Friday, 13 March 2020

दाम्पत्य जीवन में कलह के कारण

दाम्पत्य जीवन में कलह के कुछ कारण यह भी
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                             विवाह के पूर्व हर लड़के -लड़की के मन में अपने भावी वैवाहिक जीवन और पति /पत्नी को लेकर असंख्य कल्पनाएँ होती हैं ,अनेक भावनाएं होती हैं |कितना भी माडर्न परिवार हो अथवा रूढ़िवादी सभी अपने पति /पत्नी को सौम्य ,सरल ,सीधा ,बात मानने वाला /वाली ,प्यार करने वाला /वाली ,परिवार -खानदान की मर्यादा और संस्कार को समझने योग्य ,चरित्रवान कल्पित करते हैं |विवाह पूर्व कोई कलह ,विवाद ,ईगो ,चारित्रिक दोष की कल्पना नहीं कर पाता और सोचता /सोचती है की पति या पत्नी को अपने अनुकूल ढाल लेगा /लेगी |विवाह बाद 90% मामलों में इसका उल्टा हो जाता है |आधुनिक समय में लगभग २० प्रतिशत दम्पति अलग हो जाते हैं विभिन्न कारणों से और बचे 80 प्रतिशत में से 75 प्रतिशत एडजस्ट करते हैं ,केवल 5 प्रतिशत की लाइफ शान्ति से चल पाती है और वे यह कह सकते हैं की उनका पार्टनर सहयोगी है और वह संतुष्ट हैं |साथ रहने वाले अथवा अलग होने वाले दम्पतियों में कलह के ,दूरी के कारण यद्यपि अनेक होते हैं ,जैसे संस्कार का न मिलना ,विचारधारा ,स्वतंत्रता की इच्छा अथवा एक दुसरे से असंतुष्टि अथवा गंभीरता का अभाव आदि ,किन्तु इनके अलावा भी कुछ बड़े कारण हैं जो दम्पतियों में कलह ,दूरी ,मन मुटाव ,विवाद के कारण बनते हैं और जिन पर साबसे अधिक ध्यान देना चाहिए पर कोई पहले ध्यान देता नहीं है |
                          दाम्पत्य में कलह अथवा दूरी का एक कारण दोनों की ग्रह स्थितियां होती हैं ,जिससे उनकी प्रकृति ,चरित्र ,सोच ,बनावट आदि का निर्माण होता है |संस्कार और वातावरण माता -पिता और खानदान का दिया होता है जो वाह्य तौर पर व्यक्ति को एक परिधि में रखता है ,किन्तु जब बात खुद की आती है और स्वतंत्र सोच कार्य करने लगती है तब संस्कार ,वातावरण भूलने लगता है और जो बेसिक नेचर है वह सामने आने लगता है |यहाँ ग्रहों के कारण निर्मित स्वभाव ,सोच आदि सामने आती हैं और वह गंभीर प्रभाव डालते हैं जिससे तालमेल न बैठ पाने पर कलह ,कटुता ,विवाद का जन्म होता है और दूरी बनने लगती है |इसीलिए पूर्व से हमारे पूर्वजों से विवाह पूर्व ग्रह [कुंडली ]मिलान आदि की व्यवस्था की और इसकी गंभीरता को समझा |यद्यपि सभी के विवाह ऐसे हुए हों जरुरी नही पर बहुत में ऐसा होता था |पुराने समय में भी सब कुछ होता था पर समाज ऐसा था की लोग मजबूरी में एडजस्ट करके समय काट दिया करते थे ,पर आज समाज खुल गया है और लड़का -लडकी स्वतंत्र निर्णय ले रहे |गृह स्थितियां न मिलने से दाम्पत्य जल्दी टूट भी रहे |प्रेम विवाह के अक्सर टूट जाने अथवा कलह आदि का यह एक बड़ा कारण होता है |ग्रह स्थितियां मिलने पर भी दाम्पत्य न टूटे जरुरी नहीं पर उनके कारण अलग होते हैं फिर ,जिन्हें हम नीचे विश्लेषित करने का प्रयत्न कर रहे |
