घर की लक्ष्मी घर नर्क बना दे तो ?
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विवाह के पूर्व हर लड़के के मन में अपने भावी वैवाहिक जीवन और पत्नी को लेकर असंख्य कल्पनाएँ होती हैं ,अनेक भावनाएं होती हैं |कितना भी माडर्न व्यक्ति हो अथवा रुढ़िवादी हो वह अपनी पत्नी को सौम्य ,सरल ,सीधा ,बात मानने वाली ,प्यार करने वाली ,परिवार -खानदान की मर्यादा और संस्कार को समझने योग्य ,चरित्रवान ,समझदार ,सुख दुःख में साथ देने वाली ,सबका सहयोग करने वाली और परिवार को एक सूत्र में बांधकर चलने वाली ,माता -पिता का ध्यान देने वाली कल्पित करता हैं |विवाह पूर्व कोई कलह ,विवाद ,ईगो ,चारित्रिक दोष की कल्पना नहीं कर पाता और सोचता है की पत्नी को अपने अनुकूल ढाल लेगा |विवाह बाद अधिकतर मामलों में इसका उल्टा हो जाता है |आधुनिक समय में लगभग २० प्रतिशत दम्पति अलग हो जाते हैं विभिन्न कारणों से |इनमे यद्यपि प्रतिशत तो अभी पुरुषों की कमी से अलगाव का अधिक है ,तथापि स्त्री के कारण अलगाव का प्रतिशत भी तेजी से बढ़ रहा है |80 प्रतिशत दम्पतियों में से 75 प्रतिशत एडजस्ट करते हैं मजबूरी में एक दुसरे की कमी को देखते समझते हुए भी |केवल 5 प्रतिशत की लाइफ शान्ति से चल पाती है और वे यह कह सकते हैं की उनका पार्टनर सहयोगी है और वह संतुष्ट हैं |इन 5 प्रतिशत को अगर छोड़ दें तो अलग होने वाले मामलों सहित कुल दम्पतियों में से अधिकतर में कलह होता है ,|इनके कारण अलग अलग हो सकते हैं |पति पत्नी दोनों की कमियां इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं ,विभिन्न दोष ,कारण ,प्रभाव इनके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं किन्तु कलह बहुत से मामलों में स्त्री द्वारा ही अधिक किया जाता है |
संस्कार और वातावरण माता -पिता और खानदान का दिया होता है जो वाह्य तौर पर व्यक्ति को एक परिधि में रखता है ,किन्तु जब बात खुद की आती है और स्वतंत्र सोच कार्य करने लगती है तब संस्कार ,वातावरण भूलने लगता है और जो बेसिक नेचर है वह सामने आने लगता है | आज तो माता -पिता ही लगभग स्वतंत्र हो रहे अथवा उनके पास समय ही नहीं की वह बच्चों पर ध्यान दे सकें खानदान से तो बहुतों की दूरी बन चुकी है |ऐसे में जिन कन्याओं पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए उन्हें स्वतंत्र छोड़ दिया जा रहा |कुछ कमियां सोसल मिडिया ,इंटरनेट ,टी वी ,सिनेमा ,डेली सोप और नारी स्वतंत्रता की वकालत करने वाले उत्पन्न कर रहे जिससे संस्कार और गंभीरता का क्षय होता जा रहा और व्यक्तिगत स्वार्थ ,महत्वाकांक्षा ,सहयोग का अभाव ,संवेदनशीलता का अभाव ,संतोष और सहनशीलता का अभाव उत्पन्न हो रहा |आज तो माता -पिता तक अपनी बेटी को सहनशीलता और सहयोग न सिखाकर यह समझाते हैं की अपना हित पहले देखो |अपने कैरियर ,स्वार्थ ,स्वतंत्रता से समझौता जरुरी नहीं |परिणाम होता है की लड़की विवाह पूर्व ही सपने पाल लेती है की वह अकेले रहेगी पति के साथ |उसका पति केवल उसकी सुनेगा ,केवल उसकी बात मानेगा ,सारी कमाई उसे ही देगा ,वह स्वतंत्र रहेगी ,कोई रोक टोक नहीं होगा ,वह अपनी इच्छा से जीवन जियेगी आदि आदि |इन सबसे ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति उत्पन्न हो जाती है की वह सिर्फ अपना हित देखने वाली बन जाती है |कुछ तो पहले से ही इतना स्वतंत्र और मुक्त विचारधारा की होती हैं की वह कोई बात अथवा संस्कार या दबाव मानने को तैयार ही नहीं होती |
इसके बाद शुरू होती है घर के नरक बनने की कहानी |पहले की सोच से जब वर्तमान मेल नहीं खाता तो जबरदस्ती उसे पाने की चाहत उत्पन्न होती है ,अथवा स्वतंत्र होकर खुद का स्वार्थ देखने की भावना पनपती है |स्वभाव न मिलने पर तो कलह होता ही है अथवा एक दुसरे से असंतुष्टि तो कलह कराता ही है ,विभिन्न प्रकार के पूर्वाग्रह इसे और बढ़ा देते हैं |विभिन्न दोष ,कमियां ,किया कराया ,ग्रहीय स्थितियां भी इसे बढाते हैं किन्तु हमारा विषय यह नहीं की यह क्यों होता है ,क्योकि इस पर हम कुछ पोस्ट पहले लिख चुके हैं |आज हम यह देखते हैं की स्थितियां जो भी हो ,इन पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है |यदि पत्नी बिगड़ी है ,या झगड़ालू है ,या स्वार्थी है ,या चारित्रिक रूप से कमजोर है ,असहयोगी है और आपकी मजबूरी भी है की उसे साथ लेकर चलना भी है तो कैसे उसे सुधारा जाए ,कैसे उसे अनुकूल किया जाए ,कैसे उसकी कमियों को हटाया जाए |हमारे पास अक्सर इस तरह के मामले आते रहे हैं चूंकि हम तंत्र और ज्योतिष से जुड़े रहे हैं अतः इसके लिए हमारे कुछ सुझाव हैं |यदि आप या आपका कोई परिचित इस तरीके की समस्या में घिरा हो जहाँ स्त्री के कारण घर नरक बन रहा हो तो यदि आपको उचित लगता है तो अपनी सुविधानुसार आजमायें अथवा उन्हें सुझाएँ ,हमें उम्मीद है की आपकी समस्या सुलझ सकती है |
१. प्रथम कार्य तो यह करें की स्त्री की कुंडली किसी विद्वान् ज्योतिषी को दिखाएँ और उग्रता ,स्वार्थ अथवा कामुकता उत्पन्न करने वाले ग्रह के प्रभाव को सिमित करने का प्रयास करें ,साथ ही ज्योतिषी के परामर्श के अनुसार बौद्धिक स्तर उठाने वाले ,दाम्पत्य सुख दिलाने वाले ग्रह की शक्ति मजबूत करें |
२. अपने घर के वास्तु पर ध्यान दें |स्थान कैसा भी हो ,घर कैसा भी हो उसे ठीक किया जा सकता है ,अतः ऐसी व्यवस्था वास्तु अनुसार करें की शान्ति बढ़े ,तनाव कम हो ,कलह कम हो ,दिमाग पर बोझ न हो |
३. स्त्री को समझने का प्रयत्न करें ,मनोवैज्ञानिक रूप से उसकी विचारधारा ,सोच ,अवचेतन की कुंठाओं को बदलने का प्रयत्न करें |अकस्मात् होने वाली उसके द्वारा प्रतिक्रिया पर ध्यान दें और उसका कारण खोजने का प्रयत्न करें ,यह उसके अवचेतन की कहानी व्यक्त कर देगा |अपनी कमियों पर भी बराबर ध्यान दें |मनोवैज्ञानिक सुझाव और संपर्क बहुत कारगर होते हैं |
