Monday, 26 February 2018

व्यापार वर्धक आकर्षण प्रयोग

व्यापार वर्धक,बाधा निवारक आकर्षण प्रयोग
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सामग्री 
--------- मंत्र दिद्ध चैतन्य प्राण प्रतिष्ठित असली सियार सिंगी ,सौ ग्राम असली पारद युक्त सिन्दूर ,लकड़ी की चौकी ,धूप ,तेल का दीपक ,लोबान ,नैवेद्य ,पुष्प ,मंत्र सिद्ध चैतन्य लाल हकिक की माला ,धारण करने को सफ़ेद धोती ,सफ़ेद उनी आसन ,लाल कपड़ा ,हवन सामग्री ,
समय -दिन -दिशा 
--------------------- रविवार की रात्री का समय ,पश्चिम दिशा ,
जप संख्या और अवधि 
-------------------------- १० माला अर्थात एक ह्हजार जप प्रतिदिन ११ दिन तक |
मंत्र 
----- ॐ आकर्षय स्वाहा 
विधि 
------ यह प्रयोग किसी भी रविवार से प्रारम्भ किया जा सकता है |शुद्ध पवित्र हो सफ़ेद धोती धारण कर सफ़ेद उनी आसन पर बैठ सामने लकड़ी के बजोट या चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर पारायुक्त भारी वाला सिन्दोर रखें फिर उस पर चैतन्य सियार सिंगी को रख अपने  दाहिने हाथ की कनिष्ठिका से एक बूँद रक्त निकाल उस पर लगा दें |अब सियार सिंगी की विधिवत पूजा करें |संकल्प लेकर जप प्रारम्भ करें |रोज एक हजार जप करते हुए ११ दिन में ११ हजार जप पूर्ण करें |तत्पश्चात हवन करें |जप पूर्ण होने के बाद इस सियार सिंगी को अपने व्यापार स्थल के सामने सिन्दूर सहित जमीन में दबा दें अथवा एक पोटली में बांधकर व्यापार स्थल के बाहर की ओर चौखट पर लटका देवें |लाल हकिक की माला अपने गले में धारण करें |
इस प्रयोग को भली भाँती संपन्न कर लेने पर व्यापार पर होने वाली समस्त बाधाएं दूर हो जाती है |लोगों के किये कराये वापस होते हैं और व्यापार स्थल की सुरक्षा होती है |हानि पहुँचाने वाले वशीभूत होते हैं |जब तक यह सियार सिंगी दूकान के सामने गडी रहेगी तब तक कोई बाधा ,नजर दोष ,किया कराया नहीं आएगा |व्यापार सम्बन्धी समस्त बाधाएं दूर होंगी |...................................................हर हर महादेव 

Sunday, 25 February 2018

सियारसिंगी पर सर्व स्त्री वशीकरण

सियारसिंगी पर सर्व स्त्री वशीकरण
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सामग्री 
---------मंत्र सिद्ध चैतन्य सियार सिंगी ,तेल का दीपक ,असली पारायुक्त सिन्दूर ,लोबान ,मंत्र सिद्ध चैतन्य मूंगे की माला ,लाल रंग की धोती पहनने के लिए ,लाल वस्त्र चौकी पर बिछाने के लिए |,लाल आसन बैठने के लिए |
दिन -समय -दिशा 
--------------------- शनिवार की रात्री का समय ,पश्चिम दिशा को मुख  
जप संख्या प्रतिदिन -अवधि 
-------------------------------- २१०० जप प्रतिदिन ,११ दिन तक |
मंत्र 
------ ॐ ह्रीं गं जूं सः [अमुक ] में वश्य वश्य स्वाहा |
विधि 
------- इस प्रयोग को संपन्न करने हेतु किसी भी शनिवार को लाल आसन पर लाल धोती पहनकर पश्चिम दिशा की तरफ मुंह कर बैठें और अपने सामने चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर असली सिन्दूर रख उस पर मंत्र सिद्ध चैतन्य सियार सिंगी स्थापित कर मूंगे की माला से नित्य २१ माला उपरोक्त मन्त्र की ग्यारह दिन तक जप करने पर सियार सिंगी सिद्ध हो जाती है |मंत्र और सियार सिंगी सिद्ध करते समय अमुक की जगह किसी नाम का उच्चारण नहीं करना है |
सियार सिंगी सिद्ध होने के बाद उस सियार सिंगी को अपनी जेब में रखकर जिसको वश में करना हो उसके सामने खड़े होकर केवल सात बार मन ही मन उपरोक्त मंत्र का जप करें तो सामने वाला वश में होकर अनुकूल कार्य करता है |इस समय मंत्र में अमुक की जगह उस व्यक्ति का नाम भी जोडकर जप करना होता है |
इस सियार सिंगी से खिलाने पिलाने की वस्तु भी श्क्तिकृत की जा सकती है |इसके लिए इलायची ,लौंग ,सुपारी आदि म से जो चीज खिलाना चाहते हों उस पर सियार सिंगी रख दें और उस व्यक्ति के नाम को जोडकर सात बात मंत्र से वस्तु को अभिमंत्रित कर दें |इसके बाद वह वस्तु खिलाने से वशीकरण का प्रभाव उत्पन्न होता है और स्त्री वशीभूत होती है |
हमारे केंद्र से निर्मित दिव्य गुटिका में सियार सिंगी पहले से उपस्थित होती है जिससे यह प्रयोग गुटिका के सामने करने से इस प्रभाव से कई गुना अधिक प्रभाव मिलता है क्योंकि दिव्य गुटिका में सियार सिंगी के अतिरिक्त हत्था जोड़ी ,दक्षिणा वर्ती शंख ,श्वेतार्क मूल ,अपराजिता मूल ,गुडमार मूल ,स्फटिक ,जैसे कई अन्य वाशिकारक और आकर्षण प्रभाव उत्पन्न करने वाले तत्व होते हैं |..........................................................हर हर महादेव 

चमत्कारी सर्वजन वशीकरण प्रयोग

चमत्कारी सर्वजन वशीकरण प्रयोग
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किसी उच्चाधिकारी अथवा अन्य किसी प्रभावशाली व्यक्ति को अपने वश में करके मनोनुकूल कार्य करवाने के लिए वशीकरण माला का यह सर्वाधिक उपयुक्त प्रयोग है |इस माला को देखने वाले सभी स्त्री -पुरुष -बच्चे माला के प्रभाव से आकर्षित होते हैं |सेल्स ,मार्केटिंग ,कांट्रेक्टर ,रियल एस्टेट ,प्रमोसन का कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए तो यह वशीकरण माला प्रयोग अत्यंत लाभदायक होता है |इसके लिए -
सामग्री 
--------- प्राण प्रतिष्ठित स्फटिक माला ,एक अन्य स्फटिक माला ,घी का दीपक ,लाल वस्त्र ,कुमकुम ,पुष्प ,धुप ,सफ़ेद रंग की धोती पहनने के लिए ,सफ़ेद उनी आसन ,लकड़ी की चौकी ,नैवेद्य ,कपूर ,हवन सामग्री ,
समय -दिन और दिशा  
--------------------------- रविवार की सुबह का समय ,पूर्व दिशा 
जप संख्या और अवधि 
-------------------------- प्रतिदिन १० माला अर्थात एक हजार जप ,५१ दिन में ५१ हजार 
मंत्र 
------- ॐ ऐं त्रिपुर देवी महा देवी मम स्वरूपे आकर्षणम देहि देहि मम कार्य सिद्धिं करि करि स्वाहा |
विधि 
------ किसी भी रविवार से यह प्रयोग प्रारम्भ किया जा सकता है |सर्वप्रथम शुद्ध पवित्र हो सफ़ेद वासरे धोती धारण कर सफ़ेद उनी आसन पर बैठ सामने चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर प्राण प्रतिष्ठित चैतन्य स्फटिक माला रख दें |इसके बाद संन्कल्प की विधि पूर्ण कर माला की पूर्ण रूप से धुप ,दीप ,नैवेद्य ,पुष्प आदि से पूजन करें |फिर दूसरी स्फटिक माला से उपरोक्त मंत्र की १० माला की संख्या में जप करना चाहिए |जपोपरांत जप महादेवी के बाएं हाथ में समर्पित करें |इस प्रकार की क्रिया ५१ दिन तक लगातार करें |जप अवधि में सामने रखी माला पर दृष्टि एकाग्र रखनी चाहिए और भावना होनी चाहिए की माला में देवी शक्ति आती जा रही है |५१ दिन बाद हवन की प्रक्रिया पूर्ण करनी चाहिए |
इस प्रकार यह सामने रखी स्फटिक माला चैतन्य और शक्तिकृत हो वशीकरण माला में परिवर्तित हो जाती है |इस वशीकरण माला को पहनकर यदि किसी के सामने धारंणकर्ता जाए तो सामने वाला व्यक्ति इस माला पर दृष्टि पड़ने पर वशीभूत होता है ||इस प्रकार वह व्यक्ति साधक के अनुकूल कार्य करता है |..........................................................हर हर महादेव 

