कौन लोग काला जादू कर सकते हैं ,कौन प्रभावित हो सकता है
----------------------------------------------------
काला जादू मुख्य रूप से कर्ता की मानसिक शक्ति से जुड़ा हुआ है इसलिए काला जादू या Black-Magic से कर्ता जितना ज्यादा जुड़ा होता है उसका असर उतना ही मजबूत होता है। अगर आपको किसी की सच्चाई जाननी है तो उससे बात करे, उसके पास जाए. अगर आप उनसे बात करते है तो उनकी ऊर्जा आपके औरा क्षेत्र को घेरने लगती है. कुछ देर बात करने के बाद अगर आप खुद को अपने नियंत्रण से बाहर महसूस करे, सामने वाले की बातो को नजरअंदाज नहीं कर पाए तो समझ ले की वो आपसे ज्यादा आध्यात्मिक और भौतिक स्तर पर शक्तिशाली है। जब आप ऐसे लोगो के पास जाये तो उनके पास खड़े होने पर आप वातावरण में अनजानी ऊर्जा महसूस होने लगती है। क्यों की इनका औरा क्षेत्र सामान्य क्षेत्र से कही ज्यादा होता है। इसलिए ज्यादा समय इनके साथ बिताने की वजह से आपका आज्ञाचक्र आपकी समझ ख़त्म होने लगती है।आप कमजोर आत्मबल के हैं ,पतले रक्त प्रकृति के हैं ,हीन भावना से ग्रस्त है ,मानसिक दबाव ,तनाव में हैं पूर्णिमा ,अमावस्या के आसपास जन्म है ,सप्तम -अष्टम या लग्न में चन्द्रमा है ,राहू -केतु का आप पर प्रभाव है ,कुलदेवता सुरक्षा नहीं दे रहे ,पित्र असंतुष्ट हैं ,किसी प्रबल ईष्ट की कृपा प्राप्त नहीं हैं ,किन्ही मजार ,चौकी जैसी आत्मिक शक्तियों के स्थान पर जाकर आपने अपनी पारिवारिक दैवीय शक्तियों को रुष्ट कर लिया है तो आपके काले जादू से प्रभावित होने की अधिक संभावना है |
काले जादू के प्रभाव के लक्षण
-----------------------------------
काले जादू का प्रभाव हमेशा दिखे या समझ आये यह जरूरी नहीं |काला जादू को ही तंत्र में अभिचार भी कहा जाता है |इसमें प्रयुक्त शक्ति ,प्रयोग करने वाले साधक की शक्ति के अनुसार ही लक्षण उत्पन्न होते हैं |भेजी जा रही या प्रक्षेपित शक्ति अगर आत्मा रूपी हुई तो उसके प्रभाव तीव्र होते हैं ,जबकि स्वयं यह साधक की अर्जित ऊर्जा रुपी हुई तो इसके प्रभाव धीमे होते हैं ,यद्यपि यह बहुआयामी हो सकते हैं |कभी कभी काले जादू हेतु दैवीय शक्तियों को भी मजबूर किया जाता है और वह मजबूरी में साधक की इच्छाओं से बंधकर किसी का क्षति भी करते हैं |काले जादू के प्रयोग होने पर ,सबकुछ ठीक होने पर भी व्यक्ति को अशुभ लक्षण दिखने लगते हैं ,स्वास्थ्य विपरीत हो सकता है जबकि कोई बीमारी नहीं पकड में आती |अक्सर नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं ,मन उचाट होता है |उद्विग्नता ,तनाव ,चिंता ,हानि ,दुर्घटना ,अपयश अनायास होने लगती है |घर में कलह ,विवाद ,मतभिन्नता .खिन्नता ,उदासी उत्पन्न होता है |व्यक्ति केन्द्रित प्रयोग हो तो व्यक्ति अनायास कष्ट पाता है या अचानक मृत्यु भी पा सकता है |अंग विशेष पर क्रिया हो अथवा पुतली प्रयोग हो तो अंग विशेष में कष्ट अथवा निष्क्रियता आने लगती है |घातक प्रयोगों पर घुटन ,सांस रुकना ,हृदयाघात ,रक्तस्राव ,मानसिक विकलांगता ,दुर्घटना आदि हो सकती है |
काले जादू से बचाव और वापसी
