Thursday, 16 April 2020

महामृत्युंजय उर्ध्वमुख यन्त्र

                      जब किसी रोग की समस्या हो ,शत्रु संकट हो ,विवाद मुकदमे की स्थिति हो ,हानि की आशंका हो ,जन्म कुंडली में ग्रह बाधा हो ,मृत्यु की आशंका कहीं से उत्पन्न हो रही हो ,भूत -प्रेत -वायव्य बाधाएं परेशान कर रही हों ,घर -परिवार में अशांति हो ,अशुभ हो रहा हो ,उन्नति रुकी हो ,पित्रादी के दोष हों तो शुभ मुहूर्त में चांदी ,ताम्बे के पत्र पर अथवा भोजपत्र पर इस यन्त्र की रचना यक्ष कर्दम से अनार की कलम द्वारा करनी चाहिए |इसके बाद यन्त्र को एकांत शुद्ध स्थान में प्रतिष्ठित कर तंत्रोक्त प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए |फिर नियमित रूप से इसकी पूजा करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जप कम से कम रोज एक माला करनी चाहिए |
                              प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात दैनिक मंत्र जप के पूर्व विनियोग और न्यासादी करना विशेष उत्तम रहता है |यदि यह न कर सकें तो नियमित रूप से श्रद्धा पूर्वक यन्त्र की पूजा और मंत्र जप करें |इसके प्रभाव से साधक को शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है |रोग शमन एवं मृत्यु संकट निवारण में इसका अद्वितीय प्रभाव है |
                              उपरोक्त यन्त्र पूजन यन्त्र है जब यन्त्र धारण करने के लिए बनाया जाता है या जब कोई प्रतिदिन पूजन करने और मंत्र जप करने में सक्षम नहीं होता तो धारण करने का यन्त्र उत्तम होता है |इस स्थिति में यन्त्र बनाकर उसके चारो ओर महामृत्युंजय मंत्र लिखकर तब तंत्रोक्त प्राण प्रतिष्ठा की जाती है |प्राण प्रतिष्ठा के बाद संकल्प पूर्वक सभी नियमों का पालन करते हुए ११ दिन में ११ हजार महामृत्युजय यन्त्र का जप किया जाता है जिससे यन्त्र चैतन्य और शक्तिकृत हो जाए |फिर हवन कर उसके धुएं में यन्त्र को धूपित कर चांदी के कवच में धारण किया जाता है |धारण के पहले कवच को भगवान् मृत्युंजय शिव मान पूजन किया जाता है और कवच गले में धारण किया जाता है |यह कवच सभी दोषों ,विकारों ,बाधाओं ,ग्रह दोषों ,आशंकाओं का शमन करने में सक्षम है |जो भी वास्तविक भाग्य में है वह प्राप्त होता है |यदि साथ में रोज एक माला महामृत्युंजय मंत्र का मात्र जप करते रहा जाय तो लाभ कई गुना बढ़ जाता है |किसी प्रकार का नकारात्मक प्रभाव ,अभिचार ,दोष व्यक्ति के भाग्य में बाधक नहीं बन पाता |...................................................हर-हर महादेव 

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