::ॐ:: एक सार्वभौम शक्ति
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ब्रह्माण्ड में ग्रह-नक्षत्रो-सौर मंडलों-आकाशगंगाओं की गतिशीलता के बीच एक दिव्य ध्वनि और तरंग की गूँज है जिसे ॐ कहते हैं ,किन्तु सभी इसे सदैव नहीं सुन सकते ,इस ध्वनि को हमारे तपस्वी और ऋषि - महर्षियों ने अपनी ध्यानावस्था में सुना। जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है | उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ब्रह्मनाद अथवा ॐ कहा । यानी अंतरिक्ष में होने वाला मधुर गीत ‘ओ३म्’ ही अनादिकाल से अनन्त काल तक ब्रह्माण्ड में व्याप्त है। ओ३म् की ध्वनि या नाद ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक ऊर्जा के रूप में फैला हुआ है| यह ईश्वरीय ऊर्जा है ,सर्वत्र फैला ,कण कण में व्याप्त सार्वभौम ऊर्जा ,जो तरंगो के रूप में सर्वत्र विकरित है |इसीलिए इसे प्रणव भी कहा जाता है ,यह सब जगह सम्पूर्णता देने में सक्षम है |अकेले हो या किसी शक्ति के साथ सर्वत्र ऊर्जा स्वरुप है |
खगोल वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया है कि हमारे अंतरिक्ष में पृथ्वी मण्डल, सौर मण्डल , सभी ग्रह मण्डल तथा अनेक आकाशगंगाएं, लगातार ब्रह्माण्ड का चक्कर लगा रही हैं। ये सभी आकाशीय पिण्ड कई हज़ार मील प्रति सेकेण्ड की गति से अनंत की ओर भागे जा रहे हैं, जिससे लगातार एक कम्पन, एक ध्वनि अथवा शोर उत्पन्न हो रहा है |इसी ध्वनि को हमारे तपस्वी और ऋषि - महर्षियों ने अपनी ध्यानावस्था में सुना। जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है और उसे सुनते रहने से मन और आत्मा शांती महसूस करती है तो उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ब्रह्मनाद अथवा ॐ कहा । यानी अंतरिक्ष में होने वाला मधुर गीत ‘ओ३म्’ ही अनादिकाल से अनन्त काल तक ब्रह्माण्ड में व्याप्त है। ओ३म् की ध्वनि या नाद ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक ऊर्जा के रूप में फैला हुआ है जब हम अपने मुख से एक ही सांस में ओ३म् का उच्चारण मस्तिष्क ध्वनि अनुनाद तकनीक से करते हैं तों मानव शरीर को अनेक लाभ होते हैं और वह असीम सुख, शांति व आनन्द की अनुभूति करता है।
इस ध्वनि के उच्चारण से मानव शरीर को अनेक लाभ होते हैं और वह असीम सुख, शांति व आनन्द की अनुभूति करता है क्योकि उसका संपर्क ब्रह्मांडीय उर्जा तरंगों से होता है | वैज्ञानिक प्रयोग इस सार्वभौम ध्वनि की शक्ति को प्रमाणित करते हैं ,रोगियों के रोग बहुत कम होते पाया गया यद्यपि इनके प्रतिशत भिन्न रहे पर लाभ लगभग सबको होता है |
ओ३म् के संबंध में यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या ओ३म् शब्द की महिमा का कोई वैज्ञानिक आधार हैं? क्या इसके उच्चारण से इस असार संसार में भी कुछ लाभ है? इस संबंध में ब्रिटेन के एक साईटिस्ट जर्नल ने शोध परिणाम बताये हैं जो यहां प्रस्तुत हैं। रिसर्च एंड इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंस के प्रमुख प्रोफ़ेसर जे. मार्गन और उनके सहयोगियों ने सात वर्ष तक ‘ओ३म्’ के प्रभावों का अध्ययन किया।