-------------------------------------
काले जादू से बचाव आसान है किन्तु एक बार काले जादू का किसी पर प्रक्षेपण हो जाए तो फिर उसकी समाप्ति या वापसी मुश्किल होती है |इसके लिए सम्बंधित शक्ति अथवा साधक से अधिक शक्ति की आवश्यकता होती है ,जिससे उस शक्ति अथवा साधक को मजबूर कर सके |कुछ काले जादू को वापस नहीं किया जा सकता और उनकी शक्ति को कम अथवा समाप्त करना ही विकल्प होता है |कुछ मामलों में समान्तर जीवनी ऊर्जा अथवा सफ़ेद जादू ,जिससे व्यक्ति की शक्ति बढ़ सके भी करना पड़ जाता है | अगर आपको इनके असर को बेअसर करना है तो पहले इनकी सच्चाई जाने ,प्रकार को समझें ,शक्ति का आकलन हो ,फिर अपने आत्मबल को मजबूत करें ,क्यों की प्राण ऊर्जा और आत्मबल बड़े से बड़े जादू को बेअसर या कमजोर कर सकता है।इसका मूल यह होता है की आत्मबल की मजबूती जीवनी ऊर्जा बढ़ा देती है | अगर हमारी सेहत में गिरावट महसूस की जाती है। इसका मतलब हमारी ऊर्जा का स्तर कम हुआ है। अगर हमें बाह्य प्रभाव को दूर करना है, अगर हमें स्वस्थ जीवन बिताना है तो हमारे प्राण ऊर्जा का स्तर सही रहना जरुरी है। जिसके लिए नियमित ध्यान सबसे अच्छा माध्यम है। ध्यान हमारे प्राण ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है |
काले जादू से बचाव में सात्विक शक्तियाँ बहुत कारगर नहीं होती |यह सकारात्मक या धनात्मक ऊर्जा बढ़ा तो सकती हैं किन्तु न तो यह किसी अभिचार को रोकती हैं न हटाती हैं |धनात्मक ऊर्जा बढने से नकारात्मक ऊर्जा की मात्रा कम जरुर हो जाती है और प्रभाव धीमा हो जाता है किन्तु यह समाप्त नहीं होता और अपना लक्ष्य देर से ही सही पर पूर्ण जरुर करता है |काले जादू से बचाव हेतु उग्र शक्तियों की आराधना ,उपासना कारगर होती हैं |काली ,बगला ,भैरव ,हनुमान ,रूद्र ,दुर्गा आदि की उपासना काले जादू के प्रभाव को रोकती है ,यद्यपि इनकी उपासना सभी सही तरीके से नहीं कर पाते |इन शक्तियों के योग्य साधक द्वारा अभिमंत्रित इनके कवच /ताबीज से काले जादू का प्रभाव रोका जा सकता है ,सीमित किया जा सकता है |
काला जादू यदि व्यक्ति केन्द्रित हो और आत्मिक शक्तियों के साथ भेजी गयी हो अथवा वुडू या पुतली आदि का प्रयोग हो तो त्वरित प्रभाव देता है और इसे रोकना बेहद कठिन होता है ,चूंकि जब तक पता चलता है यह प्रभाव दे चूका होता है या घातक हो जाता है |बेहद ऊच्च स्तर का साधक ही यहाँ सफल हो सकता है |काला जादू यदि परिवार के लिए हो ,व्यवसाय के लिए हो ,सामूहिक हो अथवा केवल पीड़ित /बीमार /अक्षम करने के लिए हो अथवा जिसमे समय सीमा न हो उसे बगला प्रत्यंगिरा ,महा विपरीत प्रत्यंगिरा ,शत चंडी ,बगलामुखी अनुष्ठान ,काली अनुष्ठान ,भैरव अनुष्ठान आदि से समाप्त किया जा सकता है या हटाया जा सकता है |इसके साथ सिद्ध साधक से इन शक्तियों के अभिमंत्रित यन्त्र कवच में धारण करने से शारीरिक हानि की संभावना कम हो जाती है |स्वयं द्वारा अथवा परिवार के लोगों द्वारा किये अनुष्ठान अधिक कारगर होते हैं ,चूंकि ऊर्जा पूर्ण प्राप्त होती है |.....................................................हर-हर महादेव