व्यक्तित्व सम्मोहक बनाने का तंत्र प्रयोग

व्यक्तित्व सम्मोहक बनाने का तंत्र प्रयोग
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व्यक्तित्व सम्मोहक बनाने में नवग्रह संतुलन की युक्ति सर्वाधिक कारगर होती है क्योंकि ग्रह ही सबसे अधिक प्रभावित करते हैं और इन्ही की रश्मियों के अनुसार व्यक्ति का सम्पूर्ण व्यक्तित्व निर्मित होता है |इन्हें यदि अपने जरूरत के अनुसार संतुलित कर लिया जाय तो यह व्यक्ति को ऊच्च्ता पर पहुंचा सकते हैं |इनके साथ तंत्र को जोड़ देना इनके प्रभाव को कई गुना बढ़ा देता है |इस प्रयोग में इसी को दृष्टिगत रखते हुए नवरत्न की अंगूठी और तांत्रिक मंत्र का प्रयोग किया गया है |नवरत्न की अंगूठी कितनी लाभप्रद होती है यह किसी से छिपा नहीं है |इसका विशेष प्रयोग निम् प्रकार है |
सामग्री 
--------- नवरत्न की अंगूठी अथवा महामंगलकारी गुटिका ,स्फटिक माला ,तेल का दीपक ,सवा किलो साबुत उड़द ,मंत्र सिद्ध चैतन्य विद्युत् माला ,पहनने के लिए लाल रंग की धोती ,लाल रंग का आसन ,सामने बिछाने के लिए लाल वस्त्र ,लकड़ी की चौकी ,धुप -दीप ,प्रसाद ,माला फूल आदि |
समय -दिन और दिशा 
------------------------- बुधवार की रात्री का समय ,पश्चिम दिशा 
जपा संध्या और दिनों की अवधि -
------------------------------------ १००० मंत्र अर्थात १० माला प्रतिदिन ,५१ दिन तक 
मंत्र 
------ ॐ नमो ह्राँ ह्रीं ह्रूं फट चक्रे सुरे अदृश्य देवी शोणित भोज पक्षे मम् इच्छानुसार दृश्यम कुरु कुरु स्वाहा |
विधि 
-------- किसी भी बुधवार के दिन लाल धोती पहन ,लाल आसन पर विराजमान हो सामने चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर नवरत्न की अंगूठी और स्फटिक माला रख दें |,संकल्प लें प्रतिदिन पूजन की और १००० जप प्रतिदिन की ५१ दिन तक करने की |इसके बाद अंगूठी और माला इनकी पूर्ण पूजा करें |पूजा के बाद मंत्र जप उपरोक्त मंत्र की शुरू करें और १० माला जप स्फटिक माला से करें |प्रतिदिन आगे से यह क्रिया जारी रखें और ५१ दिन तक करें |५१ दिन बाद इसी मंत्र से १० माला जप संख्या बराबर हवन करें नवग्रह की लकड़ी और हवन सामग्री से |जब जप पूरा हो जाए तो वहां पहले दिन से राखी सवा किलो उड़द को ले जाकर दक्षिण दिशा में उछालकर फेंक देवे और घर आ जाए |हवन बाद उस नवरत्न की अंगूठी को धारण कर लें और उसके साथ रखी स्फटिक माला को गले में धारण करें |इससे धीरे धीरे व्यक्तित्व में सम्मोहकता उत्पन्न होने लगती है |......................................................हर -हर महादेव 

व्यापार वर्धक ,बाधा निवारक आकर्षण प्रयोग

व्यापार वर्धक,बाधा निवारक आकर्षण प्रयोग
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सामग्री 
--------- मंत्र दिद्ध चैतन्य प्राण प्रतिष्ठित असली सियार सिंगी ,सौ ग्राम असली पारद युक्त सिन्दूर ,लकड़ी की चौकी ,धूप ,तेल का दीपक ,लोबान ,नैवेद्य ,पुष्प ,मंत्र सिद्ध चैतन्य हकिक की माला ,धारण करने को सफ़ेद धोती ,सफ़ेद उनी आसन ,लाल कपड़ा ,हवन सामग्री ,
समय -दिन -दिशा 
--------------------- रविवार की रात्री का समय ,पश्चिम दिशा ,
जप संख्या और अवधि 
-------------------------- १० माला अर्थात एक ह्हजार जप प्रतिदिन ११ दिन तक |
मंत्र 
----- ॐ आकर्षय स्वाहा 
विधि 
------ यह प्रयोग किसी भी रविवार से प्रारम्भ किया जा सकता है |शुद्ध पवित्र हो सफ़ेद धोती धारण कर सफ़ेद उनी आसन पर बैठ सामने लकड़ी के बजोट या चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर पारायुक्त भारी वाला सिन्दोर रखें फिर उस पर चैतन्य सियार सिंगी को रख अपने  दाहिने हाथ की कनिष्ठिका से एक बूँद रक्त निकाल उस पर लगा दें |अब सियार सिंगी की विधिवत पूजा करें |संकल्प लेकर जप प्रारम्भ करें |रोज एक हजार जप करते हुए ११ दिन में ११ हजार जप पूर्ण करें |तत्पश्चात हवन करें |जप पूर्ण होने के बाद इस सियार सिंगी को अपने व्यापार स्थल के सामने सिन्दूर सहित जमीन में दबा दें अथवा एक पोटली में बांधकर व्यापार स्थल के बाहर की ओर चौखट पर लटका देवें |
इस प्रयोग को भली भाँती संपन्न कर लेने पर व्यापार पर होने वाली समस्त बाधाएं दूर हो जाती है |लोगों के किये कराये वापस होते हैं और व्यापार स्थल की सुरक्षा होती है |हानि पहुँचाने वाले वशीभूत होते हैं |...................................................हर हर महादेव 

Sunday, 18 February 2018

वशीकरण में खिलाने -पिलाने के प्रयोगों का प्रभाव

वशीकरण में खिलाने -पिलाने के प्रयोगों का प्रभाव
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          तांत्रिक षट्कर्म के अंतर्गत आने वाले आकर्षण ,मोहन और वशीकरण में ही अधिकतर खिलाने -पिलाने की वस्तुओं का प्रयोग होता है |आकर्षण अधिकतर दूर के व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है अथवा ऐसे व्यक्ति के लिए जिससे संपर्क ही पहले मुश्किल हो या वार्तालाप ही नहीं हो पाती हो |मोहन की प्रक्रिया भिन्न होती है जिसमे व्यक्ति की संवेदनशीलता को प्रभावित किया जाता है |वशीकरण में व्यक्ति को वशीकृत कर दिया जाता है जिससे वह सबकुछ जानते समझते हुए भी मजबूर होता है बात मानने को |यह सम्मोहन से भिन्न होता है |व्यक्ति पूरी चेतन अवस्था में होकर भी अवश होता है और उस पर किसी और का नियंत्रण होता है |
          वशीकरण में खिलाने -पिलाने की वस्तुओं की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है जिससे खिलाया वस्तु शरीर में प्रवेश कर रासायनिक और तरंगीय परिवर्तन कर व्यक्ति की चेतना पर हावी हो जाता है |अभिमंत्रित खिलाई -पिलाई वस्तुएं नष्ट नहीं होती ,न ही यह पचती हैं जिससे यह शरीर से बाहर नहीं निकलती और वर्षों वर्ष शरीर में पड़ी रहती हैं |इन्हें पूजा -पाठ अथवा गंभीर अनुष्ठानों से भी नहीं निकाला जा सकता |इन्हें निकालने की एक निश्चित प्रक्रिया होती है जिसमे किसी शक्ति से यह कार्य कराया जाता है |इसके जानकार कहीं कहीं ही मिलते हैं जबकि इसके नाम पर धोखे भी खूब होते हैं |बहुत से ऐसे भी तांत्रिक होते हैं जो खिलाने पिलाने को निकालने के नाम पर विभिन्न वस्तुएं विभिन्न माध्यमों से निकाल कर दिखा देते हैं ,जबकि मूल पदार्थ यथावत शरीर में रह ही जाता है |इस प्रकार के कुछ हाथ की सफाई दिखाने वाले भी होते हैं जो वस्तुएं दिखा देते हैं और बोलते हैं की यह खिलाया गया था जो निकला है |इस नाम पर पैसे ऐंठ लेते हैं |
        जैसा की सभी जानते हैं सभी पदार्थों से तरंगों का उत्सर्जन होता है चाहे वह वनस्पति हो ,जड़ हो या कभी जीवित रही और आज मृत वस्तु |खिलाने -पिलाने की वस्तुओं को जब विशिष्ट क्रिया के बाद अभिमंत्रित किया जाता है तो उसके गुण धर्म में परिवर्तन हो जाता है और मूल गुणों के साथ नए गुण विकसित हो जाते हैं |यह अपनी मूल तरंगों के साथ नए तरंग भी उत्सर्जित करता है जो शरीर में जाने पर विशिष्ट चक्र की तरंगों से क्रिया करने लगता है ,जिससे व्यक्ति की रासायनिक क्रियाओं के साथ ही उसका चेतन और अवचेतन मन भी प्रभावित होने लगता है |उसके स्वप्न बदल जाते हैं ,उसकी सोच की दिशा एक तरफ अधिक भागती है |उसे उद्विग्नता का अनुभव होता है और बार बार वह विचलित होता है |उसे लगता है जैसे उसका कुछ खो गया हो और वह उसे ही खोजने का प्रयत्न करता है |इस स्थिति से निजात उसे तभी मिलती है जब वह वशीकृत करने वाले के संपर्क में आता है या उसके साथ होता है |
         व्यक्ति की सोच और रुचियों में भी रासायनिक बदलावों से परिवर्तन आता है और उसकी पसंद नापसंद बदलने लगती है |उसे वशीकरण करता की सभी बातें अच्छी लगती है और उसका साथ उसे शान्ति देने वाला महसूस होता है |उससे दूर रहने पर उसे अपने मष्तिष्क पर एक बोझ महसूस होता है और वह उलझन जैसा महसूस करता है |यह स्थिति तब तक रहती है जब तक खिलाया पिलाया वास्तु शरीर में रहे |ऐसे व्यक्ति को गंभीर पूजा पाठ करनी पर या किसी तांत्रिक द्वारा कोई क्रिया करने पर पेट दर्द आदि हो सकता है |ऐसे लोगों का पेट अक्सर खराब हो जाया करता है अथवा उन्हें कब्ज जैसा महसूस होता है |चूंकि यह अभिचार है अतः इसके पराभाव तो आयेंगे ही |सामान्य मष्तिष्क पर एक अतिरिक्त बोझ पड़ जाने जैसा यह होता है जबकि शरीर ,मन और मष्तिष्क किसी का और अंदर से आदेश देने वाला कोई और |ऐसे में बार बार उलझन होती है और विचार भटकते हैं व्यक्ति के |उसकी एकाग्रता प्रभावित होती है |व्यक्ति स्वतंत्र होकर भी स्वतंत्र नहीं महसूस करता जबकि उसे कारण कुछ भी समझ नहीं आता |
         यदि खिलाने पिलाने में सामान्य जड़ी बूटियों का प्रयोग हो तब तो कुछ राहत रहती है किन्तु यदि खिलाने पिलाने की वस्तुओं में शरीर के उत्पाद या अवयव का प्रयोग किया गया हो या व्यक्ति की कोई वस्तु लेकर कोई क्रिया की गयी हो तो स्थिति और विषम होती है |ऐसे में व्यक्ति बार बार उस व्यक्ति तक पहुँचने का प्रयत्न करता है जिसने यह क्रिया की हो |यहाँ मोहन जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है और व्यक्ति में एक निश्चित हारमोन और फेरोमोन की गंध के प्रति गंभीर आकर्षण जाग जाता है |उसे तभी संतुष्टि मिलती है जब वह उस गंध के आसपास हो या उसके अनुसार रहे |उसके भावनाओं तक के प्रति वह संवेदनशील होने लगता है |यदि व्यक्ति पर ऐसे कई प्रयोग कई लोग कर दें या बार बार क्रियाएं हो जाएँ तो व्यक्ति की मानसिक उलझन बहुत बढ़ जाती है ,व्यक्ति की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं रह पाती और बार बार उलझने बढने पर किंकर्तव्यविमूढ़ जैसी स्थिति में पहुचने लगता है जो कभी मानसिक स्थिति बहुत बिगाड़ भी सकता है |इसके साथ ही उसका पाचन तंत्र औ सभी शारीरिक क्रियाएं भी प्रभावित होती हैं जिससे व्यक्ति की दिक्कते बढने लगती हैं |
                 खिलाये पिलाए का निदान बहुत मुश्किल होता है क्योंकि इसे निकालना मुश्किल होता है |यह एक तकनिकी काम है जो बहुत कम जानते हैं |उच्च शक्ति के मन्त्रों का प्रयोग यदि वस्तु पर हो तो निकालना भी मुश्किल हो जाता है अच्छे अच्छे तांत्रिक के लिए |इसे निष्क्रिय करना और यह क्रिया दोबारा न हो पाए यह व्यवस्था करना अपेक्षाकृत आसान होता है |इसके लिए अच्छे तांत्रिक की आवश्यकता होती है जो खिलाये पिलाए की प्रकृति और उसकी शक्ति को पकड़ सके |यदि निकाल न पाए तो भी उसे प्रभावहीन कर सके |इसके लिए वस्तु विशेष को विशेष महाशक्ति के संपुटित मंत्र से अभिमंत्रित कर उपर से खिला -पीला दिया जाता है जिससे पहले की वस्तु या सभी वस्तुएं प्रभावहीन हो जाती है |कुछ समय बाद इनकी शक्ति समाप्त होने पर वस्तु पाच जाती है और शरीर से बाहर निकल जाती है |सुरक्षात्मक उपायों में उग्र महाविद्या के कवच /ताबीज कारगर होते हैं जो सरीर के संपर्क में सदैव रहें |इनके प्रभाव से खिलाये पिलाए वस्तु की मंत्र शक्ति प्रभावहीन हो जाती है जिससे वह वस्तु सामान्य वस्तु बनकर रह जाती है खिलाने के बाद भी और पाच जाती है शरीर में जिससे बाहर निकल जाती है |न शरीर में रहती है न प्रभाव दे पाती है |.......................................................हर हर महादेव 

