समस्या को पकड़ना मुश्किल ,समस्या से निकलना आसान होता है।
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प्रकृति ने सर्वत्र व्यवस्था संचालन हेतु अपने नियम बना रखे रखे हैं ,सब कुछ इन्ही नियमिन के अनुसार संचालित होता है |प्रकृति कभी असंतुलन बना कर नहीं रखती ।अगर कोई समस्या किसी व्यक्ति के जीवन में उतपन्न होती है तो वह किन्ही क्रियाओं की प्रतिक्रिया होती है ,परिणाम होता है |फिर ,उसका हल भी प्रकृति 99℅ मामलों में जरूर रखती है ।मात्र 1 प्रतिशत वह समस्या होती है ,जो कर्मों का वह परिणाम होती है ,जिसे केवल भुगतना बाकी रहता है ,सुधार का समय बीत चुका होता है ।अधिकतर समस्या का समाधान सदैव उपलब्ध होता है ,किंतु वास्तव में समस्या है कहाँ ,किस कारण यह उतपन्न हुआ है , इसका क्या वास्तविक निराकरण होगा ,सबसे मुश्किल यही पता लगाना होता है ।निराकरण करना या बताना तो आसान होता है ,बशर्ते वास्तविक समस्या की उतपत्ति का कारण पकड़ में आ जाए ।
अधिकतर मामलों में स्थिति नीम हाकिम वाली होती है |जैसे नीम हकीम अक्सर हर मरीज को एक दर्द बुखार निवारक दवा, एक एंटी बायोटिक ,एक स्टेराइड और एक मल्टी विटामिन देकर तात्कालिक राहत दे देता है और व्यक्ति को कुछ राहत मिल जाती है ,भले उसकी इम्युनिटी खराब हो ,दूसरी समस्या उतपन्न हो ।रोग भले दुबारा उतपन्न हो या बढ़ के उतपन्न हो ।जबकि एक विशेषज्ञ एम डी डाक्टर पहले ढेर सारे जांच कराता है ।भारी भरकम फीस लेता है पर दवा सटीक लिखता है जो वास्तव में उसी मर्ज के लिए बना होता है ,और कम भी लिखता है या देता है ।मरीज पूरी तरह उस मर्ज से मुक्त हो जाता है ।ऐसा ही कुछ ज्योतिष और तंत्र क्षेत्र में भी होता है ।
सामान्य ज्योतिषी या तांत्रिक या पंडित हर समस्या में राहु केतु दिखायेगा ,कालसर्प ,मंगली ,साढ़े साती बताएगा ।सबको भूत -प्रेत ,ब्रह्म ,पित्र ,मरी ,अकाल मौत या अभिचार बताएगा ।उपाय के घिसे पिटे दान ,जल प्रवाह ,पूजा ,अनुष्ठान घुमा फिराकर बताता रहेगा ।टोटके ,भस्म ,पानी छिड़कना ,पीना ,अगरबत्ती ,दिया ,मंदिर परिक्रमा ,पीपल ,तुलसी बताता रहेगा सबको घुमा फिराकर ।इन उपायों से नीम हकीम की तरह कुछ राहत कुछ समय तो मिल सकती है पर पूर्ण निदान नहीं हो पाता ।एक विशेषज्ञ ज्योतिषी या तांत्रिक पूरी कुंडली का सूक्ष्म विश्लेषण करेगा ,वास्तु ,पित्र ,कुलदेवता ,अभिचार अथवा किसी वायव्य बाधा ,नकारात्मक ऊर्जा का विश्लेषण और जांच करेगा ,समस्या के मूल कारण खोजेगा ,लक्षणों का विश्लेषण करेगा ,तब जाकर एक दो उपाय बताएगा जो सटीक समस्या पर चोट करेंगे और मुक्ति देंगे ।जाहिर है यह भी विशेषज्ञ डॉक्टर की तरह अच्छी फीस लेगा ,पर वास्तविक विशेषज्ञ निदान भी करेगा ।जब तक कारण पता न हो तब तक सही समाधान पूर्ण रूपेण नहीं हो पाता जबकि कारण पता हो जाए तो समाधान बहुत आसान हो जाता है ।