४. पत्नी या स्त्री को नीचा दिखाने का प्रयत्न न करें ,न आपके परिवार का कोई ऐसा करे ,यह आक्रोश उत्पन्न करता है |कभी भी उसके मायके की कमियां न निकालें न बुराई करें |मायका कैसा भी हो पत्नी के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है |उसे बच्चों के उदाहरण आदि पर समझाएं की हम जो संस्कार आज अपने बच्चों के सामने अपने माता -पिता के प्रति दिखाएँगे वह उनका अनुसरण कर सकते हैं |
५. पत्नी या स्त्री की किसी से तुलना न करें |उसके साथ कुछ समय जरुर प्यार से बिताएं |उसकी थोड़ी प्रशंशा भी करें |उसकी कमियों पर झुंझलायें नहीं अपितु किसी और तरीके से उसे ही महसूस करने दें की उसमे यह कमी है | प्रशंशा बहुत अधिक भी न करें उसकी हर समय की वह खुद को ही सबसे ऊपर मानने लगे |
६. स्त्री से मिलने जुलने वालों और उसको सुझाव देने वालों पर ध्यान दें |उसके द्वारा की जा रही तुलना अथवा दिए जा रहे उदाहरण को समझने का प्रयत्न करें ,क्यों और किस ओर यह इशारा कर रहे |उसके बाद अपनी प्रतिक्रिया संतुलित रूप से दें |
७. यह देखें की विवाह पूर्व अथवा बाद में किसी द्वारा किसी स्वार्थ के लिए अथवा अपने दोष हटाने के लिए किसी द्वारा कोई तांत्रिक क्रिया तो नहीं की गयी आपके दाम्पत्य जीवन पर अथवा स्त्री पर | इससे भी कलह होता है और विभिन्न कमियां उत्पन्न हो जाती है |
८. अपने पितरों ,कुलदेवता आदि की स्थिति पता करें की वे संतुष्ट हैं की नहीं ,उनकी पूजा ठीक से हो रही की नहीं |जो परिवारीजन अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए हैं उनकी शान्ति के प्रयत्न करें ,पितरों को श्राद्धादी से संतुष्ट करें और कुलदेवता की वार्षिक पूजा सुनिश्चित कराएं |इनके कारण भी पारिवारिक माहौल बिगड़ता है और अभाव ,कमियां लोगों में उत्पन्न होती हैं |
९. ज्यादा टोटके न आजमायें ,न ही बार बार अलग -अलग ज्योतिषी की सलाह लें |एक बार ही खूब सोच समझकर सलाह लें और उपाय करें |हर वस्तु की अपनी ऊर्जा होती है |यदि सही स्थान पर न लगे तो व्यतिक्रम भी उत्पन्न होता है |
१०. पत्नी या स्त्री पर किसी नकारात्मक शक्ति ,किये कराये ,टोने -टोटके ,वशीकरण ,कोख बंधन आदि का प्रभाव लगे तो उसे किसी उग्र शक्ति जैसे काली ,तारा ,कामाख्या के यन्त्र इनके सिद्ध साधक से बनवाकर और कम से कम २१००० मन्त्रों से अभिमंत्रित करा कवच में धारण कराएं |ऐसी शक्तियों के यन्त्र न धारण कराएं जिनमे अशुद्धि का डर हो क्योकि स्त्री बार बार अशुद्ध होगी ही |
११. यदि स्त्री में चारित्रिक दोष हो अथवा स्वभाव में अधिक उग्रता हो ,चंचल स्वभाव हो ,सौमनस्य का अभाव हो ,कोई अभाव हो ,कोई शारीरिक कमी हो तो उसे षोडशी त्रिपुरसुन्दरी का यन्त्र इनके सिद्ध साधक से बनवाकर और २१००० मन्त्रों से अभिमंत्रित करा कवच में धारण कराएँ |इससे स्वभाव -शरीर की कमियों का नियंत्रण होता है और अच्छे बुरे को समझने की शक्ति का विकास होने के साथ दाम्पत्य सुख -समृद्धि की वृद्धि होती है |
