सफ़ेद मूसली
के चमत्कार
यह इतनी पौष्टिक तथा बलवर्धक होती है की इसे दूसरे शब्दों में शिलाजीत की संज्ञा दी गई है। चीन, उत्तरी अमेरिका में पाए जाने वाले मूसली के पौधे जिनका वानस्पतिक नाम पेनेक्स जिंन्सेग है। इन जिंन्सेग से फलेक्स बनाए जाने पर भी कार्य चल रहा है, जो नाश्ते के रूप में इस्तेमाल किए जा सकेंगे। इसके अतिरिक्त इससे मां का दूध बढाने, प्रसव के बाद होने वाली बीमारियों तथा शिथिलता को दूर करने के एव मधुमेह आदि जैसे अनेकों रोगों के निवारण हेतु भी दवाईया बनाई जाती है।सफ़ेद मुसली विटामिन, अल्कलॉइड, प्रोटीन, स्टेरॉयड, कार्बोहाइड्रेट और पॉलीसैकराइड्स से भरपूर होता है।इसमें फाइबर, सैपोनिन, कैल्शियम, पोटैशियम व मैग्नीशियम जैसे पौष्टिक तत्व मौजूद हैं। सफ़ेद मुसली का अंग्रेजी नाम इंडियन स्पाइडर प्लांट है।सफ़ेद मूसली में कई गुण हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। ऐसे ही ज़रूरी सफ़ेद मूसली के लाभ के बारे में हम नीचे लिख रहे हैं।
1. शरीर में ऊर्जा व रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है
यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि सफ़ेद मुसली शरीर की प्रतिरक्षा में सुधार करता है और इसे मजबूत बनाता है। एक अच्छी प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ शरीर रोगों से लड़ सकता है और मजबूत हो सकता है। सफ़ेद मुसली आपके समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और अधिक जीवन शक्ति उत्पन्न करके सामान्य कमजोरी का मुकाबला करता है।
अगर आपको हमेशा सर्दी-ज़ुकाम हो या आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, तो सफ़ेद मूसली का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके सेवन से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है। यह संक्रमण से आपका बचाव करेगी।
अगर आपको अक्सर बदन दर्द की शिकायत बनी रहती है, तो प्रतिदिन सफेद मूसली की जड़ का सेवन फायदेमंद होता है। उच्च रक्तचाप, गठिया रोग में भी यह लाभकारी है। पेशाब में जलन की शिकायत होने पर तो सफेद मूसली की जड़ को पीसकर इलायची के साथ दूध में उबालकर पीना बेहद फायदेमंद होता है। दिन में दो बार इस दूध को पीना लाभदायक होगा।
2. जोड़ों के दर्द और अर्थराइटिस में फायदेमंद
बढ़ती उम्र के साथ लोगों में हड्डियों और जोड़ों की शिकायत भी बढ़ने लगती है। ऐसे में सफ़ेद मूसली के सेवन से अर्थराइटिस, जोड़ों और हड्डियों के दर्द में कुछ हद तक आराम मिल सकता है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट व विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो आपके शरीर और हड्डियों के लिए ज़रूरी होते हैं।
सफ़ेद मुसली में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो जोड़ों के दर्द, गठिया और गठिया के इलाज में बहुत कुशल होते हैं। यह श्लेष द्रव के बनने को प्रभावित करता है और जोड़ों के क्षरण को रोकता है।
सफ़ेद मुसली(Safed Musli)को एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सिडेंट कहा जाता है जो शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है। यह शरीर से मुक्त कणों को खत्म करता है और स्वस्थ बनाता है। यह तनाव मुक्त करने और ऑक्सीडेटिव तनाव संबंधी परेशानियों का इलाज करने में भी मदद करता है।