स्त्री -पुरुष वशीकरण के तंत्र प्रयोग

स्त्री -पुरुष वशीकरण के तंत्र प्रयोग
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पति वशीकरण के तंत्र प्रयोग
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स्त्री द्वारा पुरुष को वशीकृत करने का प्रयोग करने के लिए सर्वप्रथम निम्न मंत्र का निश्चित समय में निश्चित संख्या में जप करते हुए सवा लाख जप संख्या पूर्ण करनी चाहिए |उसके बाद कम से कम १२५० आहुति से हवन करना चाहिए |
मंत्र - ॐ नमो महायक्षिणीऐ मम् पति में वश्यं कुरु कुरु स्वाहा |
मंत्र सिद्धि के बाद निम्न प्रयोग किये जा सकते हैं |
. अनार का पंचांग तथा श्वेत सरसों को जल के साथ पीसकर योनी पर लेप करने वाली दुर्भगा स्त्री भी पति को वश में रखती है |यह तभी संभव है जब प्रयोग पूर्व मंत्र सिद्ध हो और प्रयोग पूर्व सम्बन्धित वस्तुओं को मंत्र से सात बार अभिमंत्रित कर लिया जाय |
. गोरोचन ,कुमकुम और केले का रस को पीसकर ,पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर अपने मस्तक पर तिलक करने वाली स्त्री निश्चय ही पति को वशीभूत कर लेती है |
. विष्णुकाँता ,भांगरा ,गोखरू और गोरोचन के सम्मिलित लेप का तिलक करने वाली स्त्री पति का वशीकरण करने में समर्थ होती है |तिलक पूर्व अभिमन्त्रण आवश्यक है |
. मालती के पुष्पों को सरसों के तेल में पकाकर ,उस तेल को अभिमंत्रित कर अपने गुप्तांग में लगाकर जो स्त्री अपने पति के साथ सहवास करती है ,वह अवश्य ही पति को वशीभूत करने में समर्थ होती है |उसका पति भूलकर भी उससे विमुख नहीं होगा और न ही परस्त्री पर आसक्ति रखेगा |
५. अन्धाहुली ,जलमोगरा और रुद्रवंती -इन सबको पीसकर ,मंत्रभिशिक्त कर बाएं हाथ पर लेपकर जो स्त्री पति को दिखायेगी ,तो निश्चित रूप से वशीकरण के प्रयोग में सफल होगी |पति सदा उसके कहने पर चलने वाला होगा |
पत्नी वशीकरण के तंत्र प्रयोग
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पुष्य नक्षत्र में पुनर्नवा तथा रुद्रवंती की जड़ उखाड़ लायें |उन दोनों जड़ों के साथ थोड़े से जौ मिलाकर मंत्र से सात बार अभिमंत्रित करें ,फिर उन्हें किसी पीले रंग के कपडे में लपेटकर धुप दीप दिखाकर अपनी दाहिनी भुजा में बाँध लें |इसके बाद सूर्योदय के समय मूंगे की माला से २० हजार जप कर मंत्र सिद्ध करें |मंत्र सिद्ध हो जाने पर स्त्री वशीकरण सम्बन्धी साधन में प्रयुक्त होने वाली वस्तुओं को उक्त सिद्ध मंत्र द्वारा अभिमंत्रित कर प्रयोग में लाना चाहिए |
मंत्र - ॐ ऐं पूरं क्षोभय भगवती गंभीरा ब्लूं स्वाहा |
. रविवार के दिन काले धतूरे के पुष्प ,शाखा ,लता और जड़ लेकर उसमे कपूर ,केसर और गोरोचन पीसकर मिला दे और तिलक बना दे |सात बार मंत्र से अभिमंत्रित कर इस तिलक को मस्तक पर लगाने से ,स्त्री वश में होती है |
. काकजंघा ,तगर ,केसर और मैनसिल का चूर्ण बनाकर मंत्र अभिमंत्रित कर जिस स्त्री के सर पर डाला जाएगा वह वश में हो जायेगी |यह उत्तम तंत्र प्रयोग है |
. मंगलवार के दिन पान के रस में तालमखाना और मैनसिल पीसकर मंत्र से अभिमंत्रित कर लें |अब इसका तिलक लगाकर जिस स्त्री के सामने जायेंगे वह वश में होगी |

. कमल के पत्र पर गोरोचन से उस स्त्री का नाम लिखकर ,पत्ते को बारीक पीस लें और मंत्राभिशिक्त कर तिलक करें |शनिवार के दिन यह प्रयोग करने से अभीष्ट स्त्री वश में होती है |.............................................................हर हर महादेव  

वनस्पतियों द्वारा वशीकरण मंत्र प्रयोग

वनस्पतियों द्वारा वशीकरण मंत्र प्रयोग
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जब परिस्थितियां विपरीत हो जाएँ और वशीकरण आवश्यक हो जाए ,गृहस्थ जीवन नरक तुल्य होने लगे ,आपसी वैमनस्य होने लगे तो वशीकरण के निम्न प्रयोग किये जा सकते हैं |इसके लिए सर्वप्रथम निम्न दोनों मन्त्रों में से किसी एक को विधि विधानानुसार सिद्ध कर लेना चाहिए |
ॐ क्लीं नमो नारायणाय सर्वलोकं मम् वश्यं कुरु कुरु स्वाहा |
ॐ नमो भगवते उड्डामरेश्वराय मोहय मोहय मिली मिली ठ: ठ: |
शुभ दिन ,शुभ पर्व ,शुभ लग्न अर्थात शुभ मुहूर्त में उत्तर की ओर मुंह कर सूर्योदय के समय ,दोनों में से किसी भी एक मंत्र का मूंगे की माला से जप आरम्भ करे |निश्चित दिनों में ,निश्चित संख्या में जप करते हुए ३० हजार जप पूर्ण करे |इसके बाद हवन करे |इसके बाद निम्न में से किसी भी वनस्पति का प्रयोग करने से पूर्व उसे सात बार अभिमंत्रित करे |
. पुष्य नक्षत्र में बड वृक्ष की मूल लाकर ,मंत्र से अभिमंत्रित करे और पत्थर पर घिसकर ,उसके लेप को चन्दन की भाँती मस्तक पर लगाकर जिसके भी सम्मुख जायेंगे वह अनुकूल कार्य करेगा |
. पुष्य नक्षत्र में ही पुनर्नवा की मूल लाकर मंत्र अभिषिक्त करके दाहिने बाजू पर धारण करने वाला व्यक्ति दूसरों का दिल जीतने में सफल होता है |
. अपामार्ग की मूल को घिसकर माथे पर लेप करने वाला व्यक्ति सबको वश में करने में सफल रहता है |यह प्रयोग रविपुष्य योग में किया जाना चाहिए और पूर्ण अपामार्ग मूल विधिवत तंत्रोक्त पद्धति से निष्काषित -अभिमंत्रित होनी चाहिए |प्रयोग पूर्व सात बार उपरोक्त मंत्र से अभिमन्त्रण होना चाहिए |
. रवि पुष्य योग के दिन सहदेई की मूल लाकर छाया में सुखाकर इसके चूर्ण को मंत्राभिषिक्त कर पान में जिसे खिलाया जाता है उसका वशीकरण होता है |
५. ग्वारपाठा की मूल और विजया के बीजों को पीसकर बनाया गया लेप माथे पर तिलक की भाँती लगाने से वशीकरण का प्रभाव उत्पन्न होता है |इसे लगाने के पूर्व अभिमंत्रित अवश्य करें |
. रविपुष्य योग के दिन विधिवत आमंत्रित -निष्काषित और अभिमंत्रित गूलर की जड़ पत्थर पर घिसकर उपरोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर माथे पर तिलक लगाने से वशीकरण का प्रभाव उत्पन्न होता है |
७. पान के रस में वच पीसकर और उसमे सिन्दूर मिलाकर बनाए गए लेप का अभिमंत्रित तिलक वशिकारक प्रभाव की सृष्टि करता है |
. काले धतूरे के पत्तों का रस निकाल उसमे गोरोचन मिला श्वेत कनेर की कलम से भोजपत्र पर ईष्ट व्यक्ति का नाम लिखें और खैर की लकड़ी की अग्नि पर वह पत्र तपायें तथा मंत्र की एक माला पूर्व में जपें और तपाते समय भी जपें तो अभीष्ट व्यक्ति का आकर्षण होता है |

. रविवार के दिन ब्रह्मदंडी ,वच व उपलेट का चूर्ण अभिमंत्रित कर जिसे पान में खिलाएंगे वह कहे अनुसार कार्य करता है |......................................................हर हर महादेव 