१२. यदि स्त्री अधिक स्वार्थी हो ,स्वतंत्र हो ,किसी को कुछ न समझती हो ,बड़े छोटो को समझने ,सहयोग ,सेवा की भावना न हो तो षोडशी यन्त्र धारण कराने के साथ ही उसे खुद के प्रति वशीभूत करें जिससे वह आपकी बात को माने और आपके कहे अनुसार चले |इस हेतु वशीकरण प्रयोग अच्छा काम करते हैं |
१३. यदि आपको लगता हो की पत्नी अधिक आकर्षक है अथवा सुंदर है और आप अपेक्षाकृत कम ,या वह किसी और के प्रति भी आकर्षित हो सकती है ,अथवा वह भी कामकाजी महिला है जो अनेक लोगों के सम्पर्क में होती है तो आप श्यामा मातंगी यन्त्र अभिमंत्रित करा कवच में धारण करें |इससे आपकी आकर्षण -वशीकरण शक्ति बढती है और चूंकि पत्नी सबसे अधिक समय साथ होती है अतः उसपर सबसे अधिक प्रभाव होगा ,यद्यपि प्रभाव सभी मिलने वालों पर होगा |
उपरोक्त प्रयोग गंभीर प्रकृति के और दीर्घकालिक प्रभाव के हैं |इनके अतिरिक्त अनेक टोटके और प्रयोग दाम्पत्य कलह के लिए शास्त्रों में दिए गए हैं |चूंकि विषय कलह का है अतः कुछ टोटकों का दिया जाना प्रासंगिक होगा |
१. यदि पति पत्नी का आपस में बिना बात के झगड़ा होता है और झगडे का कोई कारण भी नही होता तो अपने शयनकक्ष में पति अपने तकिये के नीचे लाल सिन्दूर रखे व पत्नी अपने तकिये के नीचे कपूर रखे|प्रात: पति आधा सिन्दूर घर में ही कहीं गिरा दें और आधे से पत्नी की मांग भर दें तथा पत्नी कपूर जला दे|
२. पति पत्नी के क्लेश के लिए पत्नी बुधवार को तीन घंटे का मोंन रखें |शुक्रवार को अपने हाथ से साबूदाने की खीर में मिश्री डाल कर खिलाएं तथा इतर दान करें व अपने कक्ष में भी रखें |इस प्रयोग से प्रेम में वृद्धि होती है|
३. यदि निरंतर घर में कलह का वातावरण बना रहता हो,अशांति बनी रहती हो.व्यर्थ का तनाव बना रहता हो तो.थोड़ी सी गूगल लेकर " ॐ ह्रीं मंगला दुर्गा ह्रीं ॐ " मंत्र का १०८ बार जाप कर गूगल को अभी मंत्रित कर दे और उसे कंडे पर जलाकर पुरे घर में घुमा दे.ये सम्भव न हो तो गूगल ५ अगरबत्ती पर भी ये प्रयोग किया जा सकता है.घर में शांति का वातावरण बनने लगेगा।
४.अगर आपके परिवार में अशांति रहती है और सुख-चैन का अभाव है तो प्रतिदिन प्रथम रोटी के चार भाग करें, जिसका एक गाय को, दूसरा काले कुत्ते को, तीसरा कौवे को तथा चौथा टुकड़ा किसी चौराहे पर रखवादें तो इसके प्रभाव से समस्त दोष समाप्त होकर परिवार की शांति तथा सम्रद्धि बढ़ जाती है |
5. कांच के एक कटोरे में लघु मोती शंख रख कर उसे अपने बिस्तर के नजदीक किसी टेबल आदि पर अथवा पास की किसी जगह पर रखें। इससे कमरे के आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और पति-पत्नी में प्रेम बढ़ेगा।
६. ग्यारह गोमती चक्र लेकर लाल सिंदूर की डिब्बी में भरकर अपने घर में रखने से दाम्पत्य प्रेम बढ़ता है।
इनके अतिरिक्त अनेकानेक प्रयोग और टोटके हैं जो दाम्पत्य कलह ,स्त्री को वशीभूत करने के लिए दिए गए हैं ,पर इन्हें बहुत सोच समझकर ,पूर्ण विधि जानकार ही करना चाहिए |....[ अगले भाग में - पति जब देवता न रह जाए -घर बर्बाद करने पर उतारू हो तो ]..................................................हर-हर महादेव