                                 दाम्पत्य में कलह ,कटुता ,दूरी ,विवाद का अथवा टूटने का सबसे प्रमुख कारण परिवार अथवा व्यक्तियों से जुडी नकारात्मक ऊर्जा होती है |यह नकारात्मकता वास्तु दोष से उत्पन्न हुई हो सकती है ,जमीन के अंदर की किसी वस्तु से उत्पन्न हुई हो सकती है ,कुल-देवता /देवी की सुरक्षा न मिलने से उत्पन्न हुई हो सकती है ,पितरों के असंतुष्ट होने से उत्पन्न हो सकती है ,किसी द्वारा पति या पत्नी पर या पूरे परिवार पर किसी टोने -टोटके से उत्पन्न हुई हो सकती है ,कहीं से कोई वायव्य बाधा जैसे भूत -प्रेत -जिन्न ,ब्रह्म आदि लडके -लडकी के साथ लगे होने पर उत्पन्न हुई हो सकती है ,किसी अन्य द्वारा लड़के या लड़की पर या पति -पत्नी पर वशीकरण या उच्चाटन या विद्वेषण की क्रिया से उत्पन्न हुई हो सकती है |संतान आदि की उत्पत्ति रोकने के लिए की गयी किसी क्रिया से उत्पन्न हुई हो सकती है |प्रतिद्वंदिता वश किये गए किसी अभिचार से उत्पन्न हुई हो सकती है ,किसी मकान या स्थान पर उपस्थित किसी नकारात्मक प्रभाव से उत्पन्न हुई हो सकती है ,चारित्रिक दोष के कारण किसी ऐसे से सम्बन्ध बनने पर उत्पन्न नकारात्मकता से उत्पन्न हुई हो सकती है जिससे औरा नकारात्मक हो जाए |आज के समय में यह बहुत बड़े कारण हो गए हैं कलह ,कटुता और दूरी के |आप माने या न माने पर ऐसे मामले हमारे पास अक्सर आ रहे ,जिससे अपने ब्लॉग पर हमें यह पोस्ट लिखने की प्रेरणा मिली ,ताकि आप समझ सकें और दाम्पत्य बिगड़ने पर उन्हें सुधार सकें |हम क्रमशः इन्हें विश्लेषित करते हैं की कैसे यह दाम्पत्य में परेशानी उत्पन्न करते हैं |
                             कुलदेवता /देवी की सुरक्षा न होने से किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा सीधे परिवार के व्यक्तियों को प्रभावित कर देते हैं जिससे व्यक्तियों को अनेक दिक्कते होने लगती हैं ,ईष्ट की पूजा आराध्य देवता तक नहीं पहुचती |पित्र असंतुष्ट या रुष्ट होने से अभाव और रोग -दुर्घटनाएं उत्पन्न होती हैं जिससे कलह -विवाद -मानसिक परेशानी उत्पन्न होते हैं |वास्तु दोष से अनेक शारीरिक -मानसिक -आर्थिक परेशानियां उत्पन्न होती हैं जिससे व्यक्ति उलझ कर अशांत रहता है और चिडचिडा अथवा रोगी हो जाता है | किसी द्वारा अगर परिवार या व्यक्तियों पर कोई अभिचार -टोना -टोटका कर दिया जाता है तो मानसिक -शारीरिक परेशानी उत्पन्न हो जाती है जिससे व्यक्ति अनमना हो जाता है और कलह होने लगती है ,कभी कभी तो कलह -कटुता के लिए ही अथवा पति -पत्नी तक को अलग करने को अभिचार कर दिए जाते हैं |ऐसे में व्यक्ति अथवा पति -पत्नी में हजार कमियां नजर आने लगती हैं ,उनमे बिना बात झगड़े हो जाते हैं और समझ का गंभीर अभाव हो जाता है |कभी कभी लोग प्रतिद्वंदिता वश भी किसी पर कोई तंत्र क्रिया कर देते हैं जिससे व्यक्ति के काम बिगड़ने लगते हैं ,दुर्घटनाएं होती हैं ,हानि होते हैं और व्यक्ति के स्वभाव में परिवर्तन आने से कलह होने लगती है |
