बीमारी नहीं ,फिर भी बीमार हैं तो ध्यान दीजिए
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कभी कभी हमारे सामने ऐसी भी समस्याएं आती हैं ,जब व्यक्ति महसूस करता है कि वह बीमार है ,किंतु मेडिकल जांच में कोई रोग ,कोई समस्या नहीं निकलती ।व्यक्ति सालों साल बीमार रहता है पर न कोई दवा काम करती है न समझ आता है कि उसे हुआ क्या है ।डाक्टर कोई दिक्कत नहीं पाता ,व्यक्ति अस्वस्थ भी होता है ।धीरे धीरे व्यक्ति घर -परिवार ,समाज से कटता जाता है ,चिड़चिड़ा हो जाता है ,कमजोर होता जाता है ,दिनचर्या अव्यवस्थित हो जाती है ,न नींद ठीक से आती है न भूख ठीक से लगती है ।बुरे ख्याल ,बुरे सपने आते हैं ,हीन भावना ,निराशा घेरे रहती है और अंततः सचमुच रोगों का आक्रमण होने लगता है क्योंकि प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है ।
ऐसी स्थिति का समाधान विज्ञान के पास नहीं होता ,क्योकि भौतिक प्रमाणों पर आधुनिक विज्ञान आधारित होता है और यहाँ भौतिक प्रमाण मिलते नहीं ।यह समस्या नकारात्मक ऊर्जाओं से उतपन्न होती है ।यह नकारात्मक ऊर्जा ग्रह दोष से उतपन्न हुई हो सकती है ।पित्र दोष से उतपन्न हुई हो सकती है ।वास्तु दोष ,सीलन आदि से उतपन्न हुई हो सकती है ।पर्याप्त प्रकाश ,धुप न मिलने से हुई हो सकती है ।देवी देवताओं की पूजा में हुई गलतियों से हो सकती है ।कुलदेवी देवता की रुष्टता से उतपन्न हुई हो सकती है ।किसी द्वारा टोना टोटका करने से हुई हो सकती है ।अपने या अपने लोगों द्वारा बेहतरी के लिए किये गए कई उपाय ,कई टोटकों के व्यतिक्रम उतपन्न होने से हुई हो सकती है ।रास्ते में या अँधेरे अथवा दोपहरी में अकेले आते जाते किसी शक्ति से प्रभावित हो जाने से हुई हो सकती है ।कभी किसी शक्ति की खानदान में पूजा होती रही हो और उसे वर्तमान में बन्द कर दिया गया हो ।किसी जमीन में कुछ दबा हो सकता है जिस पर आज का मकान बना हो सकता है ।ये कुछ कारण ऐसी समस्या के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं ।
उपरोक्त कारण जरूरी नहीं की घर के सभी सदस्यों को प्रभावित करें ।किसी की ग्रह दशा कमजोर चल रही उसे पकड़ प्रभावित करना शुरू कर दिया ।कोई कमजोर दिल का है उसे प्रभावित जल्दी कर देते हैं ।किसी का ब्लड पतला हो उस पर प्रभाव जल्दी पड़ता है ।कोई भावुक एकांत प्रिय अधिक हो उसे जल्दी प्रभावित करते है ।कोई किसी परेशानी में चिंतित हो और आत्मबल कमजोर हो उसे प्रभावित करना शुरू कर सकते हैं ।किसी को लक्ष्य कर कोई शक्ति या अभिचार भेज दिया जाए ,कर दिया जाए तो ऐसा हो सकता है ।ऐसे अनेक कारण होते हैं कि घर का कोई एक ही व्यक्ति ऐसी समस्या से ग्रस्त हो सकता है ।कभी कभी परिवार के कई लोग एक ही तरह की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं ।कभी कभी रिश्तेदारी या खानदान में कई पीढ़ियों में एक सी समस्या दिख सकती है ।
ऐसी समस्याओं को सरसरी तौर पर नहीं देखना चाहिए ।जब तक मूल कारण नहीं मिलता समस्या समाधान नहीं हो सकता ।इसके लिए किसी उच्च जानकार की मदद लेनी चाहिए ।यहाँ वहां के टोटके उपाय नहीं आजमाने चाहिए न लगातार उपाय बदलना चाहिए ।मूल कारण पता करके बताए उपाय लगातार करने चाहिए ।उपायों के अतिरिक्त कुछ क्रियाएं ,सावधानियां व्यक्ति के स्वस्थ होने में मदद करती हैं ,इन्हें करना चाहिए ।जैसे व्यक्ति को पर्याप्त प्रकाश ,धुप आदि मिलना चाहिए ,घर में सीलन ,अँधेरा आदि नहीं रखना चाहिए ।व्यक्ति के मनोबल को बढ़ाना चाहिए ,उसे हमेशा आशावादी रखना चाहिए ।एकांत से ,अकेलेपन से बचाना चाहिए ।उसके प्रति व्यवहार सौहार्द्र पूर्ण रखना चाहिए ।उसे घूमने फिरने ,खेलने कूदने ,लोगों से मिलने जुलने को कहना चाहिए ।उसे व्यस्त रखना चाहिए ।उग्र और पराक्रमी देवी देवताओं की पूजा करवानी चाहिए ।प्रेरक कथाएं ,जोश पूर्ण कहानियां पढ़ने को प्रेरित करनी चाहिए ।इसके साथ योग्य ज्ञानी के बताए उपाय बिना तोड़ मरोड़ किये गम्भीरता से करने चाहिए ।.................................हर हर महादेव