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विवाह के पूर्व हर लड़के के मन में अपने भावी वैवाहिक जीवन और पत्नी को लेकर असंख्य कल्पनाएँ होती हैं ,अनेक भावनाएं होती हैं |कितना भी माडर्न व्यक्ति हो अथवा रुढ़िवादी हो वह अपनी पत्नी को सौम्य ,सरल ,सीधा ,बात मानने वाली ,प्यार करने वाली ,परिवार -खानदान की मर्यादा और संस्कार को समझने योग्य ,चरित्रवान ,समझदार ,सुख दुःख में साथ देने वाली ,सबका सहयोग करने वाली और परिवार को एक सूत्र में बांधकर चलने वाली ,माता -पिता का ध्यान देने वाली कल्पित करता हैं |विवाह पूर्व कोई कलह ,विवाद ,ईगो ,चारित्रिक दोष की कल्पना नहीं कर पाता और सोचता है की पत्नी को अपने अनुकूल ढाल लेगा |विवाह बाद अधिकतर मामलों में इसका उल्टा हो जाता है |आधुनिक समय में लगभग २० प्रतिशत दम्पति अलग हो जाते हैं विभिन्न कारणों से |इनमे यद्यपि प्रतिशत तो अभी पुरुषों की कमी से अलगाव का अधिक है ,तथापि स्त्री के कारण अलगाव का प्रतिशत भी तेजी से बढ़ रहा है |80 प्रतिशत दम्पतियों में से 75 प्रतिशत एडजस्ट करते हैं मजबूरी में एक दुसरे की कमी को देखते समझते हुए भी |केवल 5 प्रतिशत की लाइफ शान्ति से चल पाती है और वे यह कह सकते हैं की उनका पार्टनर सहयोगी है और वह संतुष्ट हैं |इन 5 प्रतिशत को अगर छोड़ दें तो अलग होने वाले मामलों सहित कुल दम्पतियों में से अधिकतर में कलह होता है ,|इनके कारण अलग अलग हो सकते हैं |पति पत्नी दोनों की कमियां इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं ,विभिन्न दोष ,कारण ,प्रभाव इनके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं किन्तु कलह बहुत से मामलों में स्त्री द्वारा ही अधिक किया जाता है |
संस्कार और वातावरण माता -पिता और खानदान का दिया होता है जो वाह्य तौर पर व्यक्ति को एक परिधि में रखता है ,किन्तु जब बात खुद की आती है और स्वतंत्र सोच कार्य करने लगती है तब संस्कार ,वातावरण भूलने लगता है और जो बेसिक नेचर है वह सामने आने लगता है | आज तो माता -पिता ही लगभग स्वतंत्र हो रहे अथवा उनके पास समय ही नहीं की वह बच्चों पर ध्यान दे सकें खानदान से तो बहुतों की दूरी बन चुकी है |ऐसे में जिन कन्याओं पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए उन्हें स्वतंत्र छोड़ दिया जा रहा |कुछ कमियां सोसल मिडिया ,इंटरनेट ,टी वी ,सिनेमा ,डेली सोप और नारी स्वतंत्रता की वकालत करने वाले उत्पन्न कर रहे जिससे संस्कार और गंभीरता का क्षय होता जा रहा और व्यक्तिगत स्वार्थ ,महत्वाकांक्षा ,सहयोग का अभाव ,संवेदनशीलता का अभाव ,संतोष और सहनशीलता का अभाव उत्पन्न हो रहा |आज तो माता -पिता तक अपनी बेटी को सहनशीलता और सहयोग न सिखाकर यह समझाते हैं की अपना हित पहले देखो |अपने कैरियर ,स्वार्थ ,स्वतंत्रता से समझौता जरुरी नहीं |परिणाम होता है की लड़की विवाह पूर्व ही सपने पाल लेती है की वह अकेले रहेगी पति के साथ |उसका पति केवल उसकी सुनेगा ,केवल उसकी बात मानेगा ,सारी कमाई उसे ही देगा ,वह स्वतंत्र रहेगी ,कोई रोक टोक नहीं होगा ,वह अपनी इच्छा से जीवन जियेगी आदि आदि |इन सबसे ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति उत्पन्न हो जाती है की वह सिर्फ अपना हित देखने वाली बन जाती है |कुछ तो पहले से ही इतना स्वतंत्र और मुक्त विचारधारा की होती हैं की वह कोई बात अथवा संस्कार या दबाव मानने को तैयार ही नहीं होती |