इस दौरान उन्होंने मस्तिष्क और हृदय की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित 2500 पुरुषो और 200 महिलाओं का परीक्षण किया। इनमें उन लोगों को भी शामिल किया गया जो अपनी बीमारी के अन्तिम चरण में पहुँच चुके थे।इन सारे मरीज़ों को केवल वे ही दवाईयां दी गई जो उनका जीवन बचाने के लिए आवश्यक थीं। शेष सब बंद कर दी गई। सुबह 6 -7 बजे तक यानी कि एक घंटा इन लोगों को साफ, स्वच्छ, खुले वातावरण में योग्य शिक्षकों द्वारा ‘ॐ’ का जप करायागया। इन दिनों उन्हें विभिन्न ध्वनियों और आवृतियो में 'ॐ’ का जप कराया गया। हर तीन माह में हृदय, मस्तिष्क के अलावा पूरे शरीर का ‘स्कैन’ कराया गया।चार साल तक ऐसा करने के बाद जो रिपोर्ट सामने आई वह आश्चर्यजनक थी। 70 प्रतिशत पुरुष और 85 प्रतिशत महिलाओं से ‘ॐ’ का जप शुरू करने के पहले बीमारियों की जो स्थिति थी उसमें 90 प्रतिशत कमी दर्ज की गई। कुछ लोगों पर मात्र 20 प्रतिशत ही असर हुआ। इसका कारण प्रोफ़ेसर मार्गन ने बताया कि उनकी बीमारी अंतिम अवस्था में पहुंच चुकी थी। इस प्रयास से यह परिणाम भी प्राप्त हुआ कि नशे से मुक्ति भी ‘ॐ’ के जप से प्राप्त की जा सकती है। इसका लाभ उठाकर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है। ॐ को लेकर प्रोफ़ेसर मार्गन कहते हैं कि शोध में यह तथ्य पाया कि ॐ का जाप अलग अलग आवृत्तियों और ध्वनियों में दिल और दिमाग के रोगियों के लिए बेहद असर कारक है यहाँ एक बात बेहद गौर करने लायक़ यह है जब कोई मनुष्य ॐ का जाप करता है तो यह ध्वनि जुबां से न निकलकर पेट से निकलती है यही नहीं ॐ का उच्चारण पेट, सीने और मस्तिष्क में कम्पन पैदा करता है विभिन्न आवृतियो (तरंगों) और ‘ॐ’ ध्वनि के उतार चढ़ाव से पैदा होने वाली कम्पन क्रिया से मृत कोशिकाओं को पुनर्जीवित कर देता है तथा नई कोशिकाओं का निर्माण करता है रक्त विकार होने ही नहीं पाता। मस्तिष्क से लेकर नाक, गला, हृदय, पेट और पैर तक तीव्र तरंगों का संचार होता है। रक्त विकार दूर होता है और स्फुर्ती बनी रहती है। यही नहीं आयुर्वेद में भी ॐ के जाप के चमत्कारिक प्रभावों का वर्णन है।
अभी हाल ही में हारवर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हारबर्ट बेन्सन ने अपने लबे समय के शोध कार्य के बाद ‘ॐ’ के वैज्ञानिक आधार पर प्रकाश डाला है। थोड़ी प्रार्थना और ॐ शब्द के उच्चारण से जानलेवा बीमारी एड्स के लक्षणों से राहत मिलती है तथा बांझपन के उपचार में दवा का काम करता है। इसके अलावा आप स्वयं ‘ॐ’ जप करके ॐ ध्वनि के परिणाम देख सकते हैं। इसके जप से सभी रोगों में लाभ व दुष्कर्मों के संस्कारों को शमन होता है। अतः ॐ की चमत्कारिक ध्वनि का उच्चारण यदि मनुष्य अटूट श्रद्धा व पूर्ण विश्वास के साथ करे तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर जीवन को सार्थक कर सकता है।
जब कोई मनुष्य ॐ का जाप करता है तो यह ध्वनि जुबां से न निकलकर ह्रदय से निकलती है |यही नहीं ॐ का उच्चारण पेट, सीने और मस्तिष्क में कम्पन पैदा करता है विभिन्न आवृतियो (तरंगों) और ‘ॐ’ ध्वनि के उतार चढ़ाव से पैदा होने वाली कम्पन क्रिया मृत कोशिकाओं तक को पुनर्जीवित कर देता है तथा नई कोशिकाओं का निर्माण करता है| कोशिका क्षय में कमी आती है ,चिरायुता में वृद्धि होती है |जीवनी शक्ति ,आत्मबल, आत्मविश्वास की वृद्धि होती है| रक्त विकार होने ही नहीं पाता। मस्तिष्क से लेकर नाक, गला, हृदय, पेट और पैर तक तीव्र तरंगों का संचार होता है। रक्त विकार दूर होता है और स्फुर्ती बनी रहती है।इसका लाभ उठाकर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है।