3.महिलाओं के लिए मूसली अत्यधिक लाभकारी होती है। यह उम्र के असर को कम कर सुन्दरता बढ़ाने में भी मददगार साबित होती है। इसके अलावा अन्य नारी प्रमुख समस्याओं में भी इसका सेवन फायदेमंद होता है। गर्भावस्था में भी सफ़ेद मूसली अच्छी औषधि है। प्रेग्नेंसी में सफ़ेद मूसली का सेवन करने से महिला और होने वाला शिशु स्वस्थ रहता है। सिर्फ़ गर्भावस्था के दौरान ही नहीं, बल्कि डिलीवरी के बाद भी मां मूसली का सेवन करें तो दूध की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होता है। हालांकि, गर्भावस्था में सफ़ेद मूसली का प्रयोग करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह ज़रूर कर ले लें।सफ़ेद मुसली(Safed Musli) एक गलाक्टागोग के रूप में काम करता है। गन्ने, ब्राउन शुगर और जीरा के साथ मिलाने पर यह स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध को बढ़ाता है।सफ़ेद मुसली के लाभों में महिलाओं में फ्रिजिडिटी और योनि के सूखेपन को कम करना भी शामिल है।
4.यह मधुमेह से पीड़ित मरीजों के लिए भी अच्छी औषधि है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीहाइपरग्लिसिमिक (antihyperglycemic) और एंटीडाइबिटिक गुण होते हैं और ये सभी गुण मधुमेह के मरीज़ के उपचार में काम आते हैं। यहां तक कि यह एलोपैथिक दवा गिलबेक्लामाइड (Glibenclamide) से भी ज्यादा फ़ायदेमंद है।हालांकि, यह भी माना जाता है कि यह पतले या कम वज़न वाले मधुमेह के मरीज़ों के लिए ज्यादा फ़ायदेमंद है, वहीं मधुमेह के जो मरीज़ मोटे होते हैं, उस पर इसका असर कम हो सकता है।
5.तनाव को कम करता है
मूसली का सेवन करने से तनाव भी कम होता है। हालांकि, इसका अभी तक कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इसमें मौजूद पोषक तत्व काफ़ी हद तक तनाव को दूर कर मानसिक तौर पर स्वस्थ रखते हैं।
6. नपुंसकता में सहायक
सफेद मुसली (क्लोरोफाइटम बोरिविलिनम एल.) के मूल कंदों के क्लिनिकल मूल्यांकन और वीर्य और टेस्टोस्टेरोन पर इसके प्रभाव के बारे में एक शोध ने निष्कर्ष निकाला कि स्पर्म की गिनती और स्पर्म की गतिशीलता बढ़ाने में सफ़ेद मुसली बहुत प्रभावी है। इसने सीमेन और टेस्टोस्टेरोन के स्तर की मात्रा में भी बहुत महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है।
चाईनीस जर्नल ओफ़ इंटीग्रेटड मेडिसन में प्रकाशित एक रपट के अनुसार पोलीसेकेराईड और सेपोनिन से भरपूर इस जडीबूटी को सेक्सुअल डिसफंक्शन जैसी समस्याओं के निवारण के लिए सटीक माना गया है, इसके क्लिनिकल प्रमाण वाकई चौकाने वाले हैं।आर्काइव्स ओफ़ सेक्सुअल बिहेवियर जर्नल में भी ऐसी ही शोध पर रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी हैं, इसके अलावा सैकडों ऐसे शोधपत्र हैं जिनमें इसके गुणों का बखान किया गया है और अनेक एनिमल स्ट्डीस भी की गयी।
कई शोध ये भी बताते हैं कि डायबिटीज के बाद होने वाली नपुंसकता की शिकायतों में भी सफेद मूसली सकारात्मक असर दिखाती है। सफ़ेद मुसली पुरुषों को शारीरिक तौर पर पुष्ट बनाने के अलावा इनके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बढाने में मददगार है। सफ़ेद मूसली से वीर्य की गुणवत्ता बढ़ती है और नपुंसकता जैसी बीमारी से भी काफ़ी हद तक छुटकारा मिलता है। कई बार मधुमेह या अन्य किसी बीमारी के वजह से इरेक्टाइल डिसफंक्शन (इसमें संभोग के दौरान लिंग उत्तेजित नहीं होता) की आशंका होती है, ऐसे में मूसली के सेवन से इसे ठीक किया जा सकता है। इसका प्रभाव स्पर्म काउंट यानी शुक्राणुओं पर भी होता है, जिससे यौन शक्ति बढ़ती है। शीघ्रपतन में भी इसका उपयोग किया जाता है। सफ़ेद मुसली( Safed Musli) का उपयोग उम्र की वजह से कुछ यौन कठिनाइयों जैसे कि प्रीमैच्योर ईजेकुलेशन और इरेक्टाइल डिसफंक्शन को ठीक करने के लिए किया जाता है। यौन कामेच्छा बढ़ाने के लिए यह जड़ी बूटी एक टॉनिक के रूप में काम करती है।
