Monday 13 April 2020

क्यों अपना कष्ट खुद दूर नहीं करते ?

पारलौकिक सहारे के लिए क्यूँ भटकते हो ?
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                                सामान्य लोगों में भी और यहाँ तक कि साधकों ,पंडितों ,ज्योतिषियों में भी एक बात अक्सर देखि जाती है ,जब जीवन में संघर्ष उत्पन्न होता है ,जब कष्टों के दौर आते हैं ,जब समस्याएं उत्पन्न होती हैं तो बुद्धि काम करना बंद कर देती है ,कोई उपाय नहीं सूझता या यूँ कहें की कोई उपाय सटीक नहीं लगता ,कभी कभी तो उपाय पर उपाय भी बेकार जाते हैं |विश्वास हिलता है और मान्यताएं मिथक लगती हैं |फिर शुरू होता है लौकिक समस्याओं का समाधान अलुकिक शक्तियों द्वारा हल करने की कोशिशों का दौर और लोग खोजने लगते हैं अपनी समस्या का हल ग्रहों ,पारलौकिक शक्तियों ,देवियों देवताओं में |सामान्य लोगों को तो छोडिये ,खुद को अच्छा ज्योतिषी ,तांत्रिक ,साधक ,पंडित मानने वाला भी यहाँ वहां कारण खोजने लगता है |सामान्य लोग पंडितों ,ज्योतिषियों ,तांत्रिकों के यहाँ चक्कर लगाने लगते हैं और फिर शोषण का एक दौर शुरू हो जाता है |99% को उनकी समस्या का वास्तविक समाधान या तो मिलता नहीं या समाधान हो नहीं पाता |अक्सर आश्वासन और उपाय पर उपाय मिलता है |90% तो साधक ,तांत्रिक ,पंडित भी खुद पर आये समस्या को हल करने में असफल हो जाते हैं |कारण बहुत से होते हैं |कारणों का विश्लेषण करने में कई पोस्ट कम पद जायेंगे ,यद्यपि इन विषयों पर हमने पहले भी बहुत से पोस्ट लिखे हैं और कारण समझाने के प्रयत्न किये हैं |
                          लोगों की स्थिति ,हमसे अक्सर संपर्क करने वाले समस्या पीड़ित अथवा तांत्रिकों ,पंडितों ,ज्योतिषियों द्वारा शोषित जनों की बातें सुनते सुनते हमारा वर्षों पहले से यह मानना रहा है कि ,क्यों हम किसी के पास दौड़ें ,क्यूँ इनके द्वारा शोषित हों ,क्यूँ न खुद के कष्ट हम खुद दूर करें |क्यूँ न इतना सक्षम खुद को बनाएं की समस्या समाप्त हो जाए |क्यूँ न अपनी क्षमता को इतना बढायें कि समस्या छोटी हो जाए |हम इस विचारधारा पर वर्षों से चल रहे हैं और हमें जानने वाले जानते हैं की हम तंत्र साधक होने के बावजूद स्वयं किसी की समस्या हल करने का प्रयास नहीं करते ,अपनी साधना द्वारा प्राप्त ऊर्जा को कुछ पैसों के लिए खर्च करने से बचते रहे हैं |हम सदैव लोगों को साधनाएँ ,पूजा ,उपासना ,उपाय ,तरीके बताने में विश्वास करते रहे हैं ताकि लोग खुद सक्षम हो सकें और अपनी समस्या खुद हल कर सकें |इससे एक लाभ और होता है की एक बेसिक शक्ति व्यक्ति को प्राप्त होती है जो उसके जीवन के हर क्षेत्र में उसकी मदद करती है साथ ही भविष्य में यहाँ वहां किसी के पास भटकने की जरूरत नहीं होती |