कौन सी शक्ति या ऊर्जा कहाँ क्या काम करेगी ।किसका कहाँ क्या प्रभाव होगा यह केवल विशेषज्ञ ही जानता है ।किस तरह के कर्म अथवा क्रिया का परिणाम आज की समस्या है ,क्या करने पर इन्हें सुधारा जा सकता है यह जब तक पकड में न आये किसी समस्या को समाप्त नहीं किया जा सकता |सतही उपयों से समस्या को रोक या दबा देना उसे और बढाना होता है जो कुछ ही समय में विस्फोटक हो जाती है और तब फिर उसे सुलझाना मुश्किल हो जाता है |अक्सर शुरू में लोग यही करते हैं ,यहाँ वहां से टोने -टोटके उपाय उठाये और कर डाले ,किसी से भी मुफ्त सलाह की कोशिश की और उसके बताये आधे अधूरे उपाय कर दिए |यह नहीं समझा की इन उपायों ,टोने टोटकों से जो ऊर्जा उत्पन्न हुई वह किस दिशा में काम करेगी |ऐसा तो नहीं यह समस्या को और कुरेद कर उसे बढ़ा रही |लोग ध्यान नहीं देते किन्तु जब तक सही जगह उपयुक्त शक्ति न लगाया जाए समस्या समाप्त नहीं होती |कम शक्ति लगाने पर उसमे और विक्षोभ उत्पन्न होता है जिससे उसकी प्रकृति बिगडती है और समस्या गंभीर हो जाती है |90 प्रतिशत मामलों में लोग शुरूआत में ऐसा ही करते हैं इसी कारण बाद में निराश होते हैं और उनकी समस्या गंभीर हो जाती है |…………………………….हर हर महादेव
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प्रकृति ने सर्वत्र व्यवस्था संचालन हेतु अपने नियम बना रखे रखे हैं ,सब कुछ इन्ही नियमिन के अनुसार संचालित होता है |प्रकृति कभी असंतुलन बना कर नहीं रखती ।अगर कोई समस्या किसी व्यक्ति के जीवन में उतपन्न होती है तो वह किन्ही क्रियाओं की प्रतिक्रिया होती है ,परिणाम होता है |फिर ,उसका हल भी प्रकृति 99℅ मामलों में जरूर रखती है ।मात्र 1 प्रतिशत वह समस्या होती है ,जो कर्मों का वह परिणाम होती है ,जिसे केवल भुगतना बाकी रहता है ,सुधार का समय बीत चुका होता है ।अधिकतर समस्या का समाधान सदैव उपलब्ध होता है ,किंतु वास्तव में समस्या है कहाँ ,किस कारण यह उतपन्न हुआ है , इसका क्या वास्तविक निराकरण होगा ,सबसे मुश्किल यही पता लगाना होता है ।निराकरण करना या बताना तो आसान होता है ,बशर्ते वास्तविक समस्या की उतपत्ति का कारण पकड़ में आ जाए ।
अधिकतर मामलों में स्थिति नीम हाकिम वाली होती है |जैसे नीम हकीम अक्सर हर मरीज को एक दर्द बुखार निवारक दवा, एक एंटी बायोटिक ,एक स्टेराइड और एक मल्टी विटामिन देकर तात्कालिक राहत दे देता है और व्यक्ति को कुछ राहत मिल जाती है ,भले उसकी इम्युनिटी खराब हो ,दूसरी समस्या उतपन्न हो ।रोग भले दुबारा उतपन्न हो या बढ़ के उतपन्न हो ।जबकि एक विशेषज्ञ एम डी डाक्टर पहले ढेर सारे जांच कराता है ।भारी भरकम फीस लेता है पर दवा सटीक लिखता है जो वास्तव में उसी मर्ज के लिए बना होता है ,और कम भी लिखता है या देता है ।मरीज पूरी तरह उस मर्ज से मुक्त हो जाता है ।ऐसा ही कुछ ज्योतिष और तंत्र क्षेत्र में भी होता है ।