इस चूर्ण का सेवन लम्बे समय तक करने पर भी किसी तरह की परेशानी नहीं। चाहे वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम हो, नपुंसकता की शिकायत हो या स्वप्नदोष, मूसली हमेशा हर्बल जानकारों द्वारा सुझाई जाती है।सफेद मूसली शीघ्रपतन के देसी इलाज के काफी मशहूर है। कौंच के बीज, सफेद मूसली और अश्वगंधा के बीजों को बराबर मात्रा में मिश्री के साथ मिलाकर बारीक चूर्ण बनाकर एक चम्मच चूर्ण सुबह और शाम एक कप दूध के साथ लेने से शीघ्रपतन और वीर्य की कमी जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं। कामोत्तेजना बढ़ाने में भी मूसली काफी लाभदायक होती है। इसके लिए कौंचबीज चूर्ण, सफेद मूसली, तालमखाना, अश्वगंधा चूर्ण को बराबर मात्रा में तैयार कर 10 ग्राम ठंडे दूध के साथ सेवन करना होता है। ये काफी कारगर नुस्खा माना जाता है।
7.बॉडी बिल्डिंग में मदद करता है
मूसली से शारीरिक शक्ति तो बढ़ती ही है, साथ ही इससे वज़न भी बढ़ता है। अगर कोई अपना वज़न बढ़ाना चाहता है, तो वो मूसली का सेवन कर सकता है। मूसली में मौजूद पोषक तत्व कुपोषण से पीड़ित शरीर को पोषण प्रदान कर वज़न बढ़ने में मददगार साबित होते हैं।
सफ़ेद मुसली(Safed Musli) मांसपेशियों की वृद्धि, टिश्यूओं की बहाली और वसूली से संबंधित लाभ देता है। ये गुण इसे शरीर के सौष्ठव के लिए एक आदर्श पूरक बनाते हैं। सभी बॉडी बिल्डरों को यह सलाह दी जाती है कि वे अपने काम को नियमित करने में सहायता के लिए एक निश्चित मात्रा में सफ़ेद मुसली का सेवन करें।शारीरिक शिथिलता को दूर कर ऊर्जा को बढ़ाने में सफेद मूसली बेहद लाभकारी होती है, यही कारण है कि कई तरह की दवाइयों के निर्माण में सफेद मूसली का प्रयोग किया जाता है।
8.वजन कम करने में मदद करता है
यदि आप वजन कम करना चाहते हैं तो सफेद मुसली का सेवन बहुत मददगार साबित हो सकता है। यह पाचन तंत्र को ठीक रखता है और मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है। यह शरीर को ताकत भी देता है और थकान से छुटकारा पाने में मदद करता है। अगर आपको वज़न घटाना है, तो आप गर्म पानी में आधा चम्मच मूसली पाउडर मिलाकर पिएं। इससे आपका वज़न काफ़ी हद तक कम हो सकता है। वहीं, अगर आपको वज़न बढ़ाना है, तो आप दूध के साथ इसका सेवन कर सकते हैं।
9.पथरी यानि स्टोन की समस्या में सफेद मूसली बहुत कारगर उपाय है। इसे इन्द्रायण की सूखी जड़ के साथ बराबर मात्रा (1-1 ग्राम) में पीसकर, एक गिलास पानी में डालकर खूब मिलाएं। इस मिश्रण को मरीज को हर दिन सुबह पिलाने से महज सात दिन में ही प्रभाव दिखता है। इसके सेवन से बड़ी पथरी भी गल जाती है।
आयुर्वेद ने मुंह के इन्फेक्शन के इलाज में शक्ति या सफद मुसली की व्याख्या की है। सफ़ेद मुसली की जड़ का पाउडर घी में तलकर और गले और मुंह के इन्फेक्शन को कम करने के लिए सेवन किया जाता है।
10.डायरिया का इलाज करता है