----------------------------------------------------
काला जादू मुख्य रूप से कर्ता की मानसिक शक्ति से जुड़ा हुआ है इसलिए काला जादू या Black-Magic से कर्ता जितना ज्यादा जुड़ा होता है उसका असर उतना ही मजबूत होता है। अगर आपको किसी की सच्चाई जाननी है तो उससे बात करे, उसके पास जाए. अगर आप उनसे बात करते है तो उनकी ऊर्जा आपके औरा क्षेत्र को घेरने लगती है. कुछ देर बात करने के बाद अगर आप खुद को अपने नियंत्रण से बाहर महसूस करे, सामने वाले की बातो को नजरअंदाज नहीं कर पाए तो समझ ले की वो आपसे ज्यादा आध्यात्मिक और भौतिक स्तर पर शक्तिशाली है। जब आप ऐसे लोगो के पास जाये तो उनके पास खड़े होने पर आप वातावरण में अनजानी ऊर्जा महसूस होने लगती है। क्यों की इनका औरा क्षेत्र सामान्य क्षेत्र से कही ज्यादा होता है। इसलिए ज्यादा समय इनके साथ बिताने की वजह से आपका आज्ञाचक्र आपकी समझ ख़त्म होने लगती है।आप कमजोर आत्मबल के हैं ,पतले रक्त प्रकृति के हैं ,हीन भावना से ग्रस्त है ,मानसिक दबाव ,तनाव में हैं पूर्णिमा ,अमावस्या के आसपास जन्म है ,सप्तम -अष्टम या लग्न में चन्द्रमा है ,राहू -केतु का आप पर प्रभाव है ,कुलदेवता सुरक्षा नहीं दे रहे ,पित्र असंतुष्ट हैं ,किसी प्रबल ईष्ट की कृपा प्राप्त नहीं हैं ,किन्ही मजार ,चौकी जैसी आत्मिक शक्तियों के स्थान पर जाकर आपने अपनी पारिवारिक दैवीय शक्तियों को रुष्ट कर लिया है तो आपके काले जादू से प्रभावित होने की अधिक संभावना है |
काले जादू के प्रभाव के लक्षण
-----------------------------------
काले जादू का प्रभाव हमेशा दिखे या समझ आये यह जरूरी नहीं |काला जादू को ही तंत्र में अभिचार भी कहा जाता है |इसमें प्रयुक्त शक्ति ,प्रयोग करने वाले साधक की शक्ति के अनुसार ही लक्षण उत्पन्न होते हैं |भेजी जा रही या प्रक्षेपित शक्ति अगर आत्मा रूपी हुई तो उसके प्रभाव तीव्र होते हैं ,जबकि स्वयं यह साधक की अर्जित ऊर्जा रुपी हुई तो इसके प्रभाव धीमे होते हैं ,यद्यपि यह बहुआयामी हो सकते हैं |कभी कभी काले जादू हेतु दैवीय शक्तियों को भी मजबूर किया जाता है और वह मजबूरी में साधक की इच्छाओं से बंधकर किसी का क्षति भी करते हैं |काले जादू के प्रयोग होने पर ,सबकुछ ठीक होने पर भी व्यक्ति को अशुभ लक्षण दिखने लगते हैं ,स्वास्थ्य विपरीत हो सकता है जबकि कोई बीमारी नहीं पकड में आती |अक्सर नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं ,मन उचाट होता है |उद्विग्नता ,तनाव ,चिंता ,हानि ,दुर्घटना ,अपयश अनायास होने लगती है |घर में कलह ,विवाद ,मतभिन्नता .खिन्नता ,उदासी उत्पन्न होता है |व्यक्ति केन्द्रित प्रयोग हो तो व्यक्ति अनायास कष्ट पाता है या अचानक मृत्यु भी पा सकता है |अंग विशेष पर क्रिया हो अथवा पुतली प्रयोग हो तो अंग विशेष में कष्ट अथवा निष्क्रियता आने लगती है |घातक प्रयोगों पर घुटन ,सांस रुकना ,हृदयाघात ,रक्तस्राव ,मानसिक विकलांगता ,दुर्घटना आदि हो सकती है |
काले जादू से बचाव और वापसी
-------------------------------------