. थोड़ी प्रार्थना और ॐ शब्द के उच्चारण से जानलेवा बीमारी एड्स के लक्षणों से राहत मिलती है तथा बांझपन के उपचार में दवा का काम करता है। इसके जप से सभी रोगों में लाभ होता है। अतः ॐ की चमत्कारिक ध्वनि का उच्चारण यदि मनुष्य अटूट श्रद्धा व पूर्ण विश्वास के साथ करे तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर जीवन को सार्थक कर सकता है।इसके जप से दुस्कर्मो और पापों के परिणाम से भी मुक्ति संभव है बशर्ते प्रायश्चित की भावना के साथ शरणागति अपने ईष्ट में आये |नशे से मुक्ति भी ‘ॐ’ के जप से प्राप्त की जा सकती है| ऊँ की ध्वनि मानव शरीर के लिये प्रतिकुल सभी ध्वनियों को वातावरण से निष्प्रभावी बना देती है।विभिन्न ग्रहों से आने वाली अत्यंत घातक अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव ओम की ध्वनि की गुंज से समाप्त हो जाता है।मतलब बिना किसी विशेष उपाय के भी सिर्फ ओम् के जप से भी अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
ऊँ का उच्चारण करने वाले के शरीर का विद्युत प्रवाह आदर्श स्तर पर पहुंच जाता है। नींद गहरी आने लगती है। साथ ही अनिद्रा की बीमारी से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।मन शांत होने के साथ ही दिमाग तनाव मुक्त हो जाता है.अनेक बार ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।.अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं। यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है। यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है। इससे पाचन शक्ति तेज़ होती है। .इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है। .थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।.नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी। .कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है। ॐ का उच्चारण करने से से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है। ॐ का उच्चारण करने से विभिन्न अन्तःश्रावी ग्रंथियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उनसे स्रावित होने वाले हारमोंस ,पाचक अथवा नियामक पदार्थों का स्राव नियमित होता है |यह सभी लाभ ॐ की ऊर्जा का ०.००१ % भी नहीं है ,यह वह शक्ति है जो भुक्ति-मुक्ति सब कुछ प्रदान कर सकती है ,इसकी शक्ति-क्षमता की कोई सीमा नहीं ,मनुष्य की कल्पनाओं से भी परे है |
पूर्ण एकाग्रता के साथ ॐ का जप त्रिकाल दर्शिता प्रदान करता है |यह आज्ञाचक्र की शक्ति को इतना बढ़ा देता है की व्यक्ति भूत-भविष्य-वर्त्तमान में झाँक सकता है |यह निर्विकार अथवा साकार ईष्ट का साक्षात्कार कराता है |बिना किसी अन्य मंत्र के केवल ॐ का जप और किसी भी ईष्ट का भाव उस ईष्ट को साधक की और आकर्षित कर साक्षात्कार करा सकता है |यह वह सार्वभौम ऊर्जा है जो सबकुछ करने में सक्षम है |...................................................................................हर-हर महादेव