सफ़ेद मुसली(Safed Musli) के लाभों में से एक दस्त और पेचिश जैसे पाचन संबंधी मुद्दों से संबंधित है। सफ़ेद मुसली के सेवन से इनसे प्रभावी रूप से निपटा जा सकता है। यहां तक कि शिशुओं में दस्त का इलाज करने के लिए सफ़ेद मुसली की एक छोटी खुराक दी जा सकती है
सफेद मूसली के नुकसान –
हर चीज़ के फ़ायदे और नुकसान दोनों होते हैं। इसलिए, सफ़ेद मूसली के भी फ़ायदे के साथ कुछ नुकसान भी हैं। नीचे हम ऐसे ही कुछ नुकसानों के बारे में आपको बता रहे हैं।
• पचने में वक़्त लगता है, इसलिए पाचन तंत्र पर प्रभाव पड़ सकता है।
• कब्ज़ की परेशानी हो सकती है।
• भूख कम हो सकती है।
• इसकी तासीर ठंडी होती है, इसलिए यह कफ की परेशानी को बढ़ा सकता है।
• त्वचा संबंधी एलर्जी हो सकती है।
सफेद मूसली खाने के तरीके –
इसका सेवन करने से हमें फायदा हो, इसके लिए यह जानना ज़रूरी है कि इसकी कितनी ख़ुराक ली जाए। इसकी खुराक व्यक्ति की उम्र और शरीर पर निर्भर करता है। नीचे हम सफेद मूसली खाने की विधि के बारे में आपको बता रहे हैं। इससे आप आसानी से समझ सकेंगें कि सफ़ेद मूसली का उपयोग कैसे कर सकते हैं ? जानिए क्या है सफ़ेद मूसली खाने का तरीका।
बच्चों को एक ग्राम तक मूसली दे सकते हैं, लेकिन पहले बार सेवन करने के बाद बच्चे को पेट संबंधी या कोई और स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो, तो इसे न दें।
13 से 19 वर्ष के किशोर दो ग्राम तक सफ़ेद मूसली का सेवन कर सकते हैं।
60 वर्ष तक के लोग 6 ग्राम तक मूसली का सेवन कर सकते हैं।वैसे तो गर्भवती महिलाएं या स्तनपान कराने वाली मां दो ग्राम तक मूसली खा सकती है, लेकिन इस बारे में एक बार अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।सफ़ेद मुसली को भोजन के दो घंटे बाद लेना चाहिए।
इसके उपयोग के कई तरीक़े हैं, आप चाहे तो इसका कैप्सूल खा सकते हैं या फिर दूध व शहद के साथ मिलाकर इसके पाउडर का सेवन कर सकते हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे खाना पसंद करेंगे।मूसली बेहद गुणकारी औषधि है। इसका सही मात्रा और सही तरीके से सेवन करने से यह शरीर के लिए वरदान साबित हो सकती है।
एक फार्मास्युटिकल्स कंपनी अपनी वेबसाइट पर ये दावा करते हैं कि मूसली के कोई ज्ञात नकारात्मक साइड इफेक्ट नहीं हैं और क्योंकि यह पूरी तरह कार्बनिक हर्बल सामग्री से बनाया जाता है, इसलिए मानव उपभोग के लिए सुरक्षित है। कंपनी दावा करती है कि इस उत्पाद को उच्च रक्तचाप, रुमेटी गठिया वाले तथा स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी इसका सेवन सुरक्षित है। हालांकि, इस संबंध में उन्होंने कोई चिकित्सकीय प्रमाण नहीं दिया। ……………………………..हर हर महादेव
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भारत प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक धरोहर के साथ जड़ी-बूटियों के लिए भी प्रसिद्ध रहा है। यहां विभिन्न औषधीय पौधे पाए जाते हैं। इसी लिए यहां विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों जैसे, आयुर्वेद, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा आदि प्राचीन काल से ही न केवल चलन में हैं, बल्कि विज्ञान और तकनीक के विकास के बाद भी इनकी प्राथमिकता कम नहीं हुई है। सफेद मूसली भी ऐसी ही एक जड़ी-बूटी है, जो शारीरिक क्षमता बढ़ाने के लिए काफी मशहूर है। यह एक प्रकार का पौधा है, जिसके अंदर छोटे