Thursday 26 March 2020

नंदी का मुख शिवलिंग की ओर ही क्यों ?

::::::::::::::शिव मंदिर के बाहर नंदी की विशेष मुद्रा :::::::::::::::
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सभी शिव मंदिरों में नंदी की स्थापना मंदिर के गर्भगृह के बाहर की जाती है |यह मंदिर के गर्भगृह की और मुह किये खुली आँखों की समाधिस्थ अवस्था में बैठा होता है |नंदी शिव का वाहन है ,शिव परिवार का अभिन्न सदस्य है और अदम्य शक्तियों का स्वामी है ,शिव गणों का नायक है अतः पूज्य है |किन्तु शिवालयों में इसकी स्थापना गर्भगृह के बाहर क्यों होती है ,इसका गूढ़ अर्थ है |खुली आँखों वाली समाधि से ही आत्मज्ञान और आत्मज्ञान से जीवन्मुक्ति प्राप्त कर पाना संभव हो पाता है |यह इस सन्देश का प्रचार करता है की मनुष्य रुपी जीवात्मा की पशुवत प्रवृत्तियां उसे ईश्वर से दूर ले जाने का प्रयास करती हैं जबकि उसकी सद्प्रवृत्तियां उसे शिव की और खींचती हैं |अतः गर्भगृह के बाहर रहते हुए भी नंदी की दृष्टि शिव पर ही टिकी रहती है और वह अनवरत रूप से अपने आराध्य में ही तल्लीन रहता है |नंदी की गर्भगृह के बाहर स्थापना इस बात का सूचक है की पाशविक वृत्तियों ,दंभ ,ईर्ष्या ,छल आदि का परित्याग करने के पश्चात ही भक्त को भगवान के दर्शन होते हैं |इन्हें साथ लेकर ईष्ट के सम्मुख आने वाले भक्तों का मंदिर आना सार्थक नहीं होता |हमारे समझ के अनुसार नंदी का गर्भगृह के बाहर एक निश्चित मुद्रा में शिव की और उन्मुख बैठना यह संकेत है की यदि पशुवत प्रवृत्तियां रहते हुए भी हम शिव [ईष्ट] में तल्लीन और एकाग्र हो जाएँ तो हम उसे पा सकते हैं और मुक्त हो सकते हैं |उसके सामने बैठ जाए [झुक जाएँ ],अपने को भूल उसमे लीं हो जाएँ तो कोई भी उसे पा सकता है |
नंदी पुरुष का प्रतीक है |इसलिए शिवालय में प्रवेश से पूर्व उसे प्रणाम किया जाना शास्त्रसम्मत है |नंदी के सींग विवेक और वैराग्य के प्रतीक हैं |दाहिने हाथ की तर्जनी और अंगूठे से नंदी के सींगों को स्पर्श करते हुए शिव के दर्शन किये जाते हैं |ऐसा करने से भक्त के घमंड का नाश होता है |.....................................................................हर-हर महादेव  

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