वनस्पतियाँ ,जड़ें और वशीकरण /मोहन

वनस्पतियाँ ,जड़ें और वशीकरण /मोहन
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.हरसिंगार को छाया में सुखाकर शुद्ध गोरोचन में मिलाकर माथे पर तिलक करने से वशीकरण होता है |इस तिलक को यक्षिणी साधना में भी प्रयोग में लाया जाता है |
.पति -पत्नी में मन मुटाव रहने पर हर सिंगार की एक इंच की टहनी को चाँदी के ताबीज में पति -पत्नी दोनों धारण करें तो मन मुटाव समाप्त होता है और आपसी प्रेम -सौहार्द्र बढ़ता है |
.नागदमनी और छुई मुई के पत्तों के रस को गोरोचन में मिलाकर तिलक लगाने से वशीकरण होता है |
.गुडमार की अभिमंत्रित जड़ को मंगलवार को शत्रु के घर में डाल देने से शत्रु वशीभूत होता है |
५.गुडमार की अभिमंत्रित जड़ का चूर्ण प्रेमिका को रविवार या मंगालवार को खिलाने पर प्रेमिका वशीभूत होती है |
.अमरबेल को छाया में सुखाकर ,बारीक पीसकर ,इसमें शुद्ध गोरोचन और काली हल्दी मिलाकर वशीकरण मंत्र से अभिमंत्रित कर ताम्बे के ताबीज में भाटकर गले में धारण करने से अद्भुत वशीकरण होता है |
७.उलटकंबल के पत्ते में २९ तारीख को अपनी प्रेमिका का नाम लिखकर पत्ता सुरक्षित रखने स प्रमिका वश म होती है |
.रविपुष्य योग के दिन सात फूलदार लौंग लेकर उसकी धुप दीप से पूजा कर उसपर दुर्गा के नवार्ण मंत्र का ११०० जप करें |इसके बाद उसी मंत्र के एक माला की संख्या में आहुति दे हवन करें |इन लवंग को सुरक्षित रखें |आवश्यकता होने पर रविवार या मंगलवार को एक लौंग को सात बार पुनः उसी मंत्र से अभिमंत्रित कर अभीष्ट व्यक्ति को खिलाने पर उसका आकर्षण /वशीकरण होता है |
.रविपुष्य योग के दिन नागदौन की जड़ लाकर उसके १०८ टुकड़े कर लाल रंग के धागे में उसकी माला बना लें |माला को दुर्गा ,काली अथवा चामुंडा के मन्त्रों से अभिमंत्रित कर धारण करें तो सामने पड़ने वाले व्यक्तियों का वशीकरण होता है |
१०.रवि पुष्य योग अथवा गुरु पुष्य योग के दिन नागकेशर ,चमेली के फूल ,कूट ,तगर ,कुमकुम लेकर इन्हें खरल में कूटकर चूर्ण बना लें और फिर इसमें शुद्ध गाय का घी मिलाकर लेप तैयार करें |इसको कांच की शीशी में डालकर उसी दिन इसको वशीकरण मंत्र से अभिमंत्रित करें |अभिमन्त्रण के बाद शीशी सुरक्षित कर लें |प्रतिदिन स्नान -पूजन करके इस लेप का तिलक माथे पर लगाने से दिव्य आभा उत्पन्न होती है और देखने वालों पर वाशिकारक प्रभाव पड़ता है |...................................................हर हर महादेव



दाम्पत्य जीवन और वशीकरण

दाम्पत्य जीवन और वशीकरण
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दाम्पत्य जीवन में तंत्र के षटकर्मों में से वशीकरण का प्रयोग ही हमेशा से सबसे आधिक होता रहा है |कारण मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है |मनुष्य की प्रवृत्ति और सामाजिक /पारिवारिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ही प्राचीन ऋषियों -मुनियों ने षट्कर्म की अवधारणा विकसित की थी |इनमे से दाम्पत्य में वशीकरण का प्रयोग अधिक हुआ |स्त्री या पुरुष का मन अक्सर भटकता है और वह कभी भी कहीं भी किसी और से जुड़ सकता है |ऐसे में दाम्पत्य जीवन पर संकट उत्पन्न हो जाता है और वहां बिखराव की स्थिति उत्पन्न होने लगती है |पारिवारिक सदस्यों की स्थिति भी विषम होने लगती है |बहुत कम ऐसे होते हैं जो एक निष्ठ जीवन जीते हैं जबकि अधिकतर को मौका मिले तो मन भटक सकता है |सामाजिक वर्जनाएं कम होने और आधुनिकता के विकास के साथ आधुनिक समय में यह अधिक होने लगा है की कोई किसी और से जुड़ जा रहा है ,जबकि पहले यह सब अधिकतर चोरी छिपे था |इस स्थिति के नियंत्रण के लिए ही सामाजिक वशीकरण को विकसित किया गया था ,यद्यपि वशीकरण तो देवी -देवताओं और लोकेत्तर शक्तियों का भी होता है |
हमसे अथवा अन्य तांत्रिको से संपर्क करने वाली अधिकतर महिलाओं की समस्या कहीं न कहीं उनके दाम्पत्य जीवन से जुडी होती है किसी न किसी रूप से |किसी का पति किसी और के प्रति आकृष्ट होता है अथवा किसी और से जुड़ा होता है तो किसी के पति पर किसी अपने ही द्वारा अथवा किसी और द्वारा कोई तांत्रिक क्रिया की गयी होती है |कोई अपने किसी सहकर्मी से तो कोई अपने किसी अधीनस्थ कर्मचारी से जुड़ा होता है |कोई बिगडैल होता है तो कोई दुर्व्यसनी या नशेडी |कोई किसी की भावना को नहीं समझता तो कोई अपने परिवार वालों को कष्ट देता है |कोई ठीक से कमाता धमाता नहीं तो कोई घर का पैसा उडाता है |कभी कभी यह स्थितियां कुछ पुरुषों के सामने भी उनकी पत्नियों को लेकर उत्पन्न होती हैं |कभी कभी कुछ पुरुष अथवा महिलायें अपने पत्नी या पति के होते हुए भी किसी विवाहित या अविवाहित से सुख की लालसा में खुद संपर्क बना लेते हैं तो कभी कभी कोई उन्हें अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है |इन सभी मामलों में वशीकरण की भूमिका है और इन सभी मामलों में वशीकरण कर व्यक्ति को सुधारा जा सकता है |

जब दाम्पत्य टूटने लगे ,अपना कोई दूर जाने लगे ,किसी और से जुड़ने लगे ,पारिवारिक स्थिति बिगड़ने लगे ,लोगों के भविष्य असुरक्षित होने लगें ,कोई रास्ते से भटकने लगे ,कोई नैतिक रूप से पतित होने लगे तो वशीकरण एक ऐसा माध्यम है जिससे उस व्यक्ति को सुधारा जा सकता है |पुनः अपनी ओर आकृष्ट किया जा सकता है |किसी और से संपर्क हटा पुनः खुद से जोड़ा जा सकता है |पारिवारिक और दाम्पत्य जीवन को बचाने के लिए यह किया जाना पूरी तरह उचित भी है और उपयुक्त भी |इस माध्यम से बिगड़े को सुधारा जा सकता है ,किसी को अपनी ओर आकृष्ट कर उसे वशीभूत कर अपनी बात मनवाई जा सकती है जिससे उसका स्वभाव परिवर्तन भी किया जा सकता है और दुर्गुण ,दुर्व्यसन छुडाया जा सकता है |उसे उसकी जिम्मेदारियों का अहसास कराया जा सकता है |उसे किसी के चंगुल से छुड़ा अपनी ओर मोड़ा जा सकता है |उसे वापस अपनी ओर कर परिवार और दाम्पत्य को बचाया जा सकता है |..............................................हर हर महादेव 

Saturday, 17 February 2018

मोहिनी वटी से मोहन तंत्र क्रिया

मोहिनी वटी से मोहन क्रिया 
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तांत्रिक षट्कर्म में एक कर्म मोहन भी है जिसका अर्थ होता है किसी को मोहित कर लेना |यह आकर्षण और वशीकरण से थोडा भिन्न होता है |आकर्षण में व्यक्ति आकर्षित होता है और वशीकरण में सबकुछ जानते -समझते हुए भी व्यक्ति के प्रभाव में आया हुआ होता है |मोहन में व्यक्ति किसी पर केवल आकर्षित या वशीकृत ही नहीं होता वह उस पर मुग्ध अर्थात मोहित हो जाता है जिससे मोहित करने वाले के हर कार्य में उसे विशेषता नजर आती है ,उसका रूप ,गंध ,स्पर्श ,चिंतन सबकुछ उसे मुग्ध किये रहता है |वह उससे दूर नहीं होना चाहता फलतः उसके द्वारा आदेशित न होने पर भी वह मोहन करने वाले के अनुकूल ही सारे कार्य करता है |उसके सुख -दुःख और भावनाओं तक के प्रति वह संवेदनशील होता है |अधिकतर इस विद्या का प्रयोग महिलायें ही पुरुषों पर करती हैं किन्तु कुछ पुरुष भी महिलाओं पर ऐसे प्रयोग करते या करवाते हैं |
इस पद्धति या तांत्रिक षट्कर्म में विभिन्न प्रकार के प्रयोग किये जाते हैं |इनमे मन्त्रों की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है |इन मन्त्रों में शाबर मंत्र भी हो सकते हैं और तंत्रोक्त मंत्र भी प्रयोग किये जा सकते हैं |मंत्र के अनुसार ही पद्धति प्रयोग की जाती है |प्रयोगानुसार भिन्न भिन्न वस्तुएं अभिमंत्रित की और खिलाई पिलाई जा सकती है |इन्ही वस्तुओं में से एक मोहिनी वटी भी होती है |मोहिनी वटी का निर्माण विभिन्न वस्तुओं को मिश्रित कर किया जाता है जिनमे आकर्षण -वशीकरण और मोहन के मिश्रित प्रभाव होते हैं |इस वटी का प्रभाव व्यक्ति के शरीर की रासायनिक क्रिया पर होता है जिससे उसकी रूचि ,हारमोन -फेरोमोंन के प्रति सम्वेदनशीलता  बदल जाती है |उसे प्रयोगकर्ता की गंध ,हारमोन -फेरोमोन के गंध इतने प्रिय लगने लगते हैं की वह उसके सानिध्य में अपनी सुध बुध खोने लगता है |इसका प्रभाव यह होता है की उसकी चेतना के साथ ही अवचेतन भी प्रभावित होने लगता है फलतः वह मोहनकर्ता से दूर नहीं रहना चाहता |
मंत्र और प्रकृति के अनुसार ही पद्धति का चयन किया जाता है मोहिनी वटी को अभिमंत्रित करने में |यद्यपि यह स्वयम भी प्रभावित करने वाला होता है किन्तु इसे उपयुक्त मंत्र और पद्धति से निश्चित संख्या और अवधि तक अभिमंत्रित कर देने पर यह तीव्र प्रभाव देने वाला और अधिक दिनों तक प्रभाव रखने वाला हो जाता है |अभिमन्त्रण के बाद इसके खिलाये -पिलाए जाने पर इसका प्रभाव लगभग स्थायी हो जाता है |प्रभाव तभी समाप्त होता है जब प्रभावित व्यक्ति किसी उच्च शक्ति के सम्पर्क में आये या उस पर इससे अधिक प्रभाव की शक्ति का प्रयोग किया जाए या किसी तांत्रिक द्वारा इसका प्रभाव समाप्त किया जाए अथवा खिलाया पिलाया निकाला जाए |यही सूत्र सभी खिलाये -पिलाए अभिमंत्रित वस्तुओं का होता है |इसका प्रभाव तब अधिक होता है जब खिलाने वाला खुद इसे अभिमंत्रित करे ||खिलाने -पिलाने के कुछ निश्चित नियम और तरीके होते हैं जिसके अंतर्गत की यह खिलाया -पिलाया जाता है ,सीधे इसे नहीं खिलाया -पिलाया जा सकता |  |.................................................................हर हर महादेव 