                  कभी -कभी किसी -किसी लड़के अथवा लड़की के साथ कोई आत्मा विवाह पूर्व से अथवा बाद में आकर्षित हो जुड़ जाती है तथा अपनी इच्छाओं की पूर्ती का माध्यम बनाना चाहती है |ऐसे मामलों में जब भी पति पत्नी साथ होने की कोशिश करते हैं कोई न कोई बाधा उत्पन्न होती है |किन्ही मामलों में तो यह आत्मा पति अथवा पत्नी को दूर फेंक देता है |कभी कभी ऐसा भी होता है की यह पति या पत्नी को इतना रोगी बना देता है की वह उसके द्वारा प्रभावित व्यक्ति के लायक ही न बचे |कभी कभी यह संतान नहीं उत्पन्न होने देते जो अंततः कलह और दूरी का कारण बन जाता है |कभी कभी यह आत्मा अर्ध स्वप्न में सम्भोग तक करती हैं ,कभी कभी अकेले में अपनी स्पर्शानुभुती भी कराती हैं |ऐसे लोगों का दाम्पत्य जीवन अक्सर नष्ट हो जाता है क्योकि वह अपने पति अथवा पत्नी के प्रति विमुख हो जाता है या इस लायक ही नहीं रहता /रहती की वह पति /पत्नी को संतुष्ट रख सके |
                                    आज के समय में यह भी देखा जा रहा की लोग किसी लड़के या लड़की अथवा किसी के पति या पत्नी पर वशीकरण करवा दे रहे ,या कर रहे ताकि वह उनकी ओर आकृष्ट हो |इसका प्रभाव यह होता है की पति अथवा पत्नी की सोच अन्य दिशा में भटकने लगती है जिससे दाम्पत्य में कटुता -कलह -विवाद उत्पन्न होती है |कभी कभी तो दाम्पत्य टूट भी जाता है क्योकि दूसरा पार्टनर इसे विश्वासघात मान दूर हो जाता है ,दाम्पत्य न भी टूटे तो यह जीवन भर के लिए कटुता उत्पन्न कर देता है |कभी कभी कुछ लोग किन्ही को सुखी देख नहीं पाते और पति पत्नी को अलग करने का भी प्रयत्न करते हैं जिसके लिए वह उच्चाटन अथवा विद्वेषण जैसी क्रिया तक करवा देते हैं जिससे वे अलग हो जाएँ |इसमें करने या करवाने वालों के अलग अलग स्वार्थ हो सकते हैं अथवा दुश्मनी वश भी ऐसा हो सकता है |खुले समाज का एक दोष यह भी है की आज लोग शारीरिक सम्बन्ध के प्रति कम गंभीर हो गए हैं जिसका परिणाम यह होता है की कभी कभी किसी किसी से दुसरे की पति पत्नी से भी सम्बन्ध बन जा रहे |ऐसे में यदि व्यक्ति किसी गंभीर नकारात्मकता से ग्रस्त है और वह किसी से सम्बन्ध बना लेता है तो सामने वाला भी गंभीर नकारात्मकता से लिप्त हो जाता है |धीरे धीरे उसके शरीर का तेज नष्ट होने लगता है और उसकी औरा ऐसी हो जाती है की पति या पत्नी अनचाहे ही उससे दूरी बनाने लगते हैं जिससे कलह और दूरी बन जाती है |