इसके बाद शुरू होती है घर के नरक बनने की कहानी |पहले की सोच से जब वर्तमान मेल नहीं खाता तो जबरदस्ती उसे पाने की चाहत उत्पन्न होती है ,अथवा स्वतंत्र होकर खुद का स्वार्थ देखने की भावना पनपती है |स्वभाव न मिलने पर तो कलह होता ही है अथवा एक दुसरे से असंतुष्टि तो कलह कराता ही है ,विभिन्न प्रकार के पूर्वाग्रह इसे और बढ़ा देते हैं |विभिन्न दोष ,कमियां ,किया कराया ,ग्रहीय स्थितियां भी इसे बढाते हैं किन्तु हमारा विषय यह नहीं की यह क्यों होता है ,क्योकि इस पर हम कुछ पोस्ट पहले लिख चुके हैं |आज हम यह देखते हैं की स्थितियां जो भी हो ,इन पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है |यदि पत्नी बिगड़ी है ,या झगड़ालू है ,या स्वार्थी है ,या चारित्रिक रूप से कमजोर है ,असहयोगी है और आपकी मजबूरी भी है की उसे साथ लेकर चलना भी है तो कैसे उसे सुधारा जाए ,कैसे उसे अनुकूल किया जाए ,कैसे उसकी कमियों को हटाया जाए |हमारे पास अक्सर इस तरह के मामले आते रहे हैं चूंकि हम तंत्र और ज्योतिष से जुड़े रहे हैं अतः इसके लिए हमारे कुछ सुझाव हैं |यदि आप या आपका कोई परिचित इस तरीके की समस्या में घिरा हो जहाँ स्त्री के कारण घर नरक बन रहा हो तो यदि आपको उचित लगता है तो अपनी सुविधानुसार आजमायें अथवा उन्हें सुझाएँ ,हमें उम्मीद है की आपकी समस्या सुलझ सकती है |
१. प्रथम कार्य तो यह करें की स्त्री की कुंडली किसी विद्वान् ज्योतिषी को दिखाएँ और उग्रता ,स्वार्थ अथवा कामुकता उत्पन्न करने वाले ग्रह के प्रभाव को सिमित करने का प्रयास करें ,साथ ही ज्योतिषी के परामर्श के अनुसार बौद्धिक स्तर उठाने वाले ,दाम्पत्य सुख दिलाने वाले ग्रह की शक्ति मजबूत करें |
२. अपने घर के वास्तु पर ध्यान दें |स्थान कैसा भी हो ,घर कैसा भी हो उसे ठीक किया जा सकता है ,अतः ऐसी व्यवस्था वास्तु अनुसार करें की शान्ति बढ़े ,तनाव कम हो ,कलह कम हो ,दिमाग पर बोझ न हो |
३. स्त्री को समझने का प्रयत्न करें ,मनोवैज्ञानिक रूप से उसकी विचारधारा ,सोच ,अवचेतन की कुंठाओं को बदलने का प्रयत्न करें |अकस्मात् होने वाली उसके द्वारा प्रतिक्रिया पर ध्यान दें और उसका कारण खोजने का प्रयत्न करें ,यह उसके अवचेतन की कहानी व्यक्त कर देगा |अपनी कमियों पर भी बराबर ध्यान दें |मनोवैज्ञानिक सुझाव और संपर्क बहुत कारगर होते हैं |