सामान्य ज्योतिषी या तांत्रिक या पंडित हर समस्या में राहु केतु दिखायेगा ,कालसर्प ,मंगली ,साढ़े साती बताएगा ।सबको भूत -प्रेत ,ब्रह्म ,पित्र ,मरी ,अकाल मौत या अभिचार बताएगा ।उपाय के घिसे पिटे दान ,जल प्रवाह ,पूजा ,अनुष्ठान घुमा फिराकर बताता रहेगा ।टोटके ,भस्म ,पानी छिड़कना ,पीना ,अगरबत्ती ,दिया ,मंदिर परिक्रमा ,पीपल ,तुलसी बताता रहेगा सबको घुमा फिराकर ।इन उपायों से नीम हकीम की तरह कुछ राहत कुछ समय तो मिल सकती है पर पूर्ण निदान नहीं हो पाता ।एक विशेषज्ञ ज्योतिषी या तांत्रिक पूरी कुंडली का सूक्ष्म विश्लेषण करेगा ,वास्तु ,पित्र ,कुलदेवता ,अभिचार अथवा किसी वायव्य बाधा ,नकारात्मक ऊर्जा का विश्लेषण और जांच करेगा ,समस्या के मूल कारण खोजेगा ,लक्षणों का विश्लेषण करेगा ,तब जाकर एक दो उपाय बताएगा जो सटीक समस्या पर चोट करेंगे और मुक्ति देंगे ।जाहिर है यह भी विशेषज्ञ डॉक्टर की तरह अच्छी फीस लेगा ,पर वास्तविक विशेषज्ञ निदान भी करेगा ।जब तक कारण पता न हो तब तक सही समाधान पूर्ण रूपेण नहीं हो पाता जबकि कारण पता हो जाए तो समाधान बहुत आसान हो जाता है ।
कौन सी शक्ति या ऊर्जा कहाँ क्या काम करेगी ।किसका कहाँ क्या प्रभाव होगा यह केवल विशेषज्ञ ही जानता है ।किस तरह के कर्म अथवा क्रिया का परिणाम आज की समस्या है ,क्या करने पर इन्हें सुधारा जा सकता है यह जब तक पकड में न आये किसी समस्या को समाप्त नहीं किया जा सकता |सतही उपयों से समस्या को रोक या दबा देना उसे और बढाना होता है जो कुछ ही समय में विस्फोटक हो जाती है और तब फिर उसे सुलझाना मुश्किल हो जाता है |अक्सर शुरू में लोग यही करते हैं ,यहाँ वहां से टोने -टोटके उपाय उठाये और कर डाले ,किसी से भी मुफ्त सलाह की कोशिश की और उसके बताये आधे अधूरे उपाय कर दिए |यह नहीं समझा की इन उपायों ,टोने टोटकों से जो ऊर्जा उत्पन्न हुई वह किस दिशा में काम करेगी |ऐसा तो नहीं यह समस्या को और कुरेद कर उसे बढ़ा रही |लोग ध्यान नहीं देते किन्तु जब तक सही जगह उपयुक्त शक्ति न लगाया जाए समस्या समाप्त नहीं होती |कम शक्ति लगाने पर उसमे और विक्षोभ उत्पन्न होता है जिससे उसकी प्रकृति बिगडती है और समस्या गंभीर हो जाती है |90 प्रतिशत मामलों में लोग शुरूआत में ऐसा ही करते हैं इसी कारण बाद में निराश होते हैं और उनकी समस्या गंभीर हो जाती है |…………………………….हर हर महादेव
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