                          हमारे इस प्रयास को कुछ ज्योतिषी ,तांत्रिक ,पंडित आदि गलत कह सकते हैं ,अथवा उन्हें लग सकता है की हम उनके व्यवसाय के विरुद्ध काम कर रहे किन्तु फिर भी हमारा मानना है की हर व्यक्ति को खुद सक्षम होना चाहिए चाहे वह कुछ न जानता हो ,कोई पद्धति ,पूजा पाठ न समझता हो |उसे ऐसे सरल तरीके उपलब्ध होने चाहिए की दैवीय ,पारलौकिक ऊर्जा तक उसकी भी पहुँच बन सके और चारो तरफ व्याप्त नकारात्मक शक्तियों से वह यथासंभव बच सके |इसीलिए हम हथियार [सामग्री -यंत्रादी ] उपलब्ध कराते रहे हैं ,उसे चलाने के तरीके [पद्धति -प्रयोग ] बताते रहे हैं किन्तु सदैव युद्ध [क्रिया -उपासना ] व्यक्ति से ही करवाया है क्योकि शत्रु [समस्या ]उनकी है हमारी नहीं |मुक्ति मार्ग की साधना की ऊर्जा को कभी भौतिक लाभ हेतु खर्च करने से हम बचे हैं |
                                 सामान्यतया ईश्वरीय अथवा पारलौकिक शक्तियां अथवा धनात्मक /सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाना ,प्राप्त करना ,इतना भी मुश्किल नहीं जितना कहा जाता है अथवा जितना इन्हें किताबों आदि में कठिन बताया जाता है |शक्ति विशेष की पूर्ण प्राप्ति तो साधना का विषय होती है और इसके लिए जरुर विशेष पद्धति ,कर्मकांड ,नियम आदि होते हैं किन्तु उसी शक्ति की इतनी ऊर्जा जो की सामान्य समस्याएं हल कर सके प्राप्त कर पाना कत्तई बहुत मुश्किल नहीं |बिलकुल सामान्य लोग ,बिलकुल सामान्य तरीके से ,बिलकुल सामान्य जीवन जीते हुए ,कभी किसी परिस्थिति में रहते हुए इतनी ईश्वरीय शक्ति /ऊर्जा पा सकते हैं की उनकी अधिकतर समस्याएं हल हो जाएँ |जैसा की हम जानते हैं और हमने पहले के लेखों में लिखा भी है की अधिकतर समस्याएं विभिन्न प्रकार की नकारात्मक उर्जाओं के कारण उत्पन्न होती हैं .अतः यदि हम सकारात्मक अथवा धनात्मक ऊर्जा की मात्रा बढ़ा दें तो संतुलन हमारे पक्ष में आ सकता है और हमारे जीवन में खुशहाली बढ़ सकती है ,यह कठिन नहीं |यदि हम नकारात्मक ऊर्जा की मात्रा कम कर दें तो भी संतुलन हमारे पक्ष में आ जाएगा और हमारी समस्याएं हल हो जायेगीं |तरीका कोई भी अपनाएँ ,चाहे नकारात्मक ऊर्जा हटायें अथवा धनात्मक ऊर्जा बाधाएं प्रभाव संतुलन पर पड़ेगा और समस्या कम होगी ही |बस जरूरत खुद कोशिश करने की है |बजाय दुसरे का सहारा लेने के खुद का किया प्रयास अधिक लाभ भी देता है ,स्थायी भी होता है और विश्वास भी बढ़ता है |यहाँ अवचेतन का भी सहारा मिलता है जिससे व्यक्ति उस ऊर्जा से जुड़ भी जाता है |
                                    समस्या होने पर व्यक्ति अगर किसी अन्य से जैसे पंडित ,तांत्रिक ,ज्योतिषी आदि से सहयोग लेता है या उस पर छोड़ देता है की वह कुछ क्रियाएं कर देगा और व्यक्ति की समस्या हल हो जायेगी तो यहाँ कई बातें हो सकती हैं जिससे व्यक्ति को पूर्ण लाभ न मिले |प्रथम तो यह की चाहे दूसरा व्यक्ति संकल्प के साथ ही किसी के लिए कोई क्रिया करे ,उसका पूर्ण अंश व्यक्ति तक नहीं पहुँचता ,कुछ अंश क्रिया कने वाले के साथ ही रह जाता है |दूसरा यदि दुसरे व्यक्ति ने शुल्क लेकर भी क्रिया नहीं किया तो व्यक्ति को कोई लाभ नहीं मिलता |तीसरा यदि क्रिया की शक्ति व्यक्ति को प्रभावित कर रही समस्या की शक्ति से कम हुई तो भी लाभ नहीं मिलता |चौथा समस्याग्रस्त खुद उस क्रिया