Tuesday 14 April 2020

BLACK MAGIC ;[काला जादू ] क्या है ?

काला जादू [Black Magic]
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                          काला जादू यानि Black Magic हमेशा से एक कोतुहल का विषय रहा है जिसकी वजह रही है इसके मार्ग पर चलने वाले लोगो का जीवन ,जो की रहस्यात्मक और भयात्म्क रहा है । काला जादू,  नकारात्मक ऊर्जा को स्थानांतरित करने का माध्यम है। जिसकी वजह से हम किसी में भी अपनी नकारात्मक ऊर्जा भेज कर उसकी खुद की जीवनी ऊर्जा को नष्ट करते है। लेकिन क्या आप ये जानते है की इतनी बड़ी मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा को कोई कैसे अपने अंदर कण्ट्रोल रख सकता है। और उसे दूसरे में प्रवाहित कर सकता है।
क्या है काला जादू
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जादू शब्द अपने आप में कई तत्वो,चीजो का मिश्रण है जिसे समझना बेहद जरुरी है। काला जादू / जादू आम भाषा में पूजा, इशारो, हाव-भाव और शब्दो के मेल से बनता है। इन सबके मिश्रण से उत्पन्न शक्ति या ऊर्जा को एकाग्रता से एक माध्यम से दूसरे माध्यम में स्थानांतरित किया जाता है। यह ऊर्जा लौकिक ( कर्ता की खुद की ऊर्जा ) और पारलौकिक ( दूसरे आयाम जैसे प्रेत लोक या किसी दूसरे की ऊपरी ऊर्जा ) दोनों ही हो सकती है। जादू की प्रक्रिया में जिन चीजो का महत्व है उनमे से कुछ हाथो की मुद्रा, स्थिति, और निर्देशो का समूह ,वस्तुओं की ऊर्जा ,मन्त्रों की ऊर्जा होता है।
                        काले जादू और सफेद जादू में सबसे बड़ा फर्क यही है की काले जादू की ऊर्जा पारलौकिक योनि के भटकते आत्माओ की ऊर्जा है ,अथवा नकारात्मक विचारों के साथ अहित चाहने की व्यक्ति की ऊर्जा होती है, वही दुसरो और सफ़ेद जादू आध्यात्मिक ध्यान, और आध्यात्मिक ऊर्जा ,सद्विचारों ,किसी का हित चाहने की भावना का रूप है। काले जादू का प्रयोग अपने आप को महत्वपूर्ण दिखाने के लिए, नियत्रण के लिए,किसी का अहित करने के लिए या फिर शक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है | हमारा संसार दोनों ही प्रकृति में बंधा हुआ है। क्यों की हर चीज के पीछे उसका विपरीत रूप का अस्तित्व है।किसी भी ऊर्जा के दोनों पहलु होते हैं |एक ही तरह की ऊर्जा से अहित भी हो सकता है और हित भी हो सकता है |
                            काले जादू की ये परिभाषाए हमें किताबो और इन्टरनेट पर बताई गई है लेकिन असल में सच्चाई से परे इसका और भी गहरा मतलब है जिसे समझना बेहद जरुरी है। इसके पीछे छिपे विज्ञानं के अनुसार ये बहुआयाम की मायाजाल होता है जो हमारे सुनने, देखने, और समझने की क्षमता को अपने असर में ले लेती है। हमारे धर्मगुरु सदियो से हमें इसका ज्ञान देते आये है की कैसे दिखाई ना देने वाली ऊर्जा से बचाव किया जाये।उनका अपने हित में प्रयोग किया जाए |जादू की शक्ति एक जिम्मेदारी भी होती है। मानव सभ्यता के कल्याण मात्र के लिए सदियो से ऐसे महापुरुष होते आये जो इन शक्तियों को जिम्मेदारी से धारण किये हुए है। शायद इसलिए कुछ लोग इन्हें फरिश्ता कहते है कितने आश्चर्य की बात है एक जैसी समझ वाले इंसान के आध्यात्मिक पथ अलग अलग होते है।अधिकतर यह सद्कार्यों में ही शक्ति का प्रयोग करते हैं ,किन्तु इनके साथ ही कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो स्वार्थ से अथवा दुराग्रह से अथवा दुश्मनी आदि से अहित करने हेतु भी शक्ति प्रयोग करते हैं ,इन्ही लोगों के प्रयोग काले जादू की श्रेणी में आते हैं |