वशीकरण और सियारसिंगी

आकर्षण -वशिकरण में सियारसिंगी का उपयोग 
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यह  एक तांत्रिक वस्तु है ,जिसका उपयोग आकर्षण ,वशीकरण,सम्मोहन,सुरक्षा,यश सम्मान बृद्धि ,धन -सम्पदा , ,के लिए किया जा सकता है. |सियार सिंगी का उपयोग शत्रु पराभव ,सामाजिक सम्मान ,शरीर रक्षा ,और श्री संमृद्धि लिए,आकर्षण-वशीकरण -सम्मोहन ,धन संपदा वृद्धि ,सुख-शान्ति प्राप्ति के लिए किया जा सकता है |,किसी शुभ तांत्रिक मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठित और अभिमंत्रित सियार्सिंगी वाद-विवाद ,युद्ध,संकट ,आपदा से बचानेवाला भी सिद्ध होता है ,|,इसके साथ सबसे बड़ी समस्या इसका अधिकतर नकली मिलना है ,असली मिलना मुश्किल होता है ,|,असली की पहचान है की इसे सिंदूर में जब रख दिया जाता है तब सिंदूर पाकर इसके रोम बढ़ने लगते है ,,|इसके बलों को कभी नहीं काटना चाहिए ,|इसे धारण भी किया जा सकता है और घर में भी डिब्बी में सिंदूर और सिक्के के साथ रखा जा सकता है ,कुछ तांत्रिक ग्रंथो के अनुसार इसे स्त्रियों को नहीं छूना चाहिए |
यह बादामी रंग के मुलायम बालों से अवतरित होती है और इसपर एक छोटा सा जाऊ या गेहूं के दाने के बराबर काले रंग का सींग उगा होता है |यह प्रायः आंवले के बराबर होती है जो अधिकाँश गोलाकार ही होती है ,शिकारी और वन्य जातियों के लोग इसे खोजते रहते हैं और जाती विशेष को पहचानकर मारकर उससे प्राप्त कर लेते हैं |यह परम शक्तिशाली और प्रभावकारी वस्तु होती है |तांत्रिक विधि से इसका प्रयोग व्यक्ति के लिए बहुत लाभकारी होता है |यह रक्षा कार्यों में अद्भुत सफलता दायक कहा जाता है ,

इसकी पूजा रवि-पुष्य योग,पुष्य नक्षत्र ,नवरात्री ,अष्टमी,दीपावली ,ग्रहण आदि में होती है और इसपर काली अथवा दुर्गा जी के मन्त्रों का जप किया जाता है |प्रयोगानुसार मंत्र भिन्न हो सकते हैं किन्तु प्राण प्रतिष्ठा -पूजन पद्धति तांत्रिक ही होती है |प्राण प्रतिष्ठा पूजन आदि करके इसे अक्षत-लौंग-सिन्दूर-कपूर-सिक्का  के साथ चांदी  की डिब्बी में सुरक्षित रखा जाता है और आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जाता है |चांदी के स्थान पर पीतल अथवा ताम्बे की डिब्बी भी प्रयुक्त की जा सकती है |यह डिब्बी जहाँ भी रहेगी वहां श्री-समृद्धि प्रदान करेगी |इसे धारण करने वाला व्यक्ति दुर्घटना ,विवाद,युद्ध अथवा अन्य किसी संकट में पड़ने पर तुरंत ही आपदा मुक्त हो जाता है |इस पर धन-संमृद्धि ,वशीकरण,सम्मोहन ,सुरक्षा से सम्बंधित विभिन्न क्रियाएं भी होती है जैसी आवश्यकता हो ,मंत्र और पद्धति बदल जाती है |इसे रखने वाला व्यक्ति जहाँ भी जाता है वहां की स्थिति और वातावरण उसके अनुकूल हो जाता है 
इसके तीव्र और अद्भुत प्रभावों के कारण ही यह हमारे केंद्र द्वारा निर्मित चमत्कारी दिव्य गुटिका /डिब्बी का मुख्य अवयव है जिस पर हमने अपने पूर्व के लेखों में अनेक आकर्षण और वशीकरण के प्रयोग प्रकाशित किये हैं |दिव्य गुटिका पर किये जाने वाले आकर्षण अथवा वशीकरण के प्रयोग इस पर किये जा सकते हैं |इसके द्वारा पति वशीकरण ,पत्नी वशीकरण ,मित्र अथवा शत्रु वशीकरण -आकर्षण ,उच्चाधिकारी अनुकूलन ,प्रेमी -प्रेमिका आकर्षण ,अथवा वशीकरण ,दूरस्थ व्यक्ति का आकर्षण आदि क्रियाएं की जा सकती हैं |जैसा प्रयोग हो ,जैसा मंत्र हो उस अनुसार पद्धति प्रयोग होती है |चूंकि सभी प्रयोग तांत्रिक होते हैं अतः सावधानी अति आवश्यक होती है |बिन निर्देशन के और बिन सब विधि समझे इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए |,,..........................................................हर-हर महादेव

वशीकरण में हत्थाजोड़ी का प्रयोग

हत्था जोड़ी और वशीकरण 
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        यह एक प्रकार की जड़ी [पौधे की जड़ ]है ,परन्तु अपनी अद्भुत रूपाकृति और विचित्र संरचना के कारण किसी पक्षी के पैरों जैसा आभास देता है |यह जड़ अद्भुत चमत्कारों की कारक होती है यदि इसे शुभ मुहूर्त में लाकर विधिवत पूजन -प्राण प्रतिष्ठा करके सिद्ध कर लिया जाए |यह भौतिक जगत की अनेक कठिनाइयों और समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है |
         हत्थाजोड़ी आकार में भले छोटी हो या बड़ी ,लेकिन वह सुडौल ,सम्पूर्ण ,पुष्ट ,आभायुक्त ,आकर्षक और सुदृढ़ होनी चाहिए |छिन्न ,भग्न ,कटी ,टूटी ,छेद्युक्त ,विकृत नहीं होनी चाहिए |यह पानी में भीगने पर खराब हो जाती है अतः इसे पानी से बचाना चाहिए |चूंकि यह सर्वत्र सुलभ नहीं होता ,अतः इसे निमंत्रित करके निकालकर लाना मुश्किल होता है अतः जब जहाँ सही मिल जाए इसे सुरक्षित रख लिया जाए और शुभ मुहूर्त में इसकी पूजा प्राण प्रतिष्ठा की जाए यही उपयुक्त होता है |
        हत्थाजोड़ी में माता चामुंडा का वास माना जाता है |इस जड़ी का सर्वाधिक प्रभाव इसकी सम्मोहंनशीलता है | साधक [व्यक्ति] इसे लेकर कही भी जाये उसका विरोध नहीं होगा |सम्बंधित मनुष्य उसके अनुकूल आचरण और व्यवहार करेगा |इस जड़ी के इसी गुण [सम्मोहनशीलता ]के कारण ही बहुत से लोग इसका प्रयोग प्रेम सम्बन्धी मामलों में भी करते हैं |पति-पत्नी के मामलों में यह अत्यंत उपयोगी भी है और सदुपयोगी भी |सम्मोहन ,आकर्षण और वशीकरण के अतिरिक्त इसका प्रयोग धन वृद्धि ,सुरक्षा ,सौभाग्य वृद्धि ,व्यापार बाधा हटाने आदि में भी किया जाता है और यह सभी प्रयोगों में बेहद प्रभावी भी है | यह तभी प्रभावी होती है जबकि इसे विधिविधान से सिद्ध किया गया हो |यद्यपि यह एक सस्ती किन्तु दुर्लभ वस्तु है पर इसकी सम्पूर्ण विधि पूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा इसे अमूल्य बना देती है |
         दुहथिया की साधना से साधक चामुंडा देवी का कृपापात्र हो जाता है |धारक या साधक यात्रा ,विवाद ,प्रतियोगिता ,साक्षात्कार ,द्युतक्रीडा ,और युद्धादी में यह साधक की रक्षा करके उसे विजय प्रदान करती है |भूत-प्रेत आदि वायव्य बाधाओं का उसे कोई भय नहीं रहता ,धन-संपत्ति देने में भी यह बहुत चमत्कारी सिद्ध होती है |इस पर विभिन्न प्रकार के वशीकरण-आकर्षण-सम्मोहन के प्रयोग किये जाते हैं ,विदेश यात्रा की रुकावटें दूर करने की क्रियाएं होती हैं ,घर की सुरक्षा की क्रियाएं होती हैं ,धन-संपत्ति-आकस्मिक लाभ सम्बन्धी क्रियाएं होती हैं ,व्यापार वृद्धि प्रयोग होते हैं ,मुकदमे में विजय ,विरोधियों की पराजय की क्रियाएं होती है ,,इसे जेब में रखा जाये तो सम्मान-सम्मोहंशीलता-प्रभाव बढ़ता है ,सामने के व्यक्ति का वाकस्तम्भन होता है ,आकस्मिक आय के स्रोत बनते हैं |
आकर्षण ,वशीकरण और मोहन आदि के प्रयोगों में पद्धति ,मंत्र औ उद्देश्य के अनुसार वस्त्र ,आसन ,पत्र ,पुष्प ,नैवेद्य का प्रयोग किया जाता है |इसके समस्त प्रयोग तांत्रिक होते हैं अतः प्रयोगों में अति सावधानी की आवश्यकता होती है |इस पर किये गए प्रयोग बहुत ही शीघ्र प्रभाव दिखाते हैं क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से सम्मोहंशीलता बढाने वाली और आकर्षण -वशीकरण का प्रभाव उत्पन्न करने वाली जड़ी है |इसके इसी गुण के कारण यह हमारे केंद्र द्वारा निर्मित चमत्कारी दिव्य गुटिका का मुख्या अवयव होता है |दिव्य गुटिका पर दिए गए सभी आकर्षण -वशीकरण के प्रयोग इस पर किये जा सकते हैं |इसलिए हम इसके अलग से प्रयोग नहीं लिख रहे |मंत्र आदि का चयन सोच समझकर ,योग्य की परामर्श के बाद ,सम्पूर्ण पद्धति समझकर किया जाना चाहिए |इस पर पति वशीकरण ,पत्नी वशीकरण ,प्रेमी -प्रेमिका वशीकरण ,दूर गए व्यक्ति का आकर्षण ,रूठे को मनाने की क्रिया ,बिगड़े को वशीकृत कर सुधारने की क्रिया ,अधिकारी आकर्षण -वशीकरण आदि बहुत से प्रयोग किये जा सकते हैं |........................................................................हर-हर महादेव 