४. पत्नी या स्त्री को नीचा दिखाने का प्रयत्न न करें ,न आपके परिवार का कोई ऐसा करे ,यह आक्रोश उत्पन्न करता है |कभी भी उसके मायके की कमियां न निकालें न बुराई करें |मायका कैसा भी हो पत्नी के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है |उसे बच्चों के उदाहरण आदि पर समझाएं की हम जो संस्कार आज अपने बच्चों के सामने अपने माता -पिता के प्रति दिखाएँगे वह उनका अनुसरण कर सकते हैं |
५. पत्नी या स्त्री की किसी से तुलना न करें |उसके साथ कुछ समय जरुर प्यार से बिताएं |उसकी थोड़ी प्रशंशा भी करें |उसकी कमियों पर झुंझलायें नहीं अपितु किसी और तरीके से उसे ही महसूस करने दें की उसमे यह कमी है | प्रशंशा बहुत अधिक भी न करें उसकी हर समय की वह खुद को ही सबसे ऊपर मानने लगे |
६. स्त्री से मिलने जुलने वालों और उसको सुझाव देने वालों पर ध्यान दें |उसके द्वारा की जा रही तुलना अथवा दिए जा रहे उदाहरण को समझने का प्रयत्न करें ,क्यों और किस ओर यह इशारा कर रहे |उसके बाद अपनी प्रतिक्रिया संतुलित रूप से दें |
७. यह देखें की विवाह पूर्व अथवा बाद में किसी द्वारा किसी स्वार्थ के लिए अथवा अपने दोष हटाने के लिए किसी द्वारा कोई तांत्रिक क्रिया तो नहीं की गयी आपके दाम्पत्य जीवन पर अथवा स्त्री पर | इससे भी कलह होता है और विभिन्न कमियां उत्पन्न हो जाती है |
८. अपने पितरों ,कुलदेवता आदि की स्थिति पता करें की वे संतुष्ट हैं की नहीं ,उनकी पूजा ठीक से हो रही की नहीं |जो परिवारीजन अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए हैं उनकी शान्ति के प्रयत्न करें ,पितरों को श्राद्धादी से संतुष्ट करें और कुलदेवता की वार्षिक पूजा सुनिश्चित कराएं |इनके कारण भी पारिवारिक माहौल बिगड़ता है और अभाव ,कमियां लोगों में उत्पन्न होती हैं |
९. ज्यादा टोटके न आजमायें ,न ही बार बार अलग -अलग ज्योतिषी की सलाह लें |एक बार ही खूब सोच समझकर सलाह लें और उपाय करें |हर वस्तु की अपनी ऊर्जा होती है |यदि सही स्थान पर न लगे तो व्यतिक्रम भी उत्पन्न होता है |
१०. पत्नी या स्त्री पर किसी नकारात्मक शक्ति ,किये कराये ,टोने -टोटके ,वशीकरण ,कोख बंधन आदि का प्रभाव लगे तो उसे किसी उग्र शक्ति जैसे काली ,तारा ,कामाख्या के यन्त्र इनके सिद्ध साधक से बनवाकर और कम से कम २१००० मन्त्रों से अभिमंत्रित करा कवच में धारण कराएं |ऐसी शक्तियों के यन्त्र न धारण कराएं जिनमे अशुद्धि का डर हो क्योकि स्त्री बार बार अशुद्ध होगी ही |
११. यदि स्त्री में चारित्रिक दोष हो अथवा स्वभाव में अधिक उग्रता हो ,चंचल स्वभाव हो ,सौमनस्य का अभाव हो ,कोई अभाव हो ,कोई शारीरिक कमी हो तो उसे षोडशी त्रिपुरसुन्दरी का यन्त्र इनके सिद्ध साधक से बनवाकर और २१००० मन्त्रों से अभिमंत्रित करा कवच में धारण कराएँ |इससे स्वभाव -शरीर की कमियों का नियंत्रण होता है और अच्छे बुरे को समझने की शक्ति का विकास होने के साथ दाम्पत्य सुख -समृद्धि की वृद्धि होती है |
१२. यदि स्त्री अधिक स्वार्थी हो ,स्वतंत्र हो ,किसी को कुछ न समझती हो ,बड़े छोटो को समझने ,सहयोग ,सेवा की भावना न हो तो षोडशी यन्त्र धारण कराने के साथ ही उसे खुद के प्रति वशीभूत करें जिससे वह आपकी बात को माने और आपके कहे अनुसार चले |इस हेतु वशीकरण प्रयोग अच्छा काम करते हैं |