सफ़ेद फूल होते हैं। वैसे तो सफ़ेद मूसली के फ़ायदे अनेक हैं, लेकिन इसका सबसे बड़ा योगदान पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने में और नपुंसकता का इलाज करने में किया जाता है। इसके अलावा भी सफेद मूसली के कई लाभ हैं,सफ़ेद मुसली (क्लोरोफाइटम बोरिविलियनम) एक ऐसा पौधा है जिसका आयुर्वेद में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है क्योंकि इसमें उपचार के गुण हैं। सफ़ेद मुसली के सबसे महत्वपूर्ण लाभों में से एक है यौन कमजोरी और नपुंसकता को ठीक करने की क्षमता है। इसे “भारतीय वियाग्रा” या “हर्बल वियाग्रा” के नामों से भी जाना जाता है| यह इतनी पौष्टिक तथा बलवर्धक होती है की इसे दूसरे शब्दों में शिलाजीत की संज्ञा दी गई है। चीन, उत्तरी अमेरिका में पाए जाने वाले मूसली के पौधे जिनका वानस्पतिक नाम पेनेक्स जिंन्सेग है। इन जिंन्सेग से फलेक्स बनाए जाने पर भी कार्य चल रहा है, जो नाश्ते के रूप में इस्तेमाल किए जा सकेंगे। इसके अतिरिक्त इससे मां का दूध बढाने, प्रसव के बाद होने वाली बीमारियों तथा शिथिलता को दूर करने के एव मधुमेह आदि जैसे अनेकों रोगों के निवारण हेतु भी दवाईया बनाई जाती है।सफ़ेद मुसली विटामिन, अल्कलॉइड, प्रोटीन, स्टेरॉयड, कार्बोहाइड्रेट और पॉलीसैकराइड्स से भरपूर होता है।इसमें फाइबर, सैपोनिन, कैल्शियम, पोटैशियम व मैग्नीशियम जैसे पौष्टिक तत्व मौजूद हैं। सफ़ेद मुसली का अंग्रेजी नाम इंडियन स्पाइडर प्लांट है।सफ़ेद मूसली में कई गुण हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। ऐसे ही ज़रूरी सफ़ेद मूसली के लाभ के बारे में हम नीचे लिख रहे हैं।
1. शरीर में ऊर्जा व रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है
यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि सफ़ेद मुसली शरीर की प्रतिरक्षा में सुधार करता है और इसे मजबूत बनाता है। एक अच्छी प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ शरीर रोगों से लड़ सकता है और मजबूत हो सकता है। सफ़ेद मुसली आपके समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और अधिक जीवन शक्ति उत्पन्न करके सामान्य कमजोरी का मुकाबला करता है।
अगर आपको हमेशा सर्दी-ज़ुकाम हो या आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, तो सफ़ेद मूसली का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके सेवन से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है। यह संक्रमण से आपका बचाव करेगी।
अगर आपको अक्सर बदन दर्द की शिकायत बनी रहती है, तो प्रतिदिन सफेद मूसली की जड़ का सेवन फायदेमंद होता है। उच्च रक्तचाप, गठिया रोग में भी यह लाभकारी है। पेशाब में जलन की शिकायत होने पर तो सफेद मूसली की जड़ को पीसकर इलायची के साथ दूध में उबालकर पीना बेहद फायदेमंद होता है। दिन में दो बार इस दूध को पीना लाभदायक होगा।
2. जोड़ों के दर्द और अर्थराइटिस में फायदेमंद
बढ़ती उम्र के साथ लोगों में हड्डियों और जोड़ों की शिकायत भी बढ़ने लगती है। ऐसे में सफ़ेद मूसली के सेवन से अर्थराइटिस, जोड़ों और हड्डियों के दर्द में कुछ हद तक आराम मिल सकता है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट व विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो आपके शरीर और हड्डियों के लिए ज़रूरी होते हैं।