काले जादू के सूत्र
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                   काला जादू मुख्य रूप से नकारात्मक ऊर्जा का एक माध्यम से दूसरे माध्यम में स्थानांतरण है जो की मानसिक एकाग्रता और बुरे विचारो पर काम करता है। काले जादू के लिए कर्ता को खुद ऊर्जा को धारण करना होता है। इसलिए काला जादू जितना दुसरो के लिए हानिकारक है उतना ही खुद कर्ता के लिए। काला जादू तभी काम कर सकता है जब कर्ता पूरी तरह से नकारात्मक प्रवृति को अपना लेता है। इसके लिए वो हर उस काम का त्याग करता है जो हमें सात्विक बनाता है। काले जादू की नकारात्मक ऊर्जा ,मानसिक ऊर्जा में बदल कर माध्यम के ऊर्जा क्षेत्र पर दबाव बनाती है. असल में जब 2 ऊर्जा का आपस में टकराव होता है तो जो ज्यादा एकाग्रता से अपना दबाव बनाती है वही दूसरे पर हावी होती है। जब काले जादू की नकारात्मक ऊर्जा माध्यम पर अपना असर डालने लगती है तो शुरुआत में माध्यम अपने आसपास उस ऊर्जा को महसूस करने लगता हैं क्यों की मानसिक ऊर्जा हमारे आज्ञाचक्र को अपने कंट्रोल में लेने की कोशिश करती है।आज्ञा चक्र पर प्रभाव के बाद उस चक्र पर इसका असर होता है जिसे लक्ष्य किया गया होता है ,जिससे सम्बंधित अंग की जीवनी ऊर्जा कम या समाप्त होने लगती है जिससे उसकी क्रियाशीलता कम होने लगती है |ऐसे में हम खुद की ऊर्जा में अथवा सम्बंधित अंग की शक्ति या ऊर्जा में गिरावट महसूस कर सकते है। यदि लक्ष्य जीवनदायी अंगों जैसे ह्रदय  ,मष्तिष्क आदि पर हुआ तो व्यक्ति के प्राण संकट में आ जाते हैं |
                                       अगर काला जादू निम्न स्तर का होता है तो घर के मंदिर में रखा हुआ कलावा, नाळ हाथो में बांध लिया जाए तो ऊर्जा का नियत्रण होने लगता है।किन्तु यदि यह उच्च स्तर का अथवा उच्च स्तर के साधक द्वारा किया गया हो तो यह केवल खुद उच्च स्तर की शक्ति रखने पर ही नियंत्रित की जा सकती है ,जो की सामान्य लोगों के लिए संभव नहीं | जैसे जैसे नकारात्मक ऊर्जा हम पर हावी होने लगती है वैसे वैसे हम खुद को अकेला महसूस करने लगते है उस नकारात्मक ऊर्जा की मात्रा जितनी ज्यादा होती है ऊर्जा साकार होने की संभावना  उतनी ही बढ़ जाती है। जिसका मतलब है हमें प्रत्यक्ष रूप से ऊर्जा शरीर या आकृति दिखने लगती है अथवा यदि यह आत्मिक उर्जा न हुई तो अंग काम करना बंद करने लगते हैं |अक्सर ऐसे समय वैज्ञानिक अथवा चिकित्सकीय रूप से कोई समस्या शरीर के साथ नहीं होती फिर भी स्वास्थय गिरता जाता है अथवा व्यक्ति काल के गाल में समा जाता है ,अथवा किसी अंग से विकृत हो जाता है |.......................................हर हर महादेव 

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