी को देखते ही आप उसे नापसंद करते हैं यह उसकी नकारात्मक आभामंडल के कारण होता है ,इसका कोई सम्बन्ध उसके चेहरे की बनावट से हो जरुरी नहीं होता ,पर आपको समझ में नहीं आता |इसका कारण यह भी हो सकता है की उस व्यक्ति की आभामंडल या औरा आपसे मैच नहीं कर रही है और प्रतिकर्षण हो रहा है जिससे सूक्ष्म शरीर से संकेत मिलने पर अंतरात्मा उसे नापसंदगी के रूप में व्यक्त करती है |कभी-कभी ऐसा भी होता है की कोई व्यक्ति आपको अचानक बहुत पसंद हो जाता है ,इसका मूल कारण होता है की उससे आपकी औरा मैच कर जाती है और एक आकर्षण उत्पन्न हो जाता है ,जबकि वाही व्यक्ति अन्य को नहीं पसंद आता अथवा वह सुन्दर भी नहीं होता |यह सब औरा या आभामंडल और उससे उत्पन्न तेजस्विता पर निर्भर करता है |प्रबल आभामंडल का तेजस्वी व्यक्ति समूह को आकर्षित कर लेता है |सभी उसके आकर्षण में उसकी बात मानाने को विवश हो जाते हैं |
                                 यदि आपमें कोई आतंरिक कमी है, आपका आत्मविश्वास हिला हुआ है ,आप व्यभिचारी हैं ,आप नशेबाज हैं ,आपका स्वयं पर नियंत्रण नहीं है ,क्रोधी-ईर्ष्यालु हैं ,किसी भी रूप में बीमार हैं ,मानसिक रोगी हैं ,नकारात्मक ऊर्जा से प्रभावित हैं ,दिनचर्या अव्यवस्थित है ,कमजोर आत्मबल के हैं ,मानसिक चंचलता बहुत अधिक है,परोपकार-दया की भावना कम है,बहुत समय से प्रतिद्वंदिता की भावना से ग्रस्त हैं ,बहुत समय से मानसिक तनाव से ग्रस्त हैं ,हमेश उलझन में रहते हैं ,परिवार में कलह का माहौल रहता हो , तो आपका आभामंडल और तेजस्विता कम हो सकती है और आप लोगो को प्रभावित कर ले मुश्किल है |अगर आप अनावश्यक क्रोधी हैं ,किसी गंभीर नकारात्मक ऊर्जा की चपेट में हैं ,घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास है ,अति ईर्ष्यालु है ,व्यभिचार की अधिकता से क्षीण शरीरी हैं ,बुरी मानसिक भावनाओं से ग्रस्त हैं ,दूसरों का सदैव अहित चाहने वाले हैं ,बहुत लम्बे समय से बीमार हैं ,आपके चक्र असंतुलित हो गए हैं ,शारीरिक संतुलन बिगड़ा हुआ है ,दब्बू अथवा हीन भावना से ग्रस्त हैं तो आपकी औरा अथवा आभामंडल नकारात्मक भी हो सकती है ,जिसके कारण लोग आपको नापसंद भी कर सकते हैं अथवा आप किसी को प्रभावित करने की कोसिस करें और वहा और बिदक जाए ,ऐसा भी संभव है इसके कारण |आभामंडल का सीधा सम्बन्ध सूक्ष्म शरीर से होता है और आप बाहर से किसी से कुछ भी कहें किन्तु आपका अवचेतन उसे हमेश विश्लेषित करके सूक्ष्मशरीर के माध्यम से आत्मा को बताता रहता है और तदनुरूप आपका औरा या आभ्मंडल निर्मित होता है |औरा या आभामंडल ,सूक्ष्मशरीर पर निर्भर करती है और सूक्ष्मशरीर चेतन के साथ ही अवचेतन से समस्त सूचनाएँ ग्रहण करता रहता है और तदनुरूप ही आपके चक्रों और आभामंडल का प्रभाव बन जाता है |....................................................................हर-हर महादेव 

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