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ब्रह्माण्ड में ग्रह-नक्षत्रो-सौर मंडलों-आकाशगंगाओं की गतिशीलता के बीच एक दिव्य ध्वनि और तरंग की गूँज है जिसे ॐ कहते हैं ,किन्तु सभी इसे सदैव नहीं सुन सकते ,इस ध्वनि को हमारे तपस्वी और ऋषि - महर्षियों ने अपनी ध्यानावस्था में सुना। जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है | उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ब्रह्मनाद अथवा ॐ कहा । यानी अंतरिक्ष में होने वाला मधुर गीत ‘ओ३म्’ ही अनादिकाल से अनन्त काल तक ब्रह्माण्ड में व्याप्त है। ओ३म् की ध्वनि या नाद ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक ऊर्जा के रूप में फैला हुआ है| यह ईश्वरीय ऊर्जा है ,सर्वत्र फैला ,कण कण में व्याप्त सार्वभौम ऊर्जा ,जो तरंगो के रूप में सर्वत्र विकरित है |इसीलिए इसे प्रणव भी कहा जाता है ,यह सब जगह सम्पूर्णता देने में सक्षम है |अकेले हो या किसी शक्ति के साथ सर्वत्र ऊर्जा स्वरुप है |
खगोल वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया है कि हमारे अंतरिक्ष में पृथ्वी मण्डल, सौर मण्डल , सभी ग्रह मण्डल तथा अनेक आकाशगंगाएं, लगातार ब्रह्माण्ड का चक्कर लगा रही हैं। ये सभी आकाशीय पिण्ड कई हज़ार मील प्रति सेकेण्ड की गति से अनंत की ओर भागे जा रहे हैं, जिससे लगातार एक कम्पन, एक ध्वनि अथवा शोर उत्पन्न हो रहा है |इसी ध्वनि को हमारे तपस्वी और ऋषि - महर्षियों ने अपनी ध्यानावस्था में सुना। जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है और उसे सुनते रहने से मन और आत्मा शांती महसूस करती है तो उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ब्रह्मनाद अथवा ॐ कहा । यानी अंतरिक्ष में होने वाला मधुर गीत ‘ओ३म्’ ही अनादिकाल से अनन्त काल तक ब्रह्माण्ड में व्याप्त है। ओ३म् की ध्वनि या नाद ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक ऊर्जा के रूप में फैला हुआ है जब हम अपने मुख से एक ही सांस में ओ३म् का उच्चारण मस्तिष्क ध्वनि अनुनाद तकनीक से करते हैं तों मानव शरीर को अनेक लाभ होते हैं और वह असीम सुख, शांति व आनन्द की अनुभूति करता है।
इस ध्वनि के उच्चारण से मानव शरीर को अनेक लाभ होते हैं और वह असीम सुख, शांति व आनन्द की अनुभूति करता है क्योकि उसका संपर्क ब्रह्मांडीय उर्जा तरंगों से होता है | वैज्ञानिक प्रयोग इस सार्वभौम ध्वनि की शक्ति को प्रमाणित करते हैं ,रोगियों के रोग बहुत कम होते पाया गया यद्यपि इनके प्रतिशत भिन्न रहे पर लाभ लगभग सबको होता है |
ओ३म् के संबंध में यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या ओ३म् शब्द की महिमा का कोई वैज्ञानिक आधार हैं? क्या इसके उच्चारण से इस असार संसार में भी कुछ लाभ है? इस संबंध में ब्रिटेन के एक साईटिस्ट जर्नल ने शोध परिणाम बताये हैं जो यहां प्रस्तुत हैं। रिसर्च एंड इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंस के प्रमुख प्रोफ़ेसर जे. मार्गन और उनके सहयोगियों ने सात वर्ष तक ‘ओ३म्’ के प्रभावों का अध्ययन किया।इस दौरान उन्होंने मस्तिष्क और हृदय की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित 2500 पुरुषो और 200 महिलाओं का परीक्षण किया। इनमें उन लोगों को भी शामिल किया गया जो अपनी बीमारी के अन्तिम चरण में पहुँच चुके थे।