सफ़ेद मुसली में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो जोड़ों के दर्द, गठिया और गठिया के इलाज में बहुत कुशल होते हैं। यह श्लेष द्रव के बनने को प्रभावित करता है और जोड़ों के क्षरण को रोकता है।
सफ़ेद मुसली(Safed Musli)को एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सिडेंट कहा जाता है जो शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है। यह शरीर से मुक्त कणों को खत्म करता है और स्वस्थ बनाता है। यह तनाव मुक्त करने और ऑक्सीडेटिव तनाव संबंधी परेशानियों का इलाज करने में भी मदद करता है।
3.महिलाओं के लिए मूसली अत्यधिक लाभकारी होती है। यह उम्र के असर को कम कर सुन्दरता बढ़ाने में भी मददगार साबित होती है। इसके अलावा अन्य नारी प्रमुख समस्याओं में भी इसका सेवन फायदेमंद होता है। गर्भावस्था में भी सफ़ेद मूसली अच्छी औषधि है। प्रेग्नेंसी में सफ़ेद मूसली का सेवन करने से महिला और होने वाला शिशु स्वस्थ रहता है। सिर्फ़ गर्भावस्था के दौरान ही नहीं, बल्कि डिलीवरी के बाद भी मां मूसली का सेवन करें तो दूध की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होता है। हालांकि, गर्भावस्था में सफ़ेद मूसली का प्रयोग करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह ज़रूर कर ले लें।सफ़ेद मुसली(Safed Musli) एक गलाक्टागोग के रूप में काम करता है। गन्ने, ब्राउन शुगर और जीरा के साथ मिलाने पर यह स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध को बढ़ाता है।सफ़ेद मुसली के लाभों में महिलाओं में फ्रिजिडिटी और योनि के सूखेपन को कम करना भी शामिल है।
4.यह मधुमेह से पीड़ित मरीजों के लिए भी अच्छी औषधि है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीहाइपरग्लिसिमिक (antihyperglycemic) और एंटीडाइबिटिक गुण होते हैं और ये सभी गुण मधुमेह के मरीज़ के उपचार में काम आते हैं। यहां तक कि यह एलोपैथिक दवा गिलबेक्लामाइड (Glibenclamide) से भी ज्यादा फ़ायदेमंद है।हालांकि, यह भी माना जाता है कि यह पतले या कम वज़न वाले मधुमेह के मरीज़ों के लिए ज्यादा फ़ायदेमंद है, वहीं मधुमेह के जो मरीज़ मोटे होते हैं, उस पर इसका असर कम हो सकता है।
5.तनाव को कम करता है
मूसली का सेवन करने से तनाव भी कम होता है। हालांकि, इसका अभी तक कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इसमें मौजूद पोषक तत्व काफ़ी हद तक तनाव को दूर कर मानसिक तौर पर स्वस्थ रखते हैं।
6. नपुंसकता में सहायक
सफेद मुसली (क्लोरोफाइटम बोरिविलिनम एल.) के मूल कंदों के क्लिनिकल मूल्यांकन और वीर्य और टेस्टोस्टेरोन पर इसके प्रभाव के बारे में एक शोध ने निष्कर्ष निकाला कि स्पर्म की गिनती और स्पर्म की गतिशीलता बढ़ाने में सफ़ेद मुसली बहुत प्रभावी है। इसने सीमेन और टेस्टोस्टेरोन के स्तर की मात्रा में भी बहुत महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है।
चाईनीस जर्नल ओफ़ इंटीग्रेटड मेडिसन में प्रकाशित एक रपट के अनुसार पोलीसेकेराईड और सेपोनिन से भरपूर इस जडीबूटी को सेक्सुअल डिसफंक्शन जैसी समस्याओं के निवारण के लिए सटीक माना गया है, इसके क्लिनिकल प्रमाण वाकई चौकाने वाले हैं।आर्काइव्स ओफ़ सेक्सुअल बिहेवियर जर्नल में भी ऐसी ही शोध पर रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी हैं, इसके अलावा सैकडों ऐसे शोधपत्र हैं जिनमें इसके गुणों का बखान किया गया है और अनेक एनिमल स्ट्डीस भी की गयी।
