व्यापार-व्यवसाय वृद्धि कवच
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कई बार अच्छा चलता व्यापार अचानक ही मंदा हो जाता है |एक ही व्यवसाय से सम्बंधित कई दुकाने आसपास होने पर भी किसी का व्यवसाय चलता है किसी का नहीं चलता |सामने बहुत बीद होती है पर उसके सामने कोई देखता तक नहीं या कम लोग आते हैं |इसका प्रभाव आर्थिक और मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है |क्रमशः आर्थिक मानसिक स्थिति खराब होने लगती है ,स्वास्थय साथ नहीं देता ,स्वभाव में कमियां आने लगती है ,अशांति-कलह-क्रोध-चिडचिडापन आने लगता है |जिस व्यापार में कभी लाभ ही लाभ था आज हानि होने लगती है या अत्यल्प लाभ रह जाता है |यद्यपि इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे ग्रह स्थितियों में बदलाव, किसी द्वारा किया गया अभिचार, पित्र दोष, कुल देवता दोष आदि आदि ,किन्तु मूल कारण नकारात्मक ऊर्जा जो इन सबमे से किसी द्वारा हो सकती है के द्वारा व्यक्ति और व्यापार का घिर जाना होता है |
इन समस्याओं से निकलने के कई उपाय तंत्र में हैं ,किन्तु कुछ दुसाध्य है तो कुछ जानकारी और उपलब्धता के अभाव में कार्यरूप में परिणत नहीं हो पाते |इस हेतु सबसे अच्छा तरीका होता है की किसी अच्छे जानकार व्यक्ति की मदद ली जाए और व्यापार-व्यवसाय वृद्धि कवच बनवाकर धारण किया जाए |यह तरीका आसान होता है हालांकि कीमत जरुर अधिक हो सकती है ,जो सम्बंधित जानकार की क्षमता पर निर्भर करती है |यद्यपि आज के प्रचार और मशीनी युग में बाजार अथवा व्यक्तियों द्वारा बहुत प्रकार के यन्त्र -ताबीज दिए जा रहे है ,कितु प्रभाव कितना होता है यह धारक ही जानता है |
इस समस्या हेतु यदि ताबीज में दीपावली में निर्मित महालक्ष्मी यन्त्र अथवा रविपुष्य योग में छुई-मुई -निर्गुन्डी-गुलमोहर के रस और सेई के कांटे के भस्म से निर्मित व्यापार वृद्धि यन्त्र ,दिव्य मुहूर्त रविपुष्य योग में निष्कासित और पूजित श्वेतार्कमूल ,नागदौनमूल ,हरसिंगारमूल ,सांप के दांत ,हाथी दांत ,गोरोचन आदि विशिष्ट पदार्थ और वनस्पतियों का संयोग करके ताबीज बनाकर धारण किया जाये तो आशानुरूप परिणाम प्राप्त होते हैं |यद्यपि यह बहुत श्रम साध्य और योग्यतापूर्ण कार्य है ,जिसे विषय का अच्छा जानकार और साधक ही कर सकता है |
ये सभी वस्तुएं -वनस्पतियाँ-यन्त्र मिलकर ऐसा प्रभाव उत्पन्न करते हैं की व्यक्ति पर से और उसके आसपास से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हट जाता है |शारीरिक ऊर्जा चक्रों की सक्रियता बढती है |उर्जा-उत्साह-उलास जागता है |विभिन्न नकारात्मक और अभिचार कर्म का प्रभाव रुकता है और जितना भाग्य में लिखा है वह पूरा मिल पाता है |साथ ही ग्रह दोषों, वास्तु दोषों का भी शमन होता है |धीरे धीरे व्यापार-व्यवसाय उन्नति की और अग्रसर होने लगता है |चूंकि इस प्रकार के कवच तांत्रिक और तीब्र प्रभावी होते हैं अतः शुद्धता और सावधानी भी आवश्यक होती है | ................................................................हर-हर महादेव