इन सारे मरीज़ों को केवल वे ही दवाईयां दी गई जो उनका जीवन बचाने के लिए आवश्यक थीं। शेष सब बंद कर दी गई। सुबह 6 -7 बजे तक यानी कि एक घंटा इन लोगों को साफ, स्वच्छ, खुले वातावरण में योग्य शिक्षकों द्वारा ‘ॐ’ का जप करायागया। इन दिनों उन्हें विभिन्न ध्वनियों और आवृतियो में 'ॐ’ का जप कराया गया। हर तीन माह में हृदय, मस्तिष्क के अलावा पूरे शरीर का ‘स्कैन’ कराया गया।चार साल तक ऐसा करने के बाद जो रिपोर्ट सामने आई वह आश्चर्यजनक थी। 70 प्रतिशत पुरुष और 85 प्रतिशत महिलाओं से ‘ॐ’ का जप शुरू करने के पहले बीमारियों की जो स्थिति थी उसमें 90 प्रतिशत कमी दर्ज की गई। कुछ लोगों पर मात्र 20 प्रतिशत ही असर हुआ। इसका कारण प्रोफ़ेसर मार्गन ने बताया कि उनकी बीमारी अंतिम अवस्था में पहुंच चुकी थी। इस प्रयास से यह परिणाम भी प्राप्त हुआ कि नशे से मुक्ति भी ‘ॐ’ के जप से प्राप्त की जा सकती है। इसका लाभ उठाकर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है। ॐ को लेकर प्रोफ़ेसर मार्गन कहते हैं कि शोध में यह तथ्य पाया कि ॐ का जाप अलग अलग आवृत्तियों और ध्वनियों में दिल और दिमाग के रोगियों के लिए बेहद असर कारक है यहाँ एक बात बेहद गौर करने लायक़ यह है जब कोई मनुष्य ॐ का जाप करता है तो यह ध्वनि जुबां से न निकलकर पेट से निकलती है यही नहीं ॐ का उच्चारण पेट, सीने और मस्तिष्क में कम्पन पैदा करता है विभिन्न आवृतियो (तरंगों) और ‘ॐ’ ध्वनि के उतार चढ़ाव से पैदा होने वाली कम्पन क्रिया से मृत कोशिकाओं को पुनर्जीवित कर देता है तथा नई कोशिकाओं का निर्माण करता है रक्त विकार होने ही नहीं पाता। मस्तिष्क से लेकर नाक, गला, हृदय, पेट और पैर तक तीव्र तरंगों का संचार होता है। रक्त विकार दूर होता है और स्फुर्ती बनी रहती है। यही नहीं आयुर्वेद में भी ॐ के जाप के चमत्कारिक प्रभावों का वर्णन है।
अभी हाल ही में हारवर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हारबर्ट बेन्सन ने अपने लबे समय के शोध कार्य के बाद ‘ॐ’ के वैज्ञानिक आधार पर प्रकाश डाला है। थोड़ी प्रार्थना और ॐ शब्द के उच्चारण से जानलेवा बीमारी एड्स के लक्षणों से राहत मिलती है तथा बांझपन के उपचार में दवा का काम करता है। इसके अलावा आप स्वयं ‘ॐ’ जप करके ॐ ध्वनि के परिणाम देख सकते हैं। इसके जप से सभी रोगों में लाभ व दुष्कर्मों के संस्कारों को शमन होता है। अतः ॐ की चमत्कारिक ध्वनि का उच्चारण यदि मनुष्य अटूट श्रद्धा व पूर्ण विश्वास के साथ करे तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर जीवन को सार्थक कर सकता है।
जब कोई मनुष्य ॐ का जाप करता है तो यह ध्वनि जुबां से न निकलकर ह्रदय से निकलती है |यही नहीं ॐ का उच्चारण पेट, सीने और मस्तिष्क में कम्पन पैदा करता है विभिन्न आवृतियो (तरंगों) और ‘ॐ’ ध्वनि के उतार चढ़ाव से पैदा होने वाली कम्पन क्रिया मृत कोशिकाओं तक को पुनर्जीवित कर देता है तथा नई कोशिकाओं का निर्माण करता है| कोशिका क्षय में कमी आती है ,चिरायुता में वृद्धि होती है |जीवनी शक्ति ,आत्मबल, आत्मविश्वास की वृद्धि होती है| रक्त विकार होने ही नहीं पाता। मस्तिष्क से लेकर नाक, गला, हृदय, पेट और पैर तक तीव्र तरंगों का संचार होता है। रक्त विकार दूर होता है और स्फुर्ती बनी रहती है।इसका लाभ उठाकर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है।