कई शोध ये भी बताते हैं कि डायबिटीज के बाद होने वाली नपुंसकता की शिकायतों में भी सफेद मूसली सकारात्मक असर दिखाती है। सफ़ेद मुसली पुरुषों को शारीरिक तौर पर पुष्ट बनाने के अलावा इनके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बढाने में मददगार है। सफ़ेद मूसली से वीर्य की गुणवत्ता बढ़ती है और नपुंसकता जैसी बीमारी से भी काफ़ी हद तक छुटकारा मिलता है। कई बार मधुमेह या अन्य किसी बीमारी के वजह से इरेक्टाइल डिसफंक्शन (इसमें संभोग के दौरान लिंग उत्तेजित नहीं होता) की आशंका होती है, ऐसे में मूसली के सेवन से इसे ठीक किया जा सकता है। इसका प्रभाव स्पर्म काउंट यानी शुक्राणुओं पर भी होता है, जिससे यौन शक्ति बढ़ती है। शीघ्रपतन में भी इसका उपयोग किया जाता है। सफ़ेद मुसली( Safed Musli) का उपयोग उम्र की वजह से कुछ यौन कठिनाइयों जैसे कि प्रीमैच्योर ईजेकुलेशन और इरेक्टाइल डिसफंक्शन को ठीक करने के लिए किया जाता है। यौन कामेच्छा बढ़ाने के लिए यह जड़ी बूटी एक टॉनिक के रूप में काम करती है।
इस चूर्ण का सेवन लम्बे समय तक करने पर भी किसी तरह की परेशानी नहीं। चाहे वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम हो, नपुंसकता की शिकायत हो या स्वप्नदोष, मूसली हमेशा हर्बल जानकारों द्वारा सुझाई जाती है।सफेद मूसली शीघ्रपतन के देसी इलाज के काफी मशहूर है। कौंच के बीज, सफेद मूसली और अश्वगंधा के बीजों को बराबर मात्रा में मिश्री के साथ मिलाकर बारीक चूर्ण बनाकर एक चम्मच चूर्ण सुबह और शाम एक कप दूध के साथ लेने से शीघ्रपतन और वीर्य की कमी जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं। कामोत्तेजना बढ़ाने में भी मूसली काफी लाभदायक होती है। इसके लिए कौंचबीज चूर्ण, सफेद मूसली, तालमखाना, अश्वगंधा चूर्ण को बराबर मात्रा में तैयार कर 10 ग्राम ठंडे दूध के साथ सेवन करना होता है। ये काफी कारगर नुस्खा माना जाता है।
7.बॉडी बिल्डिंग में मदद करता है
मूसली से शारीरिक शक्ति तो बढ़ती ही है, साथ ही इससे वज़न भी बढ़ता है। अगर कोई अपना वज़न बढ़ाना चाहता है, तो वो मूसली का सेवन कर सकता है। मूसली में मौजूद पोषक तत्व कुपोषण से पीड़ित शरीर को पोषण प्रदान कर वज़न बढ़ने में मददगार साबित होते हैं।
सफ़ेद मुसली(Safed Musli) मांसपेशियों की वृद्धि, टिश्यूओं की बहाली और वसूली से संबंधित लाभ देता है। ये गुण इसे शरीर के सौष्ठव के लिए एक आदर्श पूरक बनाते हैं। सभी बॉडी बिल्डरों को यह सलाह दी जाती है कि वे अपने काम को नियमित करने में सहायता के लिए एक निश्चित मात्रा में सफ़ेद मुसली का सेवन करें।शारीरिक शिथिलता को दूर कर ऊर्जा को बढ़ाने में सफेद मूसली बेहद लाभकारी होती है, यही कारण है कि कई तरह की दवाइयों के निर्माण में सफेद मूसली का प्रयोग किया जाता है।
8.वजन कम करने में मदद करता है
यदि आप वजन कम करना चाहते हैं तो सफेद मुसली का सेवन बहुत मददगार साबित हो सकता है। यह पाचन तंत्र को ठीक रखता है और मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है। यह शरीर को ताकत भी देता है और थकान से छुटकारा पाने में मदद करता है। अगर आपको वज़न घटाना है, तो आप गर्म पानी में आधा चम्मच मूसली पाउडर मिलाकर पिएं। इससे आपका वज़न काफ़ी हद तक कम हो सकता है। वहीं, अगर आपको वज़न बढ़ाना है, तो आप दूध के साथ इसका सेवन कर सकते हैं।