काले जादू से बचाव आसान है किन्तु एक बार काले जादू का किसी पर प्रक्षेपण हो जाए तो फिर उसकी समाप्ति या वापसी मुश्किल होती है |इसके लिए सम्बंधित शक्ति अथवा साधक से अधिक शक्ति की आवश्यकता होती है ,जिससे उस शक्ति अथवा साधक को मजबूर कर सके |कुछ काले जादू को वापस नहीं किया जा सकता और उनकी शक्ति को कम अथवा समाप्त करना ही विकल्प होता है |कुछ मामलों में समान्तर जीवनी ऊर्जा अथवा सफ़ेद जादू ,जिससे व्यक्ति की शक्ति बढ़ सके भी करना पड़ जाता है | अगर आपको इनके असर को बेअसर करना है तो पहले इनकी सच्चाई जाने ,प्रकार को समझें ,शक्ति का आकलन हो ,फिर अपने आत्मबल को मजबूत करें ,क्यों की प्राण ऊर्जा और आत्मबल बड़े से बड़े जादू को बेअसर या कमजोर कर सकता है।इसका मूल यह होता है की आत्मबल की मजबूती जीवनी ऊर्जा बढ़ा देती है | अगर हमारी सेहत में गिरावट महसूस की जाती है। इसका मतलब हमारी ऊर्जा का स्तर कम हुआ है। अगर हमें बाह्य प्रभाव को दूर करना है, अगर हमें स्वस्थ जीवन बिताना है तो हमारे प्राण ऊर्जा का स्तर सही रहना जरुरी है। जिसके लिए नियमित ध्यान सबसे अच्छा माध्यम है। ध्यान हमारे प्राण ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है |
काले जादू से बचाव में सात्विक शक्तियाँ बहुत कारगर नहीं होती |यह सकारात्मक या धनात्मक ऊर्जा बढ़ा तो सकती हैं किन्तु न तो यह किसी अभिचार को रोकती हैं न हटाती हैं |धनात्मक ऊर्जा बढने से नकारात्मक ऊर्जा की मात्रा कम जरुर हो जाती है और प्रभाव धीमा हो जाता है किन्तु यह समाप्त नहीं होता और अपना लक्ष्य देर से ही सही पर पूर्ण जरुर करता है |काले जादू से बचाव हेतु उग्र शक्तियों की आराधना ,उपासना कारगर होती हैं |काली ,बगला ,भैरव ,हनुमान ,रूद्र ,दुर्गा आदि की उपासना काले जादू के प्रभाव को रोकती है ,यद्यपि इनकी उपासना सभी सही तरीके से नहीं कर पाते |इन शक्तियों के योग्य साधक द्वारा अभिमंत्रित इनके कवच /ताबीज से काले जादू का प्रभाव रोका जा सकता है ,सीमित किया जा सकता है |
काला जादू यदि व्यक्ति केन्द्रित हो और आत्मिक शक्तियों के साथ भेजी गयी हो अथवा वुडू या पुतली आदि का प्रयोग हो तो त्वरित प्रभाव देता है और इसे रोकना बेहद कठिन होता है ,चूंकि जब तक पता चलता है यह प्रभाव दे चूका होता है या घातक हो जाता है |बेहद ऊच्च स्तर का साधक ही यहाँ सफल हो सकता है |काला जादू यदि परिवार के लिए हो ,व्यवसाय के लिए हो ,सामूहिक हो अथवा केवल पीड़ित /बीमार /अक्षम करने के लिए हो अथवा जिसमे समय सीमा न हो उसे बगला प्रत्यंगिरा ,महा विपरीत प्रत्यंगिरा ,शत चंडी ,बगलामुखी अनुष्ठान ,काली अनुष्ठान ,भैरव अनुष्ठान आदि से समाप्त किया जा सकता है या हटाया जा सकता है |इसके साथ सिद्ध साधक से इन शक्तियों के अभिमंत्रित यन्त्र कवच में धारण करने से शारीरिक हानि की संभावना कम हो जाती है |स्वयं द्वारा अथवा परिवार के लोगों द्वारा किये अनुष्ठान अधिक कारगर होते हैं ,चूंकि ऊर्जा पूर्ण प्राप्त होती है |.....................................................हर-हर महादेव
No comments:
Post a Comment