श्वेतार्क गणपति और वशीकरण

वशीकरण में श्वेतार्क गणपति का प्रयोग 
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श्वेतार्क अर्थात सफ़ेद फूल वाला आक [मदार ]का पौधा एक ऐसा वनस्पति है जो कम देखने में आता है जबकि नीली आभा वाले फूलो वाका आक का पौधा सर्वत्र दीखता है |,श्वेतार्क की जडो का तंत्र जगत में बहुत महत्व है ,|ऐसा मन जाता है की २५ वर्ष पुराने आक के पौधे की जडो में गणपति की आकृति स्वयमेव बन जाती है और जहा ऐसा पौधा होता है वहा सांप भी अक्सर होता है ,|,श्व्तार्क गणपति एक बहुत प्रभावी मूर्ति होती है जिसकी आराधना साधना से सर्वमनोकामना सिद्धि,अर्थलाभ,कर्ज मुक्ति,सुख-शान्ति प्राप्ति ,आकर्षण प्रयोग,वैवाहिक बाधाओं,उपरी बाधाओं का शमन ,वशीकरण ,शत्रु पर विजय प्राप्त होती है ,यद्यपि यह तांत्रिक पूजा है ,|,यदि श्वेतार्क की स्वयमेव मूर्ति मिल जाए तो अति उत्तम है अन्यथा रवि-पुष्य योग में पूर्ण विधि-विधान से श्वेतार्क को आमंत्रित कर रविवार को घर लाकर ,गणपति की मूर्ति बना विधिवत प्राण प्रतिष्ठा कर ,अथवा प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति किसी साधक से प्राप्त कर साधना/उपासना  की जाए तो उपर्युक्त लाभ शीघ्र प्राप्त होते है |,यह एक तीब्र प्रभावी प्रयोग है |.श्वेतार्क गणपति साधना भिन्न प्रकार से भिन्न उद्देश्यों के लिए की जा सकती है |,इसमें मंत्र भी भिन्न प्रयोग किये जाते है |..
श्वेतार्क गणपति की तांत्रिक उपासना द्वारा वशीकरण और आकर्षण की क्रिया भी की जाती है और यह तीव्र प्रभाव दिखाती है |इसके द्वारा किसी पर भी आकर्षण अथवा वशीकरण प्रयोग किये जा सकते हैं |इसक कुछ प्रयोगों को हमने अपने पिछले लेखों में लिखा भी है |हर प्रयोग में व्यक्ति के अनुसार मंत्र भिन्न हो जाता है |प्रयोग विधि भिन्न हो जाती है |इस मूर्ती पर शाबर और तंत्रोक्त दोनों मंत्र प्रयोग किये जा सकते हैं |इस मूर्ती की साधना में वाम मार्गीय पद्धति भी प्रयुक्त हो सकती है और दक्षिण मार्गी पद्धति भी |
श्वेतार्क गणपति द्वारा आकर्षण प्रयोग हेतु रात्री के समय पश्चिम दिशा को,लाल वस्त्र- आसन के साथ हकीक माला से शनिवार के दिन से प्रारंभ कर पांच दिन में पांच हजार जप मंत्र का जप किया जाता है |दुरुपयोग न हो इसलिए हम मंत्र प्रकाशित नहीं कर सकते |,,पूजा में तेल का दीपक ,लाल फूल,गुड आदि का प्रयोग किया जाता है |उपरोक्त प्रयोग किसी के भी आकर्षण हेतु किया जा सकता है |
सर्व स्त्री आकर्षण हेतु श्वेतार्क गणपति प्रयोग ,पूर्व मुख ,पीले आसन पर पीला वस्त्र पहनकर किया जाता है ,पूजन में लाल चन्दन ,कनेर के पुष्प ,अगरबत्ती,शुद्ध घृत का दीपक ,प्रयोग होता है ,,मूगे की माला से इक्यावन दिन में इक्यावन हजार जप मंत्र का किया जाता है जिसे बुधवार से प्रारंभ किया जाता है |
वशीकरण प्रयोग हेतु लाल अथवा श्वेत वस्त्रादि ,आसन ,पत्र पुष्प का प्रयोग मंत्र ,विधि और प्रयोग पद्धति के अनुसार किया जाता है |वशीकरण हेतु इस पर चढ़ाई हुई वस्तुएं अथवा अभिमंत्रित वस्तुएं खिलाने -पिलाने के काम में ली जाती हैं |
आकर्षण अथवा वशीकरण जैसा भी प्रयोग हो उसके पूर्व इसके जानकार से मंत्र आदि लेकर उच्चारण समझ और प्रयोग विधि जानने के बाद ही इन प्रयोगों में उद्यत होना चाहिए |चूंकि प्रयोग तांत्रिक और तीव्र होते हैं अतः सावधानी आवश्यक होती है |............................................................हर हर महादेव 