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कई बार अच्छा चलता व्यापार अचानक ही मंदा हो जाता है |एक ही व्यवसाय से सम्बंधित कई दुकाने आसपास होने पर भी किसी का व्यवसाय चलता है किसी का नहीं चलता |सामने बहुत बीद होती है पर उसके सामने कोई देखता तक नहीं या कम लोग आते हैं |इसका प्रभाव आर्थिक और मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है |क्रमशः आर्थिक मानसिक स्थिति खराब होने लगती है ,स्वास्थय साथ नहीं देता ,स्वभाव में कमियां आने लगती है ,अशांति-कलह-क्रोध-चिडचिडापन आने लगता है |जिस व्यापार में कभी लाभ ही लाभ था आज हानि होने लगती है या अत्यल्प लाभ रह जाता है |यद्यपि इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे ग्रह स्थितियों में बदलाव, किसी द्वारा किया गया अभिचार, पित्र दोष, कुल देवता दोष आदि आदि ,किन्तु मूल कारण नकारात्मक ऊर्जा जो इन सबमे से किसी द्वारा हो सकती है के द्वारा व्यक्ति और व्यापार का घिर जाना होता है |
इन समस्याओं से निकलने के कई उपाय तंत्र में हैं ,किन्तु कुछ दुसाध्य है तो कुछ जानकारी और उपलब्धता के अभाव में कार्यरूप में परिणत नहीं हो पाते |इस हेतु सबसे अच्छा तरीका होता है की किसी अच्छे जानकार व्यक्ति की मदद ली जाए और व्यापार-व्यवसाय वृद्धि कवच बनवाकर धारण किया जाए |यह तरीका आसान होता है हालांकि कीमत जरुर अधिक हो सकती है ,जो सम्बंधित जानकार की क्षमता पर निर्भर करती है |यद्यपि आज के प्रचार और मशीनी युग में बाजार अथवा व्यक्तियों द्वारा बहुत प्रकार के यन्त्र -ताबीज दिए जा रहे है ,कितु प्रभाव कितना होता है यह धारक ही जानता है |
इस समस्या हेतु यदि ताबीज में दीपावली में निर्मित महालक्ष्मी यन्त्र अथवा रविपुष्य योग में छुई-मुई -निर्गुन्डी-गुलमोहर के रस और सेई के कांटे के भस्म से निर्मित व्यापार वृद्धि यन्त्र ,दिव्य मुहूर्त रविपुष्य योग में निष्कासित और पूजित श्वेतार्कमूल ,नागदौनमूल ,हरसिंगारमूल ,सांप के दांत ,हाथी दांत ,गोरोचन आदि विशिष्ट पदार्थ और वनस्पतियों का संयोग करके ताबीज बनाकर धारण किया जाये तो आशानुरूप परिणाम प्राप्त होते हैं |यद्यपि यह बहुत श्रम साध्य और योग्यतापूर्ण कार्य है ,जिसे विषय का अच्छा जानकार और साधक ही कर सकता है |
ये सभी वस्तुएं -वनस्पतियाँ-यन्त्र मिलकर ऐसा प्रभाव उत्पन्न करते हैं की व्यक्ति पर से और उसके आसपास से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हट जाता है |शारीरिक ऊर्जा चक्रों की सक्रियता बढती है |उर्जा-उत्साह-उलास जागता है |विभिन्न नकारात्मक और अभिचार कर्म का प्रभाव रुकता है और जितना भाग्य में लिखा है वह पूरा मिल पाता है |साथ ही ग्रह दोषों, वास्तु दोषों का भी शमन होता है |धीरे धीरे व्यापार-व्यवसाय उन्नति की और अग्रसर होने लगता है |चूंकि इस प्रकार के कवच तांत्रिक और तीब्र प्रभावी होते हैं अतः शुद्धता और सावधानी भी आवश्यक होती है | ................................................................हर-हर महादेव
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