बिल्व पत्र की महत्ता
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विल्व पत्र या बेल पत्र भगवान् शिव को बहुत प्रिय है |कहते हैं शिव को विल्वपत्र चढाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है |विल्व पत्र पेड़ की पत्तियों की खासियत यह है की ये तीन के समूह में मिलती हैं |विल्व वृक्ष को महादेव का रूप माना जाता है |ऐसी मान्यता है की विल्व वृक्ष की जड़ में महादेव का वास रहता है ,इसलिए इस पेड़ की जड़ में महादेव की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं, कहते हैं बिल्व वृक्ष को सींचने से सभी तीर्थों का फल मिल जाता है। हालांकि बिल्वपत्र को हमेशा नहीं तोड़ सकते |
- शिव उपासना के प्रमुख दिन सोमवार को बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिए |
- चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या को बिल्वपत्र नहीं तोडऩा चाहिए |
- किसी माह में संक्राति के दिन भी बिल्वपत्र तोड़ना उचित नहीं है |
अगर इन तिथियों में शिवपूजा में बिल्वपत्र की आवश्यकता हो तो उसके लिए यह नियम है कि, आप शिव पूजा में उपयोग किए गए बिल्वपत्र को फिर से धोकर शिव को अर्पित कर सकते हैं |
पूजा में महत्व- बिल्व वृक्ष या बेल का पेड़ हमारे लिए एक उपयोगी वनस्पति है, जो हमारे कष्टों को दूर करता है | भगवान शिव को बिल्व वृक्ष की पत्तियां चढ़ाने का अर्थ यह होता है कि जीवन में हम भी लोगों के संकट में उनके काम आएं | दूसरों के दुख के समय काम आने वाला व्यक्ति या वस्तु भगवान शिव को प्रिय है |
औषधीय गुण- बिल्वपत्र का सेवन, त्रिदोष, यानी वात (वायु), पित्त (ताप), कफ (शीत) व पाचन क्रिया के दोषों से पैदा बीमारियों से रक्षा करता है | यह त्वचा रोग और डायबिटीज के बुरे प्रभाव बढ़ने से भी रोकता है व तन के साथ मन को भी चुस्त-दुरुस्त रखता है |...........................................................हर-हर महादेव
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