9.पथरी यानि स्टोन की समस्या में सफेद मूसली बहुत कारगर उपाय है। इसे इन्द्रायण की सूखी जड़ के साथ बराबर मात्रा (1-1 ग्राम) में पीसकर, एक गिलास पानी में डालकर खूब मिलाएं। इस मिश्रण को मरीज को हर दिन सुबह पिलाने से महज सात दिन में ही प्रभाव दिखता है। इसके सेवन से बड़ी पथरी भी गल जाती है।
आयुर्वेद ने मुंह के इन्फेक्शन के इलाज में शक्ति या सफद मुसली की व्याख्या की है। सफ़ेद मुसली की जड़ का पाउडर घी में तलकर और गले और मुंह के इन्फेक्शन को कम करने के लिए सेवन किया जाता है।
10.डायरिया का इलाज करता है
सफ़ेद मुसली(Safed Musli) के लाभों में से एक दस्त और पेचिश जैसे पाचन संबंधी मुद्दों से संबंधित है। सफ़ेद मुसली के सेवन से इनसे प्रभावी रूप से निपटा जा सकता है। यहां तक कि शिशुओं में दस्त का इलाज करने के लिए सफ़ेद मुसली की एक छोटी खुराक दी जा सकती है
सफेद मूसली के नुकसान –
हर चीज़ के फ़ायदे और नुकसान दोनों होते हैं। इसलिए, सफ़ेद मूसली के भी फ़ायदे के साथ कुछ नुकसान भी हैं। नीचे हम ऐसे ही कुछ नुकसानों के बारे में आपको बता रहे हैं।
• पचने में वक़्त लगता है, इसलिए पाचन तंत्र पर प्रभाव पड़ सकता है।
• कब्ज़ की परेशानी हो सकती है।
• भूख कम हो सकती है।
• इसकी तासीर ठंडी होती है, इसलिए यह कफ की परेशानी को बढ़ा सकता है।
• त्वचा संबंधी एलर्जी हो सकती है।
सफेद मूसली खाने के तरीके –
इसका सेवन करने से हमें फायदा हो, इसके लिए यह जानना ज़रूरी है कि इसकी कितनी ख़ुराक ली जाए। इसकी खुराक व्यक्ति की उम्र और शरीर पर निर्भर करता है। नीचे हम सफेद मूसली खाने की विधि के बारे में आपको बता रहे हैं। इससे आप आसानी से समझ सकेंगें कि सफ़ेद मूसली का उपयोग कैसे कर सकते हैं ? जानिए क्या है सफ़ेद मूसली खाने का तरीका।
बच्चों को एक ग्राम तक मूसली दे सकते हैं, लेकिन पहले बार सेवन करने के बाद बच्चे को पेट संबंधी या कोई और स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो, तो इसे न दें।
13 से 19 वर्ष के किशोर दो ग्राम तक सफ़ेद मूसली का सेवन कर सकते हैं।
60 वर्ष तक के लोग 6 ग्राम तक मूसली का सेवन कर सकते हैं।वैसे तो गर्भवती महिलाएं या स्तनपान कराने वाली मां दो ग्राम तक मूसली खा सकती है, लेकिन इस बारे में एक बार अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।सफ़ेद मुसली को भोजन के दो घंटे बाद लेना चाहिए।
इसके उपयोग के कई तरीक़े हैं, आप चाहे तो इसका कैप्सूल खा सकते हैं या फिर दूध व शहद के साथ मिलाकर इसके पाउडर का सेवन कर सकते हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे खाना पसंद करेंगे।मूसली बेहद गुणकारी औषधि है। इसका सही मात्रा और सही तरीके से सेवन करने से यह शरीर के लिए वरदान साबित हो सकती है।
एक फार्मास्युटिकल्स कंपनी अपनी वेबसाइट पर ये दावा करते हैं कि मूसली के कोई ज्ञात नकारात्मक साइड इफेक्ट नहीं हैं और क्योंकि यह पूरी तरह कार्बनिक हर्बल सामग्री से बनाया जाता है, इसलिए मानव उपभोग के लिए सुरक्षित है। कंपनी दावा करती है कि इस उत्पाद को उच्च रक्तचाप, रुमेटी गठिया वाले तथा स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी इसका सेवन सुरक्षित है। हालांकि, इस संबंध में उन्होंने कोई चिकित्सकीय प्रमाण नहीं दिया। ……………………………..हर हर महादेव
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