Thursday, 15 February 2018

सर्वसुखदायक ,सर्वकष्ट निवारक डिब्बी

सर्वसौख्य प्रदायक ,सर्वदुष्प्रभाव नाशक डिब्बी
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महामंगलकारी ,सर्वकष्ट निवारक डिब्बी
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ज्योतिष में ,वैदिक पूजन में ,कर्मकांड में और विशेषकर तंत्र में वनस्पतियों और उनकी जड़ों का प्रयोग वैदिक काल से होता रहा है ,क्योंकि भिन्न वनस्पति भिन्न ग्रहों की रश्मियों /उर्जाओं ,भिन्न अलौकिक शक्तियों ,भिन्न पारलौकिक उर्जाओं को अवशोषित करती है ,उनके गुण रखती है ,उन्हें संगृहीत रखती हैं ,उनसे संतृप्त होती है |इसलिए इनका प्रयोग ग्रह शान्ति ,देवता प्रसन्नता ,दैवीय शक्ति /ऊर्जा प्राप्त करने ,नकारात्मक शक्तियों को हटाने ,अलग अलग शक्तियों को जोड़ने -प्राप्त करने ,शारीरिक ऊर्जा -आभामंडल को सुधारने और विकसित करने ,शारीरिक क्षमता प्राप्त करने में हमेशा से होता रहा है |इनके महत्त्व ,इनके विशेषताओं के कारण ही यह हमारे रूचि का केंद्र रहे हैं |तंत्र और ज्योतिष के वर्षों के शोध और अनुभव के बाद हमने कुछ विशेष जड़ी -बूटियों और वनस्पतियों को एकसाथ जोडकर अर्थात इकठ्ठा रखकर ,उनका पूजन -प्राण प्रतिष्ठा -अभिमन्त्रण कर प्रभाव का आकलन किया और पाया की यह वनस्पतियाँ और जड़ें अद्भुत चमत्कारी सिद्ध हुईं |इन्हें इनके लिए शास्त्रों में निर्दिष्ट मुहूर्त -नक्षत्र में आमंत्रित ,निष्काषित ,प्राण प्रतिष्ठित और अभिमंत्रित किया गया जिससे इनके मौलिक गुण और ग्रह अथवा शक्ति विशेष के लिए सक्रियता बनी रहे और प्रभावी रहें |इनको क्रमशः इनके लिए निर्दिष्ट नियमों के अंतर्गत एकत्र करते हुए पूरे वर्ष भर में इकठ्ठा कर ,साथ में रख पुनः महाविद्या के मन्त्रों से अभिमंत्रित किया गया |इसके बाद इनके प्रभाव का कलां करने पर पाया गया की यह सभी कष्टों ,बाधाओं ,नकारात्मक शक्तियों को हटाने में ,सभी ग्रहों को शांत करने में ,सब प्रकार से मंगल करने में ,सर्वसौख्य प्रदान करने में सक्षम है |
इस डिब्बी के निर्माण की प्रक्रिया में रविवार को आकडे की लकड़ी और जड़ ,बेलपत्र का निचला मोटा भाग [पत्र मूल ],,,सोमवार को पलाश के फूल ,खिरनी की जड़ ,पलाश की लकड़ी ,,,मंगलवार को अनंत मूल की जड़ ,लाल चन्दन का टुकड़ा ,खैर की जड़ ,खैर की लकड़ी ,,,बुधवार को अपामार्ग का पत्ता ,जड़ और लकड़ी ,विधारा की जड़ ,सफ़ेद चन्दन की जड़ या लकड़ी ,दूब ,,,गुरूवार को पीपल की लकड़ी ,पिला चन्दन की जड़ या लकड़ी ,केले की जड़ ,असगंध की जड़ ,कुश की लकड़ी ,,,शुक्रवार को -गूलर की जड़ गूलर की लकड़ी ,सरपंखा की जड़ ,सफ़ेद पलाश के फूल ,,,शनिवार को शमी की जड़ ,शमी की लकड़ी ,बिछुआ पौधे की जड़ ,को लाकर उसी दिन में विधिवत प्राण प्रतिष्ठित किया जाता है और उस ग्रह के मन्त्रों से प्रतिदिन अभिमंत्रित करके इकठ्ठा करते हुए एक डिब्बी में रखते जाया जाता है ,इसके बाद इनमे मृगशिरा नक्षत्र में निष्कासित महुआ की जड़ ,पुष्य नक्षत्र में निष्कासित नागरबेल की जड़ ,अनुराधा नक्षत्र में निष्कासित चमेली की जड़ ,भरणी नक्षत्र में निष्कासित शंखाहुली की जड़ ,हस्त नक्षत्र में निष्कासित चम्पा की जड़ ,मूल नक्षत्र में पुनः निष्कासित गूलर की जड़ ,माघ नक्षत्र में पुनः निष्कासित पीपल की जड़ ,चित्रा नक्षत्र में निष्कासित गुलाब की जड़ और आर्द्रा नक्षत्र में पुनः निष्कासित अर्क की जड़ को इकठ्ठा रखा दिया जाता है |
उपरोक्त वनस्पति योग में रवि पुष्य योग में निष्काषित -प्राण प्रतिष्ठित महायोगेश्वरी की जड़ ,सफ़ेद आक की जड़ ,धतूरा की जड़ ,दूब की जड़ ,पीपल की जड़ ,आम की जड़ ,बरगद की जड़ ,निर्गुन्डी की जड़ ,सहदेई की जड़ ,बेल का जड़ ,गूलर के पत्ते और जड़ ,नागदौन की जड़ ,हरसिंगार की जड़ ,अपराजिता की जड़ ,हत्था जोड़ी [एक जड़ ],लघु नारियल को भी प्राण प्रतिष्ठित कर रखा जाता है ,फिर गुरु पुष्य योग आने पर इसमें उस दिन निष्कासित तथा प्राण -प्रतिष्ठित -अभिमंत्रित  कुष की जड़ ,केले की जड़ ,पीला चन्दन का जड़ या लकड़ी को भी प्राण प्रतिष्ठित -अभिमंत्रित कर इनके साथ मिला दिया जाता है |इस प्रकार इस योग की निर्माण प्रक्रिया पूर्ण होती है |फिर सभी वनस्पतियों और जड़ों से युक्त इस डिब्बी पर बगला ,काली या श्री विद्या के मन्त्रों से २१ दिन अभिमन्त्रण कर हवन करके इसे उसमे ढूपित किया जाता है |इस प्रकार सभी वानस्पतिक जड़ और पत्रादि युक्त यह योग अद्भुत ,चमत्कारी प्रभाव देने वाला हो जाता है |इन्हें एकसाथ संयुक्त इकठ्ठा करके इसमें पीला पारायुक्त सिन्दूर डाल दिया जाता है और ऐसी व्यवस्था रखनी होती है की इसमें जल न जाए ताकि यह वनस्पतियाँ और जड़ें खराब न हों |
उपरोक्त वनस्पतियों का योग सभी ग्रहों का वैदिक रूप से भी और तंत्रोक्त रूप से भी प्रतिनिधित्व करता है |देवताओं -देवियों में गणपति ,विष्णु ,शिव ,हनुमान ,दत्तात्रेय ,काली ,चामुंडा ,लक्ष्मी ,दुर्गा ,सरस्वती का भी प्रतिनिधित्व करता है |इनके अतिरिक्त अनेक स्थानीय शक्तियों ,यक्षिणीयों का भी प्रतिनिधित्व करता है |इस पर सभी प्रकार के पूजा और मंत्र जप किये जा सकते हैं |इसकी सामान्य पूजा भी किसी भी अन्य पूजा से अधिक लाभप्रद होती है |यह व्यक्ति के साथ ही सम्पूर्ण परिवार को सुखी रखता है |सबके ग्रह पीड़ा ,ग्रह दोष शांत होते हैं |घर की नकारात्मक ऊर्जा का क्षय होता है ,नकारात्मक शक्तियां ,भूत -प्रेत घर से पलायन कर जाते हैं |आर्थिक समृद्धि के मार्ग प्रशस्त होते हैं और आय के नए स्रोत उत्पन्न होते हैं |देवताओं की कृपा प्राप्त होती है |प्रतिदिन पूजन में सभी सामग्रियां बाहर ही अर्पित होती हैं मात्र पीला पारायुक्त सिन्दूर ही अन्दर डिब्बी में डाला जाता है |यह सिन्दूर चमत्कारी हो जाता है और इसका तिलक विजयदायी और सम्मोहक होता है |इस डिब्बी पर चामुंडा ,दुर्गा ,काली ,विष्णु ,हनुमान आदि के मंत्र तीव्र प्रभाव दिखाते हैं |इस डिब्बी के प्रभाव से जीवन के सभी पक्षों में उन्नति होती है |
यह योग हमारे वर्षों के खोज का परिणाम है जिसमे पूरे वर्ष सतत दृष्टि वनस्पतियों की खोज और नक्षत्रों क योग पर रखनी होती है ||सम्पूर्ण प्रक्रिया पूर्ण होने पर यह डिब्बी इतनी प्रभावकारी हो जाती है की जहाँ भी इसे रखा जाता है वहां से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा ,नकारात्मक शक्ति ,भूत -प्रेत ,टोने -टोटके -अभिचार का प्रभाव समाप्त होने लगता है |यदि किसी बुरी शक्ति या ऊर्जा को वचन बद्ध या मंत्र बद्ध करके भेजा गया तो वह ही मजबूरी में वहां टिक पाती है अन्यथा सभी बुरी शक्तियाँ वहां से पलायन कर जाती है |इससे वास्तु दोष का शमन होता है ,ग्रह शांत होते हैं ,दैवीय प्रसन्नता होती है ,पित्र दोष का प्रभाव कम होने लगता है ,काल सर्प दोष ,मांगलिक दोष जैसे बुरे ग्रह योग का प्रभाव कम होने लगता है |व्यक्ति के आभामंडल की नकारात्मकता कम होने लगती है |मांगलिक कार्यों में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं |पूजा करने वाले में आकर्षण शक्ति का विकास होता है जबकि पूरे घर -परिवार में सभी को अपने आप लाभ होता है तथा घर -परिवार में सुख -शांति -समृद्धि का विकास होने लगता है ,सबकी उन्नति होने लगती है |
हमारे यहं निर्मित होने वाली चमत्कारी दिव्य गुटिका से यह डिब्बी इस मामले में अलग है की ,इसका मूल प्रभाव शान्ति कारक है और यह सभी ग्रहों ,वातावरणीय ,अभिचारात्मक प्रभावों को शांत कर उन्हें दूर करती है, जबकि दिव्य गुटिका तीव्र प्रतिक्रया करती है तथा व्यक्ति में परिवर्तन लाती है |दिव्य गुटिका में वानस्पतिक जड़ी बूटियों के साथ जंतु उत्पाद भी होते हैं जबकि यह डिब्बी शुद्ध वनस्पतियों और जड़ों पर आधारित है |इसमें नवग्रहों की बाधा और बुरे योग ,भाग्य अवरोध ,वास्तु दोष ,पित्र दोष को ध्यान में रखते हुए जड़ी -बूटियाँ सम्मिलित की गयी हैं जिससे व्यक्ति के साथ समस्त घर और परिवार को समस्या से मुक्ति मिले |चमत्कारी दिव्य गुटिका का निर्माण नकारात्मक शक्तियों को हटाने और व्यावसायिक अथवा व्यक्तिगत उन्नति को दृष्टिगत रखते हुए किया गया है जबकि इस डिब्बी का निर्माण पारिवारिक समृद्धि /सुख ,ग्रह बाधा के साह ही समस्त विघ्नों के नाश को दृष्टिगत रखते हुए किया गया है |इससे सभी प्रकार से सुख मिले ,इसलिए ही इसका नाम हमने सर्वसौख्य प्रदायक डिब्बी रखा है |सभी प्रकार का मंगल हो इसलिए इसका नाम हमने महामंगल दायक डिब्बी रखा है |सभी प्रकार के कष्ट और दुष्प्रभावों का नाश हो इसलिए इसे हम सर्व दुष्प्रभाव नाशक ,सर्व कष्ट निवारक डिब्बी से भी संबोधित कर रहे |यह हमारा व्यक्तिगत शोध है ,जिसपर अनेक पोस्ट हमारे पेजों ,ब्लागों पर आते रहेंगे |किसी अन्य द्वारा इसे अपने नाम से प्रकाशित करना उसके द्वारा पाठकों को धोखा देना होगा |
इस डिब्बी और योग के पूजन मात्र से घर में चोरी की सम्भावना कम हो जाती है ,किसी द्वारा पैसे हडपे जाने की संभावना कम होती है ,रात्रि में बुरे सपने नहीं आते ,दुष्ट व्यक्ति से भय कम हो जाता है और शत्रु भी मित्र बनने लगते हैं ,बुरा व्यक्ति भी प्यार करने लगता है ,उच्च लोग वशीभूत होते हैं ,स्त्री -पुरुष वश में होते है ,भूत -प्रेत बाधा दूर होती है ,दूसरों द्वारा धन प्राप्ति की संभावना बढती है ,विवाद -मुकदमे -परीक्षा -प्रतियोगिता में विजय मिलती है ,व्यक्ति की समय के साथ अतीन्द्रिय शक्ति का विकास होने लगता है और अचानक निकली बातें सच होने लगती हैं ,शारीरिक कष्ट में कमी आती है |सूर्य की अशुभता शांत होती है और पित्र शांत होते हैं ,व्यक्ति का तेज बढने लगता है ,बल -पौरुष की वृद्धि होती है |चन्द्रमा के दुष्प्रभाव शांत होते हैं और शरीर की कान्ति बढती है |मंगल के दोष -मांगलिक आदि प्रभाव से हो रही परेशानी कम होने लगती है ,मांगलिक कार्यों -विवाह आदि में आ रही अडचनें दूर होती हैं |बुध की अशुभता का प्रभाव कम होता है और उससे उत्पन्न समस्याओं का क्षरण होता है |वृहस्पति शांत होता है ,पित्र और विष्णु प्रसन्न होते हैं |शुक्र के दुस्प्राभावों में कमी आती है और शनि जनित समस्या में कमी आने लगती है |कालसर्प दोष के प्रभाव कम होने लगते हैं ,गंभीर और लम्बी बीमारियों से राहत की संभावना बढ़ जाती है |आकस्मिक दुर्घटनाओं ,अकाल मृत्यु की संभावना कम हो जाती है और इनसे होने वाली परेशानी में कमी आ जाती है |व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक होता है ,आस -पास सम्पर्क में आने वाले लोग प्रभावित और वशीभूत होते हैं |वाणी की ओज बढ़ जाती है |तुतलाहट ,घबराहट ,हीन भावना ,चिंता ,शारीरिक -मानसिक अवरोध में कमी आने लगती है |सुख समृद्धि क्रमशः बढती जाती है |आय के नए स्रोत बनते हैं ,सही समय सही निर्णय क्षमता का विकास होता है | यह हमारा व्यक्तिगत शोध है जिसे हमने अपने blog -tantricsolution.blogspot.com पर सर्वप्रथम प्रकाशित किया है |...............................................................हर हर महादेव 