से नहीं जुड़ा होता अतः अतः सम्बंधित ऊर्जा उससे नहीं जुड़ पाती और दीर्धकालिक लाभ नहीं मिलते |पांचवा ,यदि समस्या का कारण अगला व्यक्ति नहीं पकड पाया और भिन्न क्रिया की तो भी लाभ नहीं मिलता |यदि समस्या के कारण की शक्ति उग्र हुई और उसकी शक्ति का आकलन किये बिन उसे छेड़ दिया गया तो वह समस्या और बढ़ा देगा अथवा उपद्रव शुरू कर देगा |इसीतरह अनेक कारण संभव हैं की व्यक्ति को लाभ न मिले |इसी तरह के कारण होते हैं की व्यक्ति यहाँ वहां भटकता रहता है और उसकी समस्या का निराकरण नहीं होता |
                                तो क्यूँ न ऐसा कोई तरीका अपनाया जाए की लाभ भी हो ,प्रतिक्रिया भी न हो ,उपद्रव भी न हो ,किसी द्वारा शोषण की भी गुंजाइश न रहे ,यहाँ वहां भटकना भी न पड़े ,खुद से एक शक्ति या ऊर्जा भी जुड़े ,और समस्या भी हल हो जाए |एक ऐसी शक्ति का साथ मिल जाए जो जीवन भर सहायता करे |यह असंभव नहीं ,मुश्किल नहीं |बहुत कठिन नहीं |सबके लिए संभव है |न इसके लिए शिक्षा महत्त्व रखती है ,न जाती ,सम्प्रदाय ,धर्म |हां हमारे लिए धर्म महत्त्व रखता है ,क्योकि हमें भिन्न धर्म की पद्धति नहीं आती अतः हम केवल हिन्दू का ही मार्गदर्शन कर सकते हैं |कोई भी व्यक्ति किसी स्तर पर हो वह अलौकिक ऊर्जा पा सकता है ,दैवीय कृपा प्राप्त कर सकता है |नकारात्मक ऊर्जा हटा सकता है ,धनात्मक ऊर्जा बढ़ा सकता है ,नकारात्मक शक्ति को दूर कर सकता है ,सकारात्मक शक्ति का सानिध्य पा सकता है और अपने जीवन को खुशहाल बना सकता है ,अपने भाग्य का अधिकतम पा सकता है ,बिलकुल सामान्य नियमों ,तरीकों से |[[ देखें अगला अंक -- गृहस्थ कैसे ईश्वरीय शक्ति प्राप्त करे ]]|
                  इसके लिए खुद खड़े होइए ,खुद प्रयास कीजिये ,बजाय यहाँ वहां दौड़ने के केवल थोडा सा समय निकालिए |बहुत समय ,पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं |खुद नियम से थोड़ी देर की कोशिश आपकी अधिकतर समस्याएं ,कष्ट ,दुःख दूर कर देगा |आप ईश्वरीय सानिध्य ,अलौकिक शक्ति ,जीवनी ऊर्जा ,आत्मविश्वास ,उम्मीद की किरण भी पायेंगे और आपका अवचेतन भी जाग्रत होगा ,शक्तिशाली होगा ,ईश्वरीय ऊर्जा से जुड़ेगा ,जरूरत अनुसार सहायत करेगा |आप यहाँ वहां दौड़ ,निराशा में डूबने से बचेंगे ,फ़ालतू पैसों की बर्बादी से बचेंगे |आप कह सकते हैं अथवा सोच सकते हैं की यह सामान्य लोगों के लिए मुश्किल है ,किन्तु ऐसा नहीं है ,सबकुछ संभव है आप खुद को तैयार तो कीजिये |आप सक्षम होंगे खुद के कष्ट दूर करने में |...................[[क्षमा करें ,तरीका और पद्धति नहीं लिख पा रहे ,क्योंकि पोस्ट लम्बा हो गया है पहले ही |तरीका और पद्धति अगले अंक -- गृहस्थ कैसे ईश्वरीय शक्ति प्राप्त करे ,, में ,, यद्यपि हमने इन विषयों पर पहले भी बहुत कुछ लिखा है ,जिसे आपको पढना चाहिए यदि आपकी रूचि है तो ,इस हेतु आप हमारे blog का अवलोकन करें ]]...........................................................हर-हर महादेव 

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