दुर्गा सप्तशती और तांत्रिक दृष्टि ... [[ भाग दो ]]
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नवरात्र के नौ पाठों का क्रम और उत्कीलन
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शाक्त उपासकों के लिए नवरात्र -पर्व का बहुत ही महत्व माना गया है |वैसे तो आश्विन मॉस के शुक्लपक्ष में आने वाले प्रतिपदा से नवमी तक के दिनों को ही नवरात्र के रूप में सर्वत्र माना जाता है ,किन्तु पुरे वर्ष में क्रमशः १.चैत्र , २. आषाढ़ , ३. आश्विन ,४. माघ में चार नवरात्र आते हैं और उनमे देवी उपासना का विधान होता है ,उनमे भी अलग अलग ढंग से तिथियों का निर्णय करके साधना आरम्भ की जाती है |अतः उनमे केवल नौ ही दिन होते हैं ,ऐसा भी नहीं है ,प्रायः १० दिन ,१५ दिन और इनसे न्यूनाधिक दिनों में भी ऐसी साधनाएं होती हैं |
दुर्गा सप्तशती -पाठ की प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण क्रम नौ प्रकार के पाठों का इस प्रकार प्राप्त होता है जो की रुद्रयामल तंत्र में निर्दिष्ट है ----
दिन -पाठ का नाम -------पाठ प्रकार
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[१] महाविद्या --प्रथम ,द्वितीय और तृतीय चरित्र
[२] महातंत्री ------प्रथम ,द्वितीय और तृतीय चरित्र
[३] चंडी ----------प्रथम ,द्वितीय और तृतीय चरित्र
[४] सप्तशती ---द्वितीय ,प्रथम और तृतीय चरित्र
[५] मृत संजीवनी --तृतीय ,प्रथम और द्वितीय चरित्र
[६] महाचंडी ------तृतीय ,द्वितीय और प्रथम चरित्र
[७] रूप्दीपक पाठ -----"रूपमदेहि "इस श्लोकार्ध और नवार्ण मंत्र से संपुटित
[८] चतुह्शष्टि योगिनी ---चौसठ योगिनियों के मन्त्रों के योग से पाठ [जिसके आद्यंत में काली ,लक्ष्मी और सरस्वती की योगिनियाँ रहें |
[९] परा [चंडीपाठ] --परा बीज से संपुटित पाठ [दसवें दिन उत्कीलन -पाठ भी होता है ,जिसके लिए स्वसंप्रदाय और गुरु आज्ञा प्राप्त होने पर निम्न क्रम में पाठ हो सकता है |
[१०] उत्कीलन -----अध्याय क्रम १३ ,१ ,२ ,१२ ,३ ,११ ,४ ,१० ,५ ,७ ,६ ,७ और ९ |
नवरात्र में खड्गमाला के पाठ का क्रम बनाकर यदि पाठ किया जाए तो उसका क्रम इस प्रकार होगा ---[१] काली [२] तारा [३] बाला [४] गायत्री [५] गुह्यकाली [६] भुवनेश्वरी [७] चामुंडा [८] कुब्जिका [९] महात्रिपुरसुन्दरी [१०] अपराजिता
तांत्रिक ग्रंथों में कृष्ण पक्ष की षष्ठी से २७ दिन की और अष्टमी से पूर्णिमा तक का नवरात्र मनाने का भी निर्देश प्राप्त होता है |ये नवरात्र सृष्टि और संहारात्मक भी होते हैं |...............................................................हर-हर महादेव
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नवरात्र के नौ पाठों का क्रम और उत्कीलन
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शाक्त उपासकों के लिए नवरात्र -पर्व का बहुत ही महत्व माना गया है |वैसे तो आश्विन मॉस के शुक्लपक्ष में आने वाले प्रतिपदा से नवमी तक के दिनों को ही नवरात्र के रूप में सर्वत्र माना जाता है ,किन्तु पुरे वर्ष में क्रमशः १.चैत्र , २. आषाढ़ , ३. आश्विन ,४. माघ में चार नवरात्र आते हैं और उनमे देवी उपासना का विधान होता है ,उनमे भी अलग अलग ढंग से तिथियों का निर्णय करके साधना आरम्भ की जाती है |अतः उनमे केवल नौ ही दिन होते हैं ,ऐसा भी नहीं है ,प्रायः १० दिन ,१५ दिन और इनसे न्यूनाधिक दिनों में भी ऐसी साधनाएं होती हैं |
दुर्गा सप्तशती -पाठ की प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण क्रम नौ प्रकार के पाठों का इस प्रकार प्राप्त होता है जो की रुद्रयामल तंत्र में निर्दिष्ट है ----
दिन -पाठ का नाम -------पाठ प्रकार
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[१] महाविद्या --प्रथम ,द्वितीय और तृतीय चरित्र
[२] महातंत्री ------प्रथम ,द्वितीय और तृतीय चरित्र
[३] चंडी ----------प्रथम ,द्वितीय और तृतीय चरित्र
[४] सप्तशती ---द्वितीय ,प्रथम और तृतीय चरित्र
[५] मृत संजीवनी --तृतीय ,प्रथम और द्वितीय चरित्र
[६] महाचंडी ------तृतीय ,द्वितीय और प्रथम चरित्र
[७] रूप्दीपक पाठ -----"रूपमदेहि "इस श्लोकार्ध और नवार्ण मंत्र से संपुटित
[८] चतुह्शष्टि योगिनी ---चौसठ योगिनियों के मन्त्रों के योग से पाठ [जिसके आद्यंत में काली ,लक्ष्मी और सरस्वती की योगिनियाँ रहें |
[९] परा [चंडीपाठ] --परा बीज से संपुटित पाठ [दसवें दिन उत्कीलन -पाठ भी होता है ,जिसके लिए स्वसंप्रदाय और गुरु आज्ञा प्राप्त होने पर निम्न क्रम में पाठ हो सकता है |
[१०] उत्कीलन -----अध्याय क्रम १३ ,१ ,२ ,१२ ,३ ,११ ,४ ,१० ,५ ,७ ,६ ,७ और ९ |
नवरात्र में खड्गमाला के पाठ का क्रम बनाकर यदि पाठ किया जाए तो उसका क्रम इस प्रकार होगा ---[१] काली [२] तारा [३] बाला [४] गायत्री [५] गुह्यकाली [६] भुवनेश्वरी [७] चामुंडा [८] कुब्जिका [९] महात्रिपुरसुन्दरी [१०] अपराजिता
तांत्रिक ग्रंथों में कृष्ण पक्ष की षष्ठी से २७ दिन की और अष्टमी से पूर्णिमा तक का नवरात्र मनाने का भी निर्देश प्राप्त होता है |ये नवरात्र सृष्टि और संहारात्मक भी होते हैं |...............................................................हर-हर महादेव
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