Wednesday, 14 February 2018

जीवन बदल सकता है इन जड़ों और वनस्पतियों से

ये जड़ें और वनस्पतियाँ जीवन बदल देंगी [सर्वमंगल कारक ,सर्वसौख्य प्रदायक डिब्बी ]
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मनुष्य का जीवन वनस्पतियों पर आश्रित है चाहे भोजन हो ,आवास हो अथवा वस्त्र |इन्ही पर समस्त जीव जंतु भी आश्रित हैं |यह इतना ही नहीं करते अपितु अलग अलग वनस्पति अलग अलग ग्रहों की रश्मियों को भी अधिक या कम मात्रा में अवशोषित करती है तथा अलग अलग ग्रहों के प्रभावों को भी संतुलित या प्रभावित करती है |यह भिन्न भिन्न दैवीय शक्तियों के गुणों का भी प्रतिनिधित्व करती हैं |भिन्न भिन्न वनस्पतियों में भिन्न भिन्न शक्तियों के तरंगों और उर्जाओं को अवशोषित और संगृहीत करने की क्षमता होती है |इनकी इन्ही सब विशेषताओं के कारण इनका ग्रहों की शान्ति के लिए भिन्न वनस्पति का भिन्न ग्रह के लिए उपयोग होता है |भिन्न दैवीय शक्ति के प्रतिनिधि रूप में भिन्न वृक्ष /वनस्पति की पूजा होती है |भिन्न ऊर्जा के रूप में भिन्न जड़ें धारण की जाती हैं |वृक्ष /वनस्पति में क्षमता होती है की यह व्यक्ति की भावना को भी पकडती हैं ,शब्दों के तरंग को भी पकडती हैं और व्यक्ति की क्रिया पर भी प्रतिक्रिया करती हैं |यह वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित हो चूका है जिसे भारतीय सनातन ज्ञान हजारों वर्षों से कहता आया है |यह मनुष्य की भावना को एम्प्लीफायर की तरह वातावरण में विस्तार दे देती हैं और लक्ष्य तक पहुँचने में मदद देती हैं |इनके जलने से इनके गुणों के अनुसार विशिष्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है जिसे उपयोग किया जाता रहा है वैदिक पूजन /आराधना में |
तंत्र में भी और ज्योतिष में भी वनस्पतियों का उपयोग वैदिक काल से हो रहा है और यह सीधे प्रभावित करते हैं |तंत्र में इन पर विशेष अनुसंधान हुए हैं और इनका षट्कर्मो में भी उपयोग होता है और व्यक्तिगत साधना में भी |हवन में इनकी लकड़ियों का प्रयोग विशेष मन्त्रों के साथ विशेष ग्रह को अनुकूल करता है तो पूजन में इनकी जड़ों का उपयोग विशिष्ट मन्त्रों से विशिष्ट उर्जा संगृहीत भी करता है और उन्हें प्रक्षेपित भी करता है वातावरण में अपने गुण के अनुसार बदलकर ,जिससे विशेष शक्ति या ऊर्जा समूह के साथ व्यक्ति का जुड़ाव हो जाता है और उसके जीवन पर तदनुरूप प्रभाव पड़ता है |विशेष नक्षत्र में ,विशेष तिथि में ,विशेष मुहूर्त में विशेष वनस्पति के निष्कासन और प्राण प्रतिष्ठा /पूजन से विशिष्ट ऊर्जा का उस वनस्पति का जुड़ाव सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक होता है जिससे वह अधिक प्रभावकारी हो जाता है ,इसीलिए वनस्पतियों का एकत्रीकरण अथवा जड़ों का निष्कासन विशेष मुहूर्त और दिन में करने का निर्देश मिलता है |यहाँ तक की इनकी भावना पकड़ने के गुण के कारण एक दिन पूर्व इन्हें आमंत्रण भी दिया जाता है और निष्कासन में नुकीली अथवा लोहे की वस्तुओं का उपयोग भी नहीं किया जाता |
तंत्र में गंभीर रूचि के कारण वनस्पति तंत्र पर हमारी गहरी दृष्टि रही है और इनका संतुलन बनाते हुए हमने अनेक प्रयोग किये हैं |हमारी बनाई चमत्कारी दिव्य गुटिका /डिब्बी ऐसे ही दुर्लभ जड़ी -बूटियों ,तंत्र की दुर्लभ सामग्रियों का संयुक्त संयोग रहा है जिसके बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं |इसके बाद हमने केवल वनस्पतियों के जड़ों पर अपनी खोज को केन्द्रित करते हुए इनके संयोग से ऐसा संयुक्त योग तैयार किया जो नवग्रह शांति ,उनके दुष्प्रभाव में कमी लाने के साथ ही भिन्न दैवीय शक्तियों का भी प्रतिनिधित्व करता है और व्यक्ति के जीवन की लगभग समस्त समस्याओं में लाभदायक होता है |हमने पाया है की -
यदि ,रविवार को आकडे की लकड़ी और जड़ ,बेलपत्र का निचला मोटा भाग [पत्र मूल ],,,सोमवार को पलाश के फूल ,खिरनी की जड़ ,पलाश की लकड़ी ,,,मंगलवार को अनंत मूल की जड़ ,लाल चन्दन का टुकड़ा ,खैर की जड़ ,खैर की लकड़ी ,,,बुधवार को अपामार्ग का पत्ता ,जड़ और लकड़ी ,विधारा की जड़ ,सफ़ेद चन्दन की जड़ या लकड़ी ,दूब ,,,गुरूवार को पीपल की लकड़ी ,पिला चन्दन की जड़ या लकड़ी ,केले की जड़ ,असगंध की जड़ ,कुष की लकड़ी ,,,शुक्रवार को -गूलर की जड़ गूलर की लकड़ी ,सरपंखा की जड़ ,सफ़ेद पलाश के फूल ,,,शनिवार को शमी की जड़ ,शमी की लकड़ी ,बिछुआ पौधे की जड़ ,को लाकर उसी दिनों में विधिवत प्राण प्रतिष्ठित किया जाय और उस ग्रह के मन्त्रों से प्रतिदिन अभिमंत्रित करके इकठ्ठा करते हुए एक डिब्बी में रखते जाया जाय ,इसके बाद इनमे रवि पुष्य योग में निष्काषित -प्राण प्रतिष्ठित महायोगेश्वरी की जड़ ,सफ़ेद आक की जड़ ,धतूरा की जड़ ,दूब की जड़ ,पीपल की जड़ ,आम की जड़ ,बरगद की जड़ ,निर्गुन्डी की जड़ ,सहदेई की जड़ ,बेल का जड़ ,गूलर के पत्ते और जड़ ,नागदौन की जड़ ,हरसिंगार की जड़ ,अपराजिता की जड़ ,हत्था जोड़ी [एक जड़ ],लघु नारियल को भी रख दिया जाय ,फिर गुरु पुष्य योग आने पर में कुष की जड़ ,केले की जड़ ,पीला चन्दन का जड़ या लकड़ी को भी प्राण प्रतिष्ठित -अभिमंत्रित कर इनके साथ मिला दिया जाय तो यह योग अद्भुत ,चमत्कारी प्रभाव देने वाला हो जाता है |इन्हें एकसाथ संयुक्त इकठ्ठा करके इसमें पीला पारायुक्त सिन्दूर डाल दिया जाता है और ऐसी व्यवस्था रखनी होती है की इसमें जल न जाए ताकि यह वनस्पतियाँ और जड़ें खराब न हों |
उपरोक्त वनस्पतियों का योग सभी ग्रहों का वैदिक रूप से भी और तंत्रोक्त रूप से भी प्रतिनिधित्व करता है |देवताओं -देवियों में गणपति ,विष्णु ,शिव ,हनुमान ,दत्तात्रेय ,काली ,चामुंडा ,लक्ष्मी ,दुर्गा ,सरस्वती का भी प्रतिनिधित्व करता है |इनके अतिरिक्त अनेक स्थानीय शक्तियों ,यक्षिणीयों का भी प्रतिनिधित्व करता है |इस पर सभी प्रकार के पूजा और मंत्र जप किये जा सकते हैं |इसकी सामान्य पूजा भी किसी भी अन्य पूजा से अधिक लाभप्रद होती है |यह व्यक्ति के साथ ही सम्पूर्ण परिवार को सुखी रखता है |सबके ग्रह पीड़ा ,ग्रह दोष शांत होते हैं |घर की नकारात्मक ऊर्जा का क्षय होता है ,नकारात्मक शक्तियां ,भूत -प्रेत घर से पलायन कर जाते हैं |आर्थिक समृद्धि के मार्ग प्रशस्त होते हैं और आय के नए स्रोत उत्पन्न होते हैं |देवताओं की कृपा प्राप्त होती है |प्रतिदिन पूजन में सभी सामग्रियां बाहर ही अर्पित होती हैं मात्र पीला पारायुक्त सिन्दूर ही अन्दर डिब्बी में डाला जाता है |यह सिन्दूर चमत्कारी हो जाता है और इसका तिलक विजयदायी और सम्मोहक होता है |इस डिब्बी पर चामुंडा ,दुर्गा ,काली ,विष्णु ,हनुमान आदि के मंत्र तीव्र प्रभाव दिखाते हैं |इस डिब्बी के प्रभाव से जीवन के सभी पक्षों में उन्नति होती है |यद्यपि इस डिब्बी का निर्माण और जड़ों ,वनस्पतियों का एकत्रीकरण बेहद श्रमसाध्य ,समय लेने वाला और विशेषज्ञता वाला है किन्तु इसे थोड़ी ज्योतिष और तंत्र की समझ और जानकारी रखने वाला बना सकता है जिसे तंत्रोक्त प्रतिष्ठा और अभिमन्त्रण का ज्ञान हो |इससे वह खुद के साथ अनेकों का भला कर सकता है |इस डिब्बी और योग के बारे में अधिक जानकारी हमारे अगले अंकों में प्रकाशित होगी तथा इस डिब्बी का नाम हमने सर्वसौख्य प्रदायक डिब्बी या महा मंगलकारी डिब्बी रखा है |.......................................................हर हर महादेव


महाशंख  

                      महाशंख के विषय में समस्त प्रभावशाली तथ्य केवल कुछ शाक्त ही जानते हैं |इसके अलावा सभी लोग tantra में शंख का प्रयोग इसी...