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कभी कभी हमारे सामने ऐसी भी समस्याएं आती हैं ,जब व्यक्ति महसूस करता है कि वह बीमार है ,किंतु मेडिकल जांच में कोई रोग ,कोई समस्या नहीं निकलती ।व्यक्ति सालों साल बीमार रहता है पर न कोई दवा काम करती है न समझ आता है कि उसे हुआ क्या है ।डाक्टर कोई दिक्कत नहीं पाता ,व्यक्ति अस्वस्थ भी होता है ।धीरे धीरे व्यक्ति घर -परिवार ,समाज से कटता जाता है ,चिड़चिड़ा हो जाता है ,कमजोर होता जाता है ,दिनचर्या अव्यवस्थित हो जाती है ,न नींद ठीक से आती है न भूख ठीक से लगती है ।बुरे ख्याल ,बुरे सपने आते हैं ,हीन भावना ,निराशा घेरे रहती है और अंततः सचमुच रोगों का आक्रमण होने लगता है क्योंकि प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है ।
ऐसी स्थिति का समाधान विज्ञान के पास नहीं होता ,क्योकि भौतिक प्रमाणों पर आधुनिक विज्ञान आधारित होता है और यहाँ भौतिक प्रमाण मिलते नहीं ।यह समस्या नकारात्मक ऊर्जाओं से उतपन्न होती है ।यह नकारात्मक ऊर्जा ग्रह दोष से उतपन्न हुई हो सकती है ।पित्र दोष से उतपन्न हुई हो सकती है ।वास्तु दोष ,सीलन आदि से उतपन्न हुई हो सकती है ।पर्याप्त प्रकाश ,धुप न मिलने से हुई हो सकती है ।देवी देवताओं की पूजा में हुई गलतियों से हो सकती है ।कुलदेवी देवता की रुष्टता से उतपन्न हुई हो सकती है ।किसी द्वारा टोना टोटका करने से हुई हो सकती है ।अपने या अपने लोगों द्वारा बेहतरी के लिए किये गए कई उपाय ,कई टोटकों के व्यतिक्रम उतपन्न होने से हुई हो सकती है ।रास्ते में या अँधेरे अथवा दोपहरी में अकेले आते जाते किसी शक्ति से प्रभावित हो जाने से हुई हो सकती है ।कभी किसी शक्ति की खानदान में पूजा होती रही हो और उसे वर्तमान में बन्द कर दिया गया हो ।किसी जमीन में कुछ दबा हो सकता है जिस पर आज का मकान बना हो सकता है ।ये कुछ कारण ऐसी समस्या के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं ।
उपरोक्त कारण जरूरी नहीं की घर के सभी सदस्यों को प्रभावित करें ।किसी की ग्रह दशा कमजोर चल रही उसे पकड़ प्रभावित करना शुरू कर दिया ।कोई कमजोर दिल का है उसे प्रभावित जल्दी कर देते हैं ।किसी का ब्लड पतला हो उस पर प्रभाव जल्दी पड़ता है ।कोई भावुक एकांत प्रिय अधिक हो उसे जल्दी प्रभावित करते है ।कोई किसी परेशानी में चिंतित हो और आत्मबल कमजोर हो उसे प्रभावित करना शुरू कर सकते हैं ।किसी को लक्ष्य कर कोई शक्ति या अभिचार भेज दिया जाए ,कर दिया जाए तो ऐसा हो सकता है ।ऐसे अनेक कारण होते हैं कि घर का कोई एक ही व्यक्ति ऐसी समस्या से ग्रस्त हो सकता है ।कभी कभी परिवार के कई लोग एक ही तरह की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं ।कभी कभी रिश्तेदारी या खानदान में कई पीढ़ियों में एक सी समस्या दिख सकती है ।
ऐसी समस्याओं को सरसरी तौर पर नहीं देखना चाहिए ।जब तक मूल कारण नहीं मिलता समस्या समाधान नहीं हो सकता ।इसके लिए किसी उच्च जानकार की मदद लेनी चाहिए ।यहाँ वहां के टोटके उपाय नहीं आजमाने चाहिए न लगातार उपाय बदलना चाहिए ।मूल कारण पता करके बताए उपाय लगातार करने चाहिए ।उपायों के अतिरिक्त कुछ क्रियाएं ,सावधानियां व्यक्ति के स्वस्थ होने में मदद करती हैं ,इन्हें करना चाहिए ।जैसे व्यक्ति को पर्याप्त प्रकाश ,धुप आदि मिलना चाहिए ,घर में सीलन ,अँधेरा आदि नहीं रखना चाहिए ।व्यक्ति के मनोबल को बढ़ाना चाहिए ,उसे हमेशा आशावादी रखना चाहिए ।एकांत से ,अकेलेपन से बचाना चाहिए ।उसके प्रति व्यवहार सौहार्द्र पूर्ण रखना चाहिए ।उसे घूमने फिरने ,खेलने कूदने ,लोगों से मिलने जुलने को कहना चाहिए ।उसे व्यस्त रखना चाहिए ।उग्र और पराक्रमी देवी देवताओं की पूजा करवानी चाहिए ।प्रेरक कथाएं ,जोश पूर्ण कहानियां पढ़ने को प्रेरित करनी चाहिए ।इसके साथ योग्य ज्ञानी के बताए उपाय बिना तोड़ मरोड़ किये गम्भीरता से करने चाहिए ।.................................हर हर महादेव
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