                            प्रतिद्वंदिता में अथवा स्वार्थ में किये गए अभिचार -टोने -टोटके -वशीकरण -विद्वेषण -उच्चाटन की क्रिया हो या जमीन में दबी कोई नकारात्मक ऊर्जा हो या किसी मकान आदि में उपस्थित कोई नकारात्मक शक्ति हो अथवा पित्र दोष हों ,अथवा वास्तु दोष हो यह कुछ प्रभाव एक समान देते हैं जैसे चिंता ,तनाव ,दुर्घटनाएं ,हानि ,अपयश ,मानसिक चंचलता ,उद्विग्नता ,घबराहट ,मन न लगना ,घर में रहते सर भारी होना ,कुछ अच्छा न लगना ,एकांत पसंद अथवा बाहर अच्छा लगना ,संतान बिगड़ना ,रोग -बीमारी होना आदि |ऐसे में व्यक्ति जब खुद उलझा हो ,परेशान हो तो उसका स्वभाव -रुचियाँ बदल सकती हैं ,उसे बहुत कुछ अच्छा नहीं लग सकता ,वह दुसरे भावनाओं पर ध्यान नहीं दे पाता ,चिडचिडा हो सकता है ,फलतः कलह -कटुता उत्पन्न होने लगती है ,जो समय के साथ बढती जाती है |सीधे कोई नकारात्मक ऊर्जा प्रभावित कर रहा हो तब तो स्थिति ही विकत हो जाती है और एक दुसरे के प्रति नापसंदगी भी हो सकती है और दाम्पत्य टूट भी सकता है |विवाह पूर्व अच्छे खासे रहने वाले लड़के -लड़की विवाह बाद कलह कटुता में जीते दुखी हो जाते हैं इन नकारात्मक प्रभावों से |
                         अगर किन्ही व्यक्तियों के साथ अथवा पति-पत्नी के साथ ऐसा हो रहा ,आपस में नहीं बन रही ,कलह -कटुता -विवाद है तो उन्हें तुरंत कोई निर्णय लेने की बजाय पहले जानने की कोशिश करनी चाहिए की ऐसा हो क्यों रहा है |कही उपरोक्त कोई कारण तो नहीं जो उनके नैसर्गिक गुणों में परिवर्तन कर रहा ,स्वभाव अथवा शरीर प्रभावित कर रहा |किसी अच्छे ज्योतिषी से ग्रह स्थितियों की विवेचना करानी चाहिए |किसी अच्छे तांत्रिक से नकारात्मक प्रभावों की पड़ताल करानी चाहिए ,क्योकि इन्हें सुधारा जा सकता है |जीवन भर अलग होने की कसक से अथवा लड़ते -झगड़ते -घुटते जीने से अच्छा कारण जान उन्हें दूर करना और सुखी -संतुष्ट रह जीवन जीना है |हमने अधिकतर मामलों में ऐसे कारण पाए हैं अतः एक बार इन्हें जरुर समझना चाहिए |जरुरी नहीं की आप माडर्न हों ,अथवा बड़े फ़्लैट /बिल्डिग या पाश इलाके में रहते हों ,पैसे से ,आर्थिक रूप से समृद्ध हों तो आपको नकारात्मक प्रभाव छू ही नहीं सकते |हो सकता है उनकी प्रकृति अलग हो और वह किन्ही और रूप में आपको प्रभावित कर रहे हों |भाग्य से आप समृद्ध हों किन्तु नकारात्मकता किसी और रूप में प्रभावित कर रही हो |हो सकता है पति /पत्नी का स्वास्थ्य अनुकूल न हो ,स्वभाव न मिले ,चारित्रिक दोष उत्पन्न हो जाए ,एक दुसरे में रूचि न रहे ,स्वतंत्रता की भावना बढ़ जाए ,किसी और से जुड़ाव हो जाए आदि आदि |अतः कारण समझें और सुखी रहें |...........................................................हर-हर महादेव  

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