. थोड़ी प्रार्थना और ॐ शब्द के उच्चारण से जानलेवा बीमारी एड्स के लक्षणों से राहत मिलती है तथा बांझपन के उपचार में दवा का काम करता है। इसके जप से सभी रोगों में लाभ होता है। अतः ॐ की चमत्कारिक ध्वनि का उच्चारण यदि मनुष्य अटूट श्रद्धा व पूर्ण विश्वास के साथ करे तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर जीवन को सार्थक कर सकता है।इसके जप से दुस्कर्मो और पापों के परिणाम से भी मुक्ति संभव है बशर्ते प्रायश्चित की भावना के साथ शरणागति अपने ईष्ट में आये |नशे से मुक्ति भी ‘ॐ’ के जप से प्राप्त की जा सकती है| ऊँ की ध्वनि मानव शरीर के लिये प्रतिकुल सभी ध्वनियों को वातावरण से निष्प्रभावी बना देती है।विभिन्न ग्रहों से आने वाली अत्यंत घातक अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव ओम की ध्वनि की गुंज से समाप्त हो जाता है।मतलब बिना किसी विशेष उपाय के भी सिर्फ ओम् के जप से भी अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
ऊँ का उच्चारण करने वाले के शरीर का विद्युत प्रवाह आदर्श स्तर पर पहुंच जाता है। नींद गहरी आने लगती है। साथ ही अनिद्रा की बीमारी से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।मन शांत होने के साथ ही दिमाग तनाव मुक्त हो जाता है.अनेक बार ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।.अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं। यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है। यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है। इससे पाचन शक्ति तेज़ होती है। .इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है। .थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।.नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी। .कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है। ॐ का उच्चारण करने से से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है। ॐ का उच्चारण करने से विभिन्न अन्तःश्रावी ग्रंथियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उनसे स्रावित होने वाले हारमोंस ,पाचक अथवा नियामक पदार्थों का स्राव नियमित होता है |यह सभी लाभ ॐ की ऊर्जा का ०.००१ % भी नहीं है ,यह वह शक्ति है जो भुक्ति-मुक्ति सब कुछ प्रदान कर सकती है ,इसकी शक्ति-क्षमता की कोई सीमा नहीं ,मनुष्य की कल्पनाओं से भी परे है |
पूर्ण एकाग्रता के साथ ॐ का जप त्रिकाल दर्शिता प्रदान करता है |यह आज्ञाचक्र की शक्ति को इतना बढ़ा देता है की व्यक्ति भूत-भविष्य-वर्त्तमान में झाँक सकता है |यह निर्विकार अथवा साकार ईष्ट का साक्षात्कार कराता है |बिना किसी अन्य मंत्र के केवल ॐ का जप और किसी भी ईष्ट का भाव उस ईष्ट को साधक की और आकर्षित कर साक्षात्कार करा सकता है |यह वह सार्वभौम ऊर्जा है जो सबकुछ करने में सक्षम है |...................................................................................हर-हर महादेव
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