१३. यदि आपको लगता हो की पत्नी अधिक आकर्षक है अथवा सुंदर है और आप अपेक्षाकृत कम ,या वह किसी और के प्रति भी आकर्षित हो सकती है ,अथवा वह भी कामकाजी महिला है जो अनेक लोगों के सम्पर्क में होती है तो आप श्यामा मातंगी यन्त्र अभिमंत्रित करा कवच में धारण करें |इससे आपकी आकर्षण -वशीकरण शक्ति बढती है और चूंकि पत्नी सबसे अधिक समय साथ होती है अतः उसपर सबसे अधिक प्रभाव होगा ,यद्यपि प्रभाव सभी मिलने वालों पर होगा |
उपरोक्त प्रयोग गंभीर प्रकृति के और दीर्घकालिक प्रभाव के हैं |इनके अतिरिक्त अनेक टोटके और प्रयोग दाम्पत्य कलह के लिए शास्त्रों में दिए गए हैं |चूंकि विषय कलह का है अतः कुछ टोटकों का दिया जाना प्रासंगिक होगा |
१. यदि पति पत्नी का आपस में बिना बात के झगड़ा होता है और झगडे का कोई कारण भी नही होता तो अपने शयनकक्ष में पति अपने तकिये के नीचे लाल सिन्दूर रखे व पत्नी अपने तकिये के नीचे कपूर रखे|प्रात: पति आधा सिन्दूर घर में ही कहीं गिरा दें और आधे से पत्नी की मांग भर दें तथा पत्नी कपूर जला दे|
२. पति पत्नी के क्लेश के लिए पत्नी बुधवार को तीन घंटे का मोंन रखें |शुक्रवार को अपने हाथ से साबूदाने की खीर में मिश्री डाल कर खिलाएं तथा इतर दान करें व अपने कक्ष में भी रखें |इस प्रयोग से प्रेम में वृद्धि होती है|
३. यदि निरंतर घर में कलह का वातावरण बना रहता हो,अशांति बनी रहती हो.व्यर्थ का तनाव बना रहता हो तो.थोड़ी सी गूगल लेकर " ॐ ह्रीं मंगला दुर्गा ह्रीं ॐ " मंत्र का १०८ बार जाप कर गूगल को अभी मंत्रित कर दे और उसे कंडे पर जलाकर पुरे घर में घुमा दे.ये सम्भव न हो तो गूगल ५ अगरबत्ती पर भी ये प्रयोग किया जा सकता है.घर में शांति का वातावरण बनने लगेगा।
४.अगर आपके परिवार में अशांति रहती है और सुख-चैन का अभाव है तो प्रतिदिन प्रथम रोटी के चार भाग करें, जिसका एक गाय को, दूसरा काले कुत्ते को, तीसरा कौवे को तथा चौथा टुकड़ा किसी चौराहे पर रखवादें तो इसके प्रभाव से समस्त दोष समाप्त होकर परिवार की शांति तथा सम्रद्धि बढ़ जाती है |
5. कांच के एक कटोरे में लघु मोती शंख रख कर उसे अपने बिस्तर के नजदीक किसी टेबल आदि पर अथवा पास की किसी जगह पर रखें। इससे कमरे के आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और पति-पत्नी में प्रेम बढ़ेगा।
६. ग्यारह गोमती चक्र लेकर लाल सिंदूर की डिब्बी में भरकर अपने घर में रखने से दाम्पत्य प्रेम बढ़ता है।
इनके अतिरिक्त अनेकानेक प्रयोग और टोटके हैं जो दाम्पत्य कलह ,स्त्री को वशीभूत करने के लिए दिए गए हैं ,पर इन्हें बहुत सोच समझकर ,पूर्ण विधि जानकार ही करना चाहिए |....[ अगले भाग में - पति जब देवता न रह जाए -घर बर्बाद करने पर उतारू हो तो ]..................